Monday 15 March 2021 11:34 AM IST : By Rooma

काली गाजर की कांजी के इतने फायदे हैं कि आप हैरान रह जाएंगे

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इन दिनों काली गाजर मिल रही है। सामान्य गाजर की तुलना में इसका रंग और स्वाद अलग ही होता है, इसीलिए कांजी बनाने में इसका खासतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। कांजी चुकंदर, काली गाजर या गाजर से तैयार होती है। मूंग दाल के वड़े के साथ भी इसे परोसा जाता है। उत्तर भारत में यह खासतौर पर बनायी जाती है। प्रोबायोटिक गुण होने की वजह से यह सेहत की नजर से उपयोगी मानी जाती है। कांजी को कभी भी बड़े-बड़े घूंट ले कर ना पिएं। छोटे-छोटे घूंट ले कर सिप करें। यह टेस्टी और हेल्दी ड्रिंक किसी रेस्तरां में नहीं मिलेगी, घर में ही इसे तैयार करें। आमतौर पर इसे मिट्टी के घड़ों में डाला जाता है। अगर मिट्टी का घड़ा नहीं है, तो मर्तबान या कांच के बरतन में कांजी डाल सकती हैं। टर्की में कांजी खासतौर पर हेवी खाना खाने के साथ या अंडा कबाब के साथ परोसी जाती है, जिससे खाना जल्दी व आसानी से पच जाए और भारीपन ना महसूस हो।

कांजी पीने के लाभ

कांजी डाइजेशन के लिए फायदेमंद है। यह लिवर प्यूरीफायर का काम करती है। कमजोरी और डाइजेशन की समस्या है, तो गाजर की कांजी पिएं। इससे जादुई लाभ मिलेगा। सेलेब्रिटी डाइटीशियन रूजुता दिवेकर ने अपने इंस्टाग्राम पर कांजी पीने के अदभुत फायदे शेअर किए हैं और लिखा है, ‘‘काली गाजर की कांजी पेट में अच्छे बैक्टीरिया पैदा करती है। इतना ही नहीं, यह खांसी और जोड़ों की कमजोरी से ले कर मांसपेशियों की एेंठन में भी काफी फायदेमंद है। यह विटामिन ए, डी, बी12, बीटा कैरोटीन, पोटैशियम, फाइबर, मैग्नीशियम के अलावा सोडियम का भी अच्छा स्रोत है। कांजी एंटी इंफ्लामेट्री गुणों और एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है।

चुकंदर गाजर की कांजी

सामग्रीः 1 लीटर पानी, 11/2 छोटे चम्मच राई, स्वादानुसार नमक व काला नमक, 1/4 छोटा चम्मच लाल मिर्च, 2-3 गाजर, 1 चुकंदर और 1 छोटा टुकड़ा अदरक कसा हुआ।

विधिः गाजर और चुकंदर को छील कर उनको लंबे-लंबे टुकड़ों में काट लें। अगर चुकंदर नहीं डालना चाहती हैं, तो उसकी जगह काली गाजर डालें। राई को मोटा-मोटा पीस लें। सारी सामग्री को एक कांच के बरतन या मर्तबान में डालें और अच्छी तरह मिक्स करें। ढक्कन लगाएं, पर थोड़ा सा खुला भी रहने दें, जिससे कांजी में खमीर उठने की वजह से अचानक ढक्कन ना खुल जाए। इसे 5-6 दिन धूप में रखें। रोज एक बार इसे चम्मच से चला लें। आप देखेंगी कि चुकंदर अपना रंग छोड़ देगा और पानी का रंग गाढ़ा लाल-गुलाबी हो जाएगा। तैयार कांजी को 4-5 दिनों में पी कर खत्म करें, वरना इसका स्वाद बदलने लगेगा।

राजस्थानी कांजी वड़ा

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सामग्री: 2 लीटर पानी, 4 बड़े चम्मच राई बारीक पिसी हुई, 1 छोटा चम्मच हल्दी, 1 छोटा चम्मच लाल मिर्च, चुटकीभर हल्दी पाउडर, 2 छोटे चम्मच सरसों का तेल और स्वादानुसार नमक।

वड़ों के लिए सामग्रीः 1 कप मूंग की दाल, 1/2 छोटा चम्मच, चुटकीभर हींग और तलने के लिए तेल।

विधि: कांच के बरतन में पिसी हुई राई, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हींग, नमक और सरसों का तेल डाल लें। इसमें थोड़ा सा पानी डालें और सारे मसाले को 2-3 मिनट तक चलाते हुए मिक्स करें। इसके बाद बचा पानी मिक्स करें। कांच के इस बरतन को किसी गरम जगह पर रख दें और रोजाना चम्मच से हिलाती रहें। तीन दिन के बाद कांजी अच्छी तरह से खट्टी हो कर तैयार हो जाएगी।

वड़े बनाने के लिए दाल को अच्छी तरह से धो कर 2-3 घंटे पानी में भिगो दें। बाद में इसमें से अतिरिक्त पानी निकाल लें। दाल को मिक्सी में डालें और हल्का दरदरा पीस लें। बची हुई दाल को भी ऐसे ही पीस लें। दाल को पीसते समय ही इसमें नमक और हींग डाल कर अच्छी तरह से फेंटें। तेल गरम करें। वड़े तल लें। इन्हें कांजी में डाल कर आधे घंटे के लिए पड़े रहने दें। फिर चौड़े मुंह वाले गिलास में वड़ों समेत कांजी सर्व करें। अगर वड़े नहीं डालना चाहती हैं, फीकी बूंदी भी डाल सकती हैं। वैसे काली गाजर की कांजी में मूंग व उड़द दाल से तैयार वड़े या फीकी बूंदी डाल कर भी परोस सकती हैं।