Friday 16 June 2023 04:31 PM IST : By Nishtha Gandhi

होमस्टे और झरनों का स्वर्ग अरुणाचल प्रदेश

arunachal-1 स्थानीय लोक नृत्य की एक झलक

अरुणाचल प्रदेश भारत का वह राज्य है, जहां सबसे पहले सूरज की रोशनी पहुंचती है। जी हां, भारत के उत्तर पूर्वीय छोर पर स्थित अरुणाचल प्रदेश को सूरज की रोशनी से चमकते पहाड़ों के देश के रूप में जाना जाता है। पिछले कुछ समय से इस राज्य पर पर्यटकों की काफी मेहरबानी रही है और लोगों में अरुणाचल प्रदेश की सैर को ले कर खासा उत्साह देखा जा रहा है। यह बात और है कि यहां आने पर पर्यटक मन में यह पछतावा ले कर जाते हैं कि वे पहले यहां क्यों नहीं आए। और ऐसा हो भी क्यों ना, यहां के घने जंगलों में आपको ऑर्किड फूलों की 500 से ज्यादा दुर्लभ किस्में देखने को मिलेंगी।

arunachal-6 निबोड़ी गांव में स्थानीय भोजन

इसे धुंध भरी पहाडि़यों का राज्य कहें, कांच से चमकते पानी से लबालब नदियों की भूमि कहें या फिर ऐसा ख्वाबगाह कहें, जहां बैकग्राउंड में 24 घंटे खूबसूरत झरनों के गिरते, उफनते पानी का संगीत गूंजता रहता है। जो भी है अरुणाचल प्रदेश पर्यटन का एक अलग ही मुकाम है। पक्के मुसाफिर कहलाना चाहते हैं, तो नॉर्थ ईस्ट के मुहाने पर बसे अरुणाचल प्रदेश में आना ही पड़ेगा, वरना तो आप फिर कच्चे खिलाड़ी कहलाएंगे। अरुणाचल प्रदेश की कला और संस्कृति की बात करें, तो यह बेहद समृद्ध है। यहां पर लगभग 26 मुख्य जनजातियां हैं, जिनकी और भी उप जनजातियां हैं, जिनकी अपनी-अपनी कला और संस्कृति है। यहां पर आदि, गालो, आका, अपातानी, न्यीशी, तागिंस, बोरी और बोकर आदि मुख्य जनजातियां हैं। सभी की अपनी-अपनी परंपराएं और संस्कार हैं।

क्या देखें

arunachal-3 कौंबो विलेज

यहां पर देखने लायक जगहों में तवांग, जीरो वैली, सेला पास, नामदाफा नेशनल पार्क, सेप्पा, मैनचुका, तेजू, रोइंग, बॉमडिला, दिरंग, पासीघाट, आलो जैसे कई शहर हैं। यहां के हैंगिंग ब्रिज को आपने बॉलीवुड मूवी रंगून में भी देखा होगा। अगर इतिहास में आपकी रुचि है, तो यहां पर चैंगलैंग जरूर जाएं। यहां पर आपको वर्ल्ड वार-2 सीमेट्री, लेक ऑफ नो रिटर्न, जॉन्गपो हेअ, नामदाफा नेशनल पार्क समेत कई खूबसूरत जगहों पर घूमने का मौका मिलेगा। वहीं बुमला पास भारत-चीन सीमा पर स्थित है। पूरे साल बर्फ की चादर से घिरे बुमला पास में आपको इंडो-चाइना बॉर्डर के 4 मीटिंग पॉइंट्स में से एक पॉइंट देखने को मिलेगा। इसके अलावा आप यहां सैंगेस्टर सो नाम की झील भी देख सकेंगे, जो काफी ऊंचाई पर स्थित है। जो लोग अपनी यादों को तसवीरों के माध्यम से सहेज कर रखना चाहते हैं, उन्हें मैनचुका जरूर जाना चाहिए।

arunachal-4 मैनचुका

जब आप मैनचुका पहुंचेंगे, तो समझ जाइए कि आप इंडो-चाइना बॉर्डर से सिर्फ 29 किलोमीटर की दूरी पर ही हैं। वैसे यहां के बर्फ से ढके पहाड़ों, नदियों और वादियों की खूबसूरती को कैमरे में कैद करते हुए आपको बॉर्डर तक जाने का ख्याल ही नहीं आएगा। यहां तो वह हाल है कि जहां जाओ, वहीं के हो कर रह जाओ।

arunachal-5 दिरंग में मोनेस्टरी

चीड़ के पेड़ों और कंटीली झाडि़यों से घिरे मैनचुका का मतलब होता है- औषधि युक्त बर्फीला पानी। यहां पर जाएं, तो किसी होटल या गेस्ट हाउस में रहने के बजाय होम स्टे में रहें। इस तरह से आप यहां के स्थानीय जनजीवन का हिस्सा बन कर रहेंगे और यहां के असली पारंपरिक और स्थानीय भोजन का स्वाद उठा सकेंगे। यों भी पिछले कुछ समय से युवाओं में होम स्टे को ले कर क्रेज बढ़ा है। अब हर जगह पर होम स्टे की सुविधाएं मौजूद हैं, जो हर बजट में उपलब्ध हैं। असली अरुणाचल से भी आपकी मुलाकात ऐसे ही होम स्टे के दौरान होगी। यहां के कई होम स्टे बेहद साफ सुथरे और सभी सुविधाओ से लैस हैं।

गजब हैं झरने

arunachal-2 जंग झरना

यों तो अरुणाचल प्रदेश में आपको वह सब कुछ मिलेगा, जिनकी एक पर्यटक को अच्छी छुट्टी बिताने के लिए दरकार होती है, लेकिन यहां के झरनों के जिक्र के बिना बात अधूरी ही रह जाएगी। यहां पर कई खूबसूरत झरने आपको देखने को मिलेंगे, लेकिन तवांग के पास स्थित 100 मीटर ऊंचा नूरानांग झरना, जिसे बॉम झरना व जैंग झरना भी कहा जाता है, उसे देखे बिना घर वापस ना लौटें। झरने के ऊपरी पॉइंट पर आप गाड़ी से या ट्रेकिंग करके भी पहुंच सकते हैं। तवांग और युमखैंग के पास ही वैप टेंग कांग झरना है। वैसे तो यह 30 मीटर ही ऊंचा है, लेकिन इसका पानी बड़े वेग से किसी जलप्रपात की तरह नीचे गिरता है। यहां पर आप स्विमिंग का आनंद भी उठा सकते हैं। वहीं पासीघाट के पास 45 मीटर ऊंचा सिरकी झरना है, जो बरसात के मौसम में अपने पूरे शबाब पर होता है। यहां पर आप बर्ड वॉचिंग के साथ कई एडवेंचरस एक्टिविटीज का मजा भी ले सकते हैं। लब्बोलुआब यह है कि अरुणाचल में वे सारी खूबियां हैं, जिनकी वजह से कोई भी पर्यटक इसकी मोहब्बत में गिरफ्तार हो सकता है। आप चाहे किसी भी तरह की रुचि के पर्यटक हों, यहां आकर कभी बोर नहीं हो सकते।

कैसे पहुंचें

पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से अरुणाचल प्रदेश में अपना एअरपोर्ट नहीं है। असम का गुवाहाटी इंटरनेशनल एअरपोर्ट और उत्तरी लखीमपुर का लीलाबाड़ी एअरपोर्ट ही यहां के सबसे नजदीक हैं। एअरपोर्ट से आप 2 घंटे में टैक्सी से इटानगर पहुंच सकते हैं। वहीं अरुणाचल के नाहरलगून रेलवे स्टेशन तक दिल्ली और गुवाहाटी से ही सबसे ज्यादा ट्रेनें चलती हैं। वैसे असम का हारमूटी रेलवे स्टेशन भी यहां से 34 किलोमीटर की दूरी पर है। ट्रेन का सफर लंबा और धीमा जरूर है, पर बेहद सुंदर है। दोनों ही रेलवे स्टेशनों से अरुणाचल के लिए बसें व टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।