Thursday 06 February 2020 10:45 AM IST : By Nishtha Gandhi

किनारी बाजार : दिल्ली की वेडिंग स्ट्रीट

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भानुमति के किसी पिटारे से कम नहीं है दिल्ली का किनारी बाजार। शादी की शॉपिंग हो या त्योहारों की, हर मौके के लिए माकूल है यह जगह।

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दिल्ली का दिल अगर अाप चांदनी चौक को मानेंगे, तो यह मानने से भी इनकार नहीं कर पाएंगे कि इस दिल में भी कई दिल धड़कते हैं। जरी-गोटे का सबसे बड़ा बाजार किनारी बाजार इनमें से एक है। कुछ लोग इसे वेडिंग स्ट्रीट कहते हैं, तो कुछ रंग बदलता हुअा बाजार। सिंपल सलवार-सूट या साड़ी को हेवी बनाने के लिए लेस चाहिए, वेडिंग लहंगे को सजाना है, दूल्हे की शेरवानी के बटन चाहिए या दूल्हे का सेहरा, सेहरे की कलगी चाहिए या घरातियों के लिए साफे, समधियों को पहनाने के लिए जरी-गोटे की माला, नोटों का हार, शगुन के लिफाफे, मंडप सजाने के लिए कलश, डेकोरेटिव गिफ्ट बॉक्स, सब कुछ अापको यहां मिलेगा।

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जरी-गोटे का यह बाजार सावन अाते ही अपना रूप-रंग बदल लेता है। जन्माष्टमी पर भगवान के पीले चोले, मुकुट, मोर पंख, मटकी, पालना, मथानी, बांसुरी, राधा-कृष्ण अौर ग्वालों के वस्त्र, रक्षाबंधन अाते ही खूबसूरत राखियां, पूजा की थाली, रोली-चावल के पैक, पूजा के पोस्टर, नवरात्राें के दौरान माता की चुन्नी, मंदिर सजाने की घंटियां, झालरें, शंख अौर रामलीला के दिनों में तरह-तरह के मुखौटे, रावण के दस सिर, रामलीला के पात्रों की ड्रेस, धनुष-बाण, तलवारें, खड्ग, गदा अादि अापको मिलने लगेंगे। जिन दिनों हिंदी फिल्म दिल्ली-6 रिलीज हुई थी, तो उस समय मंकी मैन के सूट की इस बाजार में काफी डिमांड थी। दीवाली के दिनों में बंदनवार, झालर, कंदील, दीए, रंगोली अौर डेकोरेटिव लालटेनों, कंदीलों से यह बाजार भर जाता है।

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दरीबे की तरफ से बाजार में जाएंगे, तो घुसते ही संकरी गली को देख कर ऐसा लगेगा कि यहां पर तो दम ही घुट जाएगा। अागे से छोटी नजर अानेवाली दुकानें अंदर से खासी गहरी हैं। इन्हें देख कर यों लगता है मानो पूरा का पूरा बाजार एक-एक दुकान में सिमटा हुअा है। सजीधजी इन दुकानों से नजर हटाने का अापका दिल ही नहीं करेगा। कहीं कुंदन तो कहीं गोटे का काम, कहीं जरी जरदोजी, तो कहीं खूबसूरत लेस अौर लटकन अापको टंगी हुई मिलेंगी। थोड़ा अागे जाने पर मोती बाजार शुरू हो जाता है। अापको जान कर हैरानी होगी कि हजारों की संख्या में विदेशी टूरिस्ट इस बाजार से तरह-तरह के मोती खरीद कर ले जाते हैं। इनसे खूबसूरत जंक ज्वेलरी बना कर ये लोकल मार्केट में महंगे दामों में बेचते हैं।

चांदनी चौक के इतिहास पर नजर डालें, तो पता चलेगा कि शाहजहां की बेटी जहांअारा ने इसे बनवाया था, बाजार के बीचोंबीच एक तालाब था अौर उसके चारों तरफ अाधे चंद्राकार में बाजार सजता था। यह बाजार मुख्य रूप से शाही हरम की बेगमों अौर महिलाअों के लिए ही बनवाया गया था। किनारी बाजार को पहले अनारकली बाजार कहा जाता था। शाही महल की िस्त्रयां इस बाजार में जरी-गोटे की कढ़ाईवाले वस्त्र, किनारी अादि खरीदने के लिए अाती थीं। उस समय यहां असली सोने-चांदी की जरी का काम किया जाता था, लेकिन अब नकली जरी-गोटे का काम यहां खूब मिलता है। कुछ दुकानों पर अाप पुरानी जरी को अपने सामने जलवा कर उसमें से सोना-चांदी निकलवा कर अपने घर ले जा सकते हैं। किनारी बाजार का एक छोर परांठेवाली गली में निकलता है, तो दूसरा दरीबा कलां में।

दरीबा कलां से अाप चांदी के बरतन, गहने, मूर्तियों के अलावा सोने के जेवर खरीद सकते हैं। वहीं परांठेवाली गली में देसी घी में सिंके अालू, गोभी, मूली के परांठों के अलावा मेवे अौर खोए के परांठों का लुत्फ उठा सकते हैं। कंवरजी की दालबीजी अौर मूंग दाल की बरफी, अन्नपूर्णा भंडार की दिलबहार, जलेबीवाले की जलेबी, नटराज कॉर्नर के दही-भल्ले, ज्ञानी का फलूदा, स्टैंडर्ड स्वीट्स की अालू-बेढ़मी अौर हलवा-नगौरी, मेथी की चटनी के साथ मटर, गोभी अौर भिंडी के समोसे, मटर की कचौरी भी जरूर खाएं।

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किनारी बाजार पहंुचने के लिए चांदनी चौक या जामा मस्जिद दोनों तरफ से जाया जा सकता है। जामा मस्जिद की तरफ से जाएंगे, तो इत्र की दुकानों से इत्र खरीदना ना भूलें। एंटीक चीजों में रुचि है, तो जामा मस्जिद के सामने बनी दो दुकानें भी अापको रुकने पर मजबूर कर देंगी। त्योहारों के मौसम में यहां काफी भीड़भाड़ हो जाती है, पर यहां जाने का मजा इसी समय है। सजीधजी दुकानें, एक से बढ़ कर एक चीजें देख कर रिकशों अौर ठेलों की रेलमपेल में भी पैर मानो जम से जाते हैं। मजे की बात यह है कि यहां के रिकशेवाले भी किसी मुसाफिर पर गुस्सा नहीं होते। रंग बदलते किनारी बाजार का यह भी एक अलग रंग ही है।