वाइल्डलाइफ और एडवेंचर के प्रति लोगों का प्रेम इन दिनों काफी बढ़ गया है। यों भी पहाड़, नदी, समंदर देख कर जब मन ऊब जाए, तो एक छुट्टी मनाने के लिए जंगल सफारी भी जाया जा सकता है। पेड़ों के घने झुरमुटे के बीच खुली जीप में पक्षियों का कलरव, बंदरों का शोर, शेर की दहाड़, हाथियों की चिंघाड़ सुनते हुए बेधड़क घूमना किसे अच्छा नहीं लगेगा। घर लौटते हुए आपके कैमरे में कैद होंगे पानी पीते हुए हिरण, शिकार पर झपटने को तैयार तेंदुआ, पानी में आलस से पड़ा मगरमच्छ, दीन-दुनिया से बेखबर हो कर सोया हुआ लंगूर, मिट्टी में औंधा पड़ा खरगोश, रंगबिरंगे पक्षी। इन्हें कैमरे में कैद करते हुए आप कब अपने स्ट्रेस और थकान की गिरफ्त से आजाद हो जाएंगे, आपको खुद ही पता नहीं चलेगा।
यों तो हमारे यहां कई छोटे-बड़े वन्य जीव अभयारण्य हैं, जहां पर जंगल सफारी की सुविधा मौजूद है, जहां पर पर्यटकों की अच्छी-खासी संख्या मौजूद रहती है, लेकिन जब आप अपनी छुट्टी मनाने बेस्ट स्पॉट पर जाएंगे, तभी तो बात बनेगी। जानिए कुछ बेस्ट जंगल सफारी के बारे में-
जिम कॉर्बेट, उत्तराखंड का हीरा

जिम कॉर्बेट को भारत का पहला नेशनल पार्क माना जाता है। इसका नाम अंग्रेज शिकारी जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया है, क्योंकि उन्होंने ही इसकी स्थापना की है। जिम कॉर्बेट ने इस क्षेत्र में कई नरभक्षी बाघों को मारा था। ये वही जिम कॉर्बेट हैं, जिनके बारे में मशहूर है कि उन्होंने 10 फुट लंबे बाघ का शिकार किया था। यहां पर आपको रॉयल बंगाल टाइगर्स के दर्शन तो होंगे ही, साथ ही मगरमच्छ भी बहुतायत में मिलेंगे। इनके अलावा कई दुर्लभ प्रजातियां भी देखने को मिलेंगी। जिम कॉर्बेट जाने का सही समय मार्च से मई के बीच का है। यहां पर एक सफारी पूरी करने में लगभग 5 घंटे तक का समय लगता है। जिम कॉर्बेट पहुंचने के लिए पहले आपको ट्रेन से रामनगर पहुंचना होगा। उसके बाद बस या टैक्सी से जिम कॉर्बेट पहुंच सकते हैं। दिल्ली के आसपास के लोग डीलक्स या सेमी डीलक्स बस ले कर भी यहां पहुंच सकते हैं।
राजस्थानी नगीना रणथंभौर

रणथंभौर नेशनल पार्क का नाम आप सबने सुना ही होगा। नए साल का जश्न मनाने या जन्मदिन मनाने अकसर बॉलीवुड सेलेब्रिटीज रणथंभौर पहुंचे होते हैं। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि रणथंभौर कितना खास और खूबसूरत है। पहाडि़यों, झीलों और नालों से घिरे रणथंभौर टाइगर रिजर्व का सबसे मुख्य आकर्षण बाघ हैं। इनके अलावा आपको सियार, लोमड़ी, तेंदुआ, नेवले, नीलगाय, उड़न लोमड़ी, गिरगिट, चीतल और सांभर हिरण भी दिखायी देंगे। यहां पर कई लग्जरी व बजट रिजॉर्ट्स हैं, जहां आप राजस्थानी खानपान के अलावा कठपुतली व लोक नृत्य का आनंद भी ले सकते हैं। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर्स की फेवरेट जगह है रणथंभौर। यहां जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी तक ही है। रणथंभौर में आप साढ़े तीन घंटे में जंगल सफारी पूरी कर सकते हैं। यहां पर जीप और कैंटर सफारी भी उपलब्ध हैं। यहां का नजदीकी एअरपोर्ट जयपुर व रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर है, जो यहां से 10 किमी. की दूरी पर है।
सुंदरबन से सुंदर कुछ नहीं

पश्चिम बंगाल का सुंदरबन विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है, जो गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों से बना है। इसे यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी घोषित किया गया है। इसके अलावा यह भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क है। रॉयल बंगाल टाइगर को सही मायनों में अपनी पूरी शानोशौकत से घूमते हुए देखना हो, तो यहां जरूर आएं। यहां के लगभग हर निवासी की कभी ना कभी बाघ से मुठभेड़ जरूर हुई है। यहां आने पर स्थानीय निवासियों से ये किस्से सुनना मन में कुतुहल पैदा करते हैं। यहां पर जंगली सूअर, मांसाहारी समुद्री कछुए, सलेटी बतखें, बंदरों की प्रजातियां व चीतल हिरण दिखायी देंगे। लकी रहे, तो यहां के विशाल दलदल में आपको मछुआरी बिल्लियां भी दिखायी देंगी। सफारी को पूरा करने में आपको 4-8 घंटे का समय लग सकता है। यह इकोटूरिज्म क्षेत्र घोषित किया जा चुका है, इसलिए यहां पर घूमने जाएं, तो नियमों का पालन करें। समय हो, तो यहां के स्थानीय लोगों से मुलाकात करें। यहां पर विलेज टूरिज्म का ऑप्शन मौजूद है। यानी आप यहां के स्थानीय लोगों के यहां बतौर गेस्ट रह सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए फ्लाइट से कोलकाता और ट्रेन से कैनिंग पहुंचें।
चर्चा में है कूनो

ऐसा कौन होगा, जो कूनो के नाम से वाकिफ नहीं होगा। कुछ याद आया! जी हां, मध्य प्रदेश का वही राष्ट्रीय उद्यान, जहां साउथ अफ्रीका से आए चीतों को छोड़ा गया था। कई सालों बाद हमारे देश में चीतों का आगमन हुआ है। जेन जी तो शायद पहली बार ही चीतों को साक्षात अपने देश में यहीं देख पाएंगे। लेकिन यह भी ना सोचेंं कि चीते आने से पहले कूनों में कोई आकर्षण ही नहीं था। यह हमेशा से एशियाई शेरों की सैरगाह रहा है। खूबसूरत पहाडि़यों से घिरा कूनो किसी छुपे नगीने से कम नहीं। यहां पहुंचने से पहले सफारी की बुकिंग करवा लें। ऑनलाइन करना चाहते हैं, तो आप लगभग एक महीने पहले बुकिंग करवा सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए ट्रेन से शिवपुरी या मुरैना पहुंचें और फिर आगे की यात्रा करें।
थेक्कडी में एलिफेंट सफारी

ऑस्कर विनिंग डॉक्यूमेंटरी एलिफेंट व्हिसपरर्स देखने के बाद हाथियों को नजदीक से देखने का मन कर गया हो, तो केरल के थेक्कडी में पेरियार टाइगर रिजर्व में पहुंच जाएं। हाथियों के अलावा यहां साइट सीइंग के भी कई ऑप्शंस मौजूद हैं। यहां आपको हाथियों के झुंड, बाघ, धारीदार नेवला, जंगली सूअर देखने को मिलेंगे। यहां की खास बात यह है कि यहां की सफारी स्कीम्स जैसे बॉर्डर हाइकिंग, टाइगर ट्रेल और जंगल स्काउट में पर्यटकों को गाइड करने के लिए स्थानीय लोगों की ड्यूटी लगायी जाती है। इससे ना सिर्फ वन में शिकार, चंदन की अवैध तस्करी पर रोक लगाने में मदद मिलती है, बल्कि पिछड़ी जनजातियों को रोजगार भी मिलता है। हाथियों को देखने की तीव्र इच्छा हो, तो सुबह 8 बजे की बोट सफारी लें। छुट्टियों के सीजन में यहां पर्यटकों की अच्छी-खासी तादाद मौजूद रहती है, तो देर किस बात की, आप भी पर्यटकों की इस भीड़ में शुमार होने का मन बना ही लीजिए। यहां पहुंचने के लिए ट्रेन से कोट्टयम पहुंचें या फिर मदुरै या कोच्चि एअरपोर्ट पहुंच कर बस या टैक्सी लें।