Thursday 24 September 2020 09:17 PM IST : By Nisha Sinha

ऐसी होगी नव्य अयोध्या

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होहिं सगुन सुभ बिबिधि बिधि बाजहिं गगन निसान।
पुर नर नारि सनाथ करि भवन चले भगवान।।

उपरोक्त दोहे का भावार्थ है—ढेरों शुभ शगुन हो रहे हैं। अाकाश में नगाड़े बज रहे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपने दर्शन से नगर के सभी स्त्री अौर पुरुष को कृतार्थ करते हुए महल की अोर चल पड़े हैं। रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास जी का यह दोहा 14 वर्ष का कठोर वनवास काट कर दीपावली के दिन श्रीराम के अयोध्या लौटने का वर्णन कर रहा है।
न्यू अयोध्या में स्वागत है
राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अाने के बाद अयोध्या को नए सिरे से सजाने की रूपरेखा खींची जा रही है। इसे अाकर्षक अौर अाधुनिक सुविधाअों से लैस पर्यटन स्थल बनाने की योजना है। अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा कहते हैं, ‘‘साल 2016 में 1 करोड़ 55 लाख, साल 2017 में 1 करोड़ 75 लाख अौर साल 2018 में 1 करोड़ 92 लाख देशी अौर विदेशी पर्यटक अयोध्या अाए। इंटरनेशनल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यहां अच्छे होटलों अौर सभी तरह की कनेक्टिविटी का होना जरूरी है। यह चुनौतीभरा काम है अौर इसके लिए शहर का अाधुनिकीकरण करना होगा।’’

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मंदिर का कोना-कोना

मंदिर का मॉडल ः 76 वर्षीय विश्वप्रसिद्ध शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा को 1989 में विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने मंदिर का मॉडल बनाने को कहा था। उस समय विवादित क्षेत्र में लोहे का सामान ले जाने की अनुमति नहीं थी, इसलिए जमीन नापने के लिए वे लोहे की टेप नहीं ले जा सके थे अौर उनको अपने कदमों से जगह को नापना पड़ा था। चंद्रकांत सोमपुरा 100 से अधिक मंदिराें के डिजाइन बना चुके हैं। इसमें गुजरात के गांधी नगर में बना अक्षरधाम मंदिर भी शामिल है। अयोध्या में राम मंदिर का मॉडल बनानेवाले शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा बताते हैं, ‘‘प्रभु राम को भगवान विष्णु के 8 अवतारों में से एक माना जाता है। इसलिए मंदिर का गर्भगृह अौर शिखर दोनों ही अष्टकोणीय होना चाहिए। इसमें 250 स्तंभ होंगे। इन खंभों पर विष्णु के अाठ अवतार, दशावतार अौर रामायण के उद्धरणों से लिए देवी अौर देवताअों के चित्र उकेरे जाएंगे। यह मंदिर नागर शैली का होगा, जो उत्तर भारत के स्थापत्य की शैली है। यह मंदिर 270 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा अौर 141 मीटर ऊंचा होगा। मंदिर दोमंजिला होगा। अष्टकोणीय मंदिर के चारों कोने पर 4 मंदिर बनेंगे। इन मंदिरों में सीता, भरत, लक्ष्मण अौर श्री गणेश का मंदिर शामिल है। इसके अलावा कथा कुंज, भोजनालय, मेडिटेशन हॉल, रहने की जगह अौर अॉफिस भी बनेगा। यह सारा निर्माण मंदिर के लिए मिलनेवाली जगह के बाद ही सुनिश्चित हो सकेगा।’’

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मर्यादा पुरुषोत्तम राम की मूर्ति
राम मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी विश्वप्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार अौर उनके पुत्र अनिल सुतार को दी गयी है। अनिल सुतार कहते हैं, ‘‘राम मूर्ति के नीचे संग्रहालय होगा अौर इसके ऊपर छतरी होगी। कुल मिला कर इसकी ऊंचाई 251 मीटर होगी। यह मूर्ति ब्रोंज की बनी होगी। यह धातु हजारों साल तक खराब नहीं होती। इसके अंदर का भाग कंक्रीट अौर स्टील का होगा। मोहनजोदाड़ो की खुदाई में मिली मूर्तियां भी ब्रोंज की ही हैं। दक्षिण के मंदिरों में भी अष्टधातु अौर कांसे की ही बनी मूर्तियां ही हैं। कांसे का गुण होता है कि इसमें जंग नहीं लगता।’’
कैसे दिखेंगे राम ः बकौल अनिल सुतार, ‘‘मूर्ति बनाने के लिए उपलबध चित्रों को अाधार बनाया जाएगा। राम का मुखमंडल काफी शांत होगा, लेकिन साथ ही साथ वे योद्धा की तरह भी दिखेंगे। सीएम योगी अादित्यनाथ ने कहा है कि राम योद्धा की तरह ही दिखने चाहिए। उनकी अाकृति ऐसी हो, जिसमें उनका बायां पांव थोड़ा ऊंचा हो। बाएं हाथ में धनुष हो अौर दाहिने हाथ में बाण हो। मुद्रा ऐसी हो कि वे किसी भी समय बाण से निशाना साध सकते हैं। मूर्ति सरयू के किनारे स्थापित होगी।’’

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अयोध्या का विकास    
वर्तमान अयोध्या में सैकड़ों साल पुरानी इमारतें अौर मंदिर होने के कारण नए बदलाव नहीं हो सकते, इसलिए नया टाउनशिप बनाने की बात भी चल रही है। इसे यूपी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है। इस टाउनशिप में अावास परिसर, मंदिर, पार्क, लग्जरी होटल अौर शॉपिंग एरिया शामिल होंगे। नव्य अयोध्या के नाम से नयी अयोध्या नगरी बनाने की परियोजना है। पर बकौल डीएम अनुज कुमार झा, ‘‘नव्य अयोध्या नाम मीडिया का दिया हुअा है। अभी अयोध्या के विकास का खांका खींचा जा रहा है। किसी धार्मिक नगरी के लिए जो उच्चतम मानक है, उसी को देखते हुए अयोध्या में भी विकास कार्य किए जाएंगे।’’

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निर्माण की तैयारियां
रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या को तिरुपति जैसा शहर बनाने में कम से कम 4 साल लगेंगे। अयोध्या में बननेवाला मंदिर देश का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल होगा। अगर 2 हजार कारीगर एक दिन में 8 घंटे काम करेंगे, तो यह मंदिर बनने में 2.5 साल लगेंगे। मंदिर के 77 एकड़ कैंपस में गौशाला, धर्मशाला, वैदिक इंस्टिट्यूट अौर धार्मिक केंद्र बनाए जाएंगे। अयोध्या को एक अाध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां 10 श्रीराम द्वार बनेंगे। सरयू के किनारे इक्ष्वाकुपुरी बनाने की भी योजना है। इसे ग्रीन सिटी के तौर पर विकसित किया जाएगा। इक्ष्वाकुपुरी में इक्ष्वाकुवंश के राजाअों, खासतौर पर राम के जीवन से जुड़ी घटनाअों, उनकी उपस्थिति से जुडे़ ऐतिहासिक चित्र, लघु फिल्म, डॉक्यूमेंट्री व डिजिटल किताबों का प्रदर्शन होगा।

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 सुखद यात्रा के लिए
दुनियाभर के टूरिस्ट अौर तीर्थयात्रियों की अयोध्या से कनेक्टिविटी के लिए सड़क अौर वायु परिवहन की खास व्यवस्था की जाएगी। अयोध्या का ऐतिहासिक अौर पौराणिक जुड़ाव नेपाल, थाइलैंड, इंडोनेशिया अौर कोरिया से माना जाता है। फरवरी 2019 में राज्य मंत्रिमंडल ने 640 करोड़ रुपए की लागत से बननेवाले एअरपोर्ट प्रोजेक्ट का प्रस्ताव पारित कर दिया है। यह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा। इसका नाम भगवान राम के नाम पर होगा। कोशिश की जा रही है कि अप्रैल 2020 में रामनवमी के दिन यहां से फ्लाइट्स उड़नी शुरू हो जाएं। इंटरनेशनल बस टर्मिनल, बनारस में गंगा में चल रहे क्रूज की तर्ज पर सरयू में भी क्रूज चलाने की बात चल रही है। फैजाबाद अौर अयोध्या के बीच 5 किलोमीटर लंबा फ्लाईअोवर भी बनाया जाना है।

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निर्वाण भूमि ः अयोध्या को उन 7 पुरी (अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, उज्जैन अौर द्वारका) में से एक माना गया है, जहां मोक्ष की चाह रखनेवाले अाते हैं। इसलिए एक निर्वाण नगरी सरयू के किनारे होगी।
रोजगार देनेवाले विकास अवसर ः राम से जुड़ी छोटी-बड़ी बाविड़यों को नयी शक्ल दी जाएगी। इंडिया को रामायण सर्किट से जोड़ा जाएगा। अयोध्या को लखनऊ, गोरखपुर, इलाहाबाद अौर बनारस को जोड़ कर सरकार धार्मिक सर्किट बनाने की सोच रही है। इन सबसे ढेरों रोजगार उपलब्ध हो सकेंगे।

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राम रसोई ः पटना स्थित महावीर मंदिर न्यास की अोर से अयोध्या में राम मंदिर के निकट राम रसोई शुरू की जाएगी। ट्रस्ट के अध्यक्ष अाचार्य किशोर कुणाल के अनुसार राम रसोई के लिए तिरुपति अौर बिहार के भी रसोइए भी रखे जाएंगे। राम रसोई में अानेवाले श्रद्धालुअों को चावल, अरहर की दाल, बैंगन का बचका, सांभर, चटनी, तिलौरी, सब्जी अौर पापड़ दिए जाएंगे। कुछ विशेष मौकों पर कढ़ी, पूरी अौर खीर का प्रसाद भी यहां मिलेगा। इस रसोई में बिहार के खुशबूदार गोविंदभोग अौर कतरनी चावल बनाए जाएंगे। रघुपति लड्डू बनेंगे। ध्यान रहे पटना के महावीर मंदिर में भी तिरुपति के कारीगर ही प्रसाद के लड्डू तैयार करते हैं। वहां के नैवेद्यम लड्डू तो बहुत ही प्रसिद्ध है। ट्रस्ट की अोर से बिहार में चल रही सीता रसोई में दिन में 500 अौर रात को 200 लोगों को मुफ्त भोजन कराया जाता है। उम्मीद है कि अयोध्या में इससे अधिक श्रद्धालु भोजन कर सकेंगे।

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अन्य अाकर्षण
हनुमान गढ़ी ः अयोध्या भगवान राम की नगरी है, इसलिए हनुमानजी यहां हमेशा वास करते हैं। राम मंदिर से पहले लोग हनुमानजी का दर्शन करते हैं। छोटी दीवाली के दिन अाधी रात को हनुमानजी का जन्मदिन मनाया जाता है। कहते हैं सरयू में पाप धोने से पहले हनुमान की अाज्ञा लेनी जरूरी है। मंदिर में बाल हनुमान मां अंजनी के गोद में विराजमान हैं। इसमें 76 सीढि़यां हैं। परम स्वीट्स के प्रमुख मुकेश तौलानी के अनुसार यहां बेसन के लड्डू चढ़ते हैं। एकादशी के दिन नारियल के लड्डू भी चढ़ाए जाते हैं।  
कनक भवन ः यह हनुमान गढ़ी के निकट है। कहा जाता है कि इसे रानी कैकयी ने सीताजी को मुंहदिखाई में दिया था।

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नागेश्वरनाथ मंदिर ः कथाअों के अनुसार नागेश्वरनाथ मंदिर को राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। सरयू में नहाते समय उनका बाजुबंद बह गया, जो एक नाग कन्या को मिला। शिव भक्त नाग कन्या कुश पर मोहित हो गयी। इसी नाग कन्या की स्मृति में कुश ने यह मंदिर बनवाया।
मणि पर्वत ः जब हनुमानजी संजीवनी पर्वत ले कर जा रहे थे, तो उसका एक टुकड़ा यहां गिर गया, जो मणि पर्वत के नाम से मशहूर है।
गुप्तार घाट ः ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने पृथ्वी छोड़ने से पहले यहां पर जल समाधि ले कर बैकुंठ में प्रवेश लिया था।

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खाएं अौर ले जाएं
यहां का लाल पेड़ा, जलेबियां व रबड़ी मशहूर हैं। कचौिड़यां भी पसंद की जाती है। यहां लकड़ी के खिलौने मिलते हैं। तैयारियां जोरों पर हैं, कुछ दिन अौर इंतजार करें फिर अाएं नव्य अयोध्या।