Tuesday 03 October 2023 03:22 PM IST : By Madhuri

अथ मूंछ पुराण

hipsta

ऑफिस से आ कर जैसे ही हमें अपने पड़ोसी शर्मा जी के घर से आती ऊंची-ऊंची आवाजें सुनायी दीं, हमारे दोनों कान एकदम से खड़े हो गए। अरे ! ऐसा क्या हो गया शर्मा जी के घर जो इन ऊंची आवाजों की उठापटक चल रही है। फ्लैट में रहने का एक बहुत बड़ा सुख यह है कि पड़ोसी के घर की आवाजें चाहे-अनचाहे सुनायी पड़ ही जाती हैं।

हमारे दिमाग की नसें उछल-कूद करने लगीं, आखिर माजरा क्या है, जो मिसेज शर्मा इतने जोर-जोर से गुस्साए जा रही हैं। हम चाय का कप ले कर बालकनी की तरफ जाने लगे कि पूरा जायजा लें कि आखिर हुआ क्या है। तभी हमारी मैडम ने टोका, ‘‘पगला गए हैं क्या, जो इतनी सरदी में बालकनी में चाय पीने जा रहे हैं।’’

अब उनको अपना असली मकसद बताते तो तुरंत कहने लगतीं कि छि:-छि: औरतों जैसी ओछी हरकत करते आपको शरम नहीं आती। परंतु मन ने कहा कि चाय की चुस्की के साथ यदि पड़ोस की चटपटी खबर कान में पड़ जाए, तो फिर ऐसे में क्या सरदी और क्या गरमी। परंतु इस समय इन व्यर्थ की बातों में अपना समय व्यतीत ना कर हम शर्मा जी के बेडरूम की तरफ कान लगा कर चाय पीने लगे।

अधिक कुछ तो पल्ले नहीं पड़ा, परंतु मिसेज शर्मा बार-बार मूंछ शब्द का प्रयोग कर रही थीं। अरे! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अपनी मूंछें मुंड़वाने की। यू नो मूंछें तो मर्दानगी की निशानी मानी गयी हैं, मूंछें तो मर्दों की आन-बान और शान होती हैं। बिना मूंछ का आदमी भी कोई आदमी होता है? अनायास ही हमारा हाथ अपने चेहरे पर पहुंच गया, हमारी तो मूंछें हैं ही नहीं, तो क्या हम आदमी नहीं हैं?

परंतु बात तो शर्मा जी की मूंछों की थी, काफी देर कान लगाने के बाद इतना समझ में आया कि आज ऑफिस से आते समय शर्मा जी अपनी मूंछें मुंडवा आए थे। अब इस बात को शर्मा जी के मन का वहम समझें या प्रमोशन ना होने का दुख, क्योंकि आज ऑफिस में प्रमोशन की जो लिस्ट जारी की गयी थी, वे सब के सब बिना मूंछवाले थे, सो शर्मा जी ने सोचा हो ना हो ये मुई मूंछें ही उनके प्रमोशन में रुकावट डाल रही हैं।

उधर मिसेज शर्मा की आंसुओं की गंगा-जमुना लगातार बहती जा रही थी, ‘‘अब तुम मेरे पापा के सामने क्या मुंह ले कर जाओगे, तुम्हारी इन्हीं मूंछों पर फिदा हो कर ही तो पापा ने मेरा हाथ तुम्हारे हाथ में दिया था। मुछमुंडा लोगों से तो पापा को बेहद चिढ़ है, पता नहीं अब तुम्हें इस तरह देख कर कैसे रिएक्ट करेंगे।’’

अब शर्मा जी बेचारे बड़े पशोपेश में हैं कि अपने प्रमोशन को अधिक तवज्जो दें या ससुर जी को, मुई मूंछें ना हुईं जी का जंजाल हुईं। वैसे कुछ सालों पहले अमिताभ की किसी मूवी का यह डायलॉग बहुत फेमस हुआ था कि मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी। अब मूंछें नत्थूलाल की हों या शर्मा जी की हमें क्या !

इतिहास गवाह है कि पुरातन काल में जितने भी राजा महाराजा हुए, सभी की मूंछें हुआ करती थीं। अकबर राजा तो इन्हीं मूंछों के कारण ही महान कहलाए, राजा महाराणा प्रताप भी घास-फूस की रोटी खाते रहे, लेकिन अपनी मूंछें नीचे नहीं झुकने दीं।

आजकल तो देश-विदेश में मूंछों की अजीबोगरीब प्रतियोगिताएं भी होने लगी हैं। 2021 में जर्मनी में एक ऐसी ही प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें भाग लेने नीदरलैंड, इटली, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया और इजरायल तक के लोग भाग लेने पहुंचे। इस प्रतियोगिता में जिन लोगों ने भाग लिया, उनका अपनी मूंछों के साथ प्रयोग काबिलेतारीफ था। इन लोगों ने मूंछों से बड़े ही दिलचस्प डिजाइन बनाए थे। इतना ही नहीं, वहां बाकायदा 7 जजों के पैनल को नियुक्त किया गया था।

देखा जाए, तो मूंछें हैं बड़ी कमाल की चीज, किसी की नुकीली हैं, तो किसी की तलवार कट, किसी की धनुष की तरह कटीली हैं, तो किसी की राजसी, किसी की तितली छाप हैं, तो किसी की झबरीले कुत्ते की पूंछ जैसी, किसी की मूंछें छोटी हैं, तो किसी की लंबी।

हमारी बहन के चचिया ससुर की मूंछें तो पूरे 6 फीट लंबी थीं, वे अपनी इन मूंछों की चुटिया बना कर जूड़ा लपेट कर रखते। अपने इस अजीबोगरीब हुलिए से वे स्वयं आकर्षण का केंद्र तो बनते ही मुसीबत तो उस समय खड़ी होती, जब ये चाचा जी किसी शादी में शामिल होते। इनकी मूंछों की सार-संभाल के लिए एक नाई अलग से नियुक्त करना पड़ता। एक बार तो नौबत यहां तक आ गयी कि बारात की विदाई का समय आ पहुंचा, परंतु चाचा जी की मूंछें अभी तक संवर ही नहीं पायी थीं। वह तो ट्रेन का टाइम निकला जा रहा था सो चाचा जी ने झटपट खुद ही अपनी मूंछें लपेट लीं।

मूंछें तो हमारे ससुर जी की भी बहुत लंबी थीं, जब भी दूध पीते तो आधी मलाई अपनी मूंछों को ही पिला देते और जब कुल्ला करते, तो उनकी मूंछें ऐसे नाचतीं मानो कथकली डांस कर रही हों। ससुर जी अपनी मूंछों की हर रोज तेल लगा कर मालिश करते फिर उनको कंघी करके रखते।

आजकल मूंछों के बारे में कुछ सर्वे भी किए गए हैं कि मूंछोंवाले मर्दों को औरतें पसंद नही करतीं, अब इन सर्वे के पीछे किसका हाथ है कौन जाने? परंतु इतना तो तय है कि मूंछें हैं बड़े ही काम की चीज। इसलिए सरकार से अपील है कि एक ऐसा कानून भी बना दिया जाए, जिसमें लंबी-लंबी मूंछें रखना जरूरी हो।