Thursday 18 April 2024 02:27 PM IST : By Dipti Mittal

कुछ रातों की सुबह नहीं होती भाग-1

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आज शाम खिले तारों तले एक मल्टीनेशनल कंपनी के ब्रांच ऑफिस के टैरेस पर छोटी सी पार्टी चल रही थी। हेड ऑफिस से आए हुए डाइरेक्टर मिस्टर प्रखर की वेलकम पार्टी। पूरा ऑफिस उनकी निकटता पाने को बेताब था। पिछले कुछ दिनों से वे ही ऑफिस के हॉट टाॅपिक बने हुए थे। कारण ही कुछ ऐसा था। वे महज बॉस नहीं थे, एक करिश्मा थे। जिस ब्रांच ऑफिस को उनके साथ काम करने का मौका मिल जाता, उसकी दिन दोगुनी, रात चौगुनी तरक्की होती। और जिस एंप्लाई को उनका वरदहस्त प्राप्त हो जाता, वह तेजी से प्रमोशन की सीढ़ियां चढ़ता।

इस पहले अनौपचारिक मौके पर हर कोई उनकी आंखों में चढ़ने की कोशिश कर रहा था, मगर ये कोशिशें फीमेल एंप्लाई की ओर से कुछ ज्यादा ही हो रही थीं, क्योंकि आज 38 वर्षीय मिस्टर प्रखर की काबिलीयत पर उनकी पर्सनेलिटी भारी पड़ रही थी। किसी फिल्मी हीरो जैसी सुगठित कद-काठी डिजाइनर ब्लैक सूट में और निखर कर आ रही थी। तांबई रंगत, तीखे नैन-नक्श, दिलकश आवाज, लुभावना अंदाज... और ‘चेरी ऑन द केक’ था उनका सिंगल स्टेटस, जो उन्हें ‘मोस्ट एलिजिबल बैचलर’ सिद्ध कर रहा था। वैसे भी हेड ऑफिस से उड़ते-उड़ते यह खबर यहां भी पहुंच गयी थी कि प्रखर एक रंगीन तबीयत इंसान है, जरा सी आंच से पिघल जाता है। अपनी बहुत सी कलीग को डेट कर चुका है, लेकिन कोई डेट शादी की मंजिल तक नहीं पहुंची। पता नहीं क्या ढूंढ़ता रहता है, जो उसे नहीं मिलता... इसलिए आज बहुत सी लड़कियों को उसमें ‘अपॉर्च्युनिटी ऑफ लाइफ टाइम’ नजर आ रही थी।

ब्रांच सुपरवाइजर अस्मित साहनी भी प्रखर के चारों ओर ‘जी सर, जी सर’ करता हुआ किसी भंवरे की तरह मंडरा रहा था और बीच-बीच में कनखियों से दूर खड़ी अपनी पत्नी नैना पर गुस्सैल नजरें डाल रहा था। नैना यहां एडमिन मैनेजर थी, जिसे बड़ी जोड़तोड़ से अस्मित ने ही लगवाया था। मौका निकाल कर वह नैना के पास पहुंचा और भड़कते हुए फुसफुसाया, ‘‘यहां कोने में खड़ी क्या कर रही हो, मि. प्रखर को अटेंड करो ना... कुछ सीखो जरा बाकियों से, मक्खियों की तरह भिनकी पड़ी हैं उनके इर्दगिर्द, और एक तुम हो, मौके का जरा भी फायदा उठाना नहीं सीखा।’’

‘‘शरम नहीं आती तुम्हें अपनी पत्नी को यह सब कहते हुए?’’ नैना बिफरी।

‘‘अरे, इसमें शरम की क्या बात है, यह तो कॉरपोरेट कल्चर है... तुम एडमिन मैनेजर हो, गेस्ट को खुश रखना तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है। उनसे बातचीत बढ़ाओ, हो सके तो घर पर डिनर के लिए इन्वाइट करो... देखो, अगर उनसे थोड़ा पर्सनल रिलेशन बन जाए ना, तो हम दोनों के वारे-न्यारे हो जाएंगे,’’ यह सुन कर नैना ने अस्मित को खा जाने वाली नजरों से देखा।

‘‘यह सब मुझसे नहीं होगा, मैं घर जा रही हूं,’’ टका सा जवाब दे कर नैना वहां से उठने लगी। तभी प्रखर आ गया।

‘‘इज एवरीथिंग ओके मिसेज साहनी। यू आर नॉट लुकिंग वेल,’’ उसको सामने खड़ा देख नैना सकपका गयी।

‘‘आई एम ओके सर,’’ उसने धीमे स्वर में जवाब दिया।

‘‘कोई खास बात नहीं सर, दरअसल आज बेटी घर पर अकेली है, आया छुट्टी पर है, तो नैना थोड़ी परेशान है, जल्दी घर जाना चाह रही थी।’’

‘‘ओह, कितनी बड़ी बेटी है आपकी?’’

‘‘पांच साल की... बहुत शैतान है।’’

‘‘बेटियां तो पापा की परियां होती हैं और आप उसे शैतान कह रहे हैं।’’

‘‘आप कभी घर आइए सर, फिर उससे खुद ही मिल कर देखिएगा कि वह क्या बला है...’’ अस्मित ने मुस्कराते हुए कहा।

‘‘जरूर मिलूंगा आपकी शैतान परी से...’’ प्रखर जबरन मुस्कराया। अस्मित मन ही मन खुश था कि बेटी के बहाने से ही सही, बात थोड़ी पर्सनल लेवल पर तो उतरी। वह एक बात और नोटिस कर रहा था। प्रखर बातें उससे कर रहा था, मगर उनकी नजरें नैना पर जमी थीं, जैसे कुछ खोज रही हों, लेकिन नैना का चेहरा सफेद पड़ा हुआ था। नैना कुछ बात ना बिगाड़ दे, इसलिए अस्मित बहाने से प्रखर को वहां से ले गया और नैना भी चुपचाप वहां से निकल आयी।

ऑफिस में अगले कुछ दिन बेहद मसरूफ थे। लंबी मीटिंग्स, प्रेजेंटेशंस, लेट नाइट वर्क... इन सबके बीच नैना को भी बहुत सी व्यवस्थाओं के लिए ऑफिस में देर तक रुकना पड़ता। एक बात जो सभी के बीच कानाफूसी का विषय बन चुकी थी कि इस बार मि. प्रखर का चंचल दिल मिसेज नैना साहनी पर आ टिका है। वही उनकी अगली शिकार है। उसकी उपस्थिति में मि. प्रखर कुछ बहक से जाते हैं। वे उसे देखने का, उसके करीब होने का बहाना ढूंढ़ते हैं। और सबको इस बात पर आश्चर्य भी था कि यह सब अस्मित सर की नाक के नीचे हो रहा है और वह बजाय इसे रोकने के उलटा बढ़ावा दे रहे हैं... भई, तरक्की की चाह जो ना करवाए कम है...।

इसी बीच अस्मित को 4 दिन के लिए दूसरी ब्रांच में जाना पड़ा। उसके पीछे नैना की जिम्मेदारी और बढ़ गयी थी। वह नैना को बहुत समझा कर गया था कि मि. प्रखर को शीशे में उतार कर रखे। उनका जन्मदिन भी आ रहा है। वे अपना जन्मदिन नहीं मनाते इसलिए यह बहुत बड़ा मौका है उनके लिए कुछ ऐसा स्पेशल करने का, जिससे वे ना यह बर्थडे भूल पाएं और ना हमें...। मगर नैना को तो प्रखर के सामने आना भी अच्छा नहीं लगता था। वह उसे अवॉइड करने की पूरी कोशिश करती।

अस्मित के दबाव में अनमने ही सही, नैना ने एक फाइव स्टार होटल में उसकी बर्थडे पार्टी अरेंज कर दी थी और सारी जरूरी बातें अपने जूनियर को समझा दी थीं, क्योंकि उसने सोचा हुआ था कि कोई बहाना बना कर वहां जाना कैंसिल कर देगी। मगर प्रखर कहां उसे यों छोड़ने वाला था। आज उसने नैना को ऑफिस में सबसे सामने ही घेर लिया था।

‘‘ऑफिस में आपकी मेहमाननवाजी की बड़ी तारीफ सुनी है मिसेज साहनी, सब कहते हैं आपसे अच्छा होस्ट कोई नहीं... चलिए, कल आपकी होस्टिंग भी देख लेते हैं।’’ सुन कर नैना हड़बड़ा गयी, उसके दिल की बात उसके चेहरे पर उतर आयी, जो प्रखर ने पढ़ ली। ‘‘देखिए मिसेज साहनी, अब यह मत कहिएगा कि कल ही आपको जरूरी काम है... आपके हसबैंड से थोड़ी देर पहले ही बात हुई थी मेरी, वे भी सीधा वहीं पहुंचने वाले हैं...।’’

‘‘एक्चुअली सर, कल मेरा मेडिकल अपॉइंटमेंट है, अस्मित को नहीं पता।’’

‘‘ओह, तो ठीक है, पार्टी कैंसिल कर देते हैं...वैसे भी मैं बर्थडे नहीं मनाता...’’

‘‘नहीं सर, ऐसा मत कीजिए प्लीज... सारे अरेजमेंट हो चुके हैं,’’ नैना ने रिक्वेस्ट की।

‘‘देखिए, अगर आप चाहती हैं कि पार्टी हो, तो आपको भी वहां रहना होगा, वरना कोई पार्टी नहीं होगी।’’ बॉस को जिद पर अड़ा देख बाकी सभी भी नैना से मिन्नतें करने लगे, वह चुप रही।

‘‘मुझे आपका और अपने बर्थडे गिफ्ट का इंतजार रहेगा,’’ नैना की चुप्पी को उसकी स्वीकृति समझ प्रखर धीरे से उसके कानों में फुसफुसा कर वहां से निकल गया और वह किसी पत्थर सी जमी खड़ी रह गयी जैसे कोई बर्फीला तूफान उससे हो कर गुजरा हो।
शाम का धुंधलका और गहरा कर रात में तब्दील हो चुका था। पार्टी कल शाम थी, मगर नैना ड्रेसिंग टेबल के सामने सम्मोहित सी खड़ी आज तैयार हो रही थी। वह खुद को ऐसे संवार रही थी जैसे आज उसका खुद पर काबू ना हो... डार्क मैरून रंग की डिजाइनर ड्रेस, मैचिंग एक्सेसरीज, हाई हील... इंपोर्टेड परफ्यूम से उसकी देह फूलों सी महक उठी। तैयार हो कर उसने एक गहरी नजर खुद पर डाली, फिर दबे पांव आ कर दूसरे बेडरूम में झांका। जिया अपने टैडी बीयर के साथ बेसुध सोयी पड़ी थी। उसे देख मन में कुछ खटका, कहां जा रही है, क्यों जा रही है, पागल तो नहीं हो गयी...। रह-रह कर अस्मित की बातें भी कानों में गूंज रही थीं, जो उसने दिन में फोन पर कही थीं, ‘यह आज क्या बखेड़ा खड़ा किया तुमने ऑफिस में... तुमको दिखता नहीं क्या, वह मरता है तुम पर... अपनी पुरानी स्मॉल टॉउन मेंटेलिटी छोड़ो और उससे थोड़ा फ्लर्ट कर लो यार, फिर देखो कैसे तुम्हारी उंगलियों पर नाचेगा... बस कुछ दिनों की ही बात है, फिर वह चला जाएगा, मगर तुम्हारी जरा सी कोशिश से हम दोनों की किस्मत खुल जाएगी...।’

‘‘दीदी कहीं जा रही हैं?’’ मेड की आवाज ने नैना का ध्यान खींचा। ।

‘‘हां... और शायद सुबह ही आऊं... ध्यान रखना पीछे। जिया की कल छुट्टी है, उसे जल्दी मत उठाना, उसके जागने से पहले आ जाऊंगी।’’ मेड को इंस्ट्रक्शन दे कर नैना ने गहरी सांस भरी और तेजी से बाहर निकल गयी।
रात के लगभग साढ़े दस बज रहे थे। ड्राइव करते हुए नैना की नजरें सड़क के दाएं-बाएं कुछ खोज रही थीं। फिर उसने एक शाॅपिंग काम्प्लेक्स के बाहर कार रोकी। लाल गुलाबों का बुके लिया, साथ में वाइन भी। कार फिर अपनी मंजिल की ओर दौड़ने लगी और सीधा गेस्ट हाउस के आगे रुकी, जहां प्रखर ठहरा हुआ था। सामने आसमान में छिटका घना अंधेरा नैना की आंखों में उतरने लगा, जिनमें दो घबराए जुगनू टिमटिमा रहे थे। वह नर्वस थी, लेकिन जैसे-तैसे खुद को संभाल सधे कदमों से प्रखर के कमरे की ओर बढ़ चली।

क्रमश...