Thursday 26 October 2023 04:26 PM IST : By Dr. Shubhra Varshney

लव गुरु

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जब अम्मा जी की पुरजोर कोशिशों के बावजूद छगनलाल उर्फ छन्नू बाबू कुआंरों की लिस्ट के परमानेंट मेंबर बने रहे, तो घर के सदस्यों ने मिल कर इस पर रिसर्च करनी शुरू कर दी थी और उनके 30 वर्ष की आयु सीमा रेखा पार करते ही उनके लिए सुंदर दुल्हनिया ढूंढ़ने के लिए अम्मा जी ने ही घर के सभी सदस्यों को अपने साथ इस मिशन पर लगा लिया था।

खुद तो अभी तक कुआंरे, घर के दुलारे छन्नू बाबू ‘लव गुरु’ के नाम से मशहूर थे। पिता जी की पुश्तैनी दुकान तो बखूबी संभालते ही थे और साथ ही साथ अपनी लव की कंसल्टेंसी में नए रेकॉर्ड बना रहे थे। कुंअारे तो कुंअारे, शादीशुदा मर्द भी इन्हें अपनी प्रियतमा से खटपट की समस्याएं बता कर उसका समाधान पा कर निहाल होते जाते थे और मोटी धनराशि और ढेरों दुआएं दे जाते थे। ऐसे में जब उनकी खुद के जीवन की गाड़ी को कोई ‘लव स्टेशन’ नहीं मिल रहा था, तो उन्हें डर था कि कहीं उनका लव गुरु का स्पेशल ओहदा उनसे छिन ना जाए।

ऐसा नहीं था कि उन्होंने खुद प्रेम के सागर में गोते लगाने की कोशिश नहीं की... बड़ी शिद्दत से मोहल्ले की सारी छतें नजरों से नाप डालीं, पर प्रेम की बगिया महकाने वाली कोई कली उन पर मेहरबानी ना कर सकी।

लबालब प्यार से भरा उनका दिल कई गर्ल्स कॉलेज और हॉस्टल्स के चक्कर भी लगा आया...प्रेम पुष्प तो नहीं खिला जीवन में... हां मुखारविंद से एक दांत जरूर कम हो गया। एक कन्या को पसंद कर उसे रिझाने के चक्कर में उसके भाई से इस कदर पिटे कि एक टूटा हाथ और मुंह से निकला एक दांत लिए 15 दिन बिस्तर पर पड़े रहे।

अपनी लव सहायक की दुकान बंद ना हो जाए.... तो दुकान पर अतिरिक्त नोटिस चस्पा करना पड़ा कि मोटरसाइकिल के एक्सीडेंट के कारण लव गुरु 15 दिन सेवाएं नहीं दे पाएंगे। यह अलग बात है दो दिन बाद ही उनके पिता जी ने नोटिस फाड़ कर फेंक दिया था।

अब जब खुद शादी योग्य नौजवानों की लिस्ट से बाहर होने को तैयार थे, तो अम्मा जी ने अपने लड़ैते पोते की प्रेम कहानी को लिखने की बागडोर अपने हाथों में ले ली थी।

पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे भाई और एक छोटी बहन के बड़े भाई वे अपने बड़े होते 5 भतीजी-भतीजों के फेवरेट चाचा थे। आज जब इस बाबत अम्मा जी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलायी थी, तो सब काम छोड़ कर पांचों की टीम और छोटी बहना इस गंभीर समस्या के समाधान को तैयार बैठे थे।

‘‘भैया, सबसे पहले तो तुम नयी बाइक ले लो’’, मीटिंग की शुरुआत में ही उनकी बहन नीला ने नया प्रस्ताव रख कर श्रीगणेश किया था।

‘‘पिता जी इस पुरानी फटफटिया के लिए ही पेट्रोल बड़ी मुश्किल से भरवाने देते हैं... नयी बाइक की बात की, तो घर से ही निकाल देंगे,’’ पहला प्रस्ताव बड़ी आसानी से छन्नू जी ने खारिज कर दिया था।

‘‘चाचू, तुम अपना हेअर स्टाइल बदल लो,’’ चुइंगम चबाती उनकी छोटी भतीजी कनक बोली ।

‘‘चाचू, सबसे पहले तो तुम अपनी इस टूटे दांत का इंतजाम करो... एक नकली दांत लगवाओ... तुम्हारे मुंह खोलते ही सबसे पहले यही दिखायी देता है,’’ भतीजे राहुल ने दमदार बात पेश की।

‘‘चाचू, सबसे पहले जिम जॉइन करो... थोड़ी बॉडी-शॉडी बनाओ,’’ छिटपुट मूंछों के दर्शन होने के बाद खुद को बहुत बड़ा समझनेवाला उनका 17 वर्षीय भतीजा करन बोला।

‘‘चाचू दाढ़ी-मूंछ का जमाना है... सबसे पहले तो आप विराट कोहली की तरह दाढ़ी बढ़ा लो,’’ क्रिकेट का दीवाना रोहित बोला, जो खुद अपना नाम रोहित पा कर फूला ना समाता था।

अब तक चुपचाप बैठी अम्मा जी एकदम बिफर पड़ीं, ‘‘अरे इसके चेहरे का जुगराफिया ही ठीक करवाओगे या कुछ ठोस बात भी बताओगे।’’

तभी पीछे से निकल कर आए सबसे छोटे 10 वर्षीय गैजेट्स के दीवाने प्यारे भतीजे टिंकू जी बोले, ‘‘तो सॉलिड प्लान यह है चाचू... सबसे पहले अपना फेसबुक अकाउंट बनाओ।’’

प्यार की बेहतरीन कक्षा चलाने वाले छगनलाल अभी तक सोशल मीडिया से दूरी बनाए हुए थे। उनके अनुसार ये सब चीजें बेकार और लोगों का ध्यान भटकाने वाली थीं।

‘‘हां इस पॉइंट में कुछ दम है,’’ सब बच्चे एक साथ चीख पड़े।

तखत पर चुप बैठी मीटिंग की अगुवाई कर रही अम्मा जी धीरे से अपनी छड़ी पकड़ कर अब बच्चों के पास आ कर काउच पर बैठ गयी थीं।

‘‘इससे क्या होगा... मैं आज ही बड़के को कह कर बनवारीलाल को बुलवा भेजती हूं। पिछली बार भी वह गांव से एक बढ़िया रिश्ता ले कर आया था,’’ अपने सबसे बड़े पोते को बुलाने की बात कह कर वे धीरे-धीरे वहां से उठ कर बाहर चली गयीं।

‘‘दादी, यह बात तो हरगिज भी ना करो। मैं तो तुमसे साफ-साफ कह चुका हूं... मैं गांव में शादी ना करूंगा,’’ दादी को जाता देख चीखते हुए छन्नू जी ने कहा।

छन्नू जी के चिल्लाते ही अम्मा जी ने एक उचटती निगाह उन पर डाली और मुंह बना कर वहां से हट ली थीं। दादी को उठते देख अब सब एकजुट हो गए थे।

‘‘भैया, यह आइडिया बिलकुल ठीक रहेगा। सबसे पहले आप अपना अकाउंट बनवाओ... वहां पर नए-नए फ्रेंड्स मिलेंगे और शायद आपकी दोस्ती किसी सुंदर लड़की से हो जाए और बात बन जाए,’’ नीला के कहते ही सब बच्चों ने एक साथ ताली बजायी।

शर्मा कर छन्नू जी ने आखिरकार हामी भर दी।

‘मिशन फेसबुक’ शुरू हो गया। छन्नू जी की आईडी लव गुरु के नाम से ही बनायी गयी। रोहित ने जिद करके प्रोफाइल पिक विराट कोहली की लगवायी।

झटपट अच्छे-अच्छे चेहरे देख कर 20-25 लड़कियों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी गयी और अब इंतजार होने लगा रिक्वेस्ट के एक्सेप्ट होने का।

इस बीच सभी लोग तेजी से चाचू को स्मार्ट बनाने में भी लग गए। पुरानी ट्राउजर्स की जगह जींस ने ले ली। करन तो थोक में दर्जनभर अलग-अलग रंगों की टीशर्ट खरीद लाया।

अब तो दुकान के बाद अपनी कंसल्टेंसी के समय भी छन्नू बाबू फोन में फेसबुक खंगालते रहते। दस दिनों में 5 लड़कियों ने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली थी, जिनमें 3 शादीशुदा और 2 कुंअारी थीं।

खेल शुरू हुआ ‘लाइक कमेंट’ करने का... जहां शादीशुदा की फोटो पर ‘नाइस’ ही लिख देते, वहीं कुंअारी कन्याओं के तारीफ में कसीदे गढ़ी जातीं। धीरे-धीरे फ्रेंड लिस्ट बढ़ने लगी। तारीफों में अब कविताएं पढ़ी जाने लगीं। कहीं डांट पड़ती कि ‘ब्लॉक’ कर दिया जाएगा... कहीं बिचारे सच में ‘ब्लॉक’ हो जाते।

दिन गुजरते जा रहे थे... प्लान कुछ खासा कामयाब होता दिख नहीं रहा था। लगता था अब अम्मा जी की मर्जी के सुझाए गांव के रिश्ते से ही ब्याह रचाना पड़ेगा... कुछ भी हो जाए गांव की दुलहनिया तो छन्नू बाबू नहीं चाहते थे।

इसी बीच एक दिन तो जैसे चमत्कार हो गया... सुबह उठ कर जब आदतन फेसबुक खंगाली, तो देखा सामने से एक लड़की की 'फ्रेंड रिक्वेस्ट' पड़ी थी। अभी तक तो वे रिक्वेस्ट भेजते आए थे... जीवन में पहली बार किसी कन्या ने उनसे आगे बढ़ कर दोस्ती करनी चाही थी।

फोटो में लड़की भी खासी खूबसूरत लग रही थी... छन्नू जी को लगा जैसे उनकी लॉटरी निकल आयी थी। प्रोफाइल ढंग से जांचा तो पता चला... लड़की का नाम पूनम था... सरकारी अस्पताल में नर्स का काम कर रही थी।

बच्चों ने भी मिल कर प्रोफाइल देखी... तय हुआ इसी से मामला जमाया जाएगा। रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली गयी थी... सीधे मैसेंजर पर डाल कर धन्यवाद के लिए एक मीठा शेर डाला गया... अविलंब दो मिनट में ही उधर से भी धमाकेदार शेर में ही जवाब आ गया।

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बस जी जनाब प्यार की गाड़ी चल पड़ी... अब छन्नू जी तारीफ में शेरो-शायरी भेजते और बदले में नए-नए प्यारे इमोजी से वह कन्या उन्हें उत्तर देती। अब आलम यह था ‘गुड मॉर्निंग’ का मैसेज छन्नू जी भेजते और ‘गुड नाइट’ का पूनम।

सब कन्याओं के प्रोफाइल को छोड़ कर अब पूरा फोकस पूनम पर ही था। घर में एक बार फिर इमरजेंसी मीटिंग बैठी और सलाह बनी अब ज्यादा देरी ना की जाए... किसी और से बात बनाए पूनम उससे पहले अपनी प्रेम कहानी पर मोहर लगवा लो।

उसी बात पर अमल करते हुए तुरंत मैसेंजर में मैसेज डाला गया, ‘‘मैं आपको बहुत पसंद करता हूं... क्या हम लोग मिल सकते हैं।’’

लिखने के बाद छन्नू बाबू घबरा कर गए। शाम तक कोई उत्तर नहीं आया। उनका दिल बैठने लगा... सोचा जल्दीबाजी कर दी... इंतजार करने लगे कब ब्लॉक किए जाएं।

दो दिन निकल गए... ना ब्लॉक हो रहे थे, ना उत्तर आ रहा था। तीसरा दिन उम्मीदों से भरा निकला... पूनम ने मिलने की बात कह कर लव का इमोजी डाला था।

बस घर में तैयारियां शुरू हो गयीं छन्नू जी को मिलने वाले दिन के लिए तैयार करने की। काफी बहस के बाद एक टी-शर्ट और जींस पर मोहर लगी। पतले-दुबले छन्नू जी का पैर का नाप करन जैसा था... तो अपने नए रीबॉक के जूते करन दौड़ कर ले आया।

दिन तय हुआ सोमवार को पूनम अस्पताल से छुट्टी के बाद वहां बराबर के कॉफी कैफे में छन्नू जी से मिलेगी।

तय समय से एक घंटा पहले ही पहुंच गए थे उत्साह में छगनलाल। पूनम आयी... आते ही देखते रह गए थे... प्रोफइल पिक में जितनी सुंदर लगी थी, उससे ज्यादा सुंदर असल में थी... हल्का मेकअप और पहना अनारकली कुरता उस पर खासा फब रहा था।

अपनी फोटो वे मैसेंजर में पहले ही भेज चुके थे, तो पूनम को भी उन्हें पहचानने में देर नहीं लगी। दस मिनट तक दोनों बस एक-दूसरे को देखते रहे और कॉफी पीते रहे। पूनम से ज्यादा छन्नू जी के गाल लाल हुए जा रहे थे।

धीरे-धीरे बातें शुरू हुई और फिर दोनों ने एक-दूसरे की रुचि और आदतों के बारे में जानना शुरू करा। घर में सिखाए गए छगनलाल जल्द ही मुद्दे पर आ गए और रख दिया प्रस्ताव पूनम के सामने।

‘‘क्या तुम मुझसे शादी करना चाहोगी?’’ नजरें झुकाए बड़ी मुश्किल से अपने गले से ये शब्द निकाल पाए थे छन्नू जी। दूसरों को प्रेम का पाठ पढ़ाने वाले आज कहते हुए खुद कंपकंपा रहे थे।

‘‘हां मंजूर है’’ एक साथ कई लोगों की आवाज सुन कर जब उन्होंने नजरों ऊपर उठायीं, तो देखा उनकी बच्चा पार्टी के साथ उनके परिवार के सदस्य और कुछ नए लोग जो शायद पूनम के तरफ के थे, बनवारी काका के साथ खड़े थे। सब जोर-जोर से तालियां बजा रहे थे।

एक साथ इतनी भीड़ को आया देख कॉफी कैफे में माहौल गरम हो गया था... बढ़ते शोरगुल में बस छन्नू जी बिचारे ऐसे थे, जो कुछ समझ नहीं पा रहे थे। शर्माती पूनम की हंसी बता रही थी कि वह सब कुछ जानती थी। अम्मा जी अब दोनों के पास आ कर उन्हें प्यार से आशीर्वाद दे रही थीं।

बहुत देर बाद छन्नू जी को समझ में आया था कि यह वही रिश्ता था, जो बनवारीलाल बहुत दिनों से अम्मा जी को बता रहे थे।

छन्नू बाबू गांव से ब्याह करने के लिए मना कर रहे थे, तो बच्चा पार्टी और अम्मा जी के प्लान के मुताबिक ही पूनम ने फेसबुक अकाउंट बना कर छन्नू जी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी।

गांव को ले कर मिथ टूट चुका था। इंगेजमेंट रिंग्स एक-दूसरे को पहनायी जा चुकी थीं। सबको लव का पाठ पढ़ाने वाले लव गुरु अब अपने घर में ही लव का पाठ पढ़ चुके थे।