वह दोस्त है या प्रेमी? ऐसी दुविधा तब आती है जब ‘वो’ सिर्फ अच्छा नहीं, बल्कि बहुत अच्छा लगने लगता है। अाप उसे दोस्त ही नहीं, दोस्त से थोड़ा ज्यादा मानने लगती हैं। पर सवाल है कि क्या वह भी आपके बारे में ऐसा ही सोचता है? अगर ‘हां’ तो आप इस रिश्ते को नया अौर खूबसूरत मोड़ देने की शुरुअात कर सकती हैं। अगर नहीं, तो कदम पीछे हटाने में ही भलाई है। अगर दुविधा है, तो क्यों ना इस रिश्ते की स्थितियां पहचानाने की कोशिश करें अौर इसे किसी अंजाम तक पहुंचाएं-
प्यार का संकेत
सेजल अौर रितेश दोनों एक साथ काम करते हैं। कई प्रोजेक्ट में दोनों ने साथ-साथ काम किया है। दोनों की काम करने की ट्यूनिंग अच्छी है। सभी दोनों के काम अौर दोस्ती को सराहते हैं। कई दोस्त उन्हें कपल कह कर छेड़ भी देते हैं। सेजल कई बार रितेश की आंखों में अपने लिए प्रेम का भाव भी देखती है। लेकिन सेजल बहुत प्रोफेशनल है। वह अपने प्रोफेशन में इमोशन को अलग रखती है। कई बार सेजल असमंजस की स्थिति में होती है कि क्या वाकई वह उसके लिए मिस्टर राइट है? लेकिन उसका दिमाग रितेश को लाइफ पार्टनर बनाने के लिए राजी नहीं हुअा। ऐसी स्थिति कई युवाअों के साथ अाती है, जो ग्रुप में काम करते हैं या लंबे समय तक एक प्रोजेक्ट पर काम करते हैं। वे काफी समय तक साथ रहते हैं। काउंसलर ऐसी स्थिति में खास राय देते हैं। वे मानते हैं प्रोफेशन अौर इमोशन को अलग रखेंगे, तो रिश्ते नहीं उलझेंगे अौर लंबे समय तक साथ रहेंगे।
चेष्टा काउंसलिंग अौर साइकोथेरैपी सर्विस, गुड़गांव की डाइरेक्टर नौमिता ऋषि का मानना है कि एक ही प्रोफेशन में काम करनेवाले या एक साथ पढ़नेवाले युवाअों को इस बात का खास तौर पर ध्यान रखने की जरूरत है। रिश्ते में आगे बढ़ने से पहले कुछ बातों का अंदाजा लगाने की जगह पूरी तरह से सचाई जान लें। दोस्त आपके साथ जरूरत से ज्यादा टाइम बिता रहा है। आपके निजी मामलों में रुचि ले रहा है। आपके रुटीन मामलों में उत्साह दिखा रहा है। आपके स्वभाव को समझना चाहता है। तो ऐसे में बहुत जरूरी है कि रिश्ते की शुरुअात में ही उससे सवाल पूछ लें, ‘क्या उसे आपमें वाकई रुचि है?’ अगर ऐसा है, तो आप एक बार सोच लें कि क्या आप भी उसमें रुचि रखना चाहती हैं। पूरी तरह इतमीनान करने के बाद ही रिश्ते में आगे बढ़ने का विचार बनाएं। इससे रिश्ते का मजबूत आधार बन जाएगा। अगर आपको सिर्फ दोस्ती का रिश्ता ही रखना है, तो खुद दोस्ती के दायरे में ही रहें। ना खुद आगे बढ़ें, ना उसे ही आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन दें। आप उससे सीधे बात करती हैं, तो दोनों के बीच रिश्ते की स्थिति साफ रहेगी। हो सकता है उसके मिलनसार स्वभाव की वजह से आप दो कदम आगे तक सोचने लगी हैं। इसीलिए दोस्ती को नए रिश्ते का रूप देने से पहले ही उससे बात कर लें। एकतरफा प्यार में दिल टूटने की स्थिति भी काफी गंभीर होती है। पर अगर आप उसकी नजर और हावभाव में सिर्फ प्रेम देखती हैं, तो अपने दोस्त से सीधे पूछ लें कि मुझे ऐसा लग रहा है कि ‘हमारी दोस्ती में प्यार की फीलिंग आगे बढ़ रही है, तुम इस बारे में क्या सोचते हो।’ यह रिश्ते का शुरुअाती दौर है। दोनों तरफ से सकारात्मक संकेत हैं, तो रिश्ते में मजबूती आ सकती है। अगर प्यार एकतरफा है, तो समय रहते इसमें ‘फुलस्टॉप’ लगाया जा सकता है। अगर वह रुचि नहीं दिखाता है, तो आप भी पीछे हट जाएं। सपने बुनने से ज्यादा जरूरी है कि व्यावहारिक हो कर सोचा जाए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपके वर्तमान के रिश्ते का जैसा भी चेहरा है, वह एकतरफा प्यार से बिगड़ सकता है। ना कैरिअर रहेगा ना पढ़ाई, डिप्रेशन में कोई चला जाएगा, सो अलग। इसीलिए जरूरी है कि पहले तय कर लें कि रिश्ते में रुचि है कि नहीं। अगर है, तो क्या दोनों को ही रुचि है। अगर ऐसा है, तो ही दोनों व्यक्ति इस रिश्ते में आगे बढ़ने के बारे में सोच सकते हैं। अगर आपको यह निर्णय लेने में दुविधा हो रही है, तो आप अपने से किसी बड़े से मशविरा ले सकते हैं।
दोस्त खोने का डर
देर रात तक बातें, पुरानी बातें याद करने, खाने-पीने, शॉपिंग और हर चीज में राय लेने का मतलब नहीं कि वह आपका प्रेमी है। पर आपको उसके चेहरे और हावभाव से लगता है, तो कब तक आप इस उधेड़बुन में रहेंगी। बेहतर है सच को स्वीकारा किया जाए।
दरअसल, कई बार ऐसा भी लगता है कि आपने उसके आगे अपने दिल की बात जाहिर कर दी, तो आप एक अच्छा दोस्त खो देंगी। रिश्ते में डर नहीं, बल्कि भरोसा होना चाहिए। अगर कोई रिश्ता डर दे रहा है, तो यह सोचनेवाली बात है। आप उसकी अोर से अाश्वस्त हैं कि आप उसमें रुचि भले ही दिखा रही हैं, पर उसकी ओर से रुचि दिखाने की संभावना ना के बराबर है। यह आपके मन की उधेड़बुन है, जो बता रही है कि आपको अपने दोस्त से प्रेम के संकेत नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में यह अौर भी जरूरी है कि एकतरफा प्यार होने लगे, उससे पहले अपनी भावनाअों को कंट्रोल कर लिया जाए। इससे आप बीमार अौर उदास होने से बच जाएंगी। प्यार में तकलीफ किसी शरीर की चोट से ज्यादा तकलीफदेह है। इसीलिए जबर्दस्ती यह तकलीफ लेने से पहले सोच लें।
भावनाएं कैसे परखें
गौर करें कि वह आपको वाकई चाहता है या आप ही जरूरत से ज्यादा सोच रही हैं। क्या वह आपको सिर्फ रात को ही फोन कॉल करता है या आपको काफी ‘फ्लर्टी’ मैसेज भेजता है। सबसे पहले मैसेज भेजता है। क्या उसने आपको ले कर अपने भविष्य के सपने बुने हैं, जिसका जिक्र वह अकसर करता है? अगर आप पहले उसकी इस भावना को पकड़ लेंगी, तो रिश्ते को समझना अासान होगा।
- खुद को हमेशा पहले हाजिर ना करें। अगर वह आपकी अांखों में ज्यादा खटकने लगा है, तो खुद को रिश्ते से खींच लें। अगली बार वह मौजमस्ती के लिए बुलाए, तो कोई बहाना करके पीछे हट सकती हैं।
- अगर आप भी नजदीकियों की इच्छा रखती हैं, तो बातों-बातों में संकेत दे सकती हैं। अगर वह पूछता कि आज दिनभर का क्या प्लान है ! तब कह सकती हैं, आज तो ऑफिस के बाद एक बढ़िया सी कॉफी पीने का मन है। अगर वह भी उतना ही उत्साह दिखाए, तो इसे पॉजिटिव संकेत मानें।
- अगर वह प्यार का इजहार कर देता है अौर आप उससे नजदीकियां नहीं बढ़ाना चाहती हैं, तो उसे बिना धोखे में रखे ईमानदारी के साथ अपने कदम पीछे हटा सकती हैं।
दोस्ती की चेकलिस्ट
दोस्तों के साथ दो तरह का रवैया रखें। अगर दोस्ती का रिश्ता रखना है, तो सिर्फ इसी पर कायम रहें। इसमें ज्यादा मस्ती, कम जिम्मेदारी अौर भावनात्मक जुड़ाव की तुलना में अल्हड़पन ज्यादा है। अगर आपके पास समय अौर मन नहीं है, तो प्यार जैसे जिम्मेदारी पूर्ण रिश्ते में उतरने की जरूरत नहीं। कई बार दोस्ती के रिश्ते अौर दोनों के बीच तालमेल नहीं बैठ पाता है। ऐसा अकसर होता है कि एकतरफा प्यार अौर भावनात्मक जुड़ाव से एक अच्छा दोस्त खो देते हैं। सहूलियत देने वाले दोस्तों के साथ एक मीठा रिश्ता होता है, जिसमें हम जल्दी इन्वॉल्व भी हो जाते हैं अौर अगर इस दोस्ती से दूर जाना चाहें, तो अासानी से जा भी सकते हैं। अगर दो दोस्त अपने रिश्ते से खुश हैं, तो यह रिश्ता लंबे समय तक कायम रह सकता है।
गलबहियां कब हों कब नहीं ः अगर आप सिर्फ मददगार दोस्ती का रिश्ता रखना चाहती हैं, तो शारीरिक तौर पर दूरी बना कर रखें। बात-बात में गले में बांहें डाल कर झूलने अौर आगोश में ले लेने पर कहीं ना कहीं दोनों में से किसी एक को भावनात्मक रूप से जुड़ाव की अोर ले जा सकता है। पर कई दोस्तों में इतना खुलापन है कि वे एक्सपेरिमेंट और मस्ती के लिए सेक्स का अनुभव चाहते हैं। अनुभव उन्हें दोस्त से चाहिए। ऐसे में दोस्ती और स्त्री-पुरुष संबंध दोनों में गड़बड़ियां पैदा होने लगती हैं। नतीजे कई बार खतरनाक और दिल तोड़ने वाले मोड़ ले लेते हैं। दोनों में कोई एक इस मौजमस्ती के बाद अपने आपको ठगा हुअा महसूस करता है। रेगुलर सेक्स के बाद सिर्फ दोस्ती का नाम देना बेमानी होगा। यह एक तरह से ओपन रिलेशनशिप का रूप ले लेता है। आपका विवाह संस्कार के नाम से विश्वास उठने लगता है। आपके इस रवैए के बारे में आपके अभिभावकों को मालूम चलता है, तो उनके साथ भी रिश्ता बिगड़ने लगता है।
‘‘प्रेमी बनने की पहली शर्त है कि वह आपका अच्छा दोस्त हो, पर अच्छा दोस्त बनने की कोई शर्त नहीं। रिश्ते में उतरने से पहले तय कर लें कि अपने दोस्त को सिर्फ दोस्त रखना चाहती हैं या प्रेमी बनाना चाहती हैं? क्या वह भी इस बात के लिए तैयार है?’’ -नौमिता ऋषि, काउंसलर, चेष्टा काउंसलिंग एंड साइकोथैरेपी सर्विस