Monday 05 October 2020 04:27 PM IST : By Meena Pandey

कपल को काउंसलिंग में शरम कैसी

कोई पति-पत्नी नहीं चाहते कि उनका रिश्ता टूट जाए। रिश्ते को बचाने के लिए काउंसलर के पास जाना उनको शर्मसार करता है, जबकि शादी बचाने के लिए यही उपाय बचता है।

counselling


आज शादी की परिभाषा बदल चुकी है, परिवेश, रिश्ते का अंदाज सब बदल गया है। आजकल बड़ी उम्र में शादियां हो रही हैं, इसलिए कपल के पास एडजस्टमेंट का समय ही नहीं है। वैसे भी शादी की उम्र आते-आते वे अपनी शारीरिक अौर मानसिक जरूरतों को जी चुके होते हैं। इसलिए नए रिश्ते को शुरू करने में दिक्कतें अाती हैं। ध्रुव सोशल अवेयरनेस फोरम के वरिष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट एवं वैवाहिक रिश्तों के जानकार डॉ. के. आर. धर के अनुसार, आज लड़कियां पति के बराबर या उससे कुछ ज्यादा ही पढ़ी-लिखी, जानकार, व्यावहारिक अौर अार्थिक रूप से अात्मनिर्भर हैं, किसी चीज में कम नहीं है, इसलिए  पति-पत्नी के बीच ईगो का स्तर एक जैसा ही है।
 अब रिश्ता शुरू ही इस बात से होता है कि दोनों पार्टनर एक-दूसरे की 50-50% बात ही सुनेंगे अौर मानेंगे। पूरी बात ना तो सुनेंगे, ना मानेंगे। दोनों आधा-आधा तालमेल बिठाएंगे। पूरा तालमेल बिठाने को दोनों ही राजी नहीं हैं। अाज काउंसलिंग के लिए आनेवाले जोड़ों की मैरिड लाइफ में यही सबसे बड़ी रुकावट है। जबकि जरूरत एक-दूसरे की पूरी बात सुनने अौर समझने की है। इसके अलावा आज के बिजी लाइफस्टाइल के कारण भी कपल्स के सामने कई समस्याएं अाती हैं। जिन्हें काउंसलिंग से हल किया जा सकता है। डॉ. धर कहते हैं कि यहां भी समस्या यह अाती है कि काउंसलिंग की जरूरत महसूस करते हुए भी दंपती काउंसलर के पास जाने से िझझकते हैं। दोनों को ही लगता है कि उनको नहीं उनके पार्टनर को काउंसलिंग की जरूरत है। काउंसलिंग के लिए जाने पर रिश्तेदार बातें बनाते हैं कि शादी चलेगी नहीं।  दोस्त कहते हैं, अरे यार, तुमको काउंसलिंग की क्या जरूरत है, तुम तो एकदम ठीक हो।

काउंसलिंग क्यों जरूरी


काउंसलिंग की शुरुअात में कपल को सबसे पहले एक प्रश्नावली दी जाती है। उनके जवाब से काउंसलर को उनकी सोच, नजरिया, पर्सनेलिटी समझने में मदद मिलती है। वे समस्या की जड़ तक आसानी से पहुंच जाते हैं कि क्यों अौर किस वजह से संबंध कमजोर पड़ रहा है। क्या बातें उनके रिश्ते को जोड़े हुए हैं, इसका पता चल जाता है। पहले अलग-अलग अौर फिर एक साथ काउंसलिंग की सिटिंग्स दी जाती हैं। वे खुल कर बोलते हैं कि दूसरे की क्या बातें पसंद अौर नापसंद हैं। ।
⇛ अकसर 4-5 साल की कोर्टशिप के दौरान कपल को लगने लगता है कि एक-दूसरे को अच्छी तरह से जान चुके हैं, लेकिन शादी के बाद एडजस्टमेंट की परेशानियां शुरू होती हैं। वे हमेशा अतीत को याद करते हैं। बीते सुखद अतीत का बोझ आज के परिपक्व हो रहे रिश्ते पर ना थोपें। शादी से पहले कितनी ही जान-पहचान या नजदीकियां क्यों ना हों, पर शादी के बाद लगता है कि एक-दूसरे को कितना कम जानते हैं। एक-दूसरे के परिवेश, रुचियों, इच्छाअों के बारे में भी खास जानकारी नहीं होती।
⇛ छोटी-छोटी बातों में उलझ कर रिश्ता अौर टाइम खराब करने के बजाय काउंसलर से मिलना ज्यादा बेहतर है। पति-पत्नी दोनों को रिश्ते को अागे बढ़ाना है, एक-दूसरे की टांग नहीं खींचनी है। सेक्स संबंधों के लिए वक्त निकालें, दूसरे की इच्छा-अनिच्छा को इस मामले में नजरअंदाज ना करें। लड़ने के बजाय घर की जिम्मदारियों को बांट लेना बेहतर रहता है। किसी एक पर पूरा बोझ ना अा जाए, यह दूसरे को ध्यान रखना है।  
⇛ पति-पत्नी का यह सीखना बहुत जरूरी है। कब चुप रहना है, कब बोलना है, किस मौके का ध्यान रखना है। एक पक्ष का जरूरत से ज्यादा खर्चीला होना भी समस्या है। इसके अलावा जो वक्त आपस में देना चाहिए, उसमें वे सोशल मीडिया से जुड़े रहते हैं, इस वजह से भी संबंधों का बुरा दौर शुरू हो जाता है।
आखिर पति-पत्नी कैसे पहचानें कि उनके बीच दूरियां अा रही हैं
⇛ जब दोनों के बीच बातचीत कम होते-होते बंद हो जाए। बातें शेअर करना बंद कर दें या बातों को एकदूसरे से छुपाने लगें।
⇛ पति या पत्नी अपना फोन छुपाएं। एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करे। बहसबाजी के दौरान एक-दूसरे की बात सुनें ही नहीं, बस भड़ास निकालते जाएं। जब रिश्ता इस कगार पर पहुंच जाए, तो रिलेशनशिप काउंसलर के पास जाने से िझझकें नहीं, वरना रिश्ता बद से बदतर होना तय है। रिश्ते को इस बर्बादी तक पहुंचने से बचाना सिर्फ पति-पत्नी दोनों के हाथ में है।
नजदीकियां कैसे बनेंगी
⇛ एक-दूसरे में दोष ढूंढ़ने के बजाय अपने पार्टनर को उन्हें समझने अौर सुधारने का मौका दें। बिना तंज किए आपस में बात करें। आप क्या चाहते हैं, बताएं।
⇛ स्पर्श के जरिए अपना प्यार जाहिर करें। एक छोटा सा किस, हाथ पकड़ना, कंधा छूना, गले लगाना एक-दूसरे के निकट लाता है।
⇛ अपने पार्टनर पर विश्वास करें। बेवजह शक करना ठीक नहीं। अतीत की किसी अाशंका को तूल देने के बजाय वर्तमान संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान दें।
⇛ अपने पार्टनर का भूल कर भी मजाक ना बनाएं अौर ना ही दूसरों के सामने उसकी शिकायत या बेइज्जती करें।