Saturday 10 October 2020 11:17 AM IST : By Neelam Sikand

कैसे करें पूजा सामग्री का इको फ्रेंडली विसर्जन

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क्यों ना इस बार त्योहारों पर इको फ्रेंडली तरीके से पूजा की जाए और उसमें इस्तेमाल में लायी गयी सामग्री का विसर्जन भी इको फ्रेंडली तरीके से किया जाए। पर्यावरण बचाअो मुहिम के तहत नदियों, तालाबों को और अधिक प्रदूषित होने से बचाने की दिशा में यह बहुत बड़ा कदम होगा।

गणपति पूजा के बाद दुर्गा पूजा, दीवाली पूजा, छठ पूजा या इन तीज-त्योहार से हट कर भूमि पूजन, गृह प्रवेश पूजा, बच्चे के पैदा होने पर पूजा, विवाह की रस्मों वगैरह का सिलसिला बना रहता है। हम सदियों से पूजा में इस्तेमाल लायी गयी सामग्री नदियों में प्रवािहत करते आ रहे हैं। एेसे में कुछ लोगों को इस तरह की बातें सुनना पसंद नहीं अाएगा कि पूजन सामग्री को नदियों में प्रवाहित कर उन्हें गंदा ना किया जाए। उनका यही जवाब होगा कि ‘पूजा में इस्तेमाल की गयी चीजें पवित्र होती हैं, इनसे शुद्धता आती है, ना कि गंदगी या प्रदूषण।’ पढ़े-लिखे लोग भी इसका बड़ी श्रद्धा से पालन करते हैं। यही वजह है कि गंगा-यमुना जैसी नदियों में प्लास्टिक की थैलियां, प्लास्टिक की बोतलें, प्लास्टिक से बने फूलों के हार गंदगी फैलाते नजर आते हैं। हम सब जानते हैं कि प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं है। प्लास्टिक के नदी में जाने से उस पानी को पीने से ना केवल इंसान बल्कि जानवर तक बीमार पड़ सकते हैं।

देवी-देवताअों की मूर्तियां जिन चीजों से बनी होती हैं, वे भी पानी में आसानी से घुल नहीं पातीं। उन पर जो केमिकल व रंग लगे होते हैं, वे पानी में घुल कर उसे जहरीला बनाते हैं।

इको फ्रेंडली पूजा कैसे करें

- दीवाली पर मिट्टी या रिसाइकिल हो जाने वाली चीजों से तैयार लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियां लाएं। इन पर ऑर्गेनिक नेचुरल कलर किए गए हों।

- देवी-देवताअों की मूर्तियां फिटकरी से तैयार की जाएं, तो इससे बेहतर कुछ नहीं।

- प्लास्टिक के फूलों के बजाय नेचुरल फूलों से मंदिर व घर को सजाएं। पूजा में थर्मोकोल की जगह लकड़ी के पटरे का इस्तेमाल करें। प्लास्टिक के बरतनों के बजाय चांदी, तांबे या अन्य किसी धातु के बरतनों का इस्तेमाल करें।

- नवरात्रों में कन्या पूजन के समय उन्हें प्लास्टिक के लंच बॉक्स, कटोरियां ना दें। उन्हें पेपर प्लेट, दोने या स्टील के बरतन में प्रसाद रख कर दें।

इको फ्रेंडली विसर्जन

- पूजा में इस्तेमाल लायी गयी चीजें नदी के बजाय घर में विसर्जित कर भगवान को हमेशा के लिए अपने पास रख सकते हैं। एक साल पहले पूजा में रखे गए मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश आधी बाल्टी पानी में विसर्जित करें। जब घुल कर मिट्टी बन जाएं, तो इसे घर के गमलों या पार्क में डाल दें।

- इसी तरह घर पर गणपति विसर्जन भी कर सकते हैं। चाहें, तो किसी बगीचे की मिट्टी निकाल कर उसमें जल भर कर गणपति विसर्जित करें। इस जगह की मिट्टी को अगले साल गणपति की मूर्ति बनाने के लिए इस्तेमाल में लाएं।

- फिटकरी से बनी मूर्तियां हैं, तो इन्हें प्रवािहत करने से पानी साफ होता है।

- नवरात्रे पर जौ बोए हैं, तो पूजा के बाद मिट्टी सहित खाली गमले में डाल दें। खाद बन जाएगी।

- पूजा में इस्तेमाल हुई चीजों को इकट्ठा करके फूल, मिट्टी के दीए, जली हुई रुई की बत्ती की अलग-अलग ढेरियां बना लें। फूलों व अन्य ऑर्गेनिक चीजों को सुखा व पीस कर उनकी खाद बना सकते हैं। चाहें, तो इन्हें सीधे गमले या बगीचे में डाल सकते हैं। मिट्टी के दीए पानी में डालें और घुलने पर इसे गमले में डाल दें। पूजा की बत्ती किसी पेड़ के नीचे रख सकते हैं।