एक बार फिर रोशनी का पर्व करीब है। इस त्योहार को शानदार तरीके से तो मनाना ही है, साथ ही इससे जुड़ी सारी परंपराएं भी तो निभानी हैं। धनतेरस से दीपावली के त्योहार का आगाज होता है, जो पांचवें पर्व भैयादूज मनाने के साथ संपन्न होता है। दीवाली में दीयों का बड़ा महत्व है, लेकिन क्या हमें पता है कि किस दिन कितने दीपक जलाने चाहिए। यही नहीं, दीपक किस चीज से बना हो और उसमें कितनी बत्ती लगायी जानी चाहिए, यह भी एक गूढ़ रहस्य है। दीवाली की पूजन विधि और मुहूर्त का पता होना भी जरूरी है, ताकि हमारी भक्ति में कहीं कोई कसर बाकी ना रह जाए। आइए, ज्योतिषाचार्य डॉ. आरती दहिया से जानते हैं दीवाली से जुड़ी सभी जिज्ञासाओं के समाधान।
दीयों के विभिन्न प्रकार
आटे का दीपक: किसी भी तरह की साधना या सिद्धि के लिए आटे का दीपक जलाया जाता है। कर्ज मुक्ति, विवाह में हो रही देरी, नौकरी व्यापार के लिए, संतान प्राप्ति, गृह कलह, पति-पत्नी के रिश्ते में सुधार लाने और आर्थिक संकट से मुक्ति के निवारण के लिए आटे का दीपक जलाया जाता है।
मिट्टी का दीपक: मिट्टी का दीपक किसी भी पूजा-पाठ के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। मिट्टी का दीपक जलाने से शनि और मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि एक बार जलाने के बाद इस दीपक का फिर से प्रयोग ना करें।
सोने का दीपक: सोने का संबंध सूर्य से होता है। वहीं सोने के दीपक में सूर्य और गुरु का वास होता है। सोने का दीप जलाने से जीवन में उन्नति की प्राप्ति होती है।
चांदी का दीपक: चांदी के दीपक में चंद्रमा और शुक्र का वास होता है। इस धातु के दीपक को जलाने से घर में धन-संपदा की कभी कमी नहीं होती और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
तांबे का दीपक: तांबे की धातु में मंगल का वास होता है। इसे जलाने से मनोबल में वृद्धि होती है। तांबे के दीपक में तिल का तेल डाल कर जलाना चाहिए।
कांसे का दीपक: कांसे की धातु से दीपक में बुध ग्रह का वास होता है। धन की स्थिरता और पर्याप्त धन के लिए कांसे के दीपक में तिल का तेल डाल कर जलाएं।
लोहे का दीपक: लोहा धातु में शनिदेव का वास होता है। शनिवार और मंगलवार के दिन लोहे के दीपक में सरसों का तेल डाल कर उड़द की दाल का आसन चारों तरफ दे कर जलाएं। ऐसा करने से व्यक्ति का दुर्घटना से बचाव होता है।
कितने मुख का दीया कब जलाएं
एक मुखी दीपक: आरती करने के दौरान एक मुखी दीपक जलाएं। इस दीपक का प्रयोग अपने इष्ट देव की पूजा के लिए किया जाता है। इसमें एक बत्ती का प्रयोग करते हैं।
दो मुखी दीपक: मां दुर्गा की पूजा में दो मुखी दीपक जलाते हैं। शिक्षा में सफलता के लिए मां सरस्वती के समक्ष दो बत्ती वाला दीपक जलाना चाहिए।
तीन मुखी दीपक: विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा में तीन बत्ती वाले दीपक का प्रयोग करना चाहिए, इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
चौमुखी दीपक: भैरव देवता को प्रसन्न करने के लिए चार बत्ती वाला दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
पंचमुखी दीपक: शिव पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए पांच बत्ती वाले दीपक का उपयोग किया जाता है, इससे कोर्ट केस आदि में विजय मिलती है, शत्रु पराजित होते हैं।
सात मुखी दीपक: देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सात बत्तियों वाले दीपक का उपयोग करना चाहिए। मान्यता है कि माता लक्ष्मी की पूजा में सात मुखी दीपक जलाने से घर में अन्न-धन की कमी नहीं होती।
आठ मुखी या बारह मुखी दीपक: देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए 8 बत्ती या 12 बत्ती वाले दीपक का उपयोग करना बहुत लाभकारी होता है।
सोलह मुखी दीपक: जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा में 16 मुखी यानी 16 बत्तियों वाला दीपक जलाया जाता है, ऐसा करने से श्री हरि शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।