Wednesday 12 July 2023 11:59 AM IST : By Team Vanita

ऑनलाइन शॉपिंग और बैंक से ट्रांजेक्शन करते समय किन बातों का ध्यान रखें

आजकल ऑनलाइन डिस्काउंट का बाजार गरम है। फैशन एक्सेसरीज हों या कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक आइटम हों या होम डेकोर की चीजें, इन सभी में छूट के लालच से बचा नहीं जा सकता। अगर आप तरह-तरह की छूट के लाभ के लिए ऑनलाइन शॉपिंग करना चाहती हैं, तो कुछ सावधानियां भी बरतना जरूरी है, जिससे बिना किसी फ्रॉड या पचड़े में पड़े ऑनलाइन शॉपिंग का पूरा लाभ उठा सकें।


शॉपिंग और धोखे

e-fraud


नकली वेबसाइट: आजकल ऐसे केसेज की संख्या बहुत बढ़ रही है । कई बार ठग एक जैसे दिखनेवाले कंपनी के लोगो का इस्तेमाल करते हैं। जब कस्टमर ऑनलाइन पेमेंट कर लेते हैं, तब ये वेबसाइट गायब हो जाती हैं।
साइट अच्छी और प्रोडक्ट बेकार: अगर आपने अच्छी साइट से प्रोडक्ट खरीदा है, पर आप तक पहुंचते-पहुंचते टूट जाता है या पैकिंग सही नहीं हुई होती है, तो वेबसाइट जिम्मेदार नहीं होती। वेबसाइट पर अपना सामान बेचने वाले सेलर या कोरियर सर्विस बेकार होती हैं। वैसे ये साइट्स अपने खरीदारों की रेटिंग और दूसरे तरीकों से सेलर पर निगाह रखती हैं फिर भी धोखेबाजों को पकड़ना कई बार नामुमकिन नहीं पर मुश्किल जरूर होता है।

कैसे बचें

सही साइट का चुनाव: अगर आप शॉपिंग के लिए नयी साइट आजमाना चाहते हैं, तो सबसे पहले उसका डोमेन नेम जरूर चेक कर लें। इसके लिए आप registry.in / WHOIS पर जा कर चेक करें। यूआरएल में https हो ना कि सिर्फ http हो। साइट की स्पेलिंग भी देखें। अगर साइट पर कोई संपर्क करने का ब्योरा नहीं मिलता है या प्रोडक्ट रिटर्न पॉलिसी का जिक्र नहीं होता है, तो बेहतर है इससे खरीदारी ना करें।
पेमेंट कैसे हो: कभी भी डाइरेक्ट पेमेंट करने से बचें। कैश ऑन डिलीवरी अच्छा ऑप्शन है। अच्छा होगा कि डिलीवरी लेने और पैकेट खोलने के दौरान वीडियो रेकॉर्डिंग करें। यह समय पड़ने पर सुबूत के तौर पर काम करेगा।
रखें एक्स्ट्रा सावधानियां: सिर्फ कम कीमत देख कर शॉपिंग ना करें। सेलर की रेटिंग और खरीदने वालो के रिव्यूज पर भी एक नजर डालें।
बैंक अकाउंट के जरिए खरीदारी ना करें। क्रेडिट कार्ड या कैश ऑन डिलीवरी के जरिए पेमेंट करें। अगर मोबाइल में आपने एंटीवायरस नहीं इंस्टॉल किया है, तो मोबाइल से शॉपिंग ना करें।

कई तरीके के धोखे

ऑनलाइन चोरीः ऑनलाइन शॉपिंग और उसका बिल पेमेंट करने के दौरान धोखा देने वाले आपके क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी चुरा सकते हैं। जैसे कार्ड नंबर, सीवीवी नंबर, अकाउंट नंबर। ऐसे भी वायरस का इस्तेमाल होता है, जो आपके ईमेल में मौजूद सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं। अगर अपने कंप्यूटर या लैपटॉप पर पासवर्ड या लॉग इन आईडी सेव कर रखी है, तो डाटा चोरी होने के खतरे ज्यादा बढ़ जाते हैं।
फेक कॉल्स और ईमेलः फोन कॉल्स करके कस्टमर का सीवीवी नंबर या ओटीपी नंबर जुटाने और फिर पैसे निकाल लेने जैसी वारदातें पिछले कुछ समय से बहुत हो गयी हैं। इसीलिए सावधान रहें।
सिम में फ्रॉडः इस तरह की धोखाधड़ी में फ्रॉड करनेवाले एक फेक आईडी प्रूफ ले कर मोबाइल ऑपरेटर के पास जा कर आपके नाम का डुप्लिकेट सिम कार्ड हासिल करता है, जिससे ऑपरेटर आपका ओरिजिनल सिम डी-एक्टिवेट कर देता है।
अनसेफ सर्फिंगः अगर आप पब्लिक प्लेस के इंटरनेट या वाईफाई का इस्तेमाल करके ई-शॉपिंग करते हैं, तो मोबाइल से ट्रांजेक्शन के दौरान कोई भी क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुरा सकता है। ठग आपके लॉग इन आईडी को हैक करके अकाउंट की चोरी कर लेते हैं।

कैसे बचें

रजिस्ट्रेशनः एसएमएस व ई मेल अलर्ट रजिस्ट्रेशन करें, जिससे हर ट्रांजेक्शन की जानकारी आपको मिलती रहेगी।
डिटेल्स सेव करेंः मोबाइल, वेबसाइट या सर्वर पर किसी तरह की क्रेडिट कार्ड या अकाउंट डिटेल्स सेव ना करें। आप अपने सभी बैंक अकाउंट का एक ही पासवर्ड नहीं रखें। अच्छा होगा कि पासवर्ड मैनेजर एप डाउनलोड करें। यह एप आपके पासवर्ड को डिजिटली सुरक्षित करता है और एक मुख्य पासवर्ड के जरिए आप इसे एक्सेस कर सकते हैं।
फ्रॉड हो जाने पर
कहां करें संपर्कः सबसे पहले वेबसाइट पर संपर्क करें। मनी बैक पॉलिसी साइट चुनने पर प्रोडक्ट फेक निकलने पर आपके अकाउंट में रुपए वापस आ जाते हैं। इसमें प्रोडक्ट की डिटेल व पेमेंट की जानकारी लिखें। बैंक अकाउंट की डिटेल ना लिखें। ऑनलाइन शॉपिंग के लिए ऐसे अकांउट का ही प्रयोग करें, जिसमें आप बहुत पैसा नहीं रखते हों।
मांगें सहायताः earnrupee.in, indiaforensic.com, cyberlawsindia.com जैसी कई साइट्स हैं, जो ऑनलाइन फ्रॉड संबंधी जानकारी भी देती हैं या आप ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो चुके हैं, तो कंप्लेंट करने की जानकारी भी डिटेल में देती हैं, जो वाकई मददगार साबित होते हैं।
क्या है सजाः सोशल मीडिया या दूसरे ऑनलाइन मीडिया से कोई व्यक्ति किसी और की भावनाअों को भड़काता है, अफवाह फैलाता है या फिर किसी की छवि खराब करता है, तो ऐसे में आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है। अगर कोई शख्स इंटरनेट के जरिए अश्लील सामग्री सर्कुलेट करता है, तो ऐसे मामले में आईटी एक्ट की धारा 67 की तहत 3 साल की कैद व 5 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है।