Friday 16 October 2020 04:25 PM IST : By Neelam Sikand

क्यों होती है वेजाइनल ईचिंग

हाइजीन अौर लाइफस्टाइल संबंधी अादतों को ध्यान में रख कर वेजाइनल ईचिंग को होने से रोका जा सकता है।

vaginal-itching-2


वेजाइना में ईचिंग होने पर महिलाएं अपने अापको असुविधाजनक स्थिति में पाती हैं अौर कई बार इसमें तेज दर्द भी होता है। इस वजह से शरम महसूस करती हैं अौर िकसी से खुल कर बात तक नहीं करतीं। हालांिक यह महिलाअों को होनेवाली अाम समस्याअों में से एक है। ज्यादातर मामलों में यह िचंता का कारण नहीं होती। लेकिन अगर तेज खुजली हो, तो इसे अनदेखा ना करें। तुरंत डॉक्टर से िमलें, वे जांच अौर टेस्ट के जरिए इसके सही कारण का पता लगा कर उस िहसाब से ट्रीटमेंट करते हैं।
ईचिंग के कारण
िदल्ली के मूलचंद मेडसिटी में गाइनीकोलॉजी की सीनियर कंसलटेंट लेप्रोस्कोिपक सर्जन डॉ. मंजू होतचंदानी बताती हैं िक वेजाइना अौर उसके अासपास के िहस्से में होनेवाली ईचिंग के कुछ कारण इस प्रकार हैं-
ईचिंग या जलन पैदा करनेवाली चीजें ः जलन पैदा करनेवाले रसायनों के संपर्क में अाने पर वेजाइना में खुजली की समस्या हो सकती है। इन चीजों से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है, िजससे वेजाइना सहित शरीर के िवभिन्न हिस्सों पर खुजलीदार रैशेज बन जाते हैं। इन रसायनों में साबुन, बबल बाथ, डूश, क्रीम, अॉइंटमेंट्स, कॉन्ट्रासेप्टिव्स, िडटरजेंट, फैब्रिक सॉफ्टनर, खुशबूदार टॉयलेट पेपर, िसंथेिटक कोटिंगवाले सैनिटरी नैपकिन अािद शािमल हैं। डाइबिटीज या युरिनरी इन्कॉन्टिनेंस होने पर भी वेजाइना में जलन अौर ईचिंग की िशकायत होती हैं।
त्वचा संबंधी बीमािरयां ः एग्जीमा अौर सोरायसिस होने पर जननांग में लाली अाने के साथ-साथ खािरश हो सकती है। अस्थमा या एलर्जी की वजह से शरीर पर एग्जीमा के रैशेज हो जाते हैं। ये रैशेज लाल, खुजलीदार व पपड़ीदार होते हैं। एग्जीमा होने पर ये रैशेज कुछ महिलाअों की वेजाइना तक में फैल जाते हैं। जबकि सोरायसिस में िसर अौर जॉइंट्स में पपड़ीदार, खुजलीदार, लाल चकत्ते िनकल अाते हैं। इसका प्रकोप होने पर ये लक्षण वेजाइना में भी जािहर हो सकते हैं।
यीस्ट इन्फेक्शन ः वेजाइना में कुदरती रूप से यीस्ट होती है। इससे कोई समस्या नहीं होती। लेिकन जब यह ग्रोथ काबू से बाहर हो जाए, तो इन्फेक्शन हो सकता है। इसे वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन कहते हैं। यह बहुत ही सामान्य सी बात है अौर 4 में से 3 महिलाएं कभी ना कभी इसकी चपेट में अाती हैं। यह इन्फेक्शन ज्यादातर एंटीबायोटिक्स का कोर्स लेने के बाद होता है।

vaginal-itching-3


इस तरह की दवा लेने से बुरे बैक्टीिरया के साथ-साथ अच्छे बैक्टीिरया का भी सफाया हो जाता है। अच्छे बैक्टीिरया यीस्ट ग्रोथ को काबू में रखते हैं। वेजाइना में जरूरत से ज्यादा यीस्ट हो जाने पर उसमें ईचिंग, जलन अौर फटे दही की तरह िडस्चार्ज की समस्या होती है।
बैक्टीिरयल वेजाइनोिसस ः यह समस्या भी यीस्ट इन्फेक्शन की तरह वेजाइना में प्राकृतिक रूप से होनेवाले अच्छे अौर बुरे बैक्टीिरया के बीच में असंतुलन की वजह से होती है। जरूरी नहीं है िक ऐसा होने पर हर बार लक्षण नजर अाएं। लेिकन जब लक्षण जािहर होते हैं, तो वेजाइना में खुजली होने के साथ-साथ बदबूदार िडस्चार्ज होता है। यह िडस्चार्ज पतला व सफेद या हल्के ग्रे रंग का होता है। कुछ मामलों में यह झागदार भी हो सकता है।
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड बीमारी ः सेक्सुअल संबंध बनाते समय सुरक्षात्मक तरीके ना अपनाए जाने से कई तरह की एसटीडी हो सकती हैं। इनसे भी वेजाइना में खुजली होती है। इनमें क्लेमाइडिया, जेनाइटल वार्ट्स, गोनोिरया, जेनाइटल हरपीज, ट्राईकोमानिएसिस अािद शामिल हैं। इन बीमािरयों में अन्य लक्षणों के अलावा हरे या पीले रंग का वेजाइनल िडस्चार्ज अौर युरिन के समय दर्द हो सकता है।
मेनोपॉज ः जो महिलाएं मेनोपॉज के नजदीक होती हैं या िफर िजन्हें मेनेापॉज हो चुका है, उनमें वेजाइना में खुजली होने का अधिक खतरा रहता है। ऐसा इस्ट्रोजन हारमोन के कम हो जाने की वजह से होता है। इस वजह से म्यूकस मेम्ब्रेन पतली अौर सूखी हो जाती है। इसका इलाज ना करने पर यह सूखापन खुजली अौर जलन का कारण बनता है।
तनाव ः शारीिरक अौर मानसिक तनाव भी वेजाइनल ईचिंग का कारण बन सकता है। यह ईचिंग का सामान्य कारण तो नहीं है, लेिकन अगर तनाव से इम्युन िसस्टम कमजोर हो जाए, तो शरीर इन्फेक्शन के प्रति संवेदनशील हो जाता है अौर तब ईचिंग की समस्या होती है।
वुल्वर कैंसर ः यह कैंसर महिला जननांग के बाहरी िहस्से, वुल्वा में िवकसित होता है। यह जरूरी नहीं है िक इस कैंसर के लक्षण नजर अाएं। लेिकन जब लक्षण उभरते हैं, तो उसमें से एक लक्षण वेजाइना में खािरश होना भी है। इसके अलावा वुल्वर एरिया में असामान्य रूप से ब्लीडिंग व दर्द होता है। अगर शुरुअात में ही इस कैंसर के बारे में पता चल जाए, तो इसका अासानी से इलाज िकया जा सकता है। यही वजह है िक समय-समय पर स्त्री रोग िवशेषज्ञ से अपनी जांच कराते रहना जरूरी है।
डॉक्टर के पास कब जाएं 
डॉ. मंजू होतचंदानी के अनुसार खारिश का रोजमर्रा के कामों अौर नींद पर असर पड़े, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। हालांिक ज्यादातर मामले बहुत गंभीर नहीं होते। इनमें ट्रीटमेंट से अाराम िमलता है।
खुजली 7 िदन से अधिक समय तक बनी रहे या िफर खुजली के साथ यहां बताए गए लक्षण नजर अाएं, तो बिना देरी के डॉक्टर के पास जाएं। इन लक्षणों में वुल्वा पर अल्सर या छाले का बनना, जननांगवाले िहस्से में दर्द होना, जननांग में जलन या सूजन होना, युिरन करते समय िदक्कत होना, बहुत अधिक वेजाइनल िडस्चार्ज होना, संबंध बनाते समय दिक्कत होना अािद शामिल हैं।
ट्रीटमेंट ः एक बार खुजली का कारण समझ अा जाए, तो िफर उस िहसाब से ट्रीटमेंट िकया जाता है। यीस्ट इन्फेक्शन होने पर एंटीफंगल दवाएं दी जाती हैं। ये कई तरह की होती हैं। इनमें क्रीम, अॉइंटमेंट, िपल्स अािद शािमल हैं।
बैक्टीिरयल वेजाइनोिसस होने पर एंटीबायोिटक्स से इलाज िकया जाता है। इसमें िपल्स खाने के िलए दे सकते हैं या िफर वेजाइना में लगाने के लिए क्रीम दी जाती हैं। डॉक्टर की िहदायत को ध्यान में रख कर ट्रीटमेंट का पूरा कोर्स करें।
एसटीडी होने पर एंटीबायोिटक्स, एंटीवायरल या एंटीपैरासाइटिक्स दी जाती हैं। इसमें दवाएं िनयमित रूप से लेनी होती हैं अौर इन्फेक्शन या बीमारी के दूर होने तक डॉक्टर संबंध बनाने से मना करते हैं।
मेनोपॉज की वजह से खािरश होने पर इस्ट्रोजन क्रीम, टेबलेट्स या वेजाइनल िरंग अंदर लगा कर इलाज िकया जाता है।
अन्य मामलों में खािरश अपने अाप दूर हो जाती है। इस दौरान स्टेरॉयड्स क्रीम या लोशन लगाने से सूजन व खािरश में अाराम िमलता है। इन चीजों का ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
नेचर क्योर
बापू नेचर क्योर हॉस्पिटल एंड योगाश्रम की डाइरेक्टर व हेल्थ सुपरिंटेंडेंट डॉ. रुक्मिणी नायर बताती हैं िक हाइजीन अौर लाइफस्टाइल संबंधी अादतों को ध्यान में रख कर वेजाइनल जलन व इन्फेक्शन को होने से रोक सकते हैं।
⇛ नियमित रूप से गुनगुने पानी या नीम पानी से जेनाइटल एरिया को साफ करें। खुशबूदार साबुन, लोशन, बबल बाथ अौर स्प्रे अािद का इस्तेमाल ना करें।

vaginal-itching-1


⇛ प्राकृतिक िचकित्सा में नीम के पानी से वेजाइनल डूश देने से अंदर तक वेजाइना की सफाई हो जाती है।
⇛ स्वीमिंग या एक्सरसाइज के बाद गीले अंडरवियर को तुरंत बदलें। जेनाइटल एरिया को सूखा रखें। इसमें नमी होने से बैक्टीिरयल ग्रोथ होने का खतरा रहता है। कॉटन पैंटी पहनें अौर इसे िदन में दो बार बदलें।
⇛ पैंटी को साधारण िडटरजेंट से साफ करें। फैब्रिक कंडीशनर इस्तेमाल ना करें।
⇛ हमेशा अपने अापको अागे से पीछे की तरफ साफ करें। पीछे से अागे की तरफ साफ करने से एनस से बैक्टीिरया वेजाइना में अा सकते हैं।
⇛ पैड अौर टैंपून हर 3-4 घंटे के बाद बदलें।
⇛ खूब पानी िपएं अौर समय-समय पर युरिन पास कर ब्लैडर को खाली करते रहें।
⇛ संबंध बनाते समय एहतियात बरतें। सेक्स के बाद गरम पानी से वेजाइना को धो कर साफ करें।