Friday 25 February 2022 02:46 PM IST : By Meehal

क्या करें जब रिमूव करने पड़ें यूटरस, ओवरीज, गॉल ब्लैडर

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स्त्री शरीर ऐसा बना है कि जटिलताएं आने पर उसके कुछ अंदरूनी अंगों को हटाया जा सकता है। इससे उसके शरीर की बनावट पर कोई असर नहीं पड़ता। यूटरस, ओवरीज, गॉल ब्लैडर की समस्या होने पर इनको हटाना ही आखिरी उपाय होता है। कई बार इनके रिमूवल के बाद स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत नहीं आती, पर बहुत खयाल रखने की जरूरत तो होती ही है। कब इन अंगों को हटाने की जरूरत पड़ जाती है? इनके हटने के बाद क्या दिक्कतें आती हैं? इन अंगों के रिमूवल संबंधी समस्याअों से निबटने के उपाय जानते हैं, दिल्ली के मेडी क्लीनिक की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विशाखा मुंजाल से। 

कब करवाएं यूटरस रिमूवल 

यूटरस तभी निकालना चाहिए, जब उसमें कोई प्रॉब्लम हो। यूटरस रिमूवल के बाद शरीर में कोई बड़ा अंतर नहीं आता है। सेक्स इच्छा या सेक्स एक्टिविटी में भी कोई खास फर्क नहीं आता है। पेशेंट को मनोवैज्ञानिक रूप से जरूर महसूस होता है कि पीरियड्स नहीं आए। बाकी जिंदगी ठीक चलती है। 

डॉ. विशाखा के अनुसार आजकल यूटरस को जिस तकनीक से रिमूव किया जाता है, उसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ वेजाइना की अच्छी लेंथ प्रिजर्व करते हैं। क्योंकि यूटरस को लेप्रोस्कोपी से हटाया जाता है, इसलिए सेक्स लाइफ में फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अगर किसी कारणवश वेजाइना की लेंथ कम हो जाए, तो सेक्सुअल लाइफ में फर्क पड़ता है, तब सेक्स में समस्या होने लगती है। 

ओवरीज निकलने से होता है सर्जिकल मेनोपॉज

अगर ओवरीज निकाली जाती हैं, तो अचानक सर्जिकल मेनोपॉज हो सकता है। ओवरीज हारमोन्स बनाती हैं। यूटरस के साथ ओवरीज निकाले जाने पर पेशेंट्स में मेनोपॉजल लक्षण नजर आने लगते हैं। हॉट फ्लैशेज, वेजाइनल ड्राईनेस होने और यूरिन में इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। हार्ट अटैक के मौके बढ़ जाते हैं। स्ट्रोक हो सकता है। जब महिला को नेचुरल ढंग से मेनोपॉज होता है, तो धीरे-धीरे फंक्शन कम होते जाते हैं। ऐसे नेचुरल मेनोपॉज के बाद पूरा शरीर एक तरह से दोबारा संतुलित हो रहा होता है, इसलिए रहन-सहन के तौरतरीकों में थोड़ा सा बदलाव लाना ही काफी होता है। लेकिन सर्जिकल मेनोपॉज है, तो ओवरीज हटाने के अगले दिन से मेनोपॉज हो जाता है। अचानक शरीर से वे हारमोन्स चले जाते हैं, जो बैलेंस बना कर रखते हैं। उनकी सेक्स इच्छा बिलकुल खत्म हो जाती है। यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन की काफी शिकायत हो जाती है। 

डॉ. मुंजाल के अनुसार ओवरीज की समस्या किसी भी उम्र में आ सकती है। कई बार रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप में यह समस्या हो जाती है। इसमें ओवरीज में सिस्ट और ट्यूमर हो जाते हैं। खासकर अगर कैंसरस ट्यूमर है, तो चाहे उम्र कम हो, ओवरीज निकाल दी जाएगी। बिनाइन ट्यूमर हो, तो सिर्फ उसे ही निकालते हैं, ओवरीज नहीं। अगर 45 की उम्र के बाद किसी कारण से यूटरस रिमूव करते हैं, तो ओवरीज भी निकाल देते है, क्योंकि इनका फंक्शन इस उम्र तक काफी घट चुका होता है और शरीर मेनोपॉज की कगार पर होता है।

ओवरीज निकालने पर हार्ट प्रॉब्लम्स, याददाश्त में कमी, पार्किंसन, डिप्रेशन, ग्लूकोमा और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है। हारमोन्स की कमी से हॉट फ्लैशेज और घबराहट की समस्या होती है। दरअसल ओवरीज मेें बननेवाले हारमोन्स सालों तक हड्डी, मस्तिष्क, हृदय, नेत्र आदि की सेहत को बनाए रखने में सहायक होते हैं। इसलिए इनके हटाने के बाद बहुत ध्यान रखने की जरूरत होती है। 

यूटरस-ओवरीज दोनों निकालने पर अकसर गर्भाशय और ओवरीज निकालने के बाद कुछ समस्याएं उभर आती हैं, जिससे बहुत थकान, कमजोरी, गैस, पेट फूलना, पेड़ू में दर्द, योनि में रूखेपन की समस्या हो जाती है। रूखी त्वचा, हॉट फ्लैशेज, ब्रेस्ट में ढीलापन, रैशेज, मूड स्विंग, कमर दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। शारीरिक समस्याअों के साथ मानसिक समस्याअों से भी सामना करना होता है, जैसे उदासी, कामेच्छा में कमी, अनमनापन, तनाव, चिड़चिड़ापन। उनकी त्वचा की रंगत फीकी पड़ने लगती है। 

क्या करें

- वज्रासन, सूर्य नमस्कार, पवन मुक्तासन, हलासन करें। अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी प्राणायाम टेंशन दूर करते हैं। 

- रेगुलर एक्सरसाइज करें, हेल्दी डाइट लें। जिनकी ओवरी निकाली गयी है, उनके लिए अपने आहार का बहुत खयाल रखना जरूरी है। अपनी डाइट में फाइटो इस्ट्रोजन शामिल करें यानी जिनमें प्राकृतिक रूप में इस्ट्रोजन शामिल हो। सोयाबीन का सेवन हारमोनल असंतुलन के कारण पैदा होनेवाली दिक्कतों को दूर करने में बहुत सहायक साबित हुआ है। जो स्त्रियां एचआरटी नहीं लेतीं, वे आयरन व कैल्शियम से भरपूर आहार लें। इसके लिए पत्तेदार सब्जियां, राजमा, लोबिया जैसी दालें ले सकती हैं। इससे शरीर को लौह तत्व सोखने में मदद मिलती है। ऐसे समय में स्त्री के शरीर को विटामिन सी की जरूरत होती है, जो खट्टे फलों से प्राप्त होती है। दूध व हरी सब्जियों को आहार में शामिल करके कैल्शियम की कमी को पूरा करें। महिलाएं बंदगोभी, गाजर, चेरी, हरी बींस, मटर, आलू को आहार में शामिल करें, इससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। सोया मिल्क, सोया आटा, टोफू लें। विटामिन डी के लिए सुबह धूप में बैठें।

- ओवरीज यदि कम उम्र में हटानी पड़ जाएं, तो एचआरटी दी जाती है। एचआरटी में मौजूद इस्ट्रोजन त्वचा को कोमल और वेजाइना को नम रखता है। इसे 5 साल तक लगातार लेने पर ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हारमोनल रिप्लेसमेंट थेरैपी डॉक्टर की सलाह पर लेने से लाभ होता है, पर अपने मन से लेने के नुकसान भुगतने पड़ते हैं। 

गॉल ब्लैडर का ना रहना 

खाना पचाने के लिए शरीर में गॉल ब्लैडर का अपना एक रोल है। यह नाशपाती के आकार का अंग लिवर के नीचे पेट में दाहिनी तरफ ऊपर की ओर होता है। इसका काम है आंत में भोजन से वसा को अलग करके छोटी आंत में भेजना, ताकि वसा में घुलनशील विटामिन और पौष्टिक तत्व रक्त में अच्छी तरह जज्ब हो जाएं। पित्ताशय में सूजन या पथरी होने पर बहुत दर्द होता है। इसके लक्षणों में उल्टी, जी मिचलाना, बुखार आना, डायरिया, पीलिया की समस्या हो जाती है। तब इसे हटाना ही एक उपाय बचता है। हालांकि गॉल ब्लैडर हटाने के कुछ समय बाद ही लिवर इसके फंक्शन स्वयं करने लगता है। इसके हटाए जाने की वजह इसमें पथरी होना होती है। इसके निकलने के बाद कुछ पेशेंट्स में अपच की समस्या ज्यादा रहती है। इसके ना रहने पर कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

- पित्त की थैली निकाल दिए जाने के बाद मरीज को मसालेदार और तलीभुनी चीजें पचाने में दिक्कत आती है। इसी वजह से हल्का-फुल्का खाना लेने की सलाह दी जाती है।

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- ऐसे मरीजों के लिए बहुत जरूरी है रेगुलर एक्सरसाइज, ताकि शरीर सक्रिय रहे और मोटापा ना आए। 

- जिनका गॉल ब्लैडर निकला है, उनको अच्छी तरह पका हुआ भोजन ही करना चाहिए। कच्चा-पक्का खाना, कच्ची सब्जियां इनको नुकसान पहुंचा सकती हैं।

- इनको छिलके वाली दालें पचाने में मुश्किल हो सकती है। हल्की-फुल्की दालें ले सकते हैं, मगर राजमा, मटन, चने, साबुत उड़द पचाना मुश्किल हो जाता है। वजन बढ़ने से समस्या बढ़ती है।

सावधानी जरूरी

- गॉल ब्लैडर हटाए जाने के बाद वजन ना बढ़ने दें। एक्सरसाइज करें। 

- अधिक वजन, बच्चे होने के बाद या 40 की उम्र के बाद (फैट, फरटाइल फीमेल ऑफ फोर्टी) में यह समस्या ज्यादा होती है। अकसर सर्जरी के बाद अपच, पेट फूलना, पेट खराब रहने जैसी समस्याअों का सामना करना पड़ सकता है। पेट खराब रहने की वजह बाईल का सीधे आंत में जाना है। आमतौर पर पित्ताशय में पित्त इकट्ठा हो कर कंसन्ट्रेट होता है और जब वसायुक्त भोजन करते हैं, तो यह गॉल ब्लैडर से हो कर गुजरता है। लेकिन जब यह हट जाता है, तो पाचन संबंधी परेशानी होती है। 

- पित्त की थैली हटाने के बाद ज्यादा तलाभुना, वसीय या चिकना भोजन और ग्रेवी आदि लेने से बचें। इन दिनों उबला हुआ या कम तेल में छौंका गया भोजन ही लें। अपने आहार में घुलनशील फाइबर शामिल करें। 

- कम-कम मात्रा में 4-5 बार भोजन करें। कम मात्रा में प्रोटीन या वसा लें। दूध टोंड ही लें। मट्ठा लें। सब्जियां, साबुत अनाज व फल भी आहार में शामिल करें। 

- अपने भोजन में चुकंदर, खीरा, बीन्स, शकरकंद, ब्रोकोली, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्प्राउट्स, गोभी, जूस शामिल करें। गॉल ब्लैडर हटाने के बाद गाजर, चुकंदर, सेब, तरबूज, पपीता का सेवन करना अच्छा रहता है।