Thursday 24 September 2020 09:16 PM IST : By Nishtha Gandhi

ट्रैकिंग का स्वर्ग है तुंगनाथ

धार्मिक अास्था हो या फिर रोमांच के लिए ट्रैकिंग, तुंगनाथ जाने पर अापका वहां से लौटने का मन नहीं करेगा। सोचेंगे कि यादगार के तौर पर काश यहां से सुहाना मौसम ही साथ ले जाएं।

tungnath-6


खूबसूरत पहाड़ियों, हरी-भरी वादियों के अलावा अादि शक्ति विष्णु, महेश का घर है उत्तराखंड। प्रसिद्ध चार धाम यात्रा के लिए जाएं या किसी हिल स्टेशन पर छुटि्टयां मनाने के लिए, उत्तराखंड पूरा साल सैलानियों से घिरा रहता है। पांच केदार में से एक है तुंगनाथ। तुंगनाथ के बारे में महाभारतकालीन कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि ऋषि व्यास ने पांडवों को अपने भाइयों की हत्या का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव से क्षमा याचना करने को कहा। उनकी खोज में पांडव यहां अाए, लेकिन कुपित होने के कारण शिवजी ने बैल का रूप धर लिया अौर गुप्तकाशी में छिप गए। जब पांडवों ने उन्हें देख लिया, तो उन्होंने अपने शरीर को 5 टुकड़ों में बांट दिया। ये टुकड़े जिन 5 जगहों पर गिरे, वे पंच केदार कहलाए। तुंगनाथ में बैल के हाथ गिरे थे। यहीं पर अर्जुन ने शिवलिंग की स्थापना करके शिव का मंदिर बनवाया। बेहद ऊंचाई पर स्थित होने के कारण सालों तक यह स्थान अाम लोगों की पहुंच से दूर रहा। बाद में अादि शंकराचार्य ने इस स्थान को अपनी यात्राअों के दौरान खोजा अौर तब से यहां पर्यटकों का अाना शुरू हो गया।

tungnath-3

तुंगनाथ ना सिर्फ धार्मिक अास्था का स्थल है, बल्कि रोमांच के दीवानों के लिए एक शानदार ट्रैकिंग साइट भी है। रास्ते में बुरांश के फूलों से दुलहन की तरह सजी घाटियां अापको प्रेम निमंत्रण देती हुई लगेंगी, इनके सम्मोहन से दिल को बचाना वाकई मुश्किल है। तुंगनाथ विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है।

tungnath-7


अगर अाप यह सोच कर तुंगनाथ जाएंगे कि यहां अापको एक भव्य अौर विशाल मंदिर देखने को मिलेगा, तो फिर यहां अाने पर अापको निराशा ही हाथ लगेगी, क्योंकि पत्थर से बना एक साधारण सा मंदिर ही अापको यहां देखने को मिलेगा। बेहद दुर्गम रास्ता अौर खराब मौसम होने के कारण तुंगनाथ साल में सिर्फ 6 महीने ही खुला रहता है। अप्रैल में चार धाम यात्रा के शुरू होने पर इस मंदिर के कपाट भी खुल जाते हैं। अपने ठहरने का समय इस तरह से प्लान करें कि अाप मंदिर में होनेवाली अारती में भाग जरूर ले सकें।
अगर अाप तुंगनाथ जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो बेहतर होगा कि बरसात शुरू होने से पहले ही यहां जाएं, क्योंकि उस मौसम में यहां लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ जाता है। अगर मानसून के बाद सितंबर-अक्तूबर में जाना चाहते हैं, तो उस समय पर्याप्त गरम कपड़ों का इंतजाम करके जाएं। तुंगनाथ जाने के लिए अापको चौपटा पहुंचना होगा, जहां से अागे 4 किलोमीटर तक का सफर अापको पैदल तय करना होगा। लेकिन इसमें भी अापको 3-4 घंटे का समय लग सकता है। फिर भी खूबसूरत पहाड़, पहाड़ों पर पसरी हरी घास, कान के पास उड़ते बादलों की छुअन के साथ चलते-चलते यह समय कब बीत जाता है, पता ही नहीं चलेगा।

tungnath-8


धार्मिक अास्था का केंद्र होने के अलावा तुंगनाथ अब एक ट्रैकिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी मशहूर होता जा रहा है। इसे गढ़वाल-हिमालय क्षेत्र के सबसे खूबसूरत ट्रैक में से एक माना जाता है। चौपटा से तुंगनाथ तक के रास्ते में अापको अलग-अलग रंगों के बेंच लगे मिलेंगे। थकान होने पर बेंच पर बैठ कर बुरांश के फूलों से लदी-फदी घाटियों का सौंदर्य निहारिए। थकान कब छूमंतर हो जाएगी, पता ही नहीं चलेगा। लंबी ट्रैकिंग पर जाने का मूड हो, तो अाप पंच केदार मंदिरों तक का सफर पैदल भी तय कर सकते हैं। वहीं चंद्रशिला की चोटी तक ट्रैक के लिए जाएंगे, तो पूरे रास्ते अापको ऐसा महसूस होगा मानो अाप स्विट्जरलैंड में हों। चंद्रशिला शिखर पर पहुंचने पर अाप जिधर नजर घुमाएंगे, उधर ऐसी सुंदरता देखने को मिलेगी, जो कहीं अौर नहीं दिखायी देती। नंदा देवी, त्रिशूल, केदारनाथ, बंदरपूंछ, चौखंभा समेत अासपास के सभी पर्वत शिखर अापको यहां से दिखायी देते हैं।
तुंगनाथ मंदिर के नजदीक अाकाशगंगा झरना है। यहां पर नंदा देवी को समर्पित एक मंदिर भी है। अादि शंकराचार्य की मूर्ति भी यहां स्थित है। तुंगनाथ पहाड़ी तीन झरनों का उद्गम स्थल है, जो अागे जा कर अाकाशमणि नदी में तब्दील हो जाते हैं।

tungnath-9


चौपटा उखीमठ मार्ग पर पड़नेवाली देवरिया झील देखने भी जरूर जाएं। झील के कांच से चमकते पानी में चाहें, तो खुद को निहारे या बर्फ से ढकी चोटियों को। फिर भी मन ना भरे, तो झील के किनारे कैंप लगा लें।
चौपटा से 7 किलोमीटर की दूरी पर कांचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य है। लुप्तप्राय कस्तूरी मृग को प्रकृति के सहचर्य में विचरण करते हुए देखना वाकई जीवनभर याद रह जाता है। समय हो, तो अगस्तमुनि, धारा देवी, कालीमठ, कल्पेश्वर, कनकचौरी, देवरीताल अौर गांधी सरोवर जैसे पर्यटन स्थल भी जरूर देखने जाएं।

tungnath-2


जरूरी जानकारी
गरमियों में यहां का मौसम काफी अच्छा रहता है। हिमालय की चोटी दूर से भी साफ दिखायी पड़ती है। इस समय में अापको सुबह-शाम हल्के गरम कपड़ों की जरूरत पड़ेगी। मानसून में पूरा क्षेत्र हरा-भरा हो जाता है, इस मौसम में जाएं, तो बरसात से बचने अौर खाने-पीने का पूरा इंतजाम करके जाएं।
यहां पहुंचने के लिए अापको ट्रेन से ऋषिकेश पहुंचना होगा, फिर वहां से बस या टैक्सी से चौपटा तक का सफर तय करना होगा, वहीं अगर हवाईजहाज से जाना चाहते हैं, तो सबसे नजदीकी एअरपोर्ट देहरादून है।

tungnath-1