Friday 07 August 2020 03:53 PM IST : By Nishtha Gandhi

खीर गंगा ः पहाड़ों की गुनगुनाहट

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हिमाचल प्रदेश को अगर पर्यटकों का स्वर्ग कहा जाए, तो यह कहना अतिशयोक्ति ना होगी कि अासमान के बाशिंदे जब धरती पर अाते होंगे, तो खीरगंगा में ही रुकते होंगे। रुकें भी क्यों ना, यह वह जगह है, जहां अा कर अापके अंदर की सारी नेगेटिविटी, सारा तनाव अौर परेशानियां यों गायब हो जाएंगे, जैसे किसी ने जादू की छड़ी ही घुमा दी हो। खीरगंगा पहुंच कर अाप प्रकृति के इतने करीब हो जाएंगे कि कोई बुरा ख्याल दिल में ही नहीं अाएगा। देखा जाए, तो सही मायनों में तभी कोई यात्रा सफल होती है, जब वह अापके अंदर की नकारात्मकता को बाहर निकाल कर अापको फ्रेश कर देती है। यहां पहुंच कर अापके मोबाइल का नेटवर्क काम ना करे, सोशल मीडिया पर अाप दोस्तों से कनेक्ट ना हो पाएं, तो कोई गम ना करें। यह वह जगह है, जहां पहाड़ अापके सामने गुनगुनाएंगे। पेड़-पौधों के नेटवर्क में एक बार लॉग इन करके तो देखिए, ऐसी मजेदार बातें करेंगे अापसे कि अापने सोची भी नहीं होंगी। लाइक, कमेंट अौर पोस्ट का कोई झंझट नहीं, यहां की वादियां अपने तमाम रंगों को समेटे हुए सीधे अापके दिल से कनेक्ट हो जाएंगी।   

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खीरगंगा वह जगह है, जहां अा कर अाप छुटि्टयों की एक नयी परिभाषा सीखेंगे। अारामदायक होटलों के बजाय टेंट में रहना, बॉनफायर जला कर अालू भून कर खाना अौर रात को लेट कर बादलों अौर तारों की रोमांटिक जुगलबंदी देखना वाकई दिल खुश कर देनेवाला अनुभव है। अव्वल तो यहां से अापका वापस जाने का दिल ही नहीं करेगा अौर जब अाप जाएंगे, तो यकीनन ऐसी ही एक अौर छुट्टी का प्लान कर लेंगे।

 
खीरगंगा जाने के लिए अापको सबसे पहले बरसैनी पहुंचना होगा। यहां से 12 किलोमीटर तक ट्रैकिंग करके नकथन गांव होते हुए अाप खीरगंगा पहुंचेंगे। यह सबसे छोटा अौर अासान रास्ता है। तोश गांव होते हुए भी अाप यहां पहुंच सकते हैं। अगर रात को रुकने का ठिकाना ढूंढ़ना चाहते हैं, तो तोश गांव होते हुए जाएं। कहनेवाले कहते हैं कि पार्वती अौर तोश नदियां पहाड़ों की चट्टानों से टकरा कर खूब शोर करती हैं, लेकिन हमारा कहना है कि यह शोर नहीं, मधुर संगीत है, जो इन वादियों में चारों तरफ बिखरा हुअा है अौर अापको मानसिक शांति देता है। चीड़ अौर देवदार के पेड़ों से बातें कीजिए या फिर खुले झरनों में नहाइए, प्रकृति ने यहां खुल कर प्यार लुटाया है, यह तो समेटनेवाले पर निर्भर करता है कि वह कितना समेट पाता है।


अामतौर पर खीरगंगा तक का ट्रैकिंग का सफर पूरा करने में अापको 3-4 घंटे लग जाते हैं। अगर अाप उसी दिन बरसैनी वापस अाना चाहते हैं, तो अापको सुबह जल्दी अपनी ट्रैकिंग शुरू करनी होगी। हालांकि इतनी जल्दी इस जगह के अाकर्षण से अपने अापको छुड़वा पाना मुश्किल ही है। इसलिए वहां पहुंच कर दिल बेईमान हो जाए, तो यह अापका दोष नहीं है, बस माहौल अौर मौसम का तकाजा है। इसे खुद पर हावी होने दीजिए अौर एक दिन टेंट लगा कर जंगल में रहने का मजा लीजिए। यहां पर अापको किराए पर टेंट अाराम से मिल जाएंगे।

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यहां जाने पर ध्यान रखें कि ट्रैकिंग के दौरान शॉर्टकट लेना अापको भारी पड़ सकता है। इसलिए रास्ते में लगे साइनबोर्ड्स का ध्यान अवश्य रखें। अाधे रास्ते में पहुंचने पर एक बड़े से झरने के समीप अाप खुद को खड़ा पाएंगे। यहां का पानी इतना साफ है कि अाप यहां से पीने का पानी भर सकते हैं। अगर झरने के ठंडे पानी में नहाने की हिम्मत नहीं है, तो इसके पानी से मुंह जरूर धोएं। ऐसी अनुभूति शहर वापस अाने के बाद मुश्किल से होती है। यहीं पास में एक छोटा सा ढाबा भी है, जहां पर अाप मैगी अौर हल्के-फुल्के स्नैक्स खा सकते हैं। झरने से अागे का रास्ता थोड़ा कठिन है, इसलिए थोड़ा संभल कर चलें। जब थक जाएं, तो कुदरत द्वारा लगाए गए प्राकृतिक एसी यानी चीड़ अौर देवदार के पेड़ों के नीचे बैठ कर कुछ देर अाराम करें। थोड़ी दूर अौर चलने पर यहां एक अौर झरना अापको दिखायी देगा। इसी झरने के कारण इस जगह का नाम खीरगंगा पड़ा है।

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चलते-चलते जब अाप थकने लगेंगे, तभी अापकी नजरों की हद में पीले अौर नीली छतोंवाले कुछ झोंपड़ीनुमा मकान अा जाएंगे। खुश हो जाइए, अाप उन खुशनसीबों में से हैं, जिनसे मिलने को खीरगंगा बेकरार है। यहां पर खीरगंगा का मंदिर है अौर समीप ही गरम पानी का एक चश्मा भी है। अगर रात को अाप यहीं कैंपिंग करेंगे, तो सुबह कई पर्यटक अापको गरम पानी में अपनी थकान उतारते हुए नजर अा जाएंगे। इस चश्मे में साबुन से नहाना मना है। अाप भी एक जिम्मेदार टूरिस्ट की तरह कुदरत की इस नेमत को खराब ना करें।

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कसोल घाटी के नजदीक होने के कारण खीरगंगा में भी अापको एडवेंचर के शौकीन सैकड़ों विदेशी टूरिस्ट दिख जाएंगे। इन्हीं की सुख-सुविधा का ख्याल रखने के लिए यहां पर कई इंटरनेशनल कैफे मिलेंगे, जहां पर अापको इजरायली, जर्मन, चाइनीज हर तरह का खाना मिल जाएगा।

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खीरगंगा जाने से पहले या वापसी में मणिकर्ण गुरुद्वारा भी जरूर हो कर अाएं। यहां पर भी गरम पानी के चश्मे हैं। पर्यटक यहां पर भी अापको नहाते हुए दिख जाएंगे। गुरुद्वारा हालांकि बहुत सादगी से बना है, लेकिन नदी की अावाज, खुली हवा, सुहाना मौसम अौर यहां का लंगर वाकई जबर्दस्त है। चाहें, तो यहां से कसोल घाटी अौर कुल्लू होते हुए कुछ समय मनाली में भी बिता सकते हैं। हालांकि खीरगंगा की अनछुई खूबसूरती देखने के बाद मनाली की भीड़भाड़ शायद ही अापको पसंद अाएगी।
खैर, अाप चाहे कितना ही घूमे-फिरें, जीवन में एक छुट्टी ऐसी जरूर बिताएं, जो कुदरत से अापकी दोस्ती करवा दे।                 

                         

                                                            

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