Thursday 17 February 2022 04:03 PM IST : By Nishtha Gandhi

गलियां दिल्ली की जितनी भी देखो कम है

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मशहूर शायर मीर तकी मीर कह गए हैं-दिल की बस्ती भी शहर दिल्ली है, जो भी गुजरा उसी ने लूटा। बात तो सही है, ना जाने कितनी बार उजड़ी और कितनी बार बसी है दिल्ली। लुटेरों ने इसे जी भर कर लूटा और दिल वालों ने पूरे दिल से बसाया है दिल्ली को। फिर भी जो लोग दिल्ली से बाहर रहते हैं, उनके मन में यह चाह जरूर होती है कि वे कम से कम एक बार तो दिल्ली घूम लें। यह बात और है कि सच्चे दिल्ली वाले भी यह दावा नहीं कर सकते कि उन्होंने पूरी दिल्ली घूम ली है। ना जाने कितने रत्न छुपे हैं इस भानुमति के पिटारे में कि जितनी बार हाथ डालो, हर बार कोई अनदेखा रत्न निकल आता है। उस पर सितम यह कि आए दिन कोई ना कोई नया पर्यटन स्थल भी यहां विकसित होता रहता है। यही तो खूबी है भारत की राजधानी दिल्ली की, जिसकी वजह से यह हरदिल अजीज बनी रहती है। दिल्ली के धूप-छांव के मौसम की ही तरह यहां का रंग रूप है। इतिहास, परंपरा और आधुनिकता को एक साथ मिलाने से जो शै बनती है, उसका नाम दिल्ली है। हर रुचि और हर उम्र के लोगों के लिए यहां कुछ ना कुछ मौजूद है। 

घुमक्कड़ों की पहली पसंद 

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दिल्ली में घूमने की जगहों के बारे में बात करें, तो यहां पर एक से बढ़ कर एक टूरिस्ट और पिकनिक स्पॉट्स मौजूद हैं। यूनेस्को द्वारा यहां की कई जगहों को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया जा चुका है। इंडिया गेट, हुमायूं का मकबरा, जामा मस्जिद, लाल किला, जंतर मंतर, चिडि़याघर, तुगलकाबाद फोर्ट, गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज, मिलेनियम पार्क, अक्षरधाम, बिड़ला मंदिर, कुतुब मीनार, राष्ट्रपति भवन, गुरुद्वारा बंगला साहिब,  लोधी गार्डन, इस्कॉन टेंपल, नेहरू तारामंडल, लोटस टेंपल, राजघाट, शांतिवन, समता स्थल, शक्ति स्थल, 30 जनवरी मार्ग,एडवेंचर आइलैंड, प्रगति मैदान, नेशनल क्राफ्ट म्यूजियम, रेल म्यूजियम, शंकर्स डॉल म्यूजियम के अलावा और भी बहुत कुछ देखने को है।

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अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं, तो अपनी लिस्ट में ऐतिहासिक जगहों जैसे लाल किला, कुतुब मीनार, पुराना किला, महरौली, गुरुद्वारा बंगला साहिब, वॉर मेमोरियल, लोधी गार्डन, तुगलकाबाद फोर्ट, रोशनआरा की मजार, सफदरजंग का मकबरा, उग्रसेन की बावली,  नेशनल म्यूजियम जैसी जगहों को लिस्ट में ऊपर रखें। वहीं ज्ञान-विज्ञान आपको आकर्षित करता हो, तो साइंस म्यूजियम और नेहरू तारामंडल देखे बिना घर वापस ना लौटें। 

पुरानी दिल्ली मेरी जान 

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पुरानी दिल्ली ही असली दिल्ली है, इसी के बारे में मशहूर शायर जौक ने कहा था, कौन जाए जौक पर ये दिल्ली की गलियां छोड़ कर। आज भी देश के छोटे-बड़े तमाम शहरों के दुकानदार व आम लोग सामान की खरीदारी करने पुरानी दिल्ली आना पसंद करते हैं। शादी की खरीदारी तो चांदनी चौक आए बिना पूरी हो ही नहीं सकती। हां, यह बात जरूर है कि फिल्मों में आप जो चांदनी चौक देखते हैं, वह इसके असली रूप से बहुत अलग है। पुरानी दिल्ली आना निश्चित रूप से थका देने वाला अनुभव होगा, पर ना जाने क्यों, रिक्शा और ठेलों की रेलमपेल, रंगबिरंगी दुकानों पर ठहरी हुई भीड़ देखने वालों के लिए किसी दावत से कम नहीं। 

मजे की बात यह कि असली दावत उड़ाने के लिए पुरानी दिल्ली में हर चार कदम पर आपके खिदमतगार खड़े हैं। बंटेवाली बोतल, ज्ञानी का फलूदा, शिव मिष्ठान्न भंडार की बेड़मी पूरी, हलवा नागौरी, कंवरजी की दालबीजी, जलेबीवाला के जलेबी और समोसे, मटर, गोभी और भिंडी के समोसे, जंग बहादुर की कचौरी सब्जी, कूड़ेमल कुल्फीवाले की रबड़ी या भरवां कुल्फी, नटराज के दही भल्ले, सीताराम बाजार का मक्खन समोसा, छेनामल की मिठाई, मेघराज का केक, कलाकंद और बरफी, अन्नपूर्णा स्वीट शॉप की दिलबहार और बंगाली मिठाइयां, काके दी हट्टी की दाल मखनी और स्टफ्ड नान, तिवारी के बूंदी के लड्डू, किनारी बाजार की खुरचन, गोल हट्टी के पालक छोले चावल, हौज काजी की चाट और छोले कुल्चे, जामा मस्जिद और दरियागंज की निहारी, कबाब, मोती महल के तंदूरी बटर चिकन के अलावा हर चार कदम पर आपको कोई दुकान दिख जाएगी, जहां से आपका कुछ ना कुछ खाने का दिल कर ही जाएगा। 

सरदियों के मौसम में यहां आएंगे, तो दौलत की चाट खाना ना भूलें। नाम जरूर चाट है, लेकिन यह एक खास किस्म की मिठाई है, जो सिर्फ सरदियों में बनायी जाती है। दरअसल, यह इतनी महंगी होती थी कि एक समय में यह कहा जाता था कि इसे खानेवाला मिठाई नहीं खा रहा है, बल्कि अपनी दौलत को ही चाट रहा है। अनार या फालसे की बर्फ, आलू, खीरे, शकरकंदी की चना कुलिया चाट, गरमियों में आम की बर्फ, बरसात में अंदरसे की गोली और सरदियों में हब्शी हलवा सिर्फ और सिर्फ एक ठेठ दिल्ली वाला ही समझ सकता है। 

पुरानी दिल्ली के रहनेवाले युवाओं ने हेरिटेज वॉक के रूप में नया कॉन्सेप्ट शुरू किया है। यहां के रहनेवाले बाशिंदे आपको पैदल पुरानी दिल्ली की गलियों की सैर करवाते हैं और इतिहासकारों की यादों में और इतिहास की किताबों में दर्ज उन जगहों पर ले जाते हैं, जिनके किस्से-कहानियां आप हमेशा सुनते आए हैं। दिल्ली का इतिहास सुनते हुए, गली-कूचों से गुजरते हुए, जब आप उन खंडहरनुमा इमारतों में पहुंचते हैं, जिनके दरवाजे छोटे पर अांगन बड़े हैं, तो एकबारगी तो खुद को किसी ऐतिहासिक घटना का कोई किरदार ही समझने लगते हैं। इस वॉक में शामिल होता है सुबह का नाश्ता, जो सालों से दिल्ली वालों की मुश्किल से खुश होने वाली स्वाद ग्रथियों को संतुष्ट करता आया है। 

गजब हैं यहां के फेस्टिवल

तमाम सांस्कृतिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र होने की वजह से बहुत समृद्ध है दिल्ली का सांस्कृतिक चेहरा। ऐसा कोई मशहूर आर्टिस्ट नहीं होगा, जिसने दिल्ली में परफॉर्म नहीं किया हो। यहां समय-समय पर अलग-अलग तरह के फेस्टिवल आयोजित होते रहते हैं, हर रुचि और आयुवर्ग के अनुकूल हैं। मंडी हाउस जहां थिएटर गतिविधियों का केंद्र है, तो प्रगति मैदान कई तरह के मेलों का। यहां के सीरीफोर्ट ऑडिटोरियम, कमानी ऑडिटोरियम, फिक्की ऑडिटोरियम में आप देशी-विदेशी नामचीन कलाकारों के नाटक और नृत्य प्रस्तुतियां देख सकते हैं। 

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इंडिया गेट पर जनवरी में काइट फेस्टिवल और गणतंत्र दिवस की परेड देख सकते हैं, तो फरवरी आने पर राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। सूरजकुंड का क्राफ्ट मेला भी इन्हीं दिनों आयोजित होता है। प्रगति मैदान में बुक फेअर, ट्रेड फेअर मुख्य आकर्षण रहते हैं, तो अक्तूबर के महीने में महरौली में फूलवालों की सैर उत्सव का आयोजन किया जाता है। दिल्ली की रामलीला जितना ग्लैमर आपको पूरे देश में और कहीं देखने को नहीं मिलेगा। इसके अलावा गणेशोत्सव, दुर्गा पूजा, जन्माष्टमी महोत्सव, तीज मेले, दीवाली मेले दिल्ली के हर कोने में आपको देखने को मिलेंगे। दिसंबर में आयोजित किया जाने वाला ग्रेट इंडिया फूड फेस्टिवल अब यहां के युवाओं के बीच खासा पॉपुलर हो रहा है। गरमियों में दिल्ली आ रहे हों, तो यहां का मैंगो फेस्टिवल जरूर देखें। इनके अलावा और भी कई छोटे-बड़े फेस्टिवल्स समय-समय पर दिल्ली में आयोजित होते रहते हैं। 

स्ट्रीट फूड की क्या बात

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पुरानी दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरी दिल्ली ही मशहूर है अपने स्ट्रीट फूड के लिए। जैसे दिल्ली के साथ यहां के स्ट्रीट फूड ने भी बाहर से आने वाले लोगों, मौसम और अलग-अलग संस्कृतियों को अपना कर अपना बनाया है, टिक्की, पानी के बताशे, कलमीबड़े तो हमेशा से ही दिल्ली के अपने थे, पर नॉर्थ-ईस्ट के मोमोज यहां आ कर अलग रूप-रंग में ढल गए। वहीं साउथ का डोसा, इडली नॉर्थ इंडिया के सधे हाथ बनाने लगे। चाइनीज, इटैलियन, जैपनीज या और किस्म-किस्म का कॉन्टिनेंटल फूड आपको गलियों से ले कर फाइन डाइनिंग रेस्टोरेंट में किसी ना किसी बदलाव के साथ मिल जाएगा। जेब भरी हो या खाली, दिल्ली में आप भूखे नहीं रह सकते। कनॉट प्लेस या साउथ दिल्ली के महंगे कैफे हों, करोल बाग के छोटे-बड़े फैमिली रेस्टोरेंट और ठेलेवाले हों या ईस्ट दिल्ली की दुकानें हों, अपने बजट के हिसाब से कहीं पर भी खाइए, स्वाद की पूरी गारंटी है। दिल्ली के स्ट्रीट फूड या रेस्टोरेंट्स की एक सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां नया कोई नहीं है। लगभग हर जगह पर आपको पुरानी तसवीरें, मोमेंटो रखे हुए मिल जाएंगे, जो उसके पुराने और असली होने का दावा ठोक-बजा कर कर रहे होंगे। फिल्म सेलिब्रिटीज पर दिल्लीवालों का क्रश है और इनका क्रश दिल्ली के खाने पर है। जहां पर किसी सितारे ने कुछ खा लिया, तो उसकी तसवीर दुकान पर लगनी तय है। 

जो चाहे खरीदिए

दिल्ली सबका दिल खुश करती है। आपकी जेब में 500 रुपए हों या 5 लाख, आप यहां मजे से खरीदारी कर सकते हैं। जंक ज्वेलरी, डिजाइनर कपड़े, पटरी की चीजें, फरनीचर, किचन का सामान, एक्सेसरीज, जूते-चप्पल, हर चीज आपको 100 रुपए से लाखों रुपयों तक में मिल जाएगी। जहां के कबाड़ी बाजार तक में आपको एंटीक चीजें मिल जाती हों, उस शहर की शॉपिंग के बारे में जितना भी लिखा जाए, कम है। ब्रांड्स की शॉपिंग के लिए आप उनके एक्सक्लूसिव स्टोर्स या शॉपिंग मॉल में चले जाइए, तो बजट शॉपिंग के लिए अलग-अलग हिस्सों में बने बाजारों में जाएं। चांदनी चौक वेडिंग शॉपिंग के लिए बेस्ट है, तो गांधी नगर एशिया का सबसे बड़ा होलसेल बाजार है। जनपथ और सरोजिनी नगर उन शौकीनों के लिए है, जो जेब में कम पैसे होने के बावजूद फैशनेबल कपड़े पहनने की चाह रखते हैं। करोल बाग में हर बजट और हर मौके के लिए कपड़े मिलेंगे। दिल्ली हाट हैंडीक्राफ्ट की चीजों और जंक ज्वेलरी के लिए बेस्ट जगह है। वैसे कनॉट प्लेस में भी आपको एक से बढ़ कर एक जंक ज्वेलरी मिल जाएगी। सर्राफा मॉर्केट दरीबां कलां में आप सोने के खरे जेवर तो खरीद ही सकते हैं, चांदी की फैशन ज्वेलरी भी वाजिब दामों में यहां मिल जाएगी। चांदी के बरतनों और मूर्तियों के लिए चांदनी चौक के कूचा महाजनी में चले जाइए। इलेक्ट्रॉनिक सामान, मेडिकल इक्विपमेंट की सप्लाई भगीरथ प्लेस से होती है, ताे लाजपत राय मार्केट में आपको खिलौने, फोन, वीडियो गेम जैसी चीजें मिलेंगी। सदर बाजार जैसी होलसेल मार्केट कोई दूसरी नहीं। साउथ दिल्ली की चंपा गली हाईफाई ठेला मार्केट है और लक्ष्मी नगर हर उम्र, बजट, स्टाइल का कॉकटेल बाजार है। कश्मीरी गेट की तिब्बतन मॉर्केट से कम दामों में ऊनी कपड़े खरीद सकते हैं। 

delhi-1 कला प्रेमी हों, खाने के शौकीन हों या शॉपिंग में जान बसती हो, दिल्ली सबकी है।

दिलवालों की दिल्ली में जब इतना सब कुछ है, तो एक बार घूमना तो बनता है।