Monday 14 February 2022 04:50 PM IST : By Gopal Sinha

भैया, आई लव यू

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बाबा वेलेंटाइन की पूजा हो और मुन्नू प्रेम चालीसा ना पढ़े, एेसा भला हो सकता है क्या ! यों तो हर साल मुन्नू छैला बना अपनी प्रेम कथा को मुकम्मल करने के लिए उसमें एक अदद किरदार जोड़ने की कोशिश करता, पर हर बार नाकामयाबी ही हाथ आती। अब एक बार फिर मौका भी था और दस्तूर भी, तो भाई साहब पूरे जोश में थे कि अबकी बार तो किसी को दिल दे कर और किसी का ले कर ही रहूंगा। 

पड़ोसी होने के नाते मैं मुन्नू की सारी इश्कियाना हरकतों से वाकिफ था। वह अपनी एेसी-वैसी हर तरह की बातें मुझसे शेअर कर लिया करता था। एेसा नहीं था कि मुन्नू में कोई एेब था। अच्छा पढ़ा-लिखा, अच्छा फैमिली बैकग्राउंड और जल्द ही अच्छी जॉब भी लग जाएगी, इसकी गारंटी थी, लेकिन किस्मत में दिल का सौदा करना नहीं लिखा था शायद। उसे देख कर मुझे तारक मेहता का उलटा चश्मा के पोपटलाल की याद आ जाती थी। सीरियल में पोपट अपनी शादी ना हो पाने की वजह से हताश रहता है, तो यहां मुन्नू को प्रेम करने वाली कोई कन्या नहीं मिल रही थी। उसे बार-बार हताशा के समंदर में गोते लगाते देख कर मैंने समझाने की कोशिश भी की थी, ‘‘यार मुन्नू, तुम ये दिल लेने-देने की बात औरों पर छोड़ दो। फिर दिल है क्या चीज, एक पंपिंग ऑर्गन ही तो है, यह धड़कता है, तो हम जिंदा हैं, वरना...’’

‘‘भैया, एेसे दिल का क्या फायदा, जो सिर्फ खुद के लिए धड़के। क्या आपका दिल भाभी के लिए नहीं धड़कता...’’ 

उसका तीर निशाने पर लगा था। सच में हम उसकी उम्र में कौन से साधु-संत बने अपनी पढ़ाई में लगे रहते थे। पिता जी को मुझ पर शक था या उनका यह हक था कि उन्होंने अपने एक सहकर्मी की सुंदर कन्या को अपनी पुत्रवधू बनाने का निश्चय कर लिया और मुझे बता दिया कि बेटा, इसी लड़की से तु़म्हारा ब्याह होगा, बस। इस तरह मेरी प्रेम कथा की स्क्रिप्ट बाद में लिखी गयी, पहले नायिका सलेक्ट कर ली गयी। फिर तो पूरे रीतिरिवाजों वाली ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से हमारे दिलों को एक-दूसरे में ट्रांसप्लांट किया गया। क्या किसी माई के लाल शादीशुदा पुरुष में दम है कि उसका दिल पत्नी के सिवा किसी और के लिए धड़के ! सो मेरा भी अपनी अर्धांगिनी के लिए धड़कता है। वैसे शादी के बाद प्रेम में जो मजा है, वह आजकल की जेनरेशन क्या जाने। अब तो शादी से पहले ही प्रेम के इतने गुल खिल जाते हैं कि बाद में शादी महज अौपचारिकता रह जाती है। 

खैर, उस दिन के बाद से हमने मुन्नू के प्रेम अनुसंधान में रुकावट बनने की कोई कोशिश नहीं की, बल्कि वक्त-बेवक्त उसकी हौसलाअफजाई ही करता रहा। स्कूल-कॉलेज के जमाने में मेरे निकम्मे दोस्त अपनी प्रेमिकाअों को लव लेटर तक ढंग से नहीं लिख पाते थे, मुझसे लिखवा कर ले जाते थे। मुझे आज भी खुद पर गर्व है कि मेरे लिखे प्रेम पत्रों का सक्सेस रेट बहुत हाई था। उस समय तक मोबाइल फोन का प्रचलन नहीं था कि वॉट्सएप पर ही प्रेम का संदेश भेजा जा सकता। मैंने अपनी इस दिल निचोड़ू पत्र लेखन विधा को मुन्नू की प्रेम कथा में भी आजमाने का सोचा हुआ था, लेकिन एक लड़की तो मिले उसे !

उन्हीं दिनों एक दिन हमारे पड़ोस का खाली पड़ा मकान गुलजार हो गया। एक भरीपूरी फैमिली उसमें किराए पर रहने आ गयी थी। सक्सेना जी और उनकी पत्नी, सक्सेना जी की बुजुर्ग मां और उनके संग दो बच्चे रोमा और रोहन। सुंदर स्मार्ट रोमा ने इसी साल कॉलेज में एडमिशन लिया था और उसका छोटा भाई रोहन नवीं क्लास में था। पड़ाेसी धर्म का निबाह करते हुए मैंने उन्हें अपने घर खाने पर बुलाया कि इसी बहाने दोनों फैमिलीज एक-दूसरे से परिचित हो लेंगी और आचार-व्यवहार बना रहेगा। इत्तफाक से उसी समय मुन्नू भी मेरे घर किसी काम से आया और उसकी नजरें रोमा से जा भिड़ीं। मैंने औपचारिकतावश मुन्नू को भी खाने के लिए रोक लिया। ऊपर से सब कुछ सामान्य था, लेकिन वो कहते हैं ना पहली नजर का प्यार, तो वह दो दिलों को सुलगाने लगा। मुन्नू का बार-बार रोमा की ओर देखना और रोमा का नजरें नीची कर लेना, यह सब मुझसे नहीं छिप पाया। तो बच्चू, लगता है इस बार तुम बाजी मार ही ले जाओगे।

खैर, दिन पर दिन बीतते रहे और उधर मुन्नू के दिल में रोमा नाम का प्यार का तूफान अंदर ही अंदर उमड़ रहा था। प्रेम की तलाश में इतनी नाकामियां झेल चुके मुन्नू की अपने प्रेम का इजहार करने की अभी तक हिम्मत नहीं हुई थी। उसकी देवदास सरीखी सूरत देख कर मुझसे रहा नहीं गया और पूछा कि आखिर क्या बात है। क्या रोमा ने भी उसे रिजेक्ट कर दिया?

‘‘नहीं भैया, रिजेक्ट तो वह तब करेगी ना, जब मैं उसे प्रपोज करूंगा। हिम्मत ही नहीं हो रही मेरी उससे बात करने की... क्या करूं?’’ 

मैं समझ गया, अब मेरे हुनर के इस्तेमाल करने का समय आ गया है। मैंने कहा, ‘‘फिकर नॉट, मुंह से नहीं बोल सकते, तो लिख कर अपना हाले दिल बयां कर दो।’’

‘‘पर क्या लिखूं, कुछ समझ नहीं आ रहा,’’ मुन्नू की हालत वाकई गंभीर थी। 

‘‘कोई बात नहीं बेटा, मेरा कमाल देख। मैं तुम्हें एेसा लव लेटर लिख कर दूंगा कि रोमा तुम्हें रिजेक्ट कर ही नहीं पाएगी,’’ मैं अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना नहीं चाहता था, पर कॉन्फिडेंस जो ना कराए।

लिखता हूं खत खून से स्याही ना समझना, मरता हूं तेरी याद में जिंदा ना समझना... जैसी रोमांटिक शायरी से लबरेज प्रेम पत्र जब मैंने लिख कर मुन्नू को दिया, तो मारे खुशी के वह मेरे गले में झूल गया। खत लिखने में सेफ्टी के तमाम तरीके बरते गए थे, यानी ना भेजने वाले का नाम, ना पाने वाले का नाम। पहचान का गुप्त रहना प्रेम पत्र की पहली शर्त है। 

एेन वेलेंटाइन डे से एक दिन पहले उसने अपना प्रेम पत्र रोमा को डिलीवर करने का प्लान बनाया, ताकि वेलेंटाइन डे के दिन उसे जवाब मिल जाए। ओह ! क्या सुखद कल्पना में खोया था मुन्नू। उधर मेरी लेखनी की इज्जत भी दांव पर लगी थी। मुन्नू के घर की दीवार राेमा के घर की चारदीवारी से सटी हुई थी। वह खत जैकेट में छुपाए चारदीवारी के पास घूमता रहा और जैसे ही उसे रोमा दिखी, उसने अपना खत उसे दिखा कर दीवार पर एक ईंट के नीचे दबा दिया और वहां से रफूचक्कर हो गया। रोमा ने वहां पहुंच कर अपना संदेशा पा लिया। अपना पत्र रोमा तक पहुंचा कर मुन्नू जवाब की आस में पलकें बिछाए रहा।

इंतजार की घड़ी देर से खिसकती है, पर खिसकती जरूर है। लेकिन किसे पता था कि वह इंतजार कयामत भी लानेवाला हो सकता है। खत तो रोमा को मिल गया और उम्र की कच्ची, दिल की बच्ची रोमा की समझ में नहीं आया कि इस नादान प्रेमी को क्या लिखे। खैर, उसने जवाब लिखा और उसी माध्यम से मुन्नू तक पहुंचा दिया, जिससे उस तक मुन्नू का खत पहुंचा था। 

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मुन्नू अपनी माशूका का खत पा कर सातवें आसमान पर था। रोमियो, मजनूं, फरहाद के बाद अब उसी का नंबर है, एेसी कल्पना में खोया वह खत को सीने से लगाए रहा। जब उसने वह जवाबी खत खोला, तो पहली पंक्ति ने ही उसके रोमांस को हवा कर दिया। लिखा था, ‘‘प्रिय भैया, आपका खत मिला... लेकिन...’’ आगे ना तो मुन्नू को पढ़ने का होश रहा, ना ही पढ़ने की जरूरत थी। 

उधर एक और भयानक गड़बड़ हो गयी। रोमा ने वह खत इस कदर संभाल कर रखा कि किसी की नजर ना पड़े। रोमा की मम्मी रोमा के कमरे में कुछ ढूंढ़ती हुई आयीं और ना जाने कैसे वह खत उनके हाथ लग गया। उन पर तो मानो पहाड़ ही टूट पड़ा। हे भगवान ! इस लड़की ने मुझे मुंह दिखाने के काबिल नहीं छोड़ा। और कौन है वह नासपीटा, जिसने मेरी फूल सी बच्ची को बहकाने का काम किया है। वे उस खत को ले कर अपनी अच्छी पड़ाेसिन यानी मेरी पत्नी के पास यह पता करने पहुंच गयीं कि देखो, पता नहीं मेरी बच्ची को कौन बहका रहा है। पत्नी ने देखते ही वह पत्र संभाल कर रख लिया, वह मेरी हैंडराइटिंग अच्छी तरह पहचानती है।

अब मैं लाख कोशिश कर रहा हूं कि पत्नीजी मेरी बात का विश्वास करें, लेकिन उनके बिगड़े मूड को मैं दुरुस्त नहीं कर पाया हूं। उनकी नजरों में छिपा हिकारत का भाव कि इस उम्र में एेसी ओछी हरकत... मुझे जीने नहीं दे रहा है। किसी की प्रेम कहानी को संवारने के चक्कर में मैं अपनी अच्छी-खासी शादीशुदा जिंदगी में पलीता लगा चुका हूं। मेरे लव लेटर का सक्सेस रेट हाई से गिर कर जीरो हो चुका है। उधर मुन्नू को भी रक्षाबंधन का इंतजार है, जब रोमा उसे राखी बांधेगी।