Thursday 04 February 2021 04:38 PM IST : By Deepti Mittal

लव यू पारोमिता (भाग-4)

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दो दिन बाद जब पारोमिता अस्पताल आयी, तो एक नया ही नज़ारा देखने को मिला। विशाल से कतरानेवाली शैली आज कैंटीन के कोने वाली सीट पर उसके साथ बैठी कॉफी पी रही थी। पारोमिता खुद को छिपाते हुए उनके पासवाली सीट पर जा बैठी, ताकि उनकी बातें सुन सके।

“भइया, हम एक-दूसरे को प्यार करते थे और दो महीने पहले ही हमने कोर्ट मैरिज की थी। शलभ आपको बताना चाहता था, पर वह डर रहा था कि पता नहीं आप कैसे रिएक्ट करेंगे। दे खिए, हमारा मैरिज सर्टिफिकेट, शादी की फोटो... सारे प्रूफ हैं मेरे पास... मैं सच में उसकी पत्नी हूं...” शैली भरे गले से कह रही थी और विशाल हैरानी से सारे डॉक्यूमेंट उलट-पलट कर देख रहा था।

शैली पर यकीन करने के सिवाय उसके पास कोई चारा नहीं बचा था। “ठीक है... वैसे भी शलभ कभी कहां मुझसे कुछ पूछ कर करता है, मां-पापा के जाने के बाद वह अपने मन का मालिक हो गया,” विशाल बड़बड़ाया।

“देखिए, मैं जानती हूं आप शलभ की कंपनी से मोटा हर्जाना लेने की कोशिश कर रहे हैं। अगर वह मिलता है, तो बीवी होने के नाते उस पर मेरा भी हक बनता है,” विशाल को झुका देख शैली ने अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी, जिसे सुन कर वह बौखला गया।

“ऐसे कैसे तुम्हारा हक बनता है... वैसे भी तुम तो पहले से ही उसके फ्लैट पर, बैंक अकाउंट्स पर कब्जा किए बैठी हो।”

“कौन से बैंक अकाउंट और फ्लैट... हम रेंटेड फ्लैट में रहते हैं और उसकी कोई सेविंग नहीं है। सारे पैसे तो वह आपके बिजनेस लॉस को रिकवर करने के लिए लगा दिया करता था।”

शैली ने आवाज ऊंची की, तो विशाल भी फट पड़ा, “झूठ है ये, उसने सालभर पहले ही अपना फ्लैट लिया है और मैंने उससे कभी कोई फाइनेंशल मदद नहीं ली... वह ऐसे झूठ बोलेगा मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था...”

शैली बिलबिला गयी, “मगर मैंने जब भी उससे कुछ पैसे मांगे, वह यही कहता कि मेरे पास पैसे नहीं बचते, फ्लैट का रेंट देना है, बाकी खर्चें हैं और जो कुछ थोड़ा-बहुत सैलरी से बचता है वह आपको बिजनेस जमाने के लिए दे देता है...”

उन दोनों की बातें सुन पारोमिता को यकीन हो चला था कि शैली ही शलभ की पत्नी है... जिसे उसने दुनिया से छिपा कर रखा था। मगर रितेश क्यों उसे आशना कह रहा था।

पारोमिता ने रितेश को फोन किया और एक बार शैली के बारे में बताया। सुन कर रितेश चौंक पड़ा, “मगर जब दो हफ्ते पहले मैंने उसे शलभ के फ्लैट पर देखा था, तो शलभ ने बताया था कि यह आशना है, मेरी दोस्त... मेरे साथ फ्लैट शेअर करती है... भला वह मुझसे क्यों झूठ बोलता?”

पारोमिता गुत्थियों को जितना सुलझाना चाह रही थी, उतना ही उलझती जा रही थी। इसी कश्मकश में वह तीन-चार दिन हॉस्पिटल नहीं गयी, वैसे भी अब उसका शलभ से पूरी तरह विश्वास उठ चुका था। पर आज जब डॉक्टर अनिमेष का फोन आया, तो वह हॉस्पिटल आने के लिए मना नहीं कर सकी।

आज रूम में शलभ के सिवा और कोई नहीं था। पारोमिता उसे एकटक देखने लगी, शलभ का मासूम चेहरा देख उसका दिल चाह रहा था कि उसे बांहों में भर प्यार कर ले, लेकिन दिमाग कुछ और ही गुबार समेटे था, जो बाहर रिसने लगा, “ यू नो शलभ, तुम्हारी यह हालत तुम्हारे अपने कर्मों का ही फल है... तभी तो तुम्हारी लाइफ में ऐसा कोई नहीं, जो तुम्हारे बारे में सोचे... तुम्हारा भाई, तुम्हारी बीवी... सबको तुम्हारे पैसो की पड़ी है, तुम्हारी नहीं... तुम मुझे धोखा दे रहे थे ना, देखो आज तुम्हें तुम्हारे अपनो से ही धोखा मिल रहा है...” पारोमिता भरी आंखों से वहां से जाने को मुड़ी, तो पीछे से एक आवाज सुन उसके कदम ठिठक गए...., “मेरा प्यार धोखा नहीं है, आई रियली लव यू मीता...”

मीता... यह नाम शलभ ने दिया था उसे... उनके निजी क्षणों में वह उसे इसी नाम से पुकारा करता था। फिर से यह नाम सुन पारोमिता हैरत, खुशी, गुस्से, की मिलीजुली भावनाओं से भर गयी। वह पलटी, तो शलभ उसे ठहरी नजरों से देख रहा था, जिनमें उसके लिए बेतहाशा प्यार झलक रहा था।

“ही इज एब्सोल्यूटली फाइन नाऊ”, पीछे खड़े डॉ. अनिमेष मुस्करा रहे थे। पारोमिता को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे रिएक्ट करे। “एक्चुअली, शलभ कल रात ही कोमा से बाहर आ गया था, मगर वह आपको सरप्राइज देना चाहता था इसलिए चुप रहा।”

“लेकिन डॉक्टर, अब तो यह रहस्य खोल दीजिए कि मेरी यह हालत किसकी वजह से हुई?” शलभ ने रिक्वेस्ट की।

“बताना क्या है, खुद ही देख लो...”

“वह कैसे?”

“दरअसल जब मुझे मर्डर की साजिश का शक हुआ, तो मैंने उसी दिन इस कमरे में कैमरे और हाई क्वॉलिटी वॉइस रेकॉर्डर लगवा दिए थे, ताकि जो भी यहां आए, जो भी बात हो, वह सब रेकॉर्ड हो जाए। मुझे पूरी उम्मीद थी कि वह इंसान इसे देखने या जिंदा देख दोबारा मारने जरूर आएगा...”

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“तो ऐसा हुआ?”

“हां हुआ,” डॉ. अनिमेष ने पारोमिता और शलभ के सामने वीडियो रेकॉर्डिंग चला दी। एक क्लिपिंग में दिखा कि आशना उर्फ शैली रूम में आयी और शलभ का हाथ पकड़ कर रोने लगी।

“शलभ, यह लड़की कौन है, शैली या आशना...? यह खुद को तुम्हारी पत्नी बताती है, सारे प्रूफ भी है इसके पास...”

“क्या!!” सुन कर शलभ चौंक पड़ा, “यह आशना है और सिर्फ मेरी एक दोस्त है... यह अपने बॉयफ्रेंड के साथ लिव इन में रहती थी। उन दोनों में किसी बात पर झगड़ा हुआ, तो रहने की जगह ढूंढ़ रही थी फाइनेंशियल क्राइसिस में भी थी इसलिए मैंने दोस्ती के नाते इसे कुछ समय के लिए अपने फ्लैट में रहने को बोल दिया था। इससे ज्यादा हमारे बीच कुछ नहीं है।”

“मगर रितेश तो इसे तुम्हारा लिव इन पार्टनर बता रहा था।”

“आशना को मेरे फ्लैट पर देख उसने ऐसा सोच लिया होगा... बट विलीव मी, यह सच नहीं है... और आजकल नकली मैरिज सर्टिफिकेट और झूठे फोटो बनवाना कौन सी बड़ी बात है...” शलभ ने क्लियर किया। वे आगे की रेकॉर्डिंग देखने लगे।

आशना रोते-रोते कह रही थी, “मुझे माफ कर दो शलभ, यह सब मेरी ही वजह से हुआ है, मगर गलती से.. वो प्रोटीन ड्रिंक मैंने अपने बॉयफ्रेंड के लिए तैयार किया था, ताकि वो कमीना मर जाए। उसके जिम ट्रेनर की मदद से मैं ये उसे पिलाने वाली थी मगर उस दिन तुम जल्दी घर आ गये और गलती से अपना ड्रिंक समझ कर उसे पी गए... बिलीव मी, यह महज एक्सीडेंट था... तुम तो मेरे इतने अच्छे दोस्त हो... मेरी इतनी मदद की, तुम्हारे साथ मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं...?”

यह सुन कर शलभ के होश उड़ गए, ”हे भगवान, यह सब आशना का किया धरा था... मैं उसे छोडूंगा नहीं।”

अगले दिन आशना दोबारा उसके रूम में आयी, इस बार वह थोड़ी नार्मल दिखी, “शलभ, वह मेरा जिम ट्रेनर फ्रेंड कर रहा था कि वे ड्रग्स इतनी हेवी हैं कि तुम बच नहीं पाओगे... तुम्हारे लिए मुझे बहुत अफसोस है। हो सके तो प्लीज मुझे माफ कर देना... एक बात के लिए और माफ कर देना... मुझे तुम्हारा इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए तुम्हारी पत्नी होने का नाटक करना पड़ेगा, मेरे पास यही एक तरीका है अपने फाइनेंशियल क्राइसिस से उबरने के लिए... यकीन मानो जब मैं तुमसे कभी उस दूसरी दुनिया में मिलूंगी, तो चाहे जो सजा दे देना, मगर अभी मेरे लिए ऐसा करना बहुत जरूरी है।”

सुन कर शलभ गुस्से से बड़बड़ाने लगा, “मुझे पहले ही उसके चालचलन पर शक हो गया था, जब देखो, बहाने बना कर पैसे मांगती रहती थी... पहले तो मैं देता रहा मगर फिर मैं भी बहाने बना कर टालने लगा कि रेंट भरना है, भैया को देने है... मगर यह तो मैं सोच भी नहीं सकता था कि इस भोली सूरत के पीछे एक कातिल छिपी है...।”

“पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त”, डॉ अनिमेष की रहस्यमयी मुस्कान में कुछ और राज छिपे थे, जो शलभ और पारोमिता को जानने थे।

क्रमशः