Monday 01 February 2021 02:56 PM IST : By Deepti Mittal

लव यू पारोमिता (भाग- 1)

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मल्टीनेशनल सॉफ्टवेयर कंपनी आईटी सॉल्यूशंस में सालाना अप्रेजल चल रहे थे। जाहिर सी बात है रेटिंग, प्रमोशन, वेतन बढ़ोतरी को ले कर कर्मचारियों और बॉस के बीच तीखी बहसें जारी थी। एक बहस कंपनी के चौथे फ्लोर पर सीनियर मैनेजर पारोमिता चैटर्जी के केबिन में भी चल रही थी, उसकी टीम के जूनियर इंजीनियर शलभ के साथ। लगभग आधे घंटे के बाद शलभ केबिन से बाहर आया और थोड़ी देर बाद बेहोश हो कर फ्लोर पर गिर पड़ा।

पूरे फ्लोर पर अफरातफरी मच गयी। पारोमिता भाग कर अपने केबिन से बाहर आयी और शलभ को उठाने की कोशिश करने लगी। उसे देख फ्लोर पर खुसरपुसर होने लगी। सब उसकी ओर ऐसे देख रहे थे जैसे इसकी जिम्मेदार वही हो, आखिरकार उससे हुई मीटिंग के बाद ही शलभ की ऐसी हालत हुई थी।

एंबुलेंस बुला कर शलभ को अस्पताल ले जाया गया। शाम को ऑफिस में खबर आयी कि वह कोमा में चला गया है। 30 साल का आकर्षक, हंसमुख, मेहनती इंसान जो बेहद हेल्थ कॉन्शस था और जिंदगी को खुल कर जीने में यकीन रखता था, उसके साथ ऐसा होगा, कोई सोच भी नहीं सकता था।

पिछले 15 दिनों में पुणे के इस आईटी हब में यह चौथी ऐसी दुर्घटना थी, जिसने सबको हिला दिया था। बहुत जल्द यह खबर आईटी प्रोफेशनल्स के बीच सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगी कि कैसे सॉफ्टवेयर कंपनियां कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ा कर उनका खून चूस रही हैं और जब प्रमोशन, वेतन बढ़ोतरी की बात आती है, तो दस बहाने बना कर उनका हक मार लेती हैं। इसीलिए कभी किसी इंजीनियर की आत्महत्या की खबर आती है, तो कभी बेहद कम उम्र में हार्ट अटैक की... आजकल आईटी प्रोफेशनल्स के स्ट्रेस के कारण ड्रिप्रेशन में जाने के केस भी सुर्खियां बन रहे थे... और आज शलभ के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ प्रतीत हो रहा था।

ऑफिस में माहौल गरम था। शलभ की बॉस पारोमिता और उसके बॉस अजिंक्य पाटिल के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थीं। यह सब ऑफिस प्रिमाइसिस में हुआ था इसलिए कंपनी का टॉप मैनेजमेंट उन पर सवाल खड़ा कर सकता था। 35 साल की बेहद स्मार्ट, कॉन्फिडेंट, ‘बोल्ड एंड ब्यूटीफुल’ आईटी मैनेजर पारोमिता जिसे कभी कोई समस्या हिला नहीं पायी थी, आज उसकी पेशानी पर भी शिकन थी, आंखें खौफज़दा थीं। अजिंक्य उससे मिलने आया, तो वह थोड़ा संभली।

“क्या हुआ था मीटिंग में, जो...?” अजिंक्य सीधे पाॅइंट पर आया।

“कुछ भी नहीं सर, सिंपल अपरेजल डिस्कशन था... नथिंग सीरियस,’’ पारोमिता के स्वर में घबराहट थी।

“देखो, क्या था, क्यों था, वह मैं नहीं जानता, मैं बस इतना जानता हूं कि कंपनी पर या मुझ पर कोई उंगली नहीं उठनी चाहिए, जरूरत पड़ी तो तुम्हें इसकी जिम्मेदारी उसे लेनी होगी।”

“मेरी जिम्मेदारी कैसे हुई सर! मैं वही रेटिंग देती हूं, जो आप कहते हो... वैसा ही अप्रेजल करती हूं जैसा आप करवाते हो... तो इनडाइरेक्टली जिम्मेदार आप हुए ना?” पारोमिता ने विरोध किया।

सुन कर अजिंक्य फट पड़ा, “इतनी भोली मत बनो, तुम्हारे और शलभ के बीच में क्या चल रहा था, मुझे सब पता है। कल रात मैं भी वहां था जब तुम दोनों...” अजिंक्य बात अधूरी छोड़ कर खामोश हो गया, उधर पारोमिता पसीने पसीने हो उठी।

पारोमिता एक ऐसे इम्तिहान से घिरा महसूस कर रही थी, जिसकी उसे ना तैयारी करने का मौका मिला था, ना ही उससे भागने का... एक तरफ शलभ की चिंता और दूसरी ओर अजिंक्य के तेवर... ऊपर से लोगों की उसकी ओर उठती उंगलियां... वह शलभ के साथ कैसे कुछ बुरा कर सकती थी, वह तो प्यार करने लगी थी उससे... कल रात दोनों एक रेस्तरां में साथ थे। अजिंक्य ने उन्हें वहीं देखा था।

उनके रिश्ते की शुरुआत सालभर पहले ‘वन नाइट स्टैंड’ से हुई थी, जब दोनों दो सप्ताह के लिए लंदन गए थे। वहां एक क्लाइंट प्रेजेंटेशन था, जो बेहद सफल रहा था। उसी को सेलिब्रेट करने दोनों पब गए थे और जब लौटे, तो नशे की खुमारी में पूरी रात एक-दूसरे की बांहों में गुजार दी।

उस रात जो कुछ हुआ था, वह मन और भावनाओं से परे, सिर्फ शारीरिक था... शायद यह लंदन की उन्मुक्त हवा का असर था या उनकी जरूरत, अगली सुबह दोनों ने इस गलती को बिना झिझक और ग्लानि के स्वीकार लिया। दोनों में एक मौन समझौता हो चला था, इस हसीन गलती को जारी रखने का। दोनों अकसर ऑफिशियल विजिट के बहाने, सबसे छिप कर साथ वक्त गुजारने लगे।

हालांकि दोनों ने शुरुआत में निर्णय लिया था कि उनका रिश्ता ‘ओनली फॉर फन’ होगा उसमें इमोशंस, लव जैसी चीजों की कोई जगह नहीं होगी लेकिन जो सोचते हैं, वैसा कहां हो पाता है कभी... कल रात शलभ ने उसे घुटनों पर आ कर प्रपोज किया था कि कैसे यह ‘फन रिलेशनशिप’ उसके लिए प्यार बन चुका है, वह उसे दिल की गहराइयों से चाहने लगा है और उसके साथ पूरी जिंदगी बिताना चाहता है। हालांकि पारोमिता भी शलभ के लिए ऐसे ही जज्बात महसूस करने लगी थी फिर भी डर गयी थी वह... समाज से, परिवार से, अपनी बदनामी से... ऊपर से शलभ उससे 5साल छोटा था...

पारोमिता ने दोटूक मना कर दिया कि वह ऐसा नहीं कर सकती... और अगर यह रिश्ता उसके लिए इमोशनल प्रॉब्लम बन रहा है, तो बेहतर है वे इस रिश्ते को यही समाप्त कर दें। मगर शलभ कहां माननेवाला था, वह तो किसी ज़िद्दी पागल प्रेमी की तरह बेकरार हो उठा और सबके सामने पारोमिता को बांहों में भर लिया... उसने शलभ को बड़ी बेदर्दी से परे झटका तो वह जैसे बिखर गया था।

आज ऑफिस में उनके बीच इसी बात को ले कर वापस गहमागहमी हुई थी। शलभ ने कह दिया था, अब वह उसके बिना नहीं जी पाएगा और उसी के बाद वह ऑफिस में बेहोश हो गया था... यानी शलभ की गुनहगार वही है?

पारोमिता अपनी ही उलझनों में कैद थी तभी उसके केबिन का दरवाजा खुला। “मे आई कम इन मैम?” एक नवयुवक था।

“मैं रितेश हूं, शलभ का दोस्त... इसी फ्लोर पर स्विस बैंक प्रोजेक्ट में हूं। आपसे कुछ जरूरी बात करना चाहता हूं... शलभ के बारे में...” यह सुन कर पारोमिता ने उसे बैठने को कहा।

“आई नो मैम, शलभ के साथ जो हुआ और जो बाहर बातें चल रही हैं... उससे आप बहुत परेशान हैं, पर मैं आपको यही कहने आया हूं कि जरूरी नहीं यह स्ट्रेस ऑफिशियल हो... पर्सनल भी तो हो सकता है...” रितेश पारोमिता की घबराहट को भांपते हुए बोला। वह तो इसी चाहत से आया था कि इस वक्त पारोमिता की कमजोर नस काबू कर उसकी ‘गुड बुक्स’ में शामिल हो जाए और उसका प्रोजेक्ट जॉइन कर ले। फिर वह भी उसका वरदहस्त पा कर शलभ की तरह खूब तरक्की करेगा।

“एक्च्युअली मैम, शलभ की एक लिव इन पार्टनर है, आशना। शलभ ने मिलवाया था एक बार.... मुझे तो देखने में बड़ी तेज लगी थी, पता नहीं शलभ उसके चक्कर में कैसे फंस गया... जरूर उन दोनों के बीच कोई बात थी, जिसके तनाव की वजह से शलभ कोलेप्स कर गया... आपका नाम तो यों ही बेकार में उछल रहा है...” रितेश बोलता जा रहा था मगर पारोमिता जैसे बर्फ सी जम गयी थी... लिव इन पार्टनर?

क्रमशः