Wednesday 03 February 2021 04:28 PM IST : By Deepti Mittal

लव यू पारोमिता (भाग-3)

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एक ही दिन के भीतर इतने प्रहार झेल चुकी पारोमिता बिखरने लगी थी, जिसे मां ने बड़े प्यार से संभाल लिया। उसने हिम्मत बटोर कर खुद को फिर खड़ा किया और सबसे पहले ऑफिस से हफ्तेभर की छुट्टी ली, फिर साइबर क्राइम सेल में उसके फोटो वायरल करनेवाले इंसान के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। इसके बाद उसने हॉस्पिटल जा कर शलभ को देखने का निर्णय लिया, क्योंकि वहीं से उसे अपने सारे सवालों के जवाब मिल सकते थे।

रूम में पहुंच कर देखा, तो शलभ किसी लाश सा बेजान पड़ा हुआ था। उसकी हालत देख पारोमिता का गुस्सा कुछ पिघलने लगा मगर उसने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया। शलभ के पास उसका बड़ा भाई विशाल बैठा था, जो डॉक्टर से शलभ की हालत का जायजा ले रहा था। पारोमिता को अजिंक्य की केसवाली बात याद आयी, तो उसने मास्क और स्कार्फ से अपना चेहरा छिपा लिया कि कहीं विशाल जान ना ले कि वह शलभ की बॉस है।

विशाल ने उसे देखा, तो उसका परिचय जानना चाहा। पारोमिता के मुंह से हकलाते हुए ‘आईटी सॉल्यूशन...’ निकला, जिसको विशाल गलती से ‘आईटी यूनियन’ सुन बैठा और इसी बात का फायदा पारोमिता ने उठा लिया।

“मुझे आपका ही इंतजार था मैडम, खुद ही देख लीजिए, कंपनी वालों ने क्या हाल कर दिया मेरे भाई का... और उसकी बॉस! वह तो समझो डायन है। खूब काम कराना, बात-बात पर जॉब से फायर करने की धमकी देना... उसने मेरे भाई को इतना टॉर्चर किया कि वह बेचारा संभल नहीं पाया....” विशाल पारोमिता को बहुत ज्यादा ड्रामेटिक अंदाज में शलभ की कहानी सुनाने लगा, “सच कहूं, तो मैं पुलिस केस करने की सोच रहा था, मगर मैं खुद एक मामूली बिजनेसमैन हूं, ना मेरे पास इतना समय है, ना ही पैसा कि पुलिस के चक्कर में पडूं... पर मुझे आपकी यूनियन से बड़ी उम्मीद है आप ही मेरे भाई को न्याय दिलाइए...”

विशाल के झूठ सुन कर पारोमिता शॉक रह गयी, मगर वह अपनी पहचान नहीं उजागर कर सकती थी, बोली, “क्या चाहिए आपको... कंपनी का माफीनामा... बॉस का रेजिग्नेशन?”

“इनका मैं क्या करूंगा मैडम, मुझे तो हर्जाना चाहिए। मेरे भाई की हालत बहुत खराब है... फिर ये बड़े-बड़े मेडिकल बिल्स... मुझे आप इसके इलाज के लिए किसी तरीके से 5 करोड़ का हर्जाना दिलवा दीजिए।”

“मगर 5 करोड़ तो बहुत ज्यादा हैं?” विशाल की डिमांड सुन पारोमिता के होश उड़ गए।

“मल्टीनेशनल आईटी कंपनी के लिए 5 करोड़ कुछ भी नहीं... अगर कंपनी की वजह से उसकी ऐसी हालत हुई है, तो हर्जाने की जिम्मेदारी भी उसकी ही बनती है...” पारोमिता सब चुपचाप सुनती रही।

विशाल एक फोन अटेंड करने रूम से बाहर चला गया। तभी शलभ के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिमेष पारोमिता के पास आ कर खड़ा हो गए, “सुनिए, मुझे आपसे कुछ बात करनी है।”

“कहिए,” पारोमिता ने कहा।

“मैंने मि. विशाल की बातें सुनी। मगर यह सही नहीं है, शलभ की यह हालत किसी मेंटल स्ट्रेस या फिजिकल इलनेस से नहीं हुई... एक्चुअली आई डाउट कि उसे मारने की कोशिश की गयी है... बहुत प्लानिंग से सोचा-समझा मर्डर अटेंप्ट था यह....” सुन कर पारोमिता के होश उड़ गए।

“मर्डर अटेंप्ट!! ” पारोमिता चौंक पड़ी।

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“शलभ की ब्लड रिपोर्ट में कुछ ऐसे प्रतिबंधित हेवी ड्रग केमिकल्स मिले हैं, जिनकी ओवरडोज से इंसान के नर्वस सिस्टम पर अटैक होता है, उसका ब्रेन प्रभावित होता है, यहां तक कि मर भी सकता है... शलभ फिजिकली स्ट्रॉन्ग था इसलिए झेल गया। अगर उसकी जगह कोई और होता तो नहीं बचता...” पारोमिता को विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई शलभ जैसे हंसमुख, फ्रेंडली इंसान का मर्डर करने की सोच सकता है, उसकी मौत से किसी को क्या फायदा हो सकता है...? लेकिन कोई तो है, जिसे फायदा होगा... कौन है वह, शैली... विशाल या कोई और...

अगले दिन एक नयी गुत्थी के साथ पारोमिता डॉ. अनिमेष के सामने खड़ी थी। “डॉक्टर, आपको मर्डर अटेंप्टवाली बात मि. विशाल को बतानी चाहिए थी, वे शलभ के भाई हैं... हो सकता है उन्हें उस इंसान का कुछ सुराग पता हो...”

“मैंने कोशिश की थी, मगर उन्होंने उल्टा मुझे ही चुप रहने को कह दिया। पारोमिता जी, मुझे लगता है उनको इस बात में इंटरेस्ट ही नहीं है कि शलभ के साथ क्या हुआ, कैसे हुआ...उनकी मंशा तो सिर्फ उसकी कंपनी से हर्जाना वसूलने में लगती है।”

“क्या?’’ सुन कर पारोमिता सन्न रह गयी। वैसे एक बात पूछूं, फिर आपने मुझे ही यह बात क्यों बतायी?”

“क्योंकि मैंने देखा जब आप शलभ के रूम में आयी थीं, तो शलभ की नजरें आपकी ओर घूमी थीं। उसकी आंखों में ऐसे इमोशन आए थे, जो किसी अपने, बेहद भरोसेमंद इंसान के लिए होते हैं... यह उसमें पहला साइन ऑफ इंप्रूवमेंट था इसलिए मुझे लगा कि यह बात शेअर करने के लिए आप ही सही इंसान हैं।”

“साइन ऑफ इंप्रूवमेंट? यानी... उसके जल्द कोमा से बाहर आने की उम्मीद है।”

“हां है... इसलिए मैं चाहूंगा कि आप ज्यादा से ज्यादा समय उसके पास बैठें, उससे बातें करें...”

“वैसे, यह बात तो आपको शलभ की वाइफ से कहनी चाहिए... शायद उसकी कंपनी में शलभ ज्यादा इंप्रूव करे।”

“वाइफ...” डॉ. अनिमेष ने रहस्यमयी मुस्कान फेंकी और कुछ क्षण चुप्पी साध ली, “वह यहां कम ही आती है और मि. विशाल के सामने तो बिलकुल नहीं आती। मुझे लगता है, वे उन दोनों की शादी के बारे में नहीं जानते...”

‘ओह, सीक्रेट अफेअर की तरह सीक्रेट मैरिज...’ पारोमिता ने ठंडी सांस छोड़ते हुए सोचा।

“खैर छोडिए, एक बात और ध्यान रखनी है आपको, शलभ की हालत में सुधार हुआ है, यह बात आपके सिवाय किसी दूसरे को पता नहीं चलनी चाहिए... ना भाई को, ना वाइफ को... ना ही किसी और को... वरना उसका दुश्मन सतर्क हो जाएगा और उसकी जान फिर खतरे में आ जाएगी...” पारोमिता को समझ नहीं आ रहा था कि डॉक्टर शलभ के भाई और बीवी से ज्यादा उस पर इतना भरोसा क्यों कर रहा है? फिर भी उसने डॉक्टर से इस बारे में चुप रहने का वादा कर लिया।

“ठीक है डॉक्टर, जैसा आप कहें, वैसे एक बात पूछूं, आप शलभ को इतना फेवर क्यों कर रहे हैं...?”

“क्योंकि मैं जानता हूंं उसे, हमने साथ बहुत से मैराथन इवेंट्स में भाग लिया है। या तो वह जीतता था या मैं... वहीं हममें दोस्ती हुई थी। ही इज ए नाइस मैन...”

“फिर तो आप अपने दोस्त के मेडिकल बिल में कुछ कंसेशन दिला सकते हैं... देखिए ना, मिस्टर विशाल कितने परेशान हो रहे हैं... वैसे मैं भी बिल पेमेंट में शेअरिंग कर सकती हूं।”

“उसकी कोई जरूरत नहीं, मैं यहां का मेन न्यूरो सर्जन हूं और मेरी रिकमंडेशन पर शलभ का सारा ट्रीटमेंट फ्री ऑफ कॉस्ट हो रहा है...” डॉ. अनिमेष ने हंसते हुए कहा।

सुन कर पारोमिता हैरान रह गयी, फिर मि. विशाल क्यों मेडिकल बिल पेमेंट के लिए हर्जाने की बात कर रहे थे... यानी ये पैसे वे अपने लिए हड़पना चाहते हैं... और वह मर्डर अटेंप्टवाली बात भी हजम कर गए, वरना एक भाई होने के नाते उनका खून खौल जाना चाहिए था... उन्हें पूरी कोशिश करनी चाहिए थी कातिल को पकड़ने की... कहीं वे खुद ही तो...? पारोमिता एक और सवाल से घिर गयी थी।

क्रमशः