Tuesday 29 September 2020 03:33 PM IST : By Poonam Ahmed

मोही : भाग-2

Mohi-1

देव अौर मोही मोहब्बत के खेल में अपने-अपने पासे फेंक चुके थे, बाजी भी खूब जम रही थी, अब देखना यह है कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा।
मोही सुबह देर से सो कर उठी। संडे था, उसने पूरा दिन मन ही मन प्लानिंग में बिता दिया कि कैसे क्या करना है। मंडे अॉफिस अा कर अपनी प्लानिंग के हिसाब से प्रशांत की सेक्रेटरी स्टैला को गुड मॉर्निंग बोला। स्टैला को उसकी पसंद की चीजंे खिला-खिला कर दोस्ती पक्की करने में मोही को कुछ ही दिन लगे। मोही को देव के बारे में पता करना था। प्रशांत के हर प्रोग्राम की खबर स्टैला को रहती थी।
एक दिन लंच करते हुए स्टैला ने कहा, ‘‘प्रशांत सर की वाइफ बाहर गयी हुई हैं, अाज तो वे शाम को अपने दोस्त देव सर के साथ एंजॉय करेंगे।’’
मोही के कान खड़े हुए, लापरवाह से अंदाज में पूछा, ‘‘अच्छा, कौन दोस्त।’’
‘‘अरे, वही देव सर। अाज वे यहीं अा रहे हैं, दोनों यहीं से साथ निकलेंगे।’’
‘‘हूं...’’ प्रत्यक्षतः मोही ने इतना ही कहा। शाम को सब घर जाने के लिए उठ गए, मोही काम करती रही।      
स्टैला ने पूछा, ‘‘क्या हुअा। चलना नहीं है...।’’
‘‘मेरी तबीयत कुछ सुस्त है, इस काम को निपटा  लूं, कहीं ऐसा ना हो, कल छुट्टी लेनी पड़े।’’
अब अॉफिस में मोही अौर कुछ दूर बैठे एक-दो लोग ही काम कर रहे थे। प्रशांत अपने केबिन में था। काम करते-करते जब मोही ने कनखियों से देव को अाते देखा, तो उसके दिल की धड़कनें तेज हो गयीं। अाअो देव चौधरी, तुम्हारा ही इंतजार था। देव ने भी मोही को दूर से देख लिया था, पर उसे पूरी तरह इग्नोर करता हुअा सीधा प्रशांत के केिबन में चला गया। प्रशांत अौर देव सहपाठी भी रहे थे। वे दोनों बातें कर ही रहे थे कि मोही ने दरवाजे पर दस्तक दी, प्रशांत के अंदर बुलाने पर भोली सी सूरत बना कर मोही बोली, ‘‘सर, यह प्रेजेंटेशन अभी पूरा कर दिया है।’’
‘‘अरे, तुम अभी तक घर नहीं गयीं, यह तो कल भी कर लेतीं तो ठीक था। मीटिंग के लिए 2 दिन हैं हमारे पास।’’
‘‘बस सर, सोचा इसे अभी पूरा कर लेती हूं।’’
‘‘अोह, वेरी गुड ! मोही, कम, जॉइन अस, हैव अ कॉफी।’’
‘‘थैंक्स सर, अभी नहीं।’’
‘‘अच्छा, हम भी निकल रहे हैं, चलो, तुम्हें ड्रॉप कर दें।’’
‘‘अोके सर, थैंक्स।’’
अचानक प्रशांत ने कहा, ‘‘अरे, इनसे मिलो, मेरा बेस्ट फ्रेंड, देव।’’
मोही ने देव को बहुत ही िशष्टतापूर्वक ‘हेलो’ बोला। देव ने उस पर सरसरी सी नजर डालते हुए हल्का सा मुस्करा कर हेलो कहा। मोही को निराशा सी हुई पर अभी बहुत मौके अाएंगे, सोच कर वह वहां से निकली। प्रशांत अौर देव भी जाने के लिए उठ गए। प्रशांत एक खुशमिजाज, मिलनसार बॉस था, उसने ही बात शुरू की, ‘‘तो मोही, मुंबई में एडजस्ट हो गयी। अभी अकेली ही रहती हो या घर से कोई अाता रहता है।’’
‘‘अकेली ही हूं सर, मेरा कोई है ही नहीं।’’
‘‘अोह,’’ अब देव ने मुस्करा कर कहा, ‘‘इसका मतलब है, वी अार सेलिंग इन द सेम बोट।’’
मोही ने पूछा, ‘‘मतलब अाप भी अकेले रहते हैं। अापकी फैमिली?’’
‘‘फैमिली है, पर दूर।’’
अॉफिस परेल में था। मोही को रास्ते में माहिम उतारते हुए देव को 10 मिनट ही लगे। जाती हुई मोही को देव ने अपना कार्ड दिया, ‘‘यह मेरा कार्ड रख लें, फिर मिलेंगे।’’ 
‘‘अोह, श्योर, थैंक्स,’’ कह कर मोही मोहक मुस्कान बिखेर चली गयी।
घर अा कर मोही ने विजयी भाव से देव का कार्ड पढ़ा, बार-बार पढ़ा। यह कार्ड मिलना उसकी प्लानिंग के पहले कदम की सफलता थी।
देव ने रोज की तरह घर अा कर शिखा से बात की। फिर सोने लेटा तो मोही के बारे में सोचने लगा, ‘बहुत खूबसूरत है, मुझे चोरी-चोरी देखती है, मुझसे इंप्रेस्ड है, पर अभी मुझे उसे इग्नोर करना है। जानता हूं जितना किसी लड़की को इग्नोर किया जाए, वह उतना ही पीछे अाती है। मोही, तुम ही मुझे काॅन्टैक्ट करोगी, किसी भी बहाने से, तुम ही करोगी।’
अौर एक दिन सचमुच मोही को देव को फोन करने का बहाना मिल ही गया, जब स्टैला ने उसे बताया कि अाज प्रशांत सर देव सर के बर्थडे पर डिनर पर जा रहे हैं। मौका पा कर मोही ने देव को फोन मिलाया। देव को मीठे स्वर में बर्थडे विश करते हुए कहा,‘‘सर, मैं मोही।’’
‘‘थैंक्स अ लॉट, पर सॉरी, मुझे याद नहीं अा रहा, कौन मोही?’’
‘‘प्रशांत सर के अॉफिस में, अाप दोनों ने मुझे उस दिन ड्रॉप भी किया था।’’
‘‘अरे, हां-हां, याद अाया, मोही ! अाप कैसी हैं? अापको मेरा बर्थडे कैसे पता चला।’’
‘‘बस सर, अभी अॉफिस में ही पता चला, तो सोचा अापको विश कर दूं।’’
‘‘थैंक्स अगेन, मोही, अाप भी अा जाअो अाज डिनर पर।’’
‘‘नहीं, थैंक्स सर, फिर कभी।’’
‘‘नहीं, अब अापको मेरा बर्थडे डिनर मेरे साथ करना ही है, ऐसा करते हैं कि इस संडे डिनर साथ ही करते हैं।’’
‘‘अोके सर, ठीक है, मिलते हैं।’’
‘‘गुड बाय, सी यू अॉन संडे। मैं लेने अा जाऊंगा, अाप मुझे अपना एड्रेस वॉट्सएप पर भेज देना।’’
 फोन रख कर मोही ने एक गहरी सांस ली। बस, अब खेल शुरू हुअा मोही, पर संभल कर, यह अादमी बहुत तेज है। खैर, मैं कौन सी कम हूं, रुड़की जैसे छोटे शहर के किस्से में ही इतना थ्रिल था, फिर यह तो मुंबई का मेरा कारनामा है। इतनी बड़ी चीज को नचा कर क्या एंटरटेनमेंट होगा, माई गॉड, क्या मजा अानेवाला है, मोही शर्मा, कीप इट अप।
संडे लंच करके मोही वर्ली के फेमस महंगे ब्यूटी पार्लर में गयी, शाम को देव को चित करने की पूरी तैयारी थी। खूबसूरत चेहरा, परफेक्ट फिगर, ऊपर से नीचे तक नजर ना हटनेवाले सारे पैमानों पर खरे उतरते मनमोहक हथियारों से लैस मोही जब देव की कार में बैठी, तो देव गाड़ी अागे बढ़ाना ही भूल गया।
मोही ने मुस्करा कर जब हेलो कहा, तो देव की तंद्रा भंग हुई।
‘‘हेलो मोही, यू अार लुकिंग स्टनिंग।’’
‘‘थैंक्स सर,’’ मोही ने शर्माते हुए कहा। देव के महंगे परफ्यूम में खोयी मोही को देव की नजराें से अपनी तैयारी की सफलता का सिगनल मिल गया था। देव उससे बातें करता रहा, दोनों का पूरा रास्ता नए-नए परिचय की रोमानी सी खुमारी में बीत गया।
ताज होटल के सी लाउंज में काफी एकांत था अौर वे दोनों खिड़की के पास एक टेबल पर बैठ गए।                                                                                         
मोही यहां पहली बार अायी थी, सब कुछ मनमोहक सा लगता रहा। उसकी नजरें भी देव से हटने को तैयार नहीं थी, इतना हैंडसम, स्मार्ट बंदा सचमुच उसके दिल में जैसे उतरता जा रहा था। देव ने हर चीज मोही की पसंद की अॉर्डर की, खाते हुए दोनों में दूरियां मिटती रहीं। वहां से उठने तक बहुत सी बातों के बाद दोस्ती की सीमा में कदम रखते हुए दोनों कुछ अौर करीब अा गए थे, अांखों ही अांखों में काफी कुछ पैगाम लिए दिए जा चुके थे। वापसी में मोही को उसकी सोसाइटी के बाहर छोड़ कर जाते हुए देव ने फिर पूछ लिया, ‘‘मोही, अगले संडे मिलोगी।’’ मोही मुस्करा दी, ‘‘हां, जरूर।’’
मोही रातभर खुशी के मारे सो ही नहीं पा रही थी, कितना अासान है किसी पुरुष को अपनी अदाअों से गुलाम बनाना ! बेचारा पुरुष कितनी भी ऊंचाई पर पहुंच जाए, लड़की के साथ का लोभ छोड़ नहीं पाता, चाहे मैरिड ही हो। अब मर्द की यही फितरत है, तो मैं क्यों ना फायदा उठाऊं !
अाज देव बहुत उत्साहित था, ‘लड़की भोली भी लगती है, समझदार भी। इतनी देर में कोई गलत हरकत नहीं की, मर्यादित सी लगी। हां, उसकी नजरों में मेरे लिए पसंदगी है, उसके दिल में मेरे लिए यकीनन कुछ खास है। मैं देव चौधरी हूं, मुझे कब किस लड़की ने ‘ना’ कहा है। मोही का साथ अाज मुझे नयी उमंगों से भर रहा था, चलो, अब कुछ दिन मजे से कटेंगे बीतेंगे। दिन ही नहीं, यकीनन रातें भी,’ देव ने खुद ही से कह कर एक ठहाका लगाया।
अॉफिस में पूरा हफ्ता मोही का मूड बड़ा अच्छा रहा, अपना काम मन से किया, सहकर्मियों के साथ खूब अच्छी तरह बातें कीं।
अगले संडे देव उसे मूवी दिखाने ले गया। मूवी के सभी रोमांटिक सीन के दौरान देव एक बहुत मर्यादित दूरी रख कर धीर-गंभीर सा रहा। वह जानता था कि लड़कियों को क्या इंप्रेस करता है। मोही भी जानती थी कि देव उसे शरीफ बन कर दिखा रहा है। दोनों अपने मन में एक रोचक खेल खेल रहे थे।
मूवी के बाद देव मोही को एक महंगे रेस्टोरेंट में ले गया। डिनर करते हुए अाज अात्मीयता अौर बढ़ी, देव ने अपनी फैमिली के बारे में भी बताया। वह जानता था यह लड़की पहले से जानती तो है ही कि वह मैरिड है। यह छोटे शहर से अायी लड़की है, इसके दिमाग में कुछ अौर चलता है, इसे मेरे मैरिड होने का फर्क पड़ता, तो यह मेरे सामने बैठी ना होती। पर देव को हैरानी हुई जब पेमेंट के टाइम मोही ने कहा, ‘‘सर, अाज अाप नहीं, प्लीज मुझे पेमेंट करने दें।’’
देव ने अनायास ही मोही के हाथ पर हाथ रख दिया, ‘‘नहीं, मोही, बिलकुल नहीं, मेरे साथ होते हुए अाप िबलकुल पेमेंट नहीं करेंगी।’’
मोही को देव के हाथ के इस स्पर्श में बहुत कुछ लगा। अचानक हुई उस छुअन में ऐसा लगा मानो शरीर में अनगिनत फूलों की खुशबू बस गयी हो।
देव ने ही पेमेंट किया, तो मोही ने कहा, ‘‘अापको भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी। अाप मुझे अाप नहीं कहेंगे, बस तुम कहेंगे।’’
‘‘फिर तुम भी मुझे सर नहीं, देव कहोगी।’’
दोनों के बीच की दूरियां दिन पर दिन कम होने लगीं। अब करीब रोज ही दोनों एक-दूसरे को फोन करने लगे। दोनों के कदम नयी दिशा में तेजी से बढ़ने लगे। एक दिन देव ने मोही को फोन किया, ‘‘तुम्हें देखने का मन हो रहा है, अॉफिस के बाद बाहर मिलता हूं, कहीं कॉफी पीते हैं।’’
‘‘ठीक है,’’ कह कर मोही अपने अापको मन ही मन शाबाशी देती रही।
दोनों एक कैफे में साथ काफी देर बैठे। फिर देव ने कहा, ‘‘मेरे घर चलोगी। वहीं डिनर अॉर्डर करेंगे, कुछ देर अौर साथ रहते हैं।’’
मोही ने सोचने का अभिनय किया, फिर झिझकते हुए बोली, ‘‘नहीं, फिर कभी, अाज फिर लौटने में रात हो जाएगी, सुबह अॉफिस है, वीकेंड पर मिलें।’’
‘‘तो ठीक है, वीकेंड पर मेरे घर अा जाअो, एड्रेस भेज दूंगा।’’
वीकेंड का इंतजार देव से ज्यादा मोही को था। बिलकुल वही हो रहा था, जो वह चाहती थी, देव पूरी तरह उसकी गिरफ्त में था। वह समझता है कि वह मोही को कुछ दिन यूज करेगा, मन भर जाएगा तो छोड़ देगा। बेवकूफ को यह नहीं पता कि मोही अपने अापको यूज करवा रही है।
शनिवार को मोही देव की सोसाइटी गुलमोहर पहुंची। देव ने मोही का वेलकम जोरशोर से किया। मोही खुश हुई। अचानक देव ने मोही को अपनी अागोश में भींचा, वह भी सिमट अायी। कुछ ही पलों के सामीप्य में अव्यक्त स्निग्धता अौर चंचल भावनाअों के भाव अंकुरित हो उठे थे। देव ने धीमे से स्वर में कह ही दिया, ‘‘मोही, अाई लव यू।’’

mohi-2


जवाब में बस मोही ने देव के कंधे पर सिर रख दिया। दोनों कुछ देर उस मौन का अानंद लेते रहे। अब कोई संकोच ना रहा। दोनों ने पास ही सोफे पर बैठ कर जूस पिया, फिर देव ने कहा, ‘‘अाअो, तुम्हें अपना फ्लैट दिखाता हूं।’’ मोही उठ गयी, शानदार फ्लैट में मोही को अपना अगला ठिकाना साफ-साफ नजर अा रहा था।
देव ने अपना बेडरूम दिखाते हुए पूछा, ‘‘अाराम करोगी थोड़ी देर।’’ मोही सकुचायी सी खड़ी रही, बेडरूम में अागे के दृश्य की कल्पना कर चुकी थी। वह कुछ कहे, इससे पहले उसका हाथ पकड़ कर देव ने उसे बेड पर बिठाया। वह कसमसा उठी, देह का भी अपना संगीत, अपना एक राग होता है, तारों को कसने पर झंकार तो पैदा होनी ही थी। फिर वह भी उसकी बांहों में बंधी झरने के पानी की तरह बहती चली गयी।
थोड़ी देर बाद दोनों ने डिनर अॉर्डर किया। होम डिलीवरी होने तक दोनों अब अाराम से लेटे ही रहे। डिनर के बाद मोही ने घर जाने का उपक्रम किया, तो देव ने कहा, ‘‘छोड़ो मोही, कल जाना।’’
 ‘‘पर सुबह अापकी मेड अाएगी, तो वह अापकी फैमिली को भी कभी बता सकती है ना।’’
‘‘उससे मैं निपट लूंगा, शिखा यहां जल्दी नहीं अानेवाली, मैं ही अभी जाता रहूंगा।’’
रात मोही ने देव के फ्लैट पर ही बितायी। दोनों मन ही मन अपने-अपने शिकार के जाल में फंसने पर बेहद खुश थे। मेड के अाने से पहले मोही एक दिन पहले के कपड़े पहने तैयार थी। देव ने गंभीर स्वर में मेड से कहा, ‘‘ये मेहमान हैं, अाती-जाती रहेंगी, इनके लिए भी ब्रेकफास्ट बना दो।’’
मेड लता ने एक नजर मोही पर डाली। मुंबई में ऐसे मेहमानों का उसे पूरा-पूरा अाइडिया था। उसने देव के फ्लैट पर ऐसी मेहमान पहले भी तो देखी थीं।
कई हफ्ते ऐसे बीते, देव अौर मोही अब फ्राइडे से संडे रात तक साथ ही रहते, यहां तक कि मोही के पास देव के घर की एक चाबी भी रहने लगी थी। देव को मोही में एक अलग बात यह लगी कि पिछली लड़कियां सचमुच पैसों के लिए उसके पास अाती थीं, लेकिन मोही उसे सबसे अलग लगती थी, सादगी पसंद, घरेलू, अपने ऊपर एक पैसा खर्च नहीं करवाती थी। देव उससे कुछ ज्यादा ही जुड़ता जा रहा था। मोही का रात-दिन का साथ उसे सचमुच भाने लगा था। मोही ने उसे खुशी-खुशी लखनऊ भेजा था अौर लौटने पर उसकी फैमिली की कुशलक्षेम भी शालीनता से पूछी थी। मोही ने देव को यह महसूस करवा ही दिया कि उसे देव से सचमुच प्यार है, वह उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती।
एक वीकेंड पर मोही को उदास देख कर देव ने उसे बांहों में भरते हुए पूछा, ‘‘इतनी उदास क्यों हो, मोही?’’
‘‘अाप मुझसे शादी करेंगे?’’ मोही कहते हुए देव के कंधे पर सिर रख कर सिसक उठी।
देव के जैसे करेंट लगा, ‘‘क्या कह रही हो ! मैं मैरिड हूं।’’
‘‘यह तो मैं जानती ही हूं, बस मेरी खुशी के लिए,’’ मोही ने सारा प्यार उंड़ेल दिया जैसे।
‘‘पर यह गैरकानूनी है, मेरी एक इमेज है, मैं किसी भी कीमत पर अपनी इमेज खराब नहीं कर सकता, ना लखनऊ में, ना यहां।’’
‘‘मैं किसी को भी नहीं बताऊंगी देव, अाई प्रॉमिस, अापके बारे में कोई जान ही नहीं पाएगा। मैं बताऊंगी ही नहीं कि मेरी शादी किससे हुई है, मेरा इस दुनिया में कोई है ही नहीं। मेरे जो हैं अाप ही हैं, बस मैं इसमें ही खुश रहूंगी कि मैं अापसे जुड़ गयी,’’ कहते-कहते देव के गले में मोही ने बांहें डाल दी। उसके युवा शरीर की तपिश के अागे देव की चालाकियां धरी की धरी रह गयीं। उसने भी मोही के इर्दगिर्द अपनी बांहें फैला दीं, कहा, ‘‘सोचता हूं।’’
मोही का मासूम चेहरा, मीठी अावाज, युवा तन, मनमोहक अदाएं, सब देव के विवेक पर भारी पड़ी। कुछ दिन बाद ही देव के ‘हां’ कहते ही मोही अासमान में जैसे उड़ने लगी। एक मंदिर में दोनों ने शादी भी कर ली।
अॉफिस में सब हैरान रह गए जब सुंदर अौर अलग ढंग से सजीधजी मोही ने मिठाई का डिब्बा अॉफर करते हुए कहा, ‘‘सब लोग प्लीज मुंह मीठा करो, मैंने शादी कर ली।’’
‘‘क्या !’’ समवेत स्वर से अॉफिस गूंज उठा, ‘‘अरे, किससे, कब, अचानक।’’
‘‘है कोई, बेहद शानदार,’’ मोही हंसी।
रिया ने पूछा, ‘‘क्या नाम है, क्या करता है।’’
‘‘दिलीप, बड़ा बिजनेसमैन है, यहीं रहता है वैसे अकसर फॉरेन टूर पर रहता है।’’
सबके सवालों का जवाब मोही ने गजब के अात्मविश्वास से दिया। अॉफिस में सबने पार्टी का शोर मचाया, तो मोही ने वीकेंड पर सबको ताज होटल में डिनर पर इन्वाइट किया, सबको बड़ी हैरानी हुई।
अब मोही देव के साथ ही रहने लगी थी। अपने फ्लैट से जरूरी सामान ले अायी थी। तन, मन, धन से मोही के नशे में गिरफ्त देव ने अपने रुपए, पैसे, वैभव के रास्ते खोल दिए थे। मोही ने रात को मासूमियत से अॉफिस के लोगों की पार्टी मांगने की बात कही, तो देव सोच में पड़ गया। मोही ने कहा, ‘‘अाप परेशान ना हो, मैं कह दूंगी कि अापको अचानक विदेश जाना पड़ा, मैं मैनेज कर लूंगी। मैं अापको परेशानी नहीं होने दूंगी। अकेली थी, मुंबई में कितना मुश्किल था, अापका साथ मिल गया, तो जैसे जी उठी हूं। देव, अाई लव यू सो मच।’’
देव सोचने लगा, ‘यह मुश्किल तो बड़े अाराम से हल हो गयी, मुझे पिक्चर में कहीं अाना ही नहीं है, यह तो पार्टी भी मैनेज कर लेगी। क्या फर्क पड़ता है, जैसे यह जी रही है, जी ले, मेरा क्या नुकसान हो रहा है, मेरे दिन-रात तो वैसे ही हसीन गुजर रहे हैं जैसा मैं चाहता था। इसे तो मेरे पैसे की भी जरूरत नहीं होती, इसे कोई लालच ही नहीं है, अपना कमाती है,’ प्रत्यक्षतः बोला, ‘‘मोही, यह कार्ड रख लो, पार्टी का पूरा पेमेंट इसी से करना, अपना खर्च भी इसी से करना, मेरा भी कुछ फर्ज बनता है। अाखिर पत्नी हो मेरी,’’ कह कर शरारत से देव उस पर झुक गया, तो मोही हंस दी।
पार्टी से पहले मोही लोअर परेल में पलैडियम मॉल में शॉपिंग के लिए गयी, गजब की महंगी डिजाइनर ड्रेस खरीदी, एक डायमंड सेट भी खरीदा, लुइ बिट्टोन की चप्पल। घर अा कर चेहरा दुखी करके बोली, ‘‘सॉरी देव, मैंने बहुत खर्च कर दिया।’’
‘‘अरे, नयी-नयी दुलहन हो, इतना तो बनता है, कमाल की लगोगी पार्टी में।’’ पार्टी में मोही किसी सेलेब्रिटी से कम नहीं लग रही थी। सबने उसके पति के बारे में पूछा, तो उसने मुस्कराते हुए कहा, ‘‘उन्हें अचानक टूर पर जाना पड़ा है।’’ सबको जैसे हैरत का एक झटका सा लगा। मोही ने अच्छे होस्ट की तरह सबका खूब ध्यान रखा। सब हैरान तो थे, पर पार्टी भी अच्छी चल रही थी। इस महंगी जगह सब लोग अब तक अाए भी नहीं थे। 
अगले दिन मोही ने अॉफिस से छुट्टी ली। अॉफिस में सब पूरा दिन यही बात कर रहे थे।
िस्मता ने दबे स्वर में कहा, ‘‘दूल्हा तो बड़ा बिजनेसमैन लग रहा है, भाई ! मोही के रखरखाव ही बदल गए, कल ड्रेस अौर ज्वेलरी देखी थी।’’
पूरा दिन सबका ध्यान मोही पर ही अटका रहा, नकुल ने कहा, ‘‘देखते हैं, फेसबुक पर मोही ने कुछ पोस्ट किया है क्या।’’ सब नकुल के लैपटॉप पर झुक गए, ‘‘हां-हां, देखना जरा।’’
रिया बोली, ‘‘फोटो तो पोस्ट की है, पर दूल्हे राजा की तो बैक ही दिख रही है।’’ तीन-चार फोटो मोही ने देव के साथ इस तरह पोस्ट की थी कि लगे वह किसी पुरुष के साथ है, पर उस पुरुष का चेहरा कहीं नहीं दिखता था। सब उस दिन मोही की हरकतों पर हैरान भी थे, हंसे भी बहुत।
देव ने कुछ ही दिनों में काफी परिवर्तन नोट किए। वह अब धड़ल्ले से शॉपिंग करती, पहले की मितभाषी, मितव्ययी मोही का यह दूसरा ही रूप अब देव के सामने था। लड़कियों पर पैसे उसने पहले भी उड़ाए थे, पर मोही के जलवे उसे अलग महसूस हुए थे।
फिर अचानक एक ऊंची उड़ान भरी मोही ने, तब देव कुछ परेशान हुअा। मोही ने कहा, ‘‘सोच रही हूं, एक सी फेिसंग फ्लैट ले लें।’’
देव चौंका, ‘‘क्या ! जरूरत ही नहीं, यह फ्लैट है ना।’’
‘‘नहीं, मेरे नाम से।’’
‘‘पर क्यों?’’ देव को बड़ा झटका लगा।
‘‘बस,  ऐसे ही मूड हो अाया मेरा।’’     
‘‘यह मुंबई है मेरी जान, यहां यों ही मूड होने से फ्लैट नहीं लिया जाता, सी फेसिंग करोड़ों का होगा।’’
‘‘हां, पता है। अाजकल प्रॉपर्टी साइट्स ही तो देख रही हूं अौर अापके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है,’’ कहते-कहते मोही ने हमेशा की तरह देव पर अपनी वही अदाएं, शोखियां दिखायीं कि देव की बोलती बंद हो गयी। पर अाज देव अचानक मन ही मन चौकन्ना हुअा। अब दोनों के तथाकथित विवाह को 8 महीने बीत रहे थे।
दिनभर मोही देव को प्रॉपर्टी के कई लिंक्स भेजती। देव का दिमाग अब चकराने लगा, अब वह चेता, चौकन्ना हुअा। अब तक मोही अपने पुराने फ्लैट पर जाती, कुछ सामान रखती, उठाती रहती, उसका किराया खुद भरती। मेड लता पर मोही की खास इनायतें थीं। क्यों थीं, कैसी थीं, कब से हो गयी थीं, इसकी खबर देव को नहीं लग पायी थी।
मोही ने अपने नाम से फ्लैट लेने की जिद पर अब जब देव चौकन्ना हुअा, मोही के साथ शारीरिक संबंधों से मिले अानंद को एक तरफ रख बाकी चीजें सोचने लगा, तो उसे स्थिति की गंभीरता समझ अायी। नहीं, सब कुछ इतना सिंपल नहीं है, जितना वह सोच रहा है। इस समय अॉफिस में बैठे-बैठे अचानक तनाव में घिरा उठ कर इधर से उधर टहलने लगा। मोही के फोन पर अाज पहली बार उसके माथे पर त्योरियां उभरीं। जैसे ही देव ने हेलो कहा, मोही ने कहा, ‘‘देव, मैं अापके अॉफिस पहुंच रही हूं, मैंने एक फ्लैट पसंद किया है।’’
देव कुछ कहे, इससे पहले ही मोही ने फोन काट दिया। देव को पहली बार उस पर गुस्सा अाया। देव के मना करने के बावजूद पहले भी मोही एक-दो बार अॉफिस अा चुकी थी, इसलिए देव की सेक्रेटरी रीमा ने उसे अंदर भेज दिया। मोही ने अाते ही कहा, ‘‘चलो देव, अाप भी फ्लैट देख लो, मुझे बहुत पसंद अाया है।’’
अपनी नाराजगी मन में रखते हुए देव ने कहा, ‘‘पर मोही, जरूरत क्या है?’’
‘‘जरूरत नहीं, मेरी इच्छा है कि एक फ्लैट अाप मेरे लिए लो।’’
‘‘पर फ्लैट तो है ना, जिसमें हम रहते हैं।
‘‘कभी तुम्हारी फैमिली अा गयी, तो मैं कहां रहूंगी।’’
देव कहीं अंदर अब सचेत था, बोला, ‘‘मोही, अाज नहीं, कुछ दिन बाद देखेंगे। अभी मुझसे मिलने एक नया डिस्ट्रीब्यूटर अानेवाला है, मैं नहीं जा सकता अभी।’’
‘‘अोके, बाद में चलेंगे,’’ कह कर शराफत से मुस्करायी मोही। थोड़ी देर बाद मोही चली गयी। जैसे ही वह देव के केबिन से निकली, रोमा का फोन अाया, ‘‘सर, मिस्टर परिमल अा गए हैं।’’
करीब 35 वर्षीय परिमल ने अा कर शिष्टतापूर्वक अपना परिचय दिया, फिर थोड़ा संकोचपूर्वक पूछा, ‘‘एक्सक्यूज मी सर, अगर अाप बुरा ना मानें, तो एक बात पूछ सकता हूं।’’
‘‘श्योर, पूछिए।’’
‘‘अभी-अभी जो निकल कर गयी हैं, उनका नाम मोही शर्मा है।’’
देव को जैसे करेंट सा लगा, यह नया डिस्ट्रीब्यूटर कैसे जानता है इसे, ‘‘अाप जानते हैं उन्हें।’’
‘‘जी, मैं भी रुड़की से हूं अौर मोही भी वहीं से मुंबई अायी है।’’
परिमल के सर्द, गंभीर से स्वर से देव के चेहरे पर हवाइयां सी उड़ गयीं...
अागे पढ़ें ः मोहब्बत के खेल में किसका पलड़ा भारी था, देव का या मोही का...