Wednesday 23 September 2020 11:29 PM IST : By Poonam Ahmed

मोही : भाग-1

हुस्न की मल्लिका मोही अौर दिलफेंक देव के बीच मोहब्बत के खेल का मुकाबला क्या रंग लाएगा, यह जानना वाकई दिलचस्प रहेगा।

Mohi-1


पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी, लॉन में चारों अोर पेड़ों अौर सलीके से कटी झािड़यों पर टंगी छोटे-छोटे बल्बों की झालरें जैसे ऊपर खुले अासमान में जगमगाते सितारों से होड़ ले कर टिमटिमा रही थीं। यह पार्टी जुहू पर समुद्र किनारे फाइव स्टार होटल के बड़े से लॉन में चल रही थी। एक कॉर्नर में अपने दोस्तों के साथ खड़ी यौवन के मद में डूबी, गौरवर्णा, सुगठित देहयष्टि, सुंदर नैन-नक्श, मॉडर्न, स्मार्ट, सुंदर भावपूर्ण अांखोंवाली मोही पर जिसकी नजर भी एक बार पड़ रही थी, वह दोबारा जरूर देख रहा था। उसके घने काले केश कमर पर बलखाते, इतराते से हवा में छेड़छाड़ कर डोल रहे थे। यह पार्टी मोही के अॉफिस के सीनियर प्रशांत शर्मा की मैरिज एनिवर्सरी के मौके पर थी। प्रशांत अपने जिन पुरुष मित्रों के साथ खड़े थे, उनमें से एक पर मोही की उड़ती-उड़ती नजर पड़ी, तो मोही उनकी पर्सनेलिटी से मन ही मन प्रभावित हुई। बेहद स्मार्ट, हैंडसम उस व्यक्ति को जब मोही बार-बार देखने लगी, तो उसके एक सहकर्मी विनय ने उसकी नजरों का पीछा किया अौर हंस पड़ा, पूछा, ‘‘किसे देख रही हो, मोही। वह बड़ी ऊंची चीज है।’’
मोही पहले तो झेंप गयी, फिर हंस पड़ी, ‘‘कौन हैं ये।’’
‘‘वह है देव चौधरी, अाई. डी. मल्टीनेशनल का बड़ा नाम, ऊंची चीज है, अपने प्रशांत सर का बड़ा अच्छा दोस्त है।’’
‘‘हूं,’’ इतना ही कह मोही फिर अपने ग्रुप में व्यस्त हो गयी। वह अपने दोस्तों के साथ प्रत्यक्षतः तो व्यस्त थी, पर अब इतनी सावधानी से देव को देख रही थी कि विनय की तरह फिर कोई पकड़ नहीं पाए। देव जंच गया था मोही को। वह खुद एक अच्छे पद पर थी, पर मुंबई जैसे महानगर में भीड़ में भी खुद को अकेली ही पाती थी। छोटे से शहर से पढ़-लिख कर यहां अपनी मेहनत से पहुंच तो गयी थी, पर भविष्य के रंगारंग सपने जो अभी तक उसकी अांखों में भरे थे, पूरे होने बाकी थे।
पार्टी में अॉफिस के लोगों के एक ग्रुप की बातचीत का केंद्र मोही ही थी। अमिता धीरे-धीरे कह रही थी, ‘‘यह अाज मोही को हुअा क्या है, अॉफिस में तो अलग ही मूड में रहती है, यहां तो अाज सबसे मिक्स होने की बड़ी कोशिश कर रही है। यार, मैं इसे समझ ही नहीं पाती, कभी बहुत रिजर्व रहती है, कभी एकदम खुली किताब।’’
अंशुल ने कहा, ‘‘खुली किताब नहीं है यह, जितनी बाहर दिखती है, उतनी ही अंदर है यह। सीधी-सादी तो बिलकुल नहीं है, यह बहुत ही पहुंची हुई चीज है।’’
सच ही था, वह लंच तो अॉफिस में सबके साथ ही करती, हंसती-बोलती भी, पर उसने अपने चारों अोर एक जादुई घेरा सा बना रखा था, जिसे कोई लांघ नहीं पाता था, लड़का हो या लड़की। ये सब फेसबुक पर भी मोही के फ्रेंड्स थे अौर हैरान होते थे कि मोही कितनी सिंपल है, अकेली रहती है, कोई बॉयफ्रेंड नहीं। बस अकेले घूमती-फिरती है, सीनरीज के ही फोटोज पोस्ट करती रहती है।
अौर मोही, मोही यों ही नहीं बन गयी थी। रुड़की के अाम परिवार की तीसरी संतान मोही के पास अपने बचपन की कोई खूबसूरत याद तो थी भी नहीं। बड़े भाई-बहन शाश्वत अौर ममता को पालने का शौक हमेशा लड़ते-झगड़ते माता-पिता शेखर अौर मालिनी पूरा कर ही चुके थे। फैमिली में मोही ने हमेशा खुद को अनचाहा सा महसूस किया था। दिमाग तेज था, मेहनत से पढ़ती रही। मोही पर अासपास के पुरुष चाहे पिता हों या भाई, अच्छा प्रभाव नहीं छोड़ पाए थे।
भाई के अावारापन से उसे नफरत महसूस होती। बड़े होते-होते वह जान गयी कि शाश्वत के कितनी लड़कियों से संबंध हैं। यहां तक कि एक बार शाश्वत ने मोही के साथ भी अश्लील हरकत की, तो मोही ने अपनी मम्मी से िशकायत की। मां ने उसे ही चुप रहने के लिए कहा अौर शाश्वत को एक झिड़की ही दी, मोही के क्रोध का ठिकाना नहीं रहा था। ऐसे अनगिनत अनुभव ले कर जब मोही बड़ी हुई, तो अब वह अाज इस तरह की पहेली थी, जिसे समझना किसी के बस की बात नहीं थी। पुरुष प्रधान समाज में उसे कैसे जीना है, अपनी शर्तों पर, अपने हिसाब से, त्रिया चरित्र से, अपनी कमियों, खूबियों का फायदा कैसे उठाना है, समझ गयी थी। अौर अब बारी देव चौधरी की थी, जो सपने में भी नहीं सोच सकता कि उसके साथ क्या होनेवाला था।
मोही अपने किराए के फ्लैट में अकेली रहती थी। रात को अपने फ्लैट में अाने तक देव चौधरी उसकी अांखों में बसा रहा। मन ही मन सोच रही थी, पर्सनेलिटी तो कमाल की थी, बंदे में कुछ बात तो थी। मन देव में ऐसा उलझा था कि घर अाने पर वहां हर तरफ छाया सन्नाटा अाज अौर भी डसता सा लगा। इस महानगर में कितनी अकेली है वह ! उसे कोई अपना चाहिए, जो उसे भरपूर प्यार करे, उसका अकेलापन दूर कर दे। देव चौधरी उसे चाहिए, मन में अावाज अायी, क्यों? देव ही क्यों? उसने अपना सिर झटक दिया, इंसान के पास हर क्यों का जवाब नहीं होता। अांखों में नींद का नामोनिशान नहीं था, कहां ढूंढे़ देव चौधरी को, कैसे मिलेगी उससे, उसके बारे में अौर कैसे पता करे। मोही का दिमाग बहुत तेज था। उसे याद अाया, प्रशांत सर फेसबुक पर उसके फ्रेंड भी हैं अौर फोटो पोस्ट करने के बहुत शौकीन हैं, अाज की पार्टी की फोटोज वे जरूर शेअर करेंगे। वहीं किसी फोटो में उसे देव चौधरी जरूर दिखायी देगा। वह बेचैन सी अपने फ्लैट में इधर से उधर यों ही घूमती रही।
अगले दिन संडे था, वह देर से उठ सकती थी। संडे को उसकी मेड भी 10 बजे तक अाती थी। बस उसे देव चौधरी की कोई खबर मिल जाए, तो वह सोए। फिर उसने लैपटॉप अॉन कर लिया, फेसबुक खोला। उसके अनुमान के मुताबिक प्रशांत ने पार्टी की सब फोटोज पोस्ट कर दी थीं। कुछ फोटोज में वह भी थी अौर उसे कई में प्रशांत के साथ देव भी दिख गया। देव को प्रशांत ने कई फोटो में टैग भी किया हुअा था। मोही अपलक फोटो को निहारे जा रही थी, अपने से काफी साल बड़ा तो लगा उसे, पर ठीक है। मोही के मन को जो जंच गया, वह जंच गया, सोच कर वह मुस्करा उठी। अपने फोन से उसने देव की फोटो भी ले ली, बस अब देव चौधरी मोही का हुअा। मोही ने देव की प्रोफाइल पर जा कर सब जांच-परख भी कर ली। एक जगह उसका दिल थमने को हुअा जब देखा, वह तो विवाहित था। पर कहीं भी उसकी फैमिली की फोटो नहीं थी। उसके स्टेटस बहुत कुछ उसके बारे में पर्सनल तो बता रहे थे कि वह कहां सैर पर जाता है, उसे क्या पसंद है, बहुत कुछ, पर फैमिली की कहीं कोई बात नहीं। देव की हर पोस्ट उसे याद होती जा रही थी। उसकी प्रोफाइल से उसकी सारी जन्मपत्री मोही जान चुकी थी। अंदाजा हो गया कि वह मोही से 10-12 साल बड़ा तो है, पर मोही को इसमें कोई अापत्ति नहीं थी।
दिल को कुछ तसल्ली हुई, तो वह लैपटॉप बंद कर सोने लेटी। फोन में ली देव की फोटो को मुस्करा कर गुड नाइट कह अांखें बंद कर ली। लेटे-लेटे वह सोच रही थी कि फेसबुक भी क्या कमाल की चीज है, कुछ ही पलों में सारी खबरें, फोटो परिवार, दोस्तों यहां तक कि अजनबियों के साथ भी शेअर हो जाते हैं, जैसा कि अभी मेरे साथ हुअा। फोटो में तो देव ठीकठाक इंसान लगा, मैरिड है, ठीक है, देखते हैं। मोही के मन में जो विचार अाते थे, अाम इंसान तो वहां पहुंच ही नहीं सकता था, इतनी जल्दी तो बिलकुल नहीं। उसने अंदाजा लगाया कि बंदे ने यह तो लिख दिया है कि वह विवाहित है, पत्नी, बच्चों के बारे में कहीं कुछ नहीं लिखा। अौर जो इतनी पोस्ट करता है, वह सबका ध्यान अपनी तरफ खींचना भी पसंद करता है। मतलब विवाहित जीवन के बारे में बताना जरूरी नहीं समझता है। पर्सनल गतिविधियों की जानकारी लगातार देता है, इंसान दिलचस्प होगा, देखते हैं।
वह अपनी सोच में लगातार डूबी थी। दिमाग में यही चल रहा था कि फेसबुक पर इंसान, उसके दोस्त अौर उसकी पसंद की पड़ताल करने पर उसके चरित्र का नब्बे प्रतिशत खुलासा हो जाता है। अपने मौलिक विचार को अाकार देते हुए मार्क जुकेरबर्ग ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि उसके दिमाग की उपज फेसबुक मेरे जैसी लड़की के इतना काम अाएगी, ‘थैंक्यू जुकेरबर्ग’, मोही हंस पड़ी। मन ही मन कहा, ‘देव चौधरी, तुम तो गए काम से।’
मोही को अपना नया खेल शुरू करने से पहले अाज फिर वह किस्सा याद अा गया था जब उसने रुड़की के कद्दावर नेता निरंजन को अपने सामने हाथ जोड़ते, मिमियाते देखा था। उसकी लाइफ का यू टर्न ही तो था वह किस्सा। अतीत याद कर स्वयं पर ही गर्वित मोही की खूबसूरत अांखें फिर रहस्यमयी भावनाअों से भर उठीं। वह जिन राहों पर निकल चुकी थी, वहां से लौटना असंभव था।  
होटल से जब देव अपने घर चला, तो कार चलाते हुए मुस्कराए जा रहा था। शराब के सुरूर में अांखों के अागे बार-बार हसीं साया सा लहरा रहा था। कौन थी वह पार्टी में, जो घुटनों तक का वनपीस पहने कयामत ढा रही थी। उसके खूबसूरत बाल बार-बार उसके चेहरे पर अा रहे थे, तो मन कर रहा था उसके बाल गरदन से पीछे करते हुए जा कर उसके चेहरे को अपने पास लाऊं, उसकी अांखों में झांक कर देख लूं। सुंदर सी वह लड़की मेरे दिल को भा गयी है। ऊपर से नीचे तक जैसे एक सांचे में ढला शरीर देव के दिमाग में अटक गया। उसे बांहों में भर कर प्यार करने को दिल कर रहा है, यह सब सोचते हुए देव जोर से हंस पड़ा, स्वयं से ही बातों में मगन था। पूरी पार्टी में सबसे मजेदार बात यह रही कि वह भी मुझे चोरी-चोरी देख रही थी। उसे क्या पता कि कोई लड़की अगर चोरी-चोरी भी देव चौधरी को निहारती है, तो देव चौधरी को पता चल जाता है। देव इस फील्ड का शातिर खिलाड़ी जो है। चलो, अब घर जा कर उस कयामत की कुंडली निकालते हैं। अौर इसमें मेरा यार प्रशांत ही मेरी हेल्प करेगा। पार्टी खत्म होते ही वह पहले फेसबुक पर फोटो पोस्ट करेगा, फिर घर जाएगा अौर उनमें वह खूबसूरत बला मुझे जरूर दिखेगी, इसमें कोई शक नहीं।
पूरे रास्ते देव अपने िदल में उठती उस लड़की को पाने की ख्वाहिश के तीव्र अावेग को महसूस करता रहा। घर पहुंच कर फ्रेश हो कर लैपटॉप अॉन किया। यह बहुत पॉश सोसाइटी में टू बेडरूम फ्लैट था। बहुत ही खूबसूरत, अाधुनिक साजसज्जा से युक्त इस फ्लैट में देव अकेला रहता था। एक मेड उस फ्लैट के सारे काम निपटा कर सुबह ही चली जाती थी।
पुरुष की अाम मानसिकता का प्रतिनिधित्व करनेवाले देव के जीवन के कई पहलू थे, जिन्हें कोई भी पूरी तरह जान नहीं पाया था। मुंबई में वह इस बड़ी कंपनी में ऊंचे पद पर 10 साल से था। पर्याप्त धन-वैभव, सुगठित शरीर, पुरुषोचित सौंदर्य ऐसा कि जिसकी भी नजर पड़ती, प्रभावित हो जाता। शराब अौर शबाब इन 2 चीजों की उसके जीवन में खास जगह थी। अौरत उसके लिए बस बिस्तर की चीज थी। जिस पर भी कभी उसका दिल अाता, उसे अपने बेडरूम तक ही ला कर छोड़ता। अपनी बाताें अौर अपने व्यक्तित्व का पूरा फायदा उठाते हुए अब तक ना जाने कितनी लड़कियों से संबंध बना चुका था, जिसकी किसी को भी कभी भनक नहीं लग पायी थी। अॉफिस में उसकी छवि बेदाग थी। एक कर्मठ, सच्चरित्र इंसान की छवि थी। उसका मानना था कि इस बात से उसे किक मिलती थी कि वह किसी भी लड़की से संबंध रख कर जब जी चाहे, उससे येनकेन प्रकारेण जान छुड़ा सकता है अौर बेदाग छवि ले कर फिर जीवन में अगले िशकार पर निकल सकता है। सारी ऐय्याशियों के बाद भी सब उसे अच्छा ही समझते रहे, यही उसके जीवन का रोमांच था। अॉफिस में वह अलग देव होता, नए हुस्न के साथ अकेलापन मिलते ही नया देव खड़ा हो जाता।
वह विवाहित था। उसकी पत्नी शिखा अौर 2 बच्चे उसके पेरेंट्स के साथ लखनऊ में रहते थे। देव अपने घर जाता रहता, उसका पारिवारिक जीवन उसके मुंबई के लाइफस्टाइल से बिलकुल अलग था। घर जाता, तो पत्नी, बच्चों, पेरेंट्स पर इतना प्यार, सम्मान लुटाता कि वे कभी कोई शिकायत कर ही नहीं पाते थे। जब भी शिखा को उसके पेरेंट्स मुंबई साथ रखने के लिए जोर डालते, उसका जवाब होता, ‘‘मैं मुंबई में रहता ही कितने दिन हूं, टूर पर ही तो रहता हूं, वहां अकेले इतने बड़े शहर में ये लोग परेशान ही होंगे।’’
शिखा सीधी-सादी पति की बात माननेवाली युवती थी, पढ़ी-लिखी थी, पर अपने कंफर्ट जोन में रहनेवाली। देव जब-जब शिखा के साथ होता, उसके अागे-पीछे दीवानावार घूमता। प्रत्यक्षतः वह पत्नी पर दिलोजान से मोहब्बत लुटानेवाला पति था। जितने रात-दिन शिखा के साथ बिताता, मुंबई में दूर रहने की सारी कसर पूरी कर देता। शिखा उसके प्यार में डूबी देव के फिर अगली बार अाने का इंतजार करती। दोनों हमेशा वॉट्सएप, फोन पर संपर्क में रहते। देव उसे 2-3 बार मुंबई 10 दिन के लिए ले गया था। खूबसूरत दिन गुजरते, शिखा को भी लगता कि देव टूर पर ही तो रहता है। कुछ दिन पूरे जोशोखरोश के साथ बिता कर, शिखा पर अपना बेइंतहा प्यार लुटा कर देव उसे वापस लखनऊ भेज देता। अचानक शिखा का फोन अा गया, देव ने पहली घंटी में ही झट से उसका फोन उठाया।
‘‘कहां हो देव। कितने फोन किए, घर अा गए ना। कैसी रही पार्टी?’’
देव ने प्यारभरे स्वर में कहा, ‘‘हां, बस अभी अाया हूं, वहां शोर में फोन सुना नहीं। सॉरी, तुम्हारे बिना कोई पार्टी अच्छी नहीं लगती, सब बोरिंग लगता है। प्रशांत ने बुलाया था, बस हाजिरी दे अाया।’’
‘‘अोह, अाई लव यू देव।’’
‘‘मी टू, डियर, मां, पिता जी, बच्चे कैसे हैं?’’
‘‘सब अच्छे हैं, अरे, हां, यही बताने के लिए फोन कर रही थी कि बच्चों का रिजल्ट बहुत अच्छा अाया है, दोनों अपनी क्लास में फर्स्ट अाए हैं।’’
‘‘अरे वाह, इन सबका क्रेडिट तुम्हें ही जाता है, डियर, अाई एम प्राउड अॉफ यू, शिखा तुमने वहां सब संभाल रखा है तभी मैं यहां निश्चिंतता से काम कर पाता हूं। तुम्हारे जैसी पत्नी पा कर मैं बहुत खुश हूं, लव यू स्वीटहार्ट !’’
शिखा खिल उठी, ‘‘थैंक्यू, देव।’’
‘‘गुड नाइट,’’ कह कर देव ने फोन रख दिया। उसने फोन रख कर अांखें बंद कीं, शिखा को याद किया। उसके लिए शिखा विश्वास की प्रतिमूर्ति थी, एक प्रतिमा थी, जिसे वह दिल में बिठा सकता था। लेकिन देव जीवन चाहता था, हलचल चाहता था, अपनी नसों में गरम खून का मादक प्रवाह चाहता था।
देव ने एक पेग बनाया, अाराम से तकियों का सहारा ले कर फेसबुक खोला, देखते ही हंस पड़ा, ‘यह प्रशांत भी ना, इसके फोटो पोस्ट करने की भी हद है। खैर, अाज इसके इस शौक से मेरा बहुत फायदा होगा।’ उत्साह से 2 बड़े घूंट लगाते ही उसके मुंह से अाह निकली, ‘यस, यह रही, अोह ! तो नाम है मोही शर्मा। प्रशांत ने कुछ फोटोज में मोही को टैग किया हुअा था, देव ने मोही का प्रोफाइल खोल लिया, ‘वाह, यह तो प्रशांत के अॉफिस में ही है। अकेली रहती है, अनमैरिड है, छोटे शहर की है, बस अौर क्या चाहिए। मोही शर्मा, बहुत सुंदर हो यार। एक फोटो में उसे मोही का यौवन उन्माद का प्रतिबिंब सा लगा। वह मौन भाव से मोही के सौंदर्य को निरखता रहा। नशे में डूबे देव ने लैपटॉप पर झुक कर मोही के चेहरे को छुअा। ‘अब तुम इस घर में जल्दी ही मेरे साथ होगी, मोही ! मेरे साथ मुझसे लिपटी, मेरी बांहों में, मेरे प्यार में धुत,’ देव बाकी फोटोज भी देखने लगा। अचानक देव जोर से हंस पड़ा, ‘‘अोह मोही ! तुमने मेरी प्रोफाइल देखी है, तुम्हें तुम्हारी प्रोफाइल से जान चुका हूं मैं। मजा अाएगा, तुम सेर तो मैं सवा सेर। अाअो मोही, मेरी रंगीन दुनिया में तुम्हारा स्वागत है, वेलकम टू द डेविल्स डैन...’’
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