Tuesday 21 June 2022 02:52 PM IST : By Deepika Dixit

विश्व योग दिवस पर जानें कि महिलाओं के लिए कौन से योगासन हैं खास

एक महिला के पास ना केवल सुंदरता और कोमल स्वभाव होता है, बल्कि उसमें अपार सहनशक्ति भी होती है। इन सबसे ऊपर, प्रकृति ने महिलाओं को मातृत्व की जिम्मेदारी दी है। वास्तव में आनेवाली पीढ़ियों का स्वास्थ्य महिलाओं के मानसिक और शारीरिक कल्याण पर निर्भर करता है। महिलाओं का स्वास्थ्य कैसे बेहतर रहे, इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है। 

जैविक रूप से, एक महिला के जीवन चरणों को बचपन, यौवन (किशोरावस्था), यौन परिपक्वता (प्रजनन आयु), क्लाइमेक्टेरिक अवधि और पोस्ट-क्लाइमेक्टेरिक (वृद्धावस्था) वर्षों में विभाजित किया जाता है। 

प्रत्येक चरण में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिनमें से कुछ शारीरिक लक्षणों के रूप में प्रकट होती हैं। अपने जीवनकाल के दौरान जब वे अपने शरीर और मन के बड़े बदलावों से गुजरती हैं, तो उस दौरान योग अभ्यास उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर उपाय साबित हो सकता है।

पहले मासिकधर्म से ले कर रजोनिवृत्ति तक, आप चाहे किसी भी अवस्था में हों, आपको योग का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। अाप चाहे मोटी हों, पतली हों या सामान्य वजन की हों, योग हर प्रकार के शरीर के लिए अच्छा है और इसे किसी भी उम्र की महिला कर सकती है। यह सिर्फ एक व्यायाम नहीं है, इससे मन, शरीर और आत्मा को लाभ प्राप्त होता है। आप अधिक सकारात्मक, खुश और ऊर्जावान बनते हैं। यहां कुछ योग मुद्राएं दी गयी हैं, जो महिलाओं को लगभग हर चरण में लाभ देती हैं।

मार्जरी अासन (कैट पोज)

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कैसे करना है: सबसे पहले योगा मैट पर घुटनों के बल टेबल-टॉप स्थिति में या वज्रासन की स्थिति में आ कर शुरू करें। सुनिश्चित करें कि आपकी रीढ़ फर्श के समानांतर स्थिति में रहे। दोनों हाथों को फर्श पर अागे की अोर टिकाएं। श्वास लें और अपने पेट को फर्श की ओर नीचे धकेलें। अपनी टेलबोन और गरदन को छत की ओर उठाएं। यह गाय मुद्रा है। एक सेकेंड के लिए इस स्थिति में रहें और फिर अपनी रीढ़ को छत की ओर उठा कर कैट पोज में आ जाएं। अपनी टेलबोन को सिकोड़ें और अपनी ठुड्डी को अपनी छाती पर रखें। कुछ सेकेंड के लिए इस स्थिति में रहें। यह आसन 10 बार करें।

कौन ना करें: कमजोर या बहुत मजबूत कलाई और कंधे वाले व्यक्ति इस मुद्रा से बच सकते हैं, और मार्जार्यासन के अासान वर्जन में जा सकते हैं। मार्जरी अासन का अभ्यास करते समय कंधों में किसी भी प्रकार की चोट को गंभीरता से लेना चाहिए।

लाभ: रीढ़ की हडि्डयां मजबूत व लचीली, अच्छी नींद, मेंस्ट्रुअल क्रैंप्स में राहत 

वीरभद्रासन (वॉरियर पोज)

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कैसे करना है: अपने दोनों पैरों को लगभग एक मीटर की दूरी पर रखें और अपने हाथों को अपनी तरफ करके सीधे खड़े हो जाएं। अपने दाहिने पैर को अपनी दाहिनी ओर मोड़ें और अपने हाथों को अपने कंधे के स्तर तक उठाएं। अब अपने दाहिने घुटने को लंज पोजिशन में मोड़ें। अपने बाएं पैर को सीधा रखें। लगभग 3 मिनट तक इस स्थिति में रहें और फिर मूल स्थिति में लौट आएं। दूसरी तरफ से भी ऐसा ही करें।

कौन ना करें: जिन महिलाअों के मासिकधर्म के दिन हों या गर्भवती हों, तो उन्हें इस मुद्रा को ज्यादा देर तक नहीं करना चाहिए। कुर्सी पर इस आसन का साधारण रूप किया जा सकता है।

लाभ: बांहें, कंधे, जांघें और पीठ मजबूत, पेट के अंग सक्रिय 

नवासन (बोट पोज)

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कैसे करना है: पीठ के बल फर्श पर लेट कर शुरुआत करें। अपने हाथों को अपनी तरफ और अपने पैरों को एक साथ मिला कर रखें। अब बिना झुके अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। इसके अलावा, अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को फर्श से उठाएं और अपनी बांहों को अपने पैरों की ओर फैलाएं। लगभग 3 मिनट तक इस स्थिति में रहें और फिर मूल स्थिति में लौट आएं।

कौन ना करें: यदि आपको निम्न रक्तचाप, गंभीर सिर दर्द, माइग्रेन है, या यदि आप हाल के दिनों में रीढ़ की हड्डी के विकारों से पीड़ित हैं,तो इस योग मुद्रा का अभ्यास ना करें। अस्थमा पीडि़त और हृदय रोगी भी इस मुद्रा से बचें।

लाभ: पेट, हिप की मसल्स, रीढ़ मजबूत। किडनी, थायरॉइड, प्रोटेस्ट ग्लैंड सक्रिय 

बालासन (चाइल्ड पोज)

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कैसे करना है: फर्श पर अपने हाथों को अपनी तरफ और अपने घुटनों को हिप की चौड़ाई के आसपास अलग रखें। अब वापस एड़ियों के बल बैठ जाएं। अपनी छाती को अपनी जांघों पर रखने के लिए आगे झुकें। लगभग 3 मिनट तक इसी स्थिति में रहें और फिर मूल स्थिति में आ जाएं।

कौन ना करें: यदि आप गर्भवती हैं, दस्त या घुटने की चोट से पीड़ित हैं, तो यह मुद्रा नहीं करनी चाहिए।

लाभ: सीने, कंधे व हाथों का स्ट्रेस कम। दिमाग शांत, अच्छी नींद, बेहतर ब्लड सर्कुलेशन

वशिष्ठासन (साइड प्लैंक पोज)

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कैसे करना है: शरीर के वजन को दाहिने हाथ में, कलाई के नीचे कंधे, एड़ी को दायीं ओर चटाई पर स्थिर रखें, शरीर को बायीं ओर घुमाएं, और बाएं हाथ को कंधे की ऊंचाई पर हवा में उठाएं और मोड़ें। कूल्हों को जितना हो सके छत तक उठाएं।

कौन ना करें: कलाई, कोहनी, कंधे, गरदन, कूल्हों, पीठ, घुटनों या टखनों में चोट लगी हो, तो इसके अभ्यास से बचना चाहिए।

लाभः बांहें व कंधे टोन, पीठ की मसल्स मजबूत, बेहतर फोकस

अधोमुख स्वानासन

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कैसे करना है: योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अब, अपने घुटनों को फर्श से उठाएं और अपने हाथ को आगे की ओर ले जा कर एक उल्टा ‘V’ बनाएं। सुनिश्चित करें कि आपके पैर फर्श पर सपाट और सीधे रहें। लगभग 2 मिनट तक इस स्थिति में रहें और फिर मूल स्थिति में लौट आएं।

कौन ना करें: यदि आपको कार्पल टनल सिंड्रोम, लेट प्रेगनेंसी, उच्च रक्तचाप या संबंधित समस्याएं हैं, तो यह अभ्यास नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को पीठ, हाथ या कंधों में चोट लगी है, उन्हें भी शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की राय लेनी चाहिए।

लाभः पैरों की मसल्स मजबूत, ब्रेन में ब्लड फ्लो बेहतर, लोअर बैक का दर्द व एंग्जाइटी कम