Wednesday 21 June 2023 12:15 PM IST : By Ruby Mohanty

करें खास योग सही रहेंगे हारमोन्स

उष्ट्रासन

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उष्ट्रासन का अभ्यास नियमित तौर पर किया जाए, तो यह शरीर से हर शारीरिक और मानसिक परेशानी को दूर करके स्वस्थ जीवन देने में मदद करता है।

क्या है लाभ: उष्ट्रासन करने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, मधुमेह, थायरॉइड और पैराथायरॉइड विकार, स्पॉन्डिलाइटिस और आवाज संबंधी विकार दूर होते हैं। इस आसन से पाचन क्रिया में सुधार आता है। उष्ट्रासन के अभ्यास से वक्ष और पेट के निचले हिस्से से अतिरिक्त चरबी कम होती है। इस आसन को रेगुलर करने पर रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है।

कैसे करें: इस आसन को करने के लिए मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने हाथ अपने हिप्स पर रख लें। इस बात का ध्यान रखें कि घुटने और कंधे एक ही लाइन में हों। सांस को अंदर की ओर खींचें और रीढ़ की निचली हड्डी पर दबाव डालें। इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए। इसे करने के दौरान अपनी कमर को पीठ की तरफ मोड़ें। धीरे से हथेलियों की पकड़ पैरों पर मजबूत बनाएं। इस दौरान अपनी गरदन को ढीला छोड़ दें। इस आसन में 60 सेकेंड तक रहें। फिर धीरे-धीरे इसे छोड़ते हुए अपनी पुरानी अवस्था में आएं।

कब ना करेंः गरदन और कमर दर्द होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।

सर्वांगासन

इस आसन को करने से सभी अंगों का व्यायाम होता है, इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं।

कैसे करते हैंः पीठ के बल मैट पर लेट जाएं। हाथों को जांघों के पास रखें। अब अपने पैरों को पहले 30 डिग्री, फिर 60 डिग्री और उसके बाद 90 डिग्री तक ले जाएं। हाथों से कूल्हों को सपोर्ट करें और कूल्हों को उठाते हुए पांवों को सिर की ओर ले जाएं। सहारे के लिए हथेलियां पीठ पर रखें।

क्या है लाभः इस आसन को करने पर ब्लड सर्कुलेशन कंट्रोल में रहता है। थायरॉइड ग्रंथियां हेल्दी रहती हैं और कब्ज का इलाज होता है। बालों का झड़ना रुकता है। तनाव कम होता है। नींद में सुधार होता है। वजन कंट्रोल होता है। हारमोन्स में संतुलन कायम रहता है।

कब नहीं करना चाहिएः आर्थराइटिस होने पर सर्वांगासन नहीं करना चाहिए। अगर गरदन में दर्द है, तो भी इसे करने से बचें।

भुजंगासन

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भुजंगासन में शरीर का आकार सांप की तरह बनता है, इसीलिए इसको भुजंगासन कहते हैं।

कैसे करेंः पेट के बल मैट पर लेट जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर ले कर आएं और दोनों हथेलियों को फर्श की तरफ करें। अब अपने शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें। सांस अंदर की ओर खींचें और सिर को ऊपर करके गरदन पीछे की तरफ खींचें।

क्या हैं लाभः इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं। कंधों और बांहों को मजबूती मिलती है। शरीर का लचीलापन बढ़ता है। तनाव और थकान दूर होता है। कमर या पीठ दर्द से परेशान लोगों के लिए इस योग की रेगुलर प्रैक्टिस लाभदायक है। शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है, सबसे बड़ा लाभ मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है। मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होने पर अच्छे हारमोन्स रिलीज होते हैं। शरीर की परेशानियां दूर होती हैं। मन खुश रहता है।

कब ना करेंः कमर या पीठ पर चोट, गर्भावस्था या हर्निया की बीमारी में ना करें।

अर्धचंद्रासन

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कैसे करेंः मैट पर त्रिकोणासन में खड़े हो जाएं। दायां पैर आगे करें। दाएं घुटने को मोड़ें। दाएं हाथ को दाएं पैर के सामने फर्श पर लाएं। हाथ आपके कंधे के नीचे होना चाहिए। लगभग एक फुट सामने की ओर रखें। अपने दाहिने पैर को 5-6 इंच दायीं ओर रखें।

इसके लाभः यह आसन टांगों और पैरों को मजबूत बनाता है। यह टखनों और पिंडलियों को मजबूत बनाता है। कूल्हे, वक्ष और कंधे मजबूत बनते हैं।

कब ना करेंः अगर आसन करने में असुविधा हो रही है, तो इसे ना करना बेहतर है। पहली बार किसी योग गुरु की देखरेख में आसन का अभ्यास करें। डायरिया और अस्थमा की समस्या होने पर यह आसन ना करें। घुटने में दर्द और आर्थराइटिस होने पर इसे ना करें। ब्लड प्रेशर होने पर इसे करना अवॉयड करें।

शलभासन

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शलभासन में टिड्डे की मुद्रा में आसन होता है। इसे कम उम्र से करना शुरू करें, तो बड़ी उम्र तक लाभ मिलेगा।

क्या है लाभः शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए शलभासन फायदेमंद है। यह हाथों, जांघों, पैरों और पिंडलियों को मजबूत करता है। इसके साथ यह पेट की चरबी कम करता है। बीएमआई को ठीक करने में मदद करता है। रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है।

कैसे करेंः मैट पर पेट के बल लेट जाएं। हाथों को थाइज के नीचे दबा लें। हथेलियां खुली और नीचे की ओर रखें। ठोड़ी को थोड़ा आगे की ओर लाएं और जमीन पर टिका लें। अांखें बंद करें और शरीर को शिथिल करने की कोशिश करें। धीरे-धीरे टांगों को जितना ऊंचा ले जा सकते हैं, उतना ऊंचा उठा लें।

कब ना करेंः कमर में चोट लगी हो या पेट की कोई सर्जरी हुई हो, तो यह आसन ना करें।