Tuesday 31 August 2021 10:47 AM IST : By Rooma

जन्माष्टमी में क्यों चढ़ाया जाता है छप्पन भोग

chhappan-bhog

पर्व का आनंद तभी है, जब घर के सभी सदस्‍य उसमें भाग लें। खूब सजें-संवरें, घर को सजाएं और ईश्‍वर को श्रद्धा के साथ भोग प्रसाद चढ़ाएं। जी हां, बात हो रही है जन्माष्टमी पर्व की, जो ज्‍यादातर सभी के घरों में मनाया जाता है। इस पर्व को खास बनाने के लिए मंदिरों में भगवान कृष्ण को छप्पन भोग लगाया जाता है। आप भी श्रद्धा के साथ अपने बजट के मुताबिक छप्पन प्रकार के भोग लगा सकते हैं। छप्पन भोग का नाम सुन कर आप चौंक गए गए होंगे कि कैसे संभव है? छप्पन भोग में कम मात्रा में ही सही सिर्फ 20 तरह की मिठाई, 16 तरह की नमकीन और 20 तरह के ड्राईफ्रूट्स का भोग लगता है। छप्पन भोग में विशेषतौर पर मक्खन मिश्री का भोग लगाया जाता है। इसमें ज्यादातर दूध से तैयार मिठाइयां होती हैं। 

बरसाने में स्थित श्री राधारानी मंदिर को गोस्वामी परिवार संचालित करता है। बरसाना के गोस्वामी समूह में करीब 300 परिवार हैं, जो श्री राधारानी मंदिर में पीढि़यों से बारी-बारी से सेवा करते हैं। पंडित चंद्रशेखर के मुताबिक, ‘‘हर महीने के 25 दिन हमारा परिवार श्री राधारानी मंदिर जी की सुबह 4 से रात 8 बजे तक पूजा करता है। दिनभर में 6 बार भोग लगता है और 6 बार आरती होती है। हमसे श्रद्धालु लोग पूजा कराने भी आते हैं। दरअसल, छप्पन भोग कभी भी लग सकता है। जो बाहर से श्रद्धालु लोग आते हैं, वही इस तरह के भोग लगाते हैं। किसी का जन्‍मदिन हो या शादी या फिर कोई पर्व हो, लोग अपनी श्रद्धा से भोग लगा सकते हैं। रोज सामान्‍य भोग लगता है। वृंदावन व बरसाने के बांके बिहारी मंदिर व राधा कृष्ण मंदिर की ओर से खास अवसर पर छप्पन भोग चढ़ाया जाता है।’’

कैसे शुरू हुआ छप्पन भोग

ऐसा कहा जाता है कि गोकुल धाम में जब बाल कृष्ण यशोदा मां के साथ रहते थे, तब वे उन्हें 8 बार खाना खिलाती थीं। एक बार जब इंद्रदेव ने गोकुल पर बारिश का कहर बरपाया, तब श्री कृष्ण ने सात दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए, गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठाया, जिससे सभी गोकुलवासियों की जान बच सके। सात दिन के बाद जब बारिश शांत हो गयी, तब सभी जन पर्वत से बाहर निकले। इसके बाद सभी को यह अहसास हुआ कि कान्हा ने तो सात दिनों से कुछ नहीं खाया है। तब यशोदा मां और सभी गोकुलवासियों ने भगवान कृष्ण के लिए हर दिन के आठ पहर के हिसाब से सात दिनों को मिला कर कुछ छप्पन प्रकार के पकवान बनाए थे। इसके साथ ही सभी गोपियों ने लगातार एक माह तक पवित्र यमुना नदी में स्नान किया और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की, जिससे उन्हें पति के रूप में श्री कृष्ण मिले। कृष्ण ने उन्हें ऐसा होने का आश्वासन दिया और इसी खुशी के चलते उन्होंने श्री कृष्ण के लिए छप्पन भोग बनाए। तब से श्रद्धा के साथ जन्माष्टमी के दिन विशेषतौर पर गोकुलवासी छप्पन भोग चढ़ाते हैं। अब तो लोग ऑनलाइन बुकिंग से भी छप्पन भोग चढ़वाते हैं।

भोग में क्‍या बनता है

आमतौर पर छप्पन भोग में माखन मिश्री, खीर, जलेबी, लड्डू, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मोहनभोग, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता, रसगुल्ला, चटनी, मूंग दाल का हलवा, दलिया, पकौड़े, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूरी, मुरब्बा, साग, दही, चावल, मोठ, मलाई, लस्सी, फल, तांबूल, लौंग, इलायची, दाल, कढ़ी, घेवर, चीला और पापड़ होते हैं। इसके अलावा तरह-तरह के ड्राईफ्रूट्स, तरह-तरह की पूरियां भी होती हैं।