Wednesday 25 August 2021 04:20 PM IST : By Ruby Mohanty

कुछ बातें जो दोस्तों और रिश्तेदारों से कभी नहीं कहनी चाहिए

single girl

कोई भी रिश्ता चाहे वह माता-पिता का हो या पति-पत्नी के बीच का या दोस्तों का, सभी संबंधों में मधुरता बनाए रखने के लिए अच्छी भाषा का इस्तेमाल करें। कुछ ऐसे वाक्य और शब्द हैं, जिनसे दिल ही नहीं दुखता, बल्कि रिश्ते में दूरियां भी बढ़ती हैं। रिश्ता कितना ही करीबी क्यों ना हो, ताना मार कर बात करना आपके अंदर जाने-अनजाने पल रही नफरत का ही संकेत देता है। रिश्ते को खोने से पहले चेत जाएं। आइए जानें गुड़गांव की काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट नोमिता ऋषि की कुछ खास सलाह, जिनसे आपको अपने अंदर बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

मुझे तुमसे प्यार नहीं है 

बच्चा अगर अपने माता-पिता से बेहद नाराज हो, तो कभीकभार उन्हें ‘आई हेट यू’ तक कह देता है। इसी तरह माता-पिता भी गुस्से कह जाते हैं कि वे भी उनसे प्यार नहीं करते। कुछ समय के बाद स्थिति सामान्य हो भी जाती है, आप इन बातों को भूल भी जाएं, पर आपके द्वारा कहे गए वाक्य बच्चे के मन में घर कर जाते हैं, ये बातें याद रह जाती है। कई बार इन वाक्यों को उनके दिमाग से निकालना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए इस तरह के अलफाज खासतौर पर अभिभावक अपने बच्चों के लिए और पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए ना ही करें। 

छोड़ो, तुम नहीं कर सकते

अगर परिवार में कोई भी सदस्य नया काम शुरू करने जा रहा है, या बच्चा कुछ करने जा रहा है, तो उसे यह कभी ना बोलें ‘तुमसे ये काम नहीं हो पाएगा।’ ऐसा करने से परिवार के उस सदस्य या रिश्तेदार से रिश्ता बिगड़ जाएगा। बच्चे का आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। उसके दिल को चोट पहुंचती है, वह जो काम करना चाह रहा था, उसे करने से हिचकिचा सकता है। 

हमें अलग हो जाना चाहिए 

दंपती छोटी-छोटी बातों में अकसर ‘तुमसे तो अलग होना ही ज्यादा अच्छा है,’ कह देते हैं। इस तरह के वाक्य कहना फिर आदत बन जाती है। उसके बाद कभी भी, कहीं भी ऐसी बातें मुंह से निकल जाती हैं। धीरे-धीरे वे मन ही मन अपने पार्टनर से अलग होने लगते हैं, दांपत्य रिश्ते में धीरे-धीरे दरार आने लगती है। 

कहने के लिए कुछ नहीं

पति-पत्नी के बीच संवाद खत्म होने पर रिश्ता भी मुरझाने लगता है। जरूरत से ज्यादा चुप्पी यही साबित करती है कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है। जबकि सच तो यह है कि वे बहुत कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन कह नहीं पा रहे हैं। इसीलिए समय और अवसर देख कर साथी एक-दूसरे से मन की बात कहें, क्योंकि यही चुप्पी रिश्ते में दूरियों के साथ-साथ बोरियत को भी जन्म देती है। 

पता नहीं क्यों पैदा हुए तुम

ज्यादातर अभिभावक बच्चों के कम नंबर, स्कूल से आयी शिकायतों को देख-सुन कर गुस्से में डांटते-फटकारते और झल्लाते हुए यह भी कह देते हैं, ‘पता नहीं क्यों पैदा हुए तुम।’ ये बातें कह आप अपने अंदर आए गुबार को उस समय निकाल तो देते हैं, पर ऐसी बातें बच्चे में हीन भावना और आक्रोश को जन्म देती हैं।

मैं नौकर नहीं 

कई बार दांपत्य रिश्ते में पति-पत्नी घर के सामान्य काम करने के लिए एक-दूसरे से उम्मीद करते हैं। लेकिन किसी काम के लिए पत्नी का कभी यह कह देना, ‘मैं तुम्हारी नौकरानी नहीं हूं’ रिश्ते में खटास पैदा करता है। ठीक उसी तरह पति से हाथ बंटाने की उम्मीद करने पर उनसे यह सुनना ‘मुझे नौकर समझ रखा है क्या’ पत्नी के मन में पति के लिए सम्मान और प्यार को कम कर सकता है। 

तुमसे से तो वह अच्छा है

कभी भी रिश्ते में चाहे वह अभिभावक और बच्चों का रिश्ता हो या दांपत्य रिश्ता, दूसरों के साथ तुलना ना करें। अभिभावक अपने बच्चों से यह ना कहें कि ‘तुमसे बेहतर तुम्हारे दोस्त है। उसके नंबर ज्यादा आते हैं, जरा सीखो कुछ उससे।’ इसी तरह पति-पत्नी एक-दूसरे की तुलना अपने दोस्त की बीवी या पति के दोस्त के साथ ना करें। ‘तुमसे ज्यादा स्मार्ट तो तुम्हारा दोस्त है’ या ‘तुम्हारी सहेली कितनी हंसमुख है। तुम्हारी तरह उसके चेहरे पर गुस्सा और चिढ़ नहीं दिखती।’ इस तरह की बातें रिश्ते में दूरियां बढ़ाती हैं। 

जिंदगी नरक हो गयी है

आप रिश्ते में जितनी नकारात्मक बातें कहेंगी, धीरे-धीरे रिश्तों में उन्हीं शब्दों का बार-बार इस्तेमाल होने लगेगा। बात-बात में यह कहना, ‘मेरी जिंदगी नरक हो गयी है, तुमसे दोस्ती करके या शादी करके या तुमसे प्यार करके।’ ऐसी बातें भले ही कुछ देर के लिए ही सही अपनी नाराजगी को जाहिर करने के लिए कहते हैं, पर यही बातें बार-बार सुन कर दिमाग में यह बैठने लगता है कि आप रिश्ते में बहुत नाखुश हैं। साथी खुद में सिमटने लगता है या फिर तुनक कर वह भी अनापशनाप बोलने लगता है। संवाद बिगड़ते चले जाते हैं और धीरे-धीरे रिश्ते में कड़वाहट घुलने लगती है। ऐसे मौके पर खुद को नियंत्रित रखा जाए, तो बेहतर है। 

भाड़ में जाअो

‘गो टू हेल, जहन्नुम में जाअो या भाड़ में जाअो’ बहुत सामान्य तौर पर बोली जानी वाली बातें हैं, पर आपके मन की नफरत और चिड़चिड़ाहट को दर्शाती हैं। पति-पत्नी या अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ या फिर एक-दूसरे के साथ इस तरह की बातें करने से बचना चाहिए। आपके बेपरवाह और लापरवाह शब्द सामने वाले के मन में कड़वाहट भर सकते हैं। निजी संबंधों में इस तरह के वाक्य को कहने से जितना हो सके, बचें। यह सोचें कि क्या नाराजगी को इस तरह की बातें कहे बिना भी जाहिर कर सकते हैं।