Monday 26 July 2021 11:39 AM IST : By Nishtha Gandhi

होम लोन से जुड़ी ये बातें महिलाएं जरूर जानें

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आज महिलाएं कमा रही हों, या नहीं, पति अकसर घर खरीदते समय उनके नाम से होम लोन लेते हैं। इसके कई कारण हो सकते है। दरअसल,  ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब ज्यादा रकम की जरूरत हो, लेकिन अकेले व्यक्ति को उतनी रकम के लिए एलिजिबल ना हो। ऐसे में पति अपनी नाॅन वर्किंग वाइफ को सेल्फ एंप्लाइड दिखा कर उनके नाम से जाॅइंट लोन ले लेते हैं। कई बार पति की इनकम अगर घरखर्च पूरा करने में खर्च होती है और पत्नी की इनकम सेविंग के तौर पर जमा की जाती है। ऐसे मे अकसर पत्नी के नाम पर होम लोन ले लिया जाता है। वजह जो भी रही हो, अगर होम लोन आपके नाम से है, तो क्या आप जानती हैं कि यह क्या होता है।

कौन ले सकता है होम लोन

- कोई भी वयस्क जिसकी आयु 20-60 वर्ष के बीच है और जो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है। हालांकि कुछ बैंकों में आपको आयु सीमा से जुड़े नियमों में थोड़ा फर्क देखने को मिलेगा। 

- आपके लोन की समय-सीमा क्या होगी, यह आपकी आयु पर निर्भर करता है, उदाहरण के लिए अगर आपकी उम्र25-30 वर्ष के बीच है, तो आपको 30 साल के लिए लोन मिल सकता है, लेकिन अगर आपकी उम्र 45 वर्ष से उपर है, तो यह समय सीमा ज्यादा से ज्यादा 20साल होती है। दरअसल, बैंक आपकी उम्र के हिसाब से यह देखता है कि आप कितने वर्षों तक नौकरी या काम कर पाएंगे। जब तक आपकी इनकम होती रहेगी, तब तक आप लोन की किस्तें चुकाने में समर्थ हो पाएंगे।

- आपकी आय का कुछ ना कुछ साधन होना चाहिए। चाहे आप कोई नौकरी कर रही हों, या घर के बिजनेस में पति या पिता का हाथ बंटाती हों। लोन लेते समय आपको अपनी तीन साल की इनकम का प्रूफ देना जरूरी होता है। इसके लिए आपको तीन साल की इनकम टैक्स रिटर्न, सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट देनी होती है। जो महिलाएं लोन लेते अपना बिजनेस होने का क्लेम करती हैं, उनका बिजनेस कम से कम 5 साल पुराना होना चाहिए। आपकी मंथली इनकम ही यह तय करती है कि आपको बैंक से कितना लोन मिल सकता है।

- महिलाओं के लिए यह जानना भी जरूरी है कि बेशक फाॅर्म भरते समय आपको अपना मैरिटल स्टेटस बताना होता है, पर आप शादीशुदा हैं या सिंगल, इससे आपकी एलिजिबिलिटी पर कोई असर नहीं पड़ता।

इंटरेस्ट रेट को समझें

इंटरेस्ट रेट यानी कि ब्याज दर वह रकम होती है, जो बैंक आपसे मूल रकम पर शुल्क के तौर पर वसूलता है। मूल रूप से लोन के खिलाफ मिलने वाला ब्याज ही बैंकों की कमाई का साधन होता है। अलग-अलग बैंकों में होम लोन पर ब्याज दर साढ़े 6 -8 प्रतिशत के बीच है। आमतौर पर इनमें ज्यादा फर्क नहीं होता। समय-समय पर आरबीआई द्वारा खासकर से होम लोन की ब्याज दर में बदलाव होते रहते हैं। पिछले दिनों कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान आरबीआई ने ब्याज दर में कुछ बदलाव किए थे। इस दौरान होम लोन के नियमों में भी कुछ छूट दी गयी थी।

- इंटरेस्ट रेट फिक्स्ड और फ्लोटिंग दो तरह का होता है। होम लोन के लिए अप्लाई करते समय आप इनमें से कोई भी आॅप्शन चुन सकती हैं। फिक्स्ड रेट वह होता है, जो हमेशा वही रहता है, जिस रेट पर आपने लोन लिया था। फ्लोटिंग वह होता है, जिसमें समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं। यह कम या ज्यादा दोनों हो सकता है। वैसे बैंकिंग एक्सपर्ट्स भी ज्यादातर फ्लोटिंग इंट्रेस्ट रेट पर लोन लेने की सलाह देते हैं। 

- यह बात हमेशा ध्यान रखें कि फ्लोटिंग इंट्रेस्ट रेट के तहत अगर ब्याज दर बढ़ेगी, तो बैंक वह राशि अपनेआप बढ़ा देगा, लेकिन इंट्रेस्ट रेट कम होने पर आपको बैंक को एप्लिकेशन लिख कर इसे कम करवाना होगा, इसलिए अगर होम लोन लिया हुआ है, तो समय-समय पर ब्याज दरों के बारे में जानकारी जरूर लेनी चाहिए।

ईएमआई को समझना जरूरी है

यह दो तरह से कैलकुलेट की जाती है- फ्लैट रेट ईएमआई और रेड्यूसिंग बैलेंस ईएमआई। फ्लैट रेट ईएमआई ओरिजिनल लोन अमाउंट पर कैलकुलेट की जाती है। यह हमेशा एक जैसी रहती है और इसमें आप आखिर तक ब्याज के तौर पर उतनी ही राशि देते रहते हैं जितनी कि लोन के शुरू में दे रहे थे, जबकि रेड्यूसिंग बैलेंस ईएमआई में जैसे-जैसे आप बैंक को पैसे चुकता करते रहते हैं, वैसे-वैसे, आपकी ब्याज की राशि कम होती जाती है। हालांकि बैंक ज्यादातर अपने फायदे के लिए फलैट रेट ईएमआई पर ब्याज दर कम रखते हैं, पर एक्सपर्ट्स हमेशा रेड्यूसिंग बैलेंस ईएमआई लेने की ही सलाह देते हैं।

होम लोन जिसके नाम है, जरूरी नहीं कि घर उसी का है

यह महिलाओं को होनेवाली सबसे बड़ी गलतफहमी है। अकसर वे खुशी-खुशी अपने नाम से होम लोन लेने को राजी हो जाती हैं। उन्हें लगता है कि इस तरह से वे अपना भविष्य सिक्योर कर रही हैं, क्योंकि आगे चलकर घर की भी वही मालकिन बनेंगी। लेकिन इसमें दो बातों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर खरीदे गए घर की जाॅइंट रजिस्ट्री दो लोगों के नाम से है और लोन सिर्फ आपके नाम से, तो उस घर पर आपका अकेेले हक नहीं बनता। कोई इमरजेंसी आने पर या तलाक होने की स्थिति में आप उस घर पर कोई क्लेम नहीं कर सकतीं, लेकिन होम लोन की किस्तें आपको तब तक चुकानी पड़ेंगी, जब तक कि तलाक का कोई फैसला नहीं हो जाता। 

- दूसरी बात यह है कि जब तक आपके लोन की किस्तें पूरी खत्म नहीं हो जातीं, तब तक वह प्राॅपर्टी बैंक के पास गिरवी रखी रहेगी। अगर आप लोन की किस्तें नहीं चुका पातीं, तो बैंक उस प्राॅपर्टी को नीलाम करके अपनी रकम वापस ले सकता है। इसलिए खासकर से महिलाएं अपने नाम से होम लोन उसी स्थिति में लें, तब उन्हें यह पूरा विश्वास हो कि वे जरूरत पड़ने पर उसे चुका पाएंगी।