Tuesday 24 December 2024 11:53 AM IST : By Gopal Sinha

क्या हैं उपभोक्ताओं के अधिकार

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कशिश ने एक डिपार्टमेंट स्टोर से महंगा एअर फ्रायर खरीदा, जो कुछ ही दिनों में खराब हो गया। अब स्टोर वाले उसके चक्कर लगवा रहे हैं और डिफेक्टिव आइटम बदल कर नहीं दे रहे हैं। ऐसे में उसने कंज्यूमर कोर्ट का रुख किया है।

आप जब भी कोई सामान खरीदते हैं तो उस पर कंपनी या विक्रेता की ओर से वारंटी या गारंटी दी जाती है। लेकिन अगर कंपनी या विक्रेता रिप्लेसमेंट या सर्विस देने से मना करे तो ऐसे में उपभोक्ता अदालत आपकी मदद कर सकती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के बारे में जिला उपभोक्ता फोरम पूर्णिया, बिहार के प्रेसिडेंट एवं रिटायर्ड प्रिंसिपल जिला व सत्र न्यायाधीश किशोर कुमार सिन्हा ने हमें विस्तार से बताया।

उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी ना हो, इसके लिए कानून में प्रावधान हैं। उपभोक्ताओं को उनके हितों के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल अपने देश में 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। हालांकि दुनिया भर में 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाते हैं। कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी गलत या गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर नजर रखती है। अगर कोई कंपनी झूठी गारंटी दे, बतायी गयी सर्विस ना दे या सामान की गुणवत्ता, मात्रा आदि को ले कर उपभोक्ता को गुमराह करे तो इसकी शिकायत की जा सकती है। शिकायत के सही पाए जाने पर उपभोक्ता को रिफंड भी दिलाया जाता है।

उपभोक्ता के 6 अधिकार

जब आप कोई सामान खरीदते हैं या किसी सर्विस के लिए पैसे अदा करते हैं तो आप उपभोक्ता कहलाते हैं। अगर कोई चीज या सेवा आपको मुफ्त में मिली है या आपने वह चीज दोबारा बेचने के लिए ली है तो आप उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं। बतौर उपभोक्ता आपको कानूनन 6 अधिकार मिले हुए हैं-

  1. सुरक्षा का अधिकार

  2. सूचना का अधिकार

  3. चुनने का अधिकार

  4. सुनवाई का अधिकार

  5. निवारण का अधिकार

  6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार

शिकायत कहां दर्ज कराएं

  • यदि वस्तु या सेवा की कीमत 50 लाख रुपए से कम है तो इसकी शिकायत जिला उपभोक्ता फोरम में की जा सकती है। जिला उपभोक्ता फोरम प्रत्येक जिले में स्थापित है।

  • यदि वस्तु या सेवा की कीमत 50 लाख रुपए से अधिक पर 2 करोड़ रुपए से कम है है तो इसकी शिकायत राज्य आयोग में की जा सकती है। आमतौर पर हर राज्य की राजधानी में राज्य आयोग का गठन किया गया है।

  • यदि वस्तु या सेवा की कीमत 2 करोड़ रुपए से अधिक है तो इसकी शिकायत राष्ट्रीय आयोग में की जा सकती है। राष्ट्रीय आयोग नयी दिल्ली में अवस्थित है।

  • विक्रेता या सर्विस प्रदाता जहां व्यवसाय करता है, उस क्षेत्राधिकार में उपभोक्ता अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। उपभोक्ता अपने निवास स्थान के क्षेत्राधिकार में भी शिकायत दर्ज करा सकता है।

  • उपभोक्ता व्यक्तिगत रूप से या अपने एजेंट के माध्यम से ऑफलाइन या ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकता है। निर्धारित कोर्ट फीस के साथ इसे रजिस्टर्ड डाक द्वारा भी भेजा जा सकता है। 5 लाख रुपए तक के दावे के लिए कोई शुल्क नहीं लगता। 5 से 10 लाख रुपए तक के लिए 200 रुपए, 10 से 20 लाख रुपए तक के लिए 400 रुपए और 20 से 50 लाख रुपए तक के दावों के लिए 1000 रुपए शुल्क लगता है। शुल्क पोस्टल ऑर्डर या डिमांड ड्राफ्ट के रूप में जमा किए जाते हैं।

  • सामान्यतया शिकायत की 3 प्रतियां भेजी जानी चाहिए। शिकायत को आमतौर पर सेवा में कमी के 2 वर्ष के भीतर अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए। यदि उपभोक्ता किसी उपभोक्ता फोरम के आदेश से संतुष्ट ना हो तो वह आदेश पारित होने के 45 दिनों के भीतर उच्चतर आयोग में शिकायत दायर करा सकता है।