Thursday 02 September 2021 04:23 PM IST : By Nishtha Gandhi

टोक्यो पैरालिंपिक्स में भारत पर हो रही है मेडल्स की बरसात

paralympics

टोक्यो पैरालिंपिक्स कई मायनों में खास हैं। अब तक भारत पैरालिंपिक खेलों में 10 मेडल्स अपने नाम करवा चुका है और यह सिलसिला अभी 5 सितंबर तक जारी रहेगा। उम्मीद की जा रही है कि खेल खत्म होने से पहले भारत की पदक तालिका में कुछ और पदकों का इजाफा हो जाएगा। खैर सही तसवीर तो 5 सितंबर के बाद ही सामने आएगी, लेकिन 2 गोल्ड, 5 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल्स के साथ भारत पदक तालिका में निरंतर ऊपर की ओर बढ़ता चला जा रहा है। अगर इतिहास पर नजर डालें, तो 2016 में रियो में हुए पैरालिंपिक खेलों में भी भारत 4 पदक अपने नाम कर चुका है। यह पैरालिंपिक खेल कई मायनों में खास हैं। हालांकि कोविड -19 प्रोटोकॉल के चलते स्टेडियम से दर्शक नदारद ही हैं, लेकिन फिर भी खिलाडि़यों में उत्साह अपने पूरे चरम पर है। 2020 में होने वाले ओलंपिक्स और पैरालिंपिक्स खेल 2021 में हो रहे हैं, लेकिन फिर भी इन्हें टोक्यो 2020 गेम्स के नाम से ही जाना जाएगा। बताते चलें कि इन खेलों की मेजबानी के साथ टोक्यो पहला ऐसा देश बन जाएगा, जिसने पैरालिंपिक खेलों की मेजबानी दूसरी बार की है। इससे पहले 1964 में यहां पैरालिंपिक खेलों का आयोजन किया गया था। 

इन खेलों में टेक्नोलॉजी का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां आनेवाले मेहमानों के स्वागत के लिए रोबोट्स तो तैनात किए ही गए हैं, उनका सामान उठाने के लिए भी रोबोटिक असिस्टेंट्स मौजूद हैं और ड्राइवरलेस गाडि़यों का एक पूरा जत्था भी तैनात है। 

खास हैं पदक 

इन खेलों में जो पदक दिए जा रहे हैं, वे भी अपने आप में अनूठे और पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम हैं। इन पदकों को लगभग 6.2 मिलियन पुराने मोबाइल्स से प्राप्त 32 किलो सोने, 3.5 टन चांदी और 2.2 टन ब्रॉन्ज से बनाया जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की रिसाइकलिंग करके ओलंपिक और पैरालिंपिक खेलों में तकरीबन 5 हजार मेडल बनाए गए हैं। मेडल्स के पीछे ब्रेल लिपि में टोक्यो 2020 लिखा हुआ है। गोल्ड मेडल के लिए एक गोला, सिल्वर के लिए दो गोले और ब्रॉन्ज मेडल के लिए तीन गोले भी मेडल के पीछे खुदे हुए हैं, जिनसे नेत्रहीन खिलाड़ी छू कर भी मेडल्स की पहचान कर सकें। ऐसा पैरालिंपिक्स खेलों के इतिहास में पहली बार किया गया है।

सबसे ज्यादा हैं खिलाड़ी इस बार 

हर बार के मुकाबले इस बार के पैरालिंपिक्स खेलों में 4,400 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। ये सभी खिलाड़ी 22 अलग-अलग खेलों के 539 इवेंट्स में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएंगे। इनके अलावा एक रिफ्यूजी पैरालिंपिक टीम भी इन खेलों में भाग लेगी, जो सीरिया, बुरंडी, इरान और अफगानिस्तान जैसे देशों से आयी है। पैरालिंपिक खेलों में पहली बार उपस्थिति दर्ज कराने वाले देशों में भूटान, ग्रेनेडा, गुआना, मालदीव्स, पैराग्वे ओर सेंट विंसेंट शामिल हैं। भारत की ओर से 1984 में जोगिंदर सिंह बेदी ने डिस्कस थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इस साल मेडल जीतने वालों में शुमार हैं- भविना पटेल, निशाद कुमार, अवनि लखेड़ा, देवेंद्र झाझरिया, सुंदर सिंह गुर्जर, योगेश कथूनिया,  सुमित एंटिल, सिंह राज अधाना, मरियप्पन थंगावेलु और शरद कुमार। फिलहाल खेल जारी हैं और देखना है कि आने वाले तीन दिनों में भारत की झोली में और कितने मेडल्स का इजाफा होता है।