खाने से हेल्दी रिलेशनशिप होना बहुत जरूरी है। आजकल के डाइटिंग प्लान्स फूड से खराब रिलेशनशिप बना देते हैं, हम एक-एक निवाले का हिसाब रखते हैं, हर मील में कैलोरीज गिनते हैं, इससे नेगेटिव फूड हैबिट्स बन जाती हैं। इस तरह का डाइट प्लान लंबे समय तक फॉलो नहीं किया जा सकता। मोटा या पतला होने से पहले जरूरी है हेल्दी एंड फिट होना।
कैसे हुई शुरुआतः साल 2021 में कानपुर की आकृति अग्रवाल ने अपने दोस्त आयुष बंसल के साथ कानपुर में हाउस ऑफ ग्रीन्स की शुरुआत की थी। हाउस ऑफ ग्रीन्स में सब्जियां और फल बिना मिट्टी के (हाइड्रोपोनोकली) और बिना किसी कीटनाशक का इस्तेमाल किए हेल्दी और सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए उगायी जाती हैं। मार्च-अप्रैल 2021 में आकृति जब लॉकडाउन में मुंबई से कानपुर घर वापस आयीं, तो उन्होंने अपना वेट घटाना चाहा था। लेकिन सभी डाइट प्लान्स में उन्हें जिस तरह की डाइट लेने को कहा जाता था, ना तो वह खाने का मन करता था, ना ही घर पर हर रोज अलग से अपने लिए बनाना संभव था। जब सबके लिए नॉर्मल खाना बनता है, तो अकसर डाइट फूड अलग से बनाना मुश्किल होता है। इस तरह का मुश्किल डाइट चार्ट लंबे समय तक फॉलो करना आसान नहीं होता था और जब दिए गए डाइट प्लान का खाना बोरिंग लगता है, तो हम बाहर के चटपटे खाने की ओर भागते हैं और डाइट रुटीन खराब हो जाता है। आकृति का मानना था कि डाइटिंग को ले कर लोगों में जानकारी का अभाव है। ज्यादातर लोग कम खाना शुरू कर देते हैं या इंटरनेट से देख कर बिना अपनी बॉडी की जरूरत को समझे कोई भी प्लान फॉलो करने लगते हैं, जिससे खास न्यूट्रिएंट्स की कमी होने लगती है। उन्होंने आयुष बंसल और अक्षय भाटिया के साथ मिल कर ‘हेल्थ मोची’ के काॅन्सेप्ट को आगे बढ़ाने का काम शुरू किया।
क्या है हेल्थ मोचीः हेल्थ मोची पर्सनल न्यूट्रीशनिस्ट से बात करवा के क्लाइंट्स की बॉडी की जरूरतों के हिसाब से सस्टेनेबल डाइट प्लान तैयार करवाता है। न्यूट्रीशनिस्ट द्वारा बनाए डाइट चार्ट के हिसाब से उनके घर हेल्दी व टेस्टी खाना पहुंचाते हैं। डाइटिंग से दोस्ती होना जरूरी है, तभी आप उसे लंबे समय तक फॉलो कर पाएंगे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बोरिंग डाइटिंग फूड से हट कर हेल्थ मोची ने अपना मेन्यू मल्टी क्यूजीन रखा है जैसे इटैलियन, लेबनीज, चाइनीज, इंडियन, कोरियाई और जैपनीज। एक्सपर्ट की गाइडेंस के हिसाब से आपका खाना आप तक पहुंच जाता है। हेल्थ मोची ने इस बात का खयाल रखा है कि खाना प्रोसेस्ड तेल में नहीं, आर्गेनिक चीजों से बनाया जाए।
क्या थीं चुनौतियां: टीम और आकृति ने हेल्थ मोची की शुरुआत में कई तरह के चैलेंजेज का सामना किया। लोगों में अवेअरनेस ना होना, ऐसे स्मॉल बिजनेस आइडिया को उन तक पहुंचाना और फॉलो करवाना थोड़ा मुश्किल था। लोग हॉिस्पटल जा कर डाइटीशियन से मिलना ज्यादा मुनासिब समझते हैं या कई बार इंटरनेट से देख कर ऐसे प्लान फॉलो कर लेते हैं, जो हेल्थ के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं।
हेल्थ मोची की शुरुआत आकृति के पुराने घर के किचन से हुई थी। छोटी सी जगह में सब करना मुश्किल था। इसका ट्रायल फेज था। आकृति ने अपनी अच्छी-खासी जॉब छोड़ दी थी, क्योंकि उन्हें इस आइडिया पर भरोसा था। हालांकि घर पर सभी को लगता था कि जॉब छोड़ना रिस्की है।

कितने हैं क्लांइट: जब शुरुआत की थी, तो तीनों पार्टनर्स में से किसी को खाना बनाना नहीं आता था। इंटरनेट से देख कर कई रेसिपीज सीख लीं। 10-15 क्लाइंट से शुरू करके अब 40 -50 क्लाइंट्स तक अपनी पहुंच बढ़ा पाए हैं। हेल्थ मोची ने स्टाफ भी बढ़ा लिया, मगर चैलेंज खत्म नहीं होता। चाहे शेफ बदल जाएं, मगर खाने की क्वॉलिटी और स्वाद एकदम पहले की तरह रखना मुश्किल होता है। हर बिजनेस के शुरू होने के बाद उसको मेंटेन करना बहुत मुश्किल होता है।
टिप्स फॉर बिगनर्स: अपने आइडिया को ले कर इरादा पक्का होना चाहिए। सब्र रखना बहुत जरूरी है। अगर आप लाइफ या सोसाइटी की किसी प्रॉब्लम को पहचान पा रहे हैं और आपके पास उसका हल है, तो आप उस पर काम करना शुरू कर दें, बिजनेस अपने आप बन जाएगा। अपने आप पर और अपनी टीम पर भरोसा होना बहुत जरूरी है। अपने आइडिया पर काम करें और हार्ड वर्क से ना भागें।