Monday 05 October 2020 03:18 PM IST : By Nisha Sinha

मॉडर्न युवा क्यों पसंद कर रहे हैं लव मैरिज

young man holds a woman and looks away

एक-डेढ़ दशक में बड़े शहरों की लड़कियों ने अरेंज्ड मैरिज के बजाय लव मैरिज को तवज्जो देनी शुरू की है। शादी डॉट कॉम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव रक्षित का मानना है कि ‘‘आज मानसिक अौर आर्थिक रूप से स्वतंत्र लड़कियां अपने हसबैंड से सोच और काम में तालमेल की उम्मीद करती हैं। इसलिए अरेंज्ड के बजाय लव मैरिज उनकी प्राथमिकता बनती जा रही है। इसके अलावा स्मॉल टाउन लड़कियों में लव मैरिज को ले कर जो क्रेज दिख रहा है, उसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि उनका रुझान सोशल मीडिया अौर इंटरनेट के प्रति बहुत बढ़ा है।’’
सारथी काउंसलिंग सर्विसेज की फाउंडर और मैरिज काउंसलर शिवानी मिसरी साधू कहती हैं कि ‘‘लड़कियां कुछ खास वजहों से लव मैरिज को चुनने लगी हैं। उन्हें पता है कि इस तरह की शादियों में भारी दहेज की मांग भी नहीं की जाती है। दूसरा, अगर शादियों में दहेज की मांग ना भी की जाए, तो भी भारतीय पारंपरिक शादियों में लड़कियों के परिवारवालों पर मोटे खर्चे का बोझ होता है। तीसरा, नए जमाने की लड़कियां अपने होनेवाले पति की पर्सनेलिटी को ले कर भी बहुत सचेत हो गयी हैं। वे  उसी को चुनना पसंद करती हैं, जो सूरत अौर सीरत से उनको अपने लिए परफेक्ट लगे। वे चाहती हैं कि उनको लड़के की हॉबी और पसंद-नापसंद को ले कर पहले से ही सब कुछ साफ-साफ पता हो।’’
लड़कियों में अरेंज्ड मैरिज को टिकाए रखने का सिर्फ पारिवारिक अौर सामाजिक दबाव होता है, जबकि लव मैरिज में वे अपने निर्णय लेने के लिए जितनी स्वतंत्र होती हैं, उतनी ही उस शादी को निभाने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। लव मैरिज में ससुरालवालों की इच्छाअों को पूरा करने का दबाव लड़की के परिवार पर ज्यादा नहीं होता, परिवार की आर्थिक हालत पर भी कम प्रभाव पड़ता है। इन सब कारणों ने लड़कियों को लव मैरिज के बारे में सोचने को प्रोत्साहित किया है।

लड़के की पसंद


जहां तक लड़कों की बात है, तो लव मैरिज को ले कर उनकी सोच भी बदली है। काउंसलर डॉ. शिवानी के अनुसार,  ‘‘जब लड़के हमउम्र साथियों को वेलेंटाइन डे पर, मूवी देखते समय और पार्क या मार्केट में गर्लफ्रेंड के साथ घूमते देखते हैं, तो उनमें भी रोमांस करने की तमन्ना जागती है। इसके साथ ही आज उच्च शिक्षा अौर अधिक से अधिक डिग्रियां लेने के बाद एक सही जॉब की तलाश करने तक लड़के शादी नहीं करना चाहते हैं। इस सबमें काफी समय लगता है। इस बीच 26-27 साल की उम्र तक आते-आते सिंगल रहने के बजाय प्यार में उनकी भावनात्मक जरूरत होती है। बाद में अगर उसी लड़की से तालमेल अच्छी होने लगती है, तो वे उसी गर्लफ्रेंड या प्रेमिका के साथ लव मैरिज करके शादीशुदा जिंदगी गुजारना चाहते हैं। इसके साथ ही ऐसी शादियों में लड़कों को भी पहले से ही लड़कियों के स्वभाव, गुण अौर विचारों को जानने का मौका मिल जाता है। अरेंज्ड मैरिज सिस्टम को ले कर लड़कों के मन में भी यह भय बना रहता है कि किसी अजनबी के साथ पूरा जीवन गुजारने में मुश्किलें अा सकती हैं। इतना ही नहीं, आज आधुनिक विचारोंवाले लड़के भी शादियों में फिजूलखर्ची के खिलाफ हैं। ऐसे में लव मैरिज एक अच्छा विकल्प है।’’     

परिवार की पसंद


मैरिज काउंसलर शिवानी कहती हैं कि आज के आधुनिक समाज में भी लव मैरिज को ले कर अभिभावकों के डर की कई वजहें हैं जैसे इस तरह की शादियां अकसर जाति या धर्म के बाहर होती हैं, छोटे शहरों या ग्रामीण इलाकों में तो इस तरह की शादी (बिना दहेज की) को परिवारवाले आर्थिक हानि के रूप में देखते हैं। शहरों की तुलना में गांवों में ऐसी शादियों को आज भी सामाजिक स्वीकृति मिलने में कठिनाई अाती है।’’
शादी डॉट कॉम के सीईअो गौरव रक्षित भी इस बात से इनकार नहीं करते हैं कि पारंपरिक शादियाें को प्रोत्साहन देने में दहेज का भी बड़ा योगदान है। शायद इसी वजह से शादी डॉट कॉम की ओर से दहेज जैसी कुरीति के खिलाफ ‘एंग्री ब्राइड्स’ नाम का गेम लॉन्च किया गया। वे स्वीकारते हैं कि शादी जैसी संस्था प्यार, आपसी तालमेल और साथ निभाने जैसी भावनाअों पर टिकी है, ना कि दहेज पर। आंकड़ों के हिसाब से भले ही आज अरेंज्ड मैरिज करनेवालों की संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन पसंद की शादी को ले कर अब लड़कियां भी मुखर होने लगी हैं, जिसे एक सकारात्मक पहल माना जा सकता है। एक प्रसिद्ध टीवी चैनल की अोर से कराए गए सर्वे में पाया गया कि आज भी 74 प्रतिशत भारतीय अरेंज्ड मैरिज को ही प्राथमिकता देते हैं। इसका निष्कर्ष यह निकाला गया कि शादी के मामले में अभी भी लोग पारंपरिक सोच रखते हैं। वे एक ऐसा मैच बनाने की कोशिश करते हैं, जो पूरी फैमिली को सूट करता हो। इस सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि एक ओर जहां राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अरेंज्ड मैरिज का प्रतिशत 88 है, वहीं पश्चिम बंगाल, नयी दिल्ली और तमिलनाडु जैसे राज्यों में यह प्रतिशत घट कर 59 ही रह गया है। विवाह को ले कर मानसिकता में यह बदलाव काफी सकारात्मक माना जा सकता है।

बदलती चाहतें नयी हसरतें


पिछले एक-डेढ़ दशक में बड़े शहरों की लड़कियों ने चाहे माता-पिता की पसंद को ही स्वीकारा और अपनाया, फिर भी इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि धीरे-धीरे प्रेम विवाह की रीति बढ़ती जा रही है। ऑनलाइन मैचमेकिंग सर्विस ट्रूली मैडली डॉट कॉम की ओर से 600 जोड़ों पर एक सर्वेक्षण किया गया। इसके निष्कर्ष में पाया गया कि 31 प्रतिशत जोड़ों ने लव मैरिज की थी, जबकि बाकी के 69 प्रतिशत की शादियां पारंपरिक थी। डॉ. शिवानी मानती हैं कि बड़े शहरों में अल्ट्रा मॉडर्न और उच्च शिक्षा प्राप्त ढेरों ऐसे परिवार हैं, जो अपने युवा बच्चों की वैवाहिक चाहतों का सपोर्ट करते हैं। पूरे सम्मान के साथ उनकी पसंद की शादी को स्वीकारते हैं।  
बेशक लव मैरिज शादियों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, पर इसे नकारा नहीं जा सकता है कि प्रेम विवाह को स्वीकार किया जाने लगा है। लड़कों के साथ लड़कियां भी विवाह को ले कर ख्वाहिशों को पूरा कर रही हैं।