Friday 07 August 2020 12:03 PM IST : By Ruby Mohanty

जब बच्चे का अलग कमरा ना हो

kids

अकसर परिवारों में बच्चों का अलग कमरा नहीं होता। ऐसी स्थिति में अभिभावकों की अौर भी बड़ी जिम्मेदारी हो जाती है कि वह बच्चों के साथ सावधानी बरतें-
बच्चे अौर पेरेंट्स का कमरा एक ही है, तो सबसे पहले जरूरी है कि चाहे बच्चा छोटा है या बड़ा, पेरेंट्स अपने ड्रेसिंग सेंस का ख्याल रखें। बहुत शॉर्ट या इतने लूज कपड़े ना पहनें, जिससे बच्चों के लिए असहज स्थिति पैदा हो। टीनएज में कदम रख रहे बच्चों के साथ यह बात ध्यान में रखने की जरूरत होती है। खुद कैसे कपड़े पहनें अौर बच्चों को कैसे कपड़े पहनाएं, इस पर ध्यान दें।
अापका संबोधन अौर अादतें ः अकसर पत्नी-पति का एक-दूसरे के साथ सेक्सुअल व्यवहार बच्चों को ना सिर्फ अचरज में डालता है, बल्कि ऐसे हावभाव अौर बातों के प्रति उनकी जिज्ञासा भी बनने लगती है। माता-पिता द्वारा एक-दूसरे से तू-तड़ाकभरी बात अौर गालीगलौज भी उन्हें यही बातें सीखने पर मजबूर करती हैं। यही भाषा धीरे-धीरे उनकी अादतों में शुमार होने लगती है। तब अाप उनसे सामान्य व्यवहार की उम्मीद करें, तो ज्यादती होगी। 
अंतरंग पल ः अपने बच्चे के साथ सोते समय अपनी अंतरंग पलों पर भी खास निगरानी रखने की जरूरत है।  सोते समय सावधानी के तौर पर खुद पर संयम रखें। अंतरंग संबंधों के लिए सही वक्त का इंतजार करना बेहद जरूरी है। पति-पत्नी का एक-दूसरे से छेड़छाड़, कटाक्ष व प्रेमपरक इशारे अौर इस तरह की भाषाअों के इस्तेमाल का सीधा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। वे मन ही मन कई बातों का अंदाजा लगाने लगते हैं। टीनएज के दौरान ये बातें उनके व्यक्तित्व विकास के लिए सही नहीं हैं।
मोबाइल का इस्तेमाल ः मोबाइल के इस्तेमाल पर खास एहतियात बरतने की जरूरत है। कोशिश करें कि बेडरूम में मोबाइल बच्चे से दूर रखें। मोबाइल पर अापके मैसेज, चैटिंग अौर सोशल साइट्स पर अापको एक्टिव देखेगा, तो धीरे-धीरे मौका मिलते ही वह भी कोशिश करेगा कि पापा या मम्मी की तरह मोबाइल-मोबाइल खेले। इस बीच में कोई नॉनवेज जोक, कोई पिक्चर उसने देखी, तो उसके कोमल मन पर बुरा असर पड़ेगा।
सोने का निर्धारित समय ः अभिभावकों को अपने बेडरूम में जहां बच्चे भी साथ सोते हों, सभी के लिए सोने का एक निर्धारित समय बनाएं। सोने का एक बेहतरीन माहौल भी बनाएं। सोने से पहले अापस में गुडनाइट अौर कुछ अच्छी बातें बोल कर एक ऐसा वातावरण बनाएं, जिससे उसके बाद बच्चे के दिमाग में एक तयशुदा घड़ी फिट हो जाए कि इसके बाद उसे सोना ही है। इस प्रक्रिया से अाप अौर बच्चे अाराम से सोएंगे, अन्यथा अापकी प्रेमालाप की गतिविधियां बच्चे के दिमाग में प्रिंट हो जाती हैं। वह जानबूझ कर वह सब देखने के लालच में या उत्कंठा में सोने का नाटक करता है अौर जागा रहता है। ऐसी स्थिति से बचना चाहिए। 
फैमिली पॉलिटिक्स ः बच्चों के अागे किसी भी तरह की फैमिली पॉलिटिक्स के बारे में डिस्कस करने से बचें। जिसके बारे में अाप बात कर रहे हैं, उसके बारे में जाने-अनजाने मन में नफरत के बीज बोने लगेंगे। हो सकता है समय अाने पर उन्हीं के अागे अापकी कही बातें दोहरा देगा।
लेट नाइट एडल्ट शो ः वयस्कों की दुनिया जानने की जिज्ञासा में बच्चे देर तक जागते हैं। इतना ही नहीं, एडल्ट टीवी शो अौर मोबाइल पर की गयी गपशप उनके दिमाग में घूमती रहती हैं अौर उन्हें नींद नहीं अाती। इसीलिए यह सुनिश्चित कर लें कि बच्चे पूरी तरह से गहरी नींद में सोए हैं, वरना कई बार पेरेंट्स इसे इग्नोर कर देते हैं या चादर अोढ़ कर लेटे रहते हैं अौर भीतर प्रेमालाप चलता रहता है। बच्चे अनजान बनने की कोशिश करते हुए चुपचाप लेटे रहते हैं, लेकिन उस सबका बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उनके चरित्र अौर व्यक्तित्व निर्माण में इस तरह की घटनाअों व की परिदृश्यों की विशेष भूमिका रहती है। इसी स्थिति से बचने के लिए बेडरूम में टीवी ही ना रखें, तो बेहतर है।