Saturday 10 October 2020 02:27 PM IST : By Gopal Sinha

बच्चे की हर गतिविधि सोशल मीडिया पर शेअर ना करें

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अरे, अपना बेबी तो चलने लगा, जल्दी से इसका वीडियो बना कर फेसबुक पर डालो ना।’’ सुहाना की खुशी बांटने में उसके पति यश ने पूरा साथ दिया और फिर क्या था ! उनके बेबी के पहली बार चलने, खाने, रोने, हंसने, सोने, जागने जैसी हर एक्टिविटी सोशल मीडिया पर शेअर की जाने लगी। दोस्तों-रिश्तेदारों के खूब लाइक्स और तारीफों से भरे कमेंट्स ने उनका ऐसा हौसला बढ़ाया कि वे भूल गए कि उनके बच्चे को इससे क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं। वे जान भी नहीं पाए कि कब पेरेंट के बजाय शेअरेंट बन गए।

पेरेंट्स जब अपने बच्चे की छोटी से छोटी हरकत व फोटो को बिना सोचे-समझे सोशल मीडिया पर शेअर करने लगते हैं, तो इसे शेअरेंटिंग कहते हैं। ओवरशेअर और पेरेंटिंग शब्दों से मिल कर बना यह नया शब्द ऐसे पेरेंट्स को चेतावनी देने के लिए काफी है। जैसे जरूरत से ज्यादा हर चीज बुरी है, उसी तरह सोशल मीडिया पर बच्चे की तसवीर शेअर करने के परिणाम भी बुरे हो सकते हैं। पिछले दिनों छपी एक खबर के मुताबिक एक बच्चे को आसानी से किडनैप कर लिया गया, क्योंकि बच्चे की एक-एक आदत मसलन वह क्या खाना पसंद करता है, उसे कौन सा खिलौना पसंद है, उसका प्यार से पुकारने का नाम क्या है, सब कुछ किडनैपर ने उसके पेरेंट्स के सोशल मीडिया को फॉलो करके पता कर लिया था।

दुनियाभर के पेरेंट्स करते हैं शेअरेंटिंग

मशहूर टॉय कंपनी फिशर प्राइस ने ऑस्ट्रेलिया में एक सर्वे किया, जिसमें पता चला कि वहां के 90 प्रतिशत पेरेंट्स इस आदत के शिकार हैं। अमेरिका में 2010 के एक सर्वे के अनुसार वहां लगभग 93 प्रतिशत बच्चे अपने दूसरे जन्मदिन तक ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करा चुके होते हैं। अपने देश के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक शेअरेंटिंग करनेवाले पेरेंट्स का प्रतिशत यहां भी कमोबेश यही होगा।

मिशिगन युनिवर्सिटी के क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डेविड कोलमैन कहते हैं कि सोशल मीडिया पर ताबड़तोड़ फोटो शेअर करनेवाले पेरेंट्स अपनी इस आदत को स्वीकार नहीं करते यानी उन्हें लगता ही नहीं कि वे कुछ गलत कर रहे हैं। बच्चों की तसवीरें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शेअर करके आप भले ही अपने सोशल मीडिया अकाउंट को पॉपुलर बनाते हैं, पर इससे आपके बच्चों को कोई फायदा नहीं पहुंचता है।

क्या हैं शेअरेंटिंग के नुकसान

पूरी दुनिया में इस बात पर बहस छिड़ी है कि पेरेंट्स को किस हद तक अपने बच्चों के फोटोग्राफ्स और दूसरी जानकारी सोशल मीडिया पर शेअर करनी चाहिए, क्योंकि इसके खतरे से लोग अब रूबरू हो रहे हैं। शेअरेंटिंग से बच्चे के बचपन और उसकी फैमिली लाइफ को नुकसान पहुंच सकता है। आपके बच्चे की तसवीरें और अन्य जानकारी चाइल्ड ट्रैफिकिंग करने वाले भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इसे ‘डिजिटल किडनैपिंग’ कहते हैं। बच्चे की तसवीरों को फोटोशॉप करके पोर्न साइट्स पर डाला जा सकता है। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर मिले नेगेटिव कमेंट्स से बच्चे के आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है। टीनएजर्स को बड़े हो कर अपनी एक अलग पहचान बनाने में दिक्कत आ सकती है, क्योंकि पेरेंट्स उनकी एक खास डिजिटल आइडेंटिटी बना चुके होते हैं, जिससे चाह कर भी वे पीछा नहीं छुड़ा पाते।

फोटो शेअर करने से पहले इन बातों पर गौर फरमाएं

पोस्ट करने से पहले सोचेंः बच्चों की तसवीरें या अपनी फैमिली के बारे में कुछ शेअर करना बुरा नहीं, पर कोई भी चीज पोस्ट करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार लें। अगर आपको जानकारी के मिसयूज होने का जरा भी शक हो, तो रुक जाएं। अपने सोशल मीडिया अकाउंट की सेटिंग प्राइवेट कर दें, क्योंकि ज्यादातर सोशल मीडिया अकाउंट डिफॉल्ट में पब्लिक होते हैं।

फोटोज व इन्फॉर्मेशन में डिटेल गोलमोल रखेंः ज्यादातर पेरेंट्स न्यू बॉर्न बेबी का नाम और जन्मदिन शेअर करते हैं। इससे बचें। वहीं स्कूल में बच्चे का पहला दिन जैसी पोस्ट में ध्यान रखें कि स्कूल व बच्चे का पूरा नाम इंटरनेट पर जाहिर ना हो, वरना बुरी नीयत वाले लोग आसानी से आपके बच्चे तक अपनी पहुंच बना सकते हैं।

सीमित लोगों को पोस्ट शेअर करेंः आपके बच्चे की बातों से भला दुनियाभर को क्या काम ! बेहतर होगा कि बच्चे की यादगार तसवीरें और निजी जानकारी अपने फैमिली मेंबर्स और खास फ्रेंड्स तक ही सीमित रखें। कई पेरेंट्स सेफ रास्ता अपनाते हुए फैमिली और खास फ्रेंड्स के लिए अलग फेसबुक या इंस्टाग्राम अकाउंट बना लेते हैं और केवल उसी पर बच्चों की तस्वीरें पोस्ट करते हैं। कोई भी ऐसी फोटो पोस्ट करने से बचें, जिससे बड़ा हो कर आपका बच्चा शर्मिंदगी महसूस करे।

दूसरे विकल्पों पर विचार करेंः अगर बच्चे की तसवीरें अपने दोस्तों से शेअर करना ही है, तो सोशल मीडिया के अलावा अन्य वैकल्पिक साधनों पर भी गौर करें। सुहाना को जब इसके नुकसान का पता चला, तो उसने अपने आईफोन में बच्चों की तसवीरों का अलबम बना लिया और अपने कॉन्टेक्ट में मौजूद दोस्तों से इसे देखने के लिए कह दिया। सोशल मीडिया पर भी ‘इन्विटेशन ओनली’ ग्रुप बनते हैं, जिसमें उन्हीं को शामिल करें, जिन पर आपको भरोसा हो।