Saturday 31 October 2020 03:24 PM IST : By Nishtha Gandhi

मां कैसे बने बच्चों की लव गुरु

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कम उम्र से ही अब बच्चे किसी ना किसी रिलेशनशिप में पड़ जाते हैं।10-12 साल की उम्र शुरू होते-होते गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड, ब्रेकअप और लिंकअप जैसे शब्द इन बच्चों के लिए आम हो जाते हैं। अगर ये बातें सिर्फ आपसी हंसी-मजाक तक सीमित रहती हैं, तब तो ठीक है, लेकिन कई बार बच्चे इन्हें ले कर इस कदर संजीदा हो जाते हैं कि वे गलत कदम तक उठा लेते हैं। अगर हम इस बारे में खुले दिमाग से सोचें, तो आजकल लव अफेअर ऐसा मुद्दा नहीं रहा कि इसे ले कर बच्चों पर कोई पाबंदी लगायी जाए। चाइल्ड काउंसलर्स की बात मानी जाए, तो आज के माहौल में यह जरूरी है कि माता-पिता बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें। उनके दिमाग में क्या चल रहा है, उनके दोस्त कौन-कौन हैं, इस बारे में जानकारी रखना और खुले दिमाग से उनसे बातचीत करना जरूरी है। वह मां ही होती है, जिससे बच्चे बेहिचक हो कर अपने दिल की सारी बातें कर सकते हैं। चाहे बेटा हो या बेटी, दोनों के लिए ही मां सबसे पहली दोस्त होती है। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ बच्चे अपनी दुनिया में मगन होते जाते हैं। उनके अपने सीक्रेट्स होने लगते हैं, जिन्हें वे किसी से शेअर नहीं करना चाहते। इस समय अगर उन्हें प्यार और भरोसा दिलवाया जाए, तो वे आपसे अपनी हर बात शेअर करने लगेंगे। यों तो बच्चों को हर चीज में आपकी सलाह की जरूरत होती है, लेकिन दिल के मामले में मां से अच्छी सलाह उन्हें और कोई नहीं दे सकता।

पहले जीतें विश्वास

बच्चों का विश्वास जीतना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके लिए छोटी उम्र से ही उन्हें यह बात समझाएं कि आप उनकी फ्रेंड हैं और वे अपनी हर छोटी-बड़ी बात आपसे शेअर कर सकते हैं। यह ना भूलें कि बच्चे आपसे ज्यादा स्मार्ट और एक कदम आगे हैं। वे आपको कोई बात बता कर कई तरीकों से यह चेक करते हैं कि कहीं आप उनका सीक्रेट घर में किसी से शेअर तो नहीं कर रही हैं। इसलिए बच्चे अगर अपना कोई सीक्रेट आपको बताएं, तो उसे अपने पास ही रखें। अगर पति को या घर में किसी और को भी यह बात बतानी हो, तो उन्हें सख्त हिदायत दें कि वे इस बारे में बच्चों से कोई बात ना करें और ना ही उन्हें कोई सलाह दें। एक बार बच्चों का आप पर विश्वास कायम हो जाएगा, तो फिर वे आपको छोटी-बड़ी हर बात बताएंगे।

जब वे खास दोस्त के बारे में बताएं

- उनकी बात पूरे धैर्य से सुनें। कोई भी रिएक्शन देने में जल्दबाजी ना करें। उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि आप इस मसले पर नेगेटिव सोच रखती हैं।

- अगर आपको स्कूल टीचर या उसके किसी दोस्त से यह पता चलता है कि वह किसी के प्रति आकर्षित है, तो इस बारे में उससे एेसे बात ना करें, जैसे आप उसकी क्लास ले रही हैं या डांट-डपट रही हैं।

- इस मुद्दे पर बच्चे से सामान्य रूप से बातचीत करें। गुस्से में और ऊंची आवाज में बात ना करें।

- अगर बच्चे की उम्र कम है, तो उसे यह समझाएं कि वह गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड को ले कर ज्यादा सीरियस ना हो जाए। कोई अच्छा लगता है, तो यह बड़ी सामान्य सी बात है।

- बेशक आप बच्चों की कितनी ही अच्छी दोस्त क्यों ना बन जाएं, लेकिन उनसे एेसी उम्मीद करना गलत है कि वे आपके सामने ही गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड से बात करें। कम उम्र में बच्चे एेसा करने से आमतौर पर झिझकते ही हैं।

- बच्चा अगर अपने रिलेशनशिप को ले कर ज्यादा ख्वाब देखने लगा है, हर समय खोया-खोया लगता है, रोमांटिक मूवी या गाने सुनता है, तो चिढ़ने या डांटने के बजाय बातों-बातों में उसे प्रैक्टिकल बनाएं। यह समझाएं कि लव, रोमांस, मीठी बातें, दिल में गुदगुदी उम्र के इस दौर में एकदम सामान्य हैं। उसके साथ कुछ नया नहीं हाे रहा है, एेसा सबके साथ होता है, जिसकी रौ में बहना ठीक नहीं है।

- अगर आपको यह महसूस हो रहा है कि बच्चा किसी को ले कर ज्यादा सीरियस हो रहा है, महंगे गिफ्ट दे रहा है, तो उसे एक बार ठंडे दिमाग से यह सोचने को कहें कि उसका फ्रेंड उसे कितने गिफ्ट दे रहा है, क्या वह भी उसे ले कर उतना ही सीरियस है।

- बच्चा टीनएजर है, तो उसे मौका देख कर साफ शब्दों में यह समझाएं कि वह अपने दोस्तों के प्रेशर में आ कर कुछ ना करे। सेक्स, किसिंग, अल्कोहल या सिगरेट पीना ऐसे काम हैं, जिनकी वजह से वह किसी मुसीबत में फंस सकता है। इन मुद्दों पर बात करने से कभी ना हिचकिचाएं। उसे साफ शब्दों में समझाएं कि लव का मतलब किसी पर दबाव बनाना नहीं होता। अगर पार्टनर उसे इतना ही प्यार करता है, जितना कि वह, तो फिर वह उसकी फीलिंग्स को समझेगा।

- अपने बच्चों के दिमाग में यह बात बैठानी बहुत जरूरी है कि किसी भी स्थिति में उसे अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट के साथ समझौता नहीं करना है, फिर चाहे वह किसी रिलेशनशिप में ही क्यों ना हो। यह ना भूलें कि बच्चे इमोशनल ज्यादा होते हैं, आपको उन्हें जिंदगी की प्रैक्टिकल साइड भी समझानी है।

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- अपने सामने फोन पर बात करने का प्रेशर डालने के बजाय यह कोशिश करें कि उसे अकेले में किसी से बात करने के कम ही मौके मिलें।

- दोस्तों के साथ अगर वह घूमने-फिरने जाना चाहता है, तो एकदम से मना करने के बजाय पहले सारी बात की जानकारी लें कि वह कहां जा रहा है और उसके साथ कौन-कौन से दोस्त जा रहे हैं। सीधे उसकी गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड का नाम ले कर ना पूछें। उसे समझाएं कि वह दोस्तों के साथ बेशक जाए, लेकिन घर पर झूठ ना बोले। किसी एेसी जगह ना जाए, जहां उसकी सुरक्षा को ले कर खतरा हो।

- लड़कियों को खासतौर से यह समझाना जरूरी है कि किस्से-कहानियों की बातों में वे इतनी ना बह जाएं कि बाकी चीजों को भूल जाएं। अपने दोस्त, हॉबीज और पढ़ाई पर भी उन्हें उतना ही ध्यान देना है।