Thursday 22 October 2020 03:37 PM IST : By Nishtha Gandhi

जब बच्चे को प्ले स्कूल भेजें

sending-child-to-play-school

पेरेंट्स की जागरूकता के चलते प्ले स्कूल कल्चर में अब काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। शेमफोर्ड ग्रुप ऑफ स्कूल्स की फाउंडर डाइरेक्टर मीनल अरोड़ा का कहना है, ‘‘अब वह जमाना नहीं रहा, जिसमें बच्चे घर के पास किसी भी प्ले स्कूल में चले जाते थे। अब प्ले स्कूल के लेवल से ही बच्चों में स्किल डेवलपमेंट और स्मार्ट लर्निंग पर जोर दिया जाने लगा है। इसमें लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का भी अहम रोल है। बच्चे का प्ले स्कूल ढूंढ़ते समय कुछ जरूरी बातें हर पेरेंट्स को पता जरूर करनी चाहिए।’’

- बड़े शहरों में चूंकि माता पिता दोनों ही कामकाजी हैं, तो एेसे में प्ले स्कूल भी बच्चों के लिए 9-6 का कॉन्सेप्ट ले कर आए हैं। पेरेंट्स यहां पर बच्चों को ऑफिस जाते समय छोड़ सकते हैं। यहां पर बच्चे पढ़ाई, खेलकूद के अलावा कई और एक्टिविटीज भी करते हैं।

- स्मार्ट क्लासरूम में डिजिटल स्क्रीन, स्मार्ट वाइटबोर्ड्स जैसे विजुअल माध्यमों से बच्चे पढ़ायी गयी चीजों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। इसमें 2डी, 3डी इमेज, वीडियोज और इंफोग्राफिक्स आदि शामिल होते हैं।

- प्ले स्कूल में अब ग्रीन क्लासरूम्स भी बनाए जा रहे हैं, जिनमें एलोवेरा, स्नेक प्लांट, रबर प्लांट जैसे इनडोर प्लांट्स भी लगाए जा रहे हैं।

- आजकल प्ले स्कूल में कॉन्सेप्चुअल लर्निंग पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। बच्चे सिर्फ किताबों से ही नहीं, बल्कि ऑडियो-विजुअल माध्यमों से और तरह-तरह की एक्टिविटीज के द्वारा सीखते हैं।

चाहे प्ले स्कूल हो या नर्सरी स्कूल हर जगह आपसे फीस के नाम अच्छी खासी रकम ली जाती है, ऐसे में बच्चे की सेफ्टी और देखभाल से जुड़े मुद्दों पर सवाल-जवाब करने से पेरेंट्स को झिझकना नहीं चाहिए मसलन-

- छोटे बच्चों को टॉयलेट ले जाने के लिए आया है कि नहीं और वह स्त्री है या पुरुष

- स्कूल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं या नहीं।

- बच्चा कई बार गलती से पैंट में सूसू-पॉटी कर देता है, इसके लिए उसके बैग में एक्स्ट्रा पैंटी और कपड़े जरूर होने चाहिए। लेकिन स्कूल में इस बात का पता भी करें कि उनके पास इस स्थिति के लिए क्या इंतजाम हैं।

- एक क्लास में कितने बच्चे होंगे और उन्हें संभालने के लिए कितनी टीचर्स क्लास में मौजूद रहेंगी, इस बारे में जानकारी लें। अगर एक क्लास में 45-50 बच्चे होंगे, तो अकेली टीचर के लिए उन पर ध्यान देना मुश्किल हो जाएगा।

- बुक्स, ड्राइंग मटीरियल आदि रखने के लिए स्कूल में लॉकर है कि नहीं, यह भी पूछें, वरना उसे रोजाना भारी बैग स्कूल ले जाना पड़ेगा।

- बच्चा स्कूल खत्म होने के बाद भी वहीं डे बोर्डिंग में रहता है, तो फिर यह भी देखें कि दोपहर में उन्हें सुलाने के लिए किस तरह के इंतजाम हैं। बेड शीट्स वे कितने समय में बदलते हैं। अगर बच्चा वहीं पर सूसू कर देता है, तो फिर बेड शीट बदली जाती है कि नहीं।

- आजकल स्कूलों में लगे सीसीटीवी कैमरों को पेरेंट्स के मोबाइल से भी कनेक्ट किया जा सकता है। जिस स्कूल में आप बच्चे को भेज रहे हैं, वहां से इस बारे में भी पता करें।