Friday 09 April 2021 05:00 PM IST : By Team Vanita

हमउम्र बच्चों के झगड़े कैसे सुलझाएं

Brother and sister arguing

एक ही उम्र के भाई-बहन के बीच मुकाबले की स्थिति बने रहने की वजह उनका हमेशा साथ रहना और हमउम्र होना है। परिवार से ही बच्चा अपने भाई-बहन के साथ होनेवाली कुट्टी-मिट्ठी से मतभेदों को सुलझाना सीखता है। उनके बीच झगड़े के पीछे कोई ना कोई कारण होता है, जिसे सही या गलत ठहराने के लिए वे माता-पिता के पास भागते हैं और यहां से माता-पिता का रोल शुरू होता है।

हेल्दी पेरेंटिंग रिलेशनशिप की दिल्ली में लाइफ कोच पल्लवी सरीन कहती हैं कि अगर बच्चे लड़ाई के कुछ देर बाद दोस्ताना हो जाते हैं, तो चिंता की बात नहीं है, पर अगर वे एक-दूसरे को सामान उठा कर मारते हैं, तो उन पर नजर रखने की जरूरत है। 7-8 साल के बच्चे को बचपन की बातें याद नहीं रहतीं। जब वे झगड़ें, तो उनके बचपन की कहानियां सुनाएं कि वे अपने भाई या बहन से किस तरह हर चीज शेअर करते थे। तब वे फिर से उतने अच्छे होने की कोशिश करेंगे।

माता-पिता का व्यवहार भी बच्चों के बीच मतभेद का कारण है। बड़े बच्चे से हर वक्त यह कहा जाए कि छोटे भाई-बहन का ध्यान रखना, तो इस जिम्मेदारी की वजह से वह खुद ठीक से नहीं खेल पाता। बड़े बच्चे पर इतनी जिम्मेदारी ना डालें कि उसका बचपन खो जाए। उसे काम में खेल-खेल में शामिल करें, वरना वह छोटे भाई-बहन से चिढ़ने लगेगा।

अगर पिता बेटी से यह सोच कर अच्छी तरह पेश आएं कि वह कल को शादी के बाद अपने घर चली जाएगी, तो बेटा इस वजह को समझ नहीं पाता। उसे लगता है कि उसे बहन के मुकाबले तवज्जो नहीं दी जा रही। दोनों को बराबर स्पेस और प्यार दें।

10-13 की उम्र में बहन-भाई के स्वभाव, शौक, पसंद-नापसंद में जमीन-आसमान का अंतर आ जाता है। बात-बात पर तकरार शुरू हो जाती है। उनके बीच दोस्ती का रिश्ता बनाने की माता-पिता की कोशिश होनी चाहिए।

माता-पिता का दोनों के प्रति व्यवहार निष्पक्ष होना जरूरी है। कई बार वे अनजाने में पक्षपातभरा व्यवहार कर बैठते हैं। इसके लिए जरूरी है कि पहले वे अपने बच्चों की शख्सियतों, जरूरतों के अंतर को ठीक से समझें। उम्र का अंतर भी दोनों के बीच विवाद का कारण होता है। कई बार छोटे बच्चे बड़े दुलारे होते हैं, उनकी हर फरमाइश पूरी की जाती है, पर बड़े बच्चे को बात-बात पर टोका जाता है।

हर बच्चा दूसरे से अलग व खास है। उसकी तुलना भाई या बहन से करते हुए, कमतर साबित करने की गलती ना करें। सारे बच्चे पढ़ने में तेज नहीं होते। सबमें अलग-अलग हुनर होता है, उसे सराहें व विकसित करने में मदद करें।

बच्चे के गुस्से को नजरअंदाज ना करें। उसकी वजह जानें। उसे खराब व्यवहार के लिए मारना-पीटना शुरू करने के बजाय उनकी सीमा बताएं कि आपस में मारपीट करना, गलत नामों से बुलाना, एक-दूसरे को नीचा दिखाना नहीं चलेगा। अगर मना करने के बावजूद ऐसा हो, तो उनको सख्ती से समझाएं। उसे अनुशासन दूसरे भाई-बहन के सामने ना सिखाएं, वरना दूसरा भाई या बहन अपने आपको सुपीरियर समझने लगेगा।

जहां तक संभव हो, बच्चों को अपने झगड़े, मतभेद खुद मिल कर सुलझाने दें।

एक बच्चे के साथ हुए गलत व्यवहार के लिए दूसरे को सजा देने से पहले एक बार तो सोचें कि पहले बच्चे की किस हरकत की वजह से दूसरे ने उसे धक्का दिया या मारा। आखिर छोटा या बड़ा बच्चा भाई या बहन की गलत हरकत कब तक बर्दाश्त करेगा? अकसर जब बच्चे मिल कर खेल रहे होते हैं, तो माता-पिता उनकी ओर ध्यान नहीं देते। बस तभी ध्यान देते हैं, जब उनके बीच झगड़े होते हैं और उनको डांटना-फटकारना शुरू कर देते हैं।

माता-पिता का बच्चों के बीच की तकरार को इग्नोर करना ठीक रहता है। उनके दखल की से बच्चों के बीच मनमुटाव बढ़ते जाते हैं। अगर वे लड़-झगड़ कर फिर खेलने लगे हैं, तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन दोनों के बीच प्रॉब्लम दिखने लग जाए, तो आपके हस्तक्षेप की जरूरत है। उस समय दोनों को बिठा कर समझाएं।

एक बच्चा दूसरे को सता रहा है, तो कड़े स्वर में कहें कि बहुत हो चुका अब यह सब बंद करो।

बात बढ़ जाए, तो दोनों को अकेला ना छोड़ें। किसी ना किसी को उनके पास छोड़ कर आएं।

जब भाई-बहन के बीच कोई लड़ाई या चीख-चिल्लाहट मचे, तो उस स्थिति को बदलने की कोशिश करेें। कहें कि हम लोग कुछ मिल कर खेलते हैं, आओ बाहर चल कर फ्लाइंग डिश खेलें। जब आप अपनी समझदारी से किसी स्थिति को डील करते हैं, बच्चा इस तरह समझदारी के साथ हालात से निबटना सीख जाता है।

कई बार बहुत छोटी-छोटी बातों से बच्चाें के बीच गाल फुलौव्वल लंबे समय तक बना रहता है। बेहतर रहेगा कि दोनों के बीच उचित बंटवारा करें। मसलन-

कौन लिफ्ट का बटन दबाएगा।

होटल में लंच या डिनर का ऑर्डर तय करने की इस बार किसकी बारी है।

आज किसकी पसंद का टीवी प्रोग्राम चलेगा।

हफ्ते में एक बार डस्टिंग में मम्मी की मदद करने का किसका टर्न है।

बच्चों के झगड़े माता-पिता के लिए सिर दर्द हैं, पर बच्चे तो बच्चे ही हैं आप इतने बड़े हो जाएं कि उनके साथ चीखना-चिल्लाना ना शुरू कर दें।

बच्चे एक हों या दो, उनको कमरा एक ही शेअर करना होता है। पहले ही स्पष्ट कर दें कि वे अपना-अपना सामान कैसे अरेंज करें। कमरे की सफाई बारी-बारी से करनी है। ये बातें उनको अनुशासित करती और एक-दूसरे के स्पेस की इज्जत करना सिखाती हैं।

बच्चों के साथ माता-पिता समय बिता कर, उनसे बातें करके उनको स्पेशल महसूस करा सकते हैं। परिवार के कुछ नियम बनाएं, जिसका पालन सभी करें। जैसे ऊंची आवाज में झगड़ना, बोलना नहीं है। फब्ती नहीं कसनी है। उनको अपनी लड़ाई खुद सुलझानी है।

जब बच्चों के बीच लड़ाई हो

जब बच्चों के बीच छिड़ा घमासान बंद ही ना हो और वे चीख-चिल्ला कर एक-दूसरे की शिकायत कर रहे हों, तो आप क्या करें-

Brother and sister arguing

आप दोनों को बुला कर ठंडे और कड़े शब्दों में कहें कि मैं नहीं जानती कि तुम इस मामले को कैसे खत्म करोगे। दोनों कमरे में जाओ, बातचीत करो और बिना किसी निबटारे के बाहर आने की जरूरत नहीं है।

इतनी देर से दोनों झगड़ रहे हो, इधर आओ, कपड़े तह करने और अपनी अलमारी में रखने में मेरी मदद करो।

झगड़ा छोड़ कर मेरी बात पर ध्यान दो। मैं बारी-बारी से दोनों की बात सुनूंगी।

तुम लोगों को अपने ऊपर गर्व होना चाहिए, क्योंकि आज तुम 20 मिनट तक साथ खेलते रहे, उसके बाद लड़ाई शुरू हुई। चलो सेलिब्रेट करें यानी दोनों को बराबर मात्रा में चॉकलेट या आइसक्रीम दें।