Thursday 25 May 2023 04:16 PM IST : By Nishtha Gandhi

बच्चों को गलत संगत से कैसे बचाएं

bacha-1

बतौर पेरेंट्स हम अपने बच्चों के लिए हर चीज बेस्ट चाहते हैं, फिर चाहे वह उनकी लाइफ हो या कैरिअर। हालांकि ज्यादातर बच्चे एक उम्र तक इन सब बातों की तरफ से बेपरवाह होते हैं। खासकर टीनएजर्स अपनी लाइफ में मौजमस्ती और दोस्तों को पढ़ाई से ज्यादा तरजीह देते हैं। शारीरिक और मानसिक बदलावों की इस उम्र में अकसर बच्चे गलत संगति और बुरी आदतों के शिकार हो जाते हैं। कई बार दोस्तों के उकसाने पर तो कई बार सिर्फ एक्सपेरिमेंट के तौर पर बच्चे ड्रग्स, सिगरेट, क्राइम, पोर्न आदि की गिरफ्त में फंसने लगते हैं। अमूमन बच्चों की किसी गलत आदत का पेरेंट्स को पता चलता है, तो उनका पहला रिएक्शन डांट-डपट ही होता है, जोकि गलत है। फोर्टिस स्‍कूल मेंटल हेल्‍थ प्रोग्राम की हेड और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मीमांसा सिंह तंवर का कहना है, ‘‘पीअर प्रेशर चाहे भौतिक जीवन में हो या ऑनलाइन दुनिया में, यह बच्‍चों की विचार प्रक्रिया, उनकी पसंद-नापसंद और यहां तक कि उनके फैसलों और व्‍यवहारों तक को काफी प्रभावित करने की क्षमता रखता है। इसका असर उनके मूड, आत्‍मविश्‍वास और वे खुद को किस प्रकार देखते हैं, जैसे पहलुओं पर भी पड़ता है जो आजीवन उन्‍हें प्रभावित कर सकता है। खासतौर पर उस स्थिति में जबकि बच्‍चे में आत्‍मविश्वास की कमी हो, वह ऐसे परिवार से आता हो, जिसमें बिखराव हो, उसे शामिल ना किया जाता हो, रिजेक्‍शन या बुलिंग का शिकार हो और वह दोस्‍तों के दबाव में आ कर झुक सकता हो।’’

कैसे पहचानें

हर माता-पिता को अपने बच्चों पर नजर रखनी ही चाहिए। दरअसल ओवर प्रोटेक्टिव होने और बच्चों की लाइफ में शरीक हो कर रहने में हल्का सा फर्क होता है। जब बच्चे बड़े होने लगें, तो पेरेंट्स को उन्हें स्पेस देते हुए इस बात की पूरी जानकारी रखनी चाहिए कि बच्चा घर से बाहर क्या करता है, उसके दोस्त कौन-कौन हैं, क्या वह कोई हॉबी डेवलप कर रहा है, ताकि उसके जीवन में होनेवाले जरा से बदलाव पर भी आपकी नजर पड़ने लगे। हमें यह समझना होगा कि आजकल के बच्चे हमसे कई गुणा ज्यादा चालाक और चतुर हैं। बच्चे के व्यवहार में अगर ये परिवर्तन देखें, तो समझ जाएं कि वह गलत संगति में फंस रहा है-

1. अगर अचानक से परीक्षा में उसके नंबर कम आने लगें।

2. वह स्कूल या ट्यूशन से देर से घर आने लगे।

3. उसके व्यवहार में परिवर्तन महसूस हो, वह आपसे बात करने से कतराने लगे।

4. अपनी पॉकेटमनी को वक्त से पहले खत्म करे या फिर अकसर आपसे पैसों की डिमांड करने लगे।

5. घर में अगर वह हर समय चूइंगम चबाए, तो एक बार यह जरूर पता करने की कोशिश करें कि कहीं वह सिगरेट तो नहीं पीने लगा है। आजकल ना सिर्फ नॉर्मल सिगरेट, बल्कि ई-सिगरेट भी बच्चों में बहुत पॉपुलर हो रही है।

6. स्कूल टीचर आर ट्यूटर बच्चे की शिकायत करने लगें कि आजकल इसका ध्यान इधर-उधर रहता है या फिर यह बहुत लड़ाई करने लगा है।

7. अगर वह अपने दोस्तों की बातें आपसे करने में कतराने लगे, बहुत पूछने पर भी दोस्तों के नाम ना बताए, उन्हें घर बुलाने से मना करे।

8. हर समय अलग-थलग रहना पसंद करे, फोन पर बात करते समय सबसे दूर चला जाए।

9. बातचीत में ज्यादा लाउड हो जाए, गलत शब्द या गालियां बोलने लगे, जोकि आमतौर पर आपके घर में नहीं बोले जाते।

10. अपना बैग, अलमारी या बाकी चीजें छोटे भाई बहनों को छेड़ने से मना करना तो ठीक है, लेकिन अगर मम्मी पापा को भी मना करने लगे।

क्या करें

bacha-2

बच्‍चे इस बात को ले कर मन में डर पाल लेते हैं कि अगर वे कुछ अलग तरीके से बर्ताव करेंगे या दोस्तों द्वारा अपनाए जा रहे तौर-तरीकों को नहीं मानेंगे, तो उन्‍हें किस तरह से देखा जाएगा, इसे ‘स्‍पॉटलाइट इफेक्‍ट’ कहा जाता है। ऐसे में हमें उन्‍हें दूसरों द्वारा जज किए जाने का डर दूर करने में मदद करनी होगी। बच्चों से पूछें कि अगर वे उस स्थिति में होते, तो क्‍या चुनते? उन्‍हें समझाएं कि उनके दोस्‍तों को भी दूसरों के सामने अपनी सेल्‍फ-इमेज की चिंता सता सकती है।

1. बच्चों को समझाने के लिए कुछ हाइपोथेटिकल परिस्थितियों को चुनें। उनसे सवाल करें कि अगर उनका दोस्‍त इस प्रकार का बर्ताव करेगा, तो खुद उनकी सलाह क्‍या होगी? इस तरह उन्हें सही-गलत का अंतर पता चलेगा। यह भी हो सकता है कि वे खुद अपने दोस्‍तों को गलत फैसले से रोकने के लिए कोशिश करें।

2. बात-बात में बच्चों पर हाथ उठाना ठीक नहीं है। खासकर से तब, जब उनकी कोई गलती पकड़ में आए। इस समय वे मानसिक तौर पर पूरी तरह से तैयार होंगे कि उन्हें आपसे थोड़ी मार पड़ेगी और फिर बात आयी गयी हो जाएगी। उनकी उम्मीद से उलट रिएक्शन मिलने पर वे सरप्राइज होंगे और ज्यादा झूठ नहीं बोल पाएंगे।

3. बच्चों पर नजर रखना बहुत जरूरी है। समय-समय पर फोन और कंप्यूटर की हिस्ट्री चेक करें, स्कूल व ट्यूशन पर सरप्राइज विजिट करें। अगर आप कामकाजी हैं और बच्चे घर पर अकेले रहते हों, तो भी कभी-कभी उन्हें बिना बताए घर आएं। इससे उनके मन में यह डर रहेगा कि पेरेंट्स कभी भी कहीं भी आ सकते हैं और वे गलत काम करने से डरेंगे।

4. बच्चों के दोस्तों की कभी बुराई ना करें। इस उम्र में दोस्त सबसे ज्यादा प्यारे होते हैं और उनकी बुराई करनेवाला सबसे बड़ा दुश्मन। इसलिए अगर कोई दोस्त पसंद नहीं है, तो बच्चों को प्यार से समझाएं कि फलां दोस्त आपको क्यों पसंद नहीं है। उसकी कौन सी आदत नुकसान पहुंचा सकती है या फिर खराब संगति में रहने से उनकी इमेज पर क्या फर्क पड़ेगा। जब आप बच्चों को ये बातें समझा रहे हों, तो खुद भी ये समझें कि एक बार में बच्चे आपकी बात नहीं मानेंगे। उनकी लगातार मॉनिटरिंग करें।ऐसे दोस्तों से बच्चों का मिलना-जुलना धीरे-धीरे कम करवाएं।

5. कई बार कुछ दबंग किस्म के बच्चे धौंस जमा कर भी दूसरे बच्चों को बुली करते हैं और लड़ाई-झगड़े या गलत कामों में जबर्दस्ती साथ ले जाते हैं। अगर आपके बच्चे के साथ भी ऐसा ही केस है, तो कुछ दिन उसे स्कूल, ट्यूशन व कोचिंग अकेले ना जाने दें। घर के किसी बड़े की ड्यूटी लगाएं कि वह उन्हें वक्त पर लाने ले जाने की जिम्मेदारी उठाए।

6. अगर आपको यह महसूस हो रहा है कि बच्चा काफी हद तक हाथ से निकल चुका है, तो घर में सबको मिल कर सख्ती से काम लेना होगा। हर किसी को यह जिम्मेदारी उठानी होगी कि बच्चा किसी भी समय अकेला ना रहे। बिना बताए घर से बाहर ना जाए और बेवजह फोन पर चिपका ना रहे। कई बार कुछ कड़े कदम उठाना जरूरी हो जाता है, जैसे पॉकेटमनी बंद कर देना, दोस्तों के साथ बाहर जाने पर पाबंदी लगाना, स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक लगाना आदि।

7. इस बात का ध्यान जरूर रखें कि जब आप बच्चे के एंटरटेनमेंट पर रोक लगा रहे हैं, इसलिए उसे किसी ऐसे क्रिएटिव काम में जरूर डालें, जिससे वह बिजी रहे, वरना खाली दिमाग शैतान का घर ही बना रहेगा।

8. गर इन तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चे अपने आपको बदल ना पा रहे हों और आपको लगता है कि इसकी वजह से उनका नुकसान हो सकता है, तो इस बारे में एक्सपर्ट की मदद लें।