Tuesday 30 January 2024 03:44 PM IST : By Meena Pandey

बच्चों का दिमाग तेज करना है, तो उन्हें ग्रुप गेम्स खेलने की आदत डालें

आयरलैंड के डबलिन स्थित पार्क अकादमी की इमोना लिंच ने अपने अध्ययन में पाया कि ग्रुप में खेलनेवाले बच्चों की एकाग्रता अच्छी होने के साथ उनकी याददाश्त भी मजबूत होती है। तनावरहित रहने के साथ उनमें अनुशासन आता है। इसके लिए जरूरी है कि उनको ऐसे खेलों में शामिल किया जाए, जिनमें दिमाग लगाना पड़े और जिन्हें वे सोच कर, एकाग्र हो कर खेलें। एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चे के दिमाग का 90 प्रतिशत विकास 5 साल की उम्र तक ही जाता है। आइए, उन गेम्स के बारे में जानें, जिन्हें खेलने से बच्चे का दिमाग तेज हो। खासकर ग्रुप गेम्स में खेलने से युक्ति लगाना सीखते हैं।

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वर्ड हंट गेम
कम से कम 2 और ज्यादा से ज्यादा 4 बच्चे इस गेम को खेल सकते हैं। इसमें ए से ले कर जेड तक ब्लॉक्स या कार्ड होते हैं। हर बच्चे को आंख बंद करके एक कार्ड उठाना होता है और उस अक्षर से दूसरे अक्षर के ब्लॉक्स या कार्ड्स जोड़ कर अर्थपूर्ण शब्द बनाना होता है। इसके लिए बहुत दिमाग लगाना होता है, एकाग्र हो कर सोचना पड़ता है। समय की एक लिमिट होती है। ग्रुप में जो बच्चा जितने ज्यादा शब्द बनाता है, उसकी जीत होती है।
दाएं मुड़ बाएं घूम
इसमें एक बच्चा कमांडर चुना जाता है, बाकी बच्चे ग्रुप में लाइन बना कर खड़े हो जाते हैं। कमांडर का रोल निभा रहा बच्चा ऑर्डर देता है, ‘‘दाएं मुड़, बाएं घूम, आगे चल, पीछे हट।’’ कमांडर के आदेशानुसार बच्चे दाएं-बाएं घूमते हैं। कमांडर खुद भी अपने आदेश की दिशा में घूमता, मुड़ता या आगे बढ़ता है। आदेश देते समय कमांडर ‘आगे बढ़’ के बजाय ‘पीछे घूम’ कह सकता है। इसमें बच्चों को अपना दिमाग बहुत एलर्ट रखना होता है। जो बच्चा गलत मुड़ता है, वह खेल से बाहर हो जाता है। इसी तरह अगर कमांडर दाएं बोल कर खुद बाएं घूम जाता है, तो उसे बदल दिया जाता है। वह बाकी बच्चों के साथ लाइन में आ जाता है और एक नया कमांडर बच्चों के बीच से ही चुना जाता है। इस खेल को खेलने से बच्चे में चौकन्ना रहने का गुण बढ़ता है। इसके साथ ही ध्यान से बात सुनने की जागरूकता भी विकसित होती है।
रोल निभाना
अकसर बच्चे ग्रुप में टीचर-टीचर, नर्स-नर्स या डॉक्टर-डॉक्टर खेलते  हैं। खेल कई तरह के हो सकते हैं। लेकिन इनको निभाते हुए बच्चों की कल्पना शक्ति और क्रिएटिविटी दोनों खूब सक्रिय हो जाती हैं।
स्टैच्यू या फ्रीज
इसमें म्यूजिक लगा कर बच्चे डांस करते हैं। अचानक कोई बच्चा म्यूजिक पॉज करके कहता है, ‘‘दादी’’ सारे बच्चे दादी की तरह मुद्रा बना कर फ्रीज हो जाते हैं। ओवर कहते ही दोबारा म्यूजिक शुरू होता है, डांस चलता है और अचानक म्यूजिक रुकने के साथ भिन्न-भिन्न लोगों, वस्तुओं या जानवर के पोज में दोहराया जाता है, जिसमें बच्चे स्टैच्यू की तरह पोज में आ जाते हैं। इससे बच्चों का दिमाग तेज होता है और अलग-अलग पोज यानी मुद्राएं बनाने के लिए एकाग्रता व कल्पनाशीलता बढ़ती है।

ASHISH SOMPURA STOCK PHOTOGRAPHY

छोटे-छोटे गेम
अगर पेरेंट्स भी बच्चों के साथ खेलकूद में शामिल हो जाएं, तो उनके बच्चों से संबंध मजबूत होते हैं। कुछ खेल अकेले और ग्रुप दोनों में खेले जा सकते हैं, मसलन दौड़ना, रस्सी कूदना, जंपिंग, कैच-कैच और रस्साकसी। ये गेम बाद के जीवन में बच्चों को अनुशासित बनाते हैं।
स्टोरी बुक पढ़ना
स्टोरी बुक पढ़ने की आदत डाल कर आप उसके सामने भविष्य की खिड़की खोल देते हैं। उसकी प्रतिभा को विकसित होने का मौका मिलता है। इसी तरह उनमें डांसिंग, पेेंटिंग और संगीत की प्रतिभा को पहचान कर उनकी जिंदगी को दिशा दी जा सकती है।
ग्रुप गेम्स में शामिल होने से बच्चे की दिनचर्या सुधरती है और उसको नींद भी अच्छी आती है। कंप्यूटर या मोबाइल के ज्यादा उपयोग से वे अकेलेपन से घिर सकते हैं। जबकि ग्रुप गेम्स उन्हें समाज से जोड़े रखते हैं। उनमें टीम स्पिरिट बढ़ती है।