क्यों ना इस बार त्योहारों पर इको फ्रेंडली तरीके से पूजा की जाए अौर उसमें इस्तेमाल में लायी गयी सामग्री का िवसर्जन भी इको फ्रेंडली तरीके से िकया जाए। पर्यावरण बचाअो मुहिम के तहत नदियों, तालाबों को अौर अधिक प्रदूषित होने से बचाने की िदशा में यह बहुत बड़ा कदम होगा।
गणपति पूजा के बाद दुर्गा पूजा, दीवाली पूजा, िफर छठ पूजा या िफर इन तीज-त्योहार से हट कर भूिम पूजन, गृह प्रवेश पूजा, बच्चे के पैदा होने पर पूजा, विवाह की रस्मों वगैरह का सिलसिला बना रहता है। दिन की शुरुअात ही भगवान के सामने दीया-बाती से होती है। हम सदियों से पूजा में इस्तेमाल लायी गयी सामग्री नदियों में प्रवािहत करते अा रहे हैं। एेसे में कुछ लोग को इस तरह की बातें सुनना पसंद नहीं अाएगा िक पूजन सामग्री को नदियों में प्रवािहत कर उन्हें गंदा ना िकया जाए। उनका यही जवाब होगा िक ‘पूजा में इस्तेमाल की गयी चीजें पवित्र होती हैं, इनसे शुद्धता अाती है, ना िक गंदगी या प्रदूषण।’ पढ़े-लिखे लोग भी इसका बड़ी श्रद्धा से पालन करते हैं। यही वजह है िक गंगा-यमुना जैसी नदियाें में प्लास्टिक की थैलियां, गंगाजल की प्लािस्टक की बोतलें, प्लास्टिक से बने फूलों के हार गंदगी फैलाते नजर अाते हैं। हम सब बात जानते हैं िक प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं है। प्लास्टिक के नदी मंे जाने से उस पानी को पीने से ना केवल इंसान बल्कि जानवर तक बीमार पड़ सकते हैं।
देवी-देवताअों की मूर्तियां िजन चीजों से बनी होती हैं, वे भी पानी में अासानी से घुल नहीं पातीं। उन पर जो केिमकल रंग लगे होते हैं, वे पानी में घुल कर उसे जहरीला बनाते हैं।
इको फ्रेंडली पूजा
l दीवाली पर िमट्टी या िरसाइकिल हो जानेवाली चीजों से तैयार लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियां लाएं। इन पर अॉर्गेिनक नेचुरल कलर िकए गए हों।
- देवी-देवताअों की मूर्तियां िफटकरी से तैयार की जाएं, तो इससे बेहतर कुछ नहीं।
- प्लास्टिक के फूलों-लड़ियों के बजाय नेचुरल फूलों से मंदिर व घर को सजाएं। पूजा में थर्मोकोल की जगह लकड़ी के पटरे का इस्तेमाल करें। प्लास्टिक के बरतनों के बजाय चांदी, तांबे के बरतनों का इस्तेमाल करें।
- नवरात्रों में कन्या पूजन के समय उन्हें प्लािस्टक के लंच बॉक्स, कटोरियां ना दें। उन्हें प्रसाद पेपर प्लेट, दोने या स्टील के बरतन में डाल कर दें।
इको फ्रेंडली विसर्जन
पूजा में इस्तेमाल लायी गयी चीजें नदी के बजाय घर में िवसर्जित कर भगवान को हमेशा के िलए अपने पास रख सकते हैं। एक साल पहले पूजा में रखे गए िमट्टी के लक्ष्मी-गणेश अाधी बाल्टी पानी में विसर्जित करें। जब घुल कर िमट्टी बन जाएं, तो इसे घर के गमलों या पार्क में डाल दें।
- इसी तरह घर पर गणपति विसर्जन भी कर सकते हैं। चाहें, तो िकसी बगीचे की िमट्टी िनकाल कर उसमें जल भर कर गणपति विसर्जित करें। इस जगह की िमट्टी को अगले साल िफर से गणपति की मूर्ति बनाने के िलए इस्तेमाल में लाएं।
- िफटकरी से बनी मूर्तियां हैं, तो इन्हें प्रवािहत करने से पानी साफ होता है।
- नवरात्रे पर जौ बोए हैं, तो पूजा के बाद िमट्टी सहित खाली गमले में डाल दें। खाद बन जाएगी।
- पूजा में इस्तेमाल हुई चीजों को इकट्ठा करके फूल, िमट्टी के दीए, जली हुई रुई की बत्ती की अलग-अलग ढेरियां बना लें। फूलों व अन्य अॉर्गेिनक चीजों को सुखा व पीस कर उनकी खाद बना सकते हैं। चाहें, तो इन्हें सीधे गमले या बगीचे में डाल सकते हैं। िमट्टी के दीए पानी में डालें अौर घुलने पर इसे गमले में डाल दें। पूजा की बत्ती िकसी पेड़ के नीचे रख सकते हैं।
- हम जो इस प्रकृति से लें, वह उसे सम्मानजनक ढंग से वापस करें।