यह जान कर आपको हैरानी होगी कि पंछियों का सबसे छोटा घोंसला हमिंगबर्ड का होता है, जो नन्हे से कप के आकार का लगभग 2 इंच चौड़ा और 2-3 इंच लंबा होता है और सबसे बड़ा घोंसला ओल्ड ईगल (डस्की स्क्रबफाउल) का होता है, जो लगभग 36 फीट x 16 फीट का होता है।
तरह-तरह के घोंसले
चिड़ियों का घोंसला कप के आकार का होता है, वहीं कुछ पक्षी वर्टिकल शेप में घोंसला बनाते हैं, जो पेड़ों या घर की दीवारों से चिपके होते हैं। ईगल और बाज जैसे पंछी प्लेटफॉर्म घोंसले बनाते हैं। कभी-कभी ये अपने लिए इतना बड़ा घोंसला बना लेते हैं कि पेड़ की डाल ही टूट जाती है। हंस, बटेर जैसे पक्षी पानी में तैरनेवाला घोंसला बनाते हैं, वहीं अबाबील और फ्लेमिंगो पक्षी मिट्टी का घोंसला बनाते हैं। एक खास किस्म का उल्लू जमीन के अंदर अपना घोंसला बनाता है, जो अर्थ होल नेस्ट कहलाता है। जमीन के ऊपर घोंसला बनानेवाले पक्षी घास-फूस से घोंसला बना कर उसमें पंखों का मुलायम बिछौना तैयार करते हैं, ताकि उनके अंडे और बच्चे सुरक्षित रहें। मुर्गी, बतख, इमू व मोर पत्तों और झाड़ियों का इस्तेमाल करके जमीन पर घोंसला बनाते हैं। किंगफिशर जमीन में 6 फीट अंदर तक घोंसला बनाता है। तोता, उल्लू, मैना, कठफोड़वा पेड़ों व पहाड़ों की खोह में, तो शुतुरमुर्ग तो रेत में घर बनाता है। वहीं कोयल कौए के घोंसले में अपने अंडे दे देती है और बेचारा भोलाभाला कौआ उसे अपना अंडा समझ कर सेता रहता है।
बया का नायाब घोंसला
बया पक्षी घास और पत्तियों से डबल बेडरूमवाला लालटेन की तरह लटकता हुआ घोंसला बनाते हैं, जिसमें एक में वे खुद रहते हैं और दूसरे में अंडा-बच्चा। नर बया घोंसला बनाता है और मादा उसका निरीक्षण करती है। अगर मादा को घोंसला पसंद नहीं आया, तो नर बया दोबारा घोंसला बनाता है। बया पानी के आसपास अपने घोंसले बनाते हैं और बस्ती के रूप में घोंसले बनाते हैं। इन्हें घोंसला बनाने में करीब महीनाभर लग जाता है।
घोंसलों का इकोलॉजिकल महत्व
कुछ जीव-जंतु परागण के जरिए ना सिर्फ फसल उगाने में हमारी मदद करते हैं, बल्कि मिट्टी के बनने और उसकी क्वॉलिटी को बनाए रखने में भी सहायक होते हैं। पंछियों के घोंसले इन इनवर्टिब्रेट्स जीवों की शरणस्थली और इनके लिए भोजन का सामान भी बनते हैं। इस तरह पंछियों को इकोसिस्टम इंजीनियर भी कह सकते हैं। वैज्ञानिकों को चिड़ियों के घोंसलों में 18 किस्म के पर्यावरण मित्र जीव-जंतु मिले हैं।
कुछ चहचहाते तथ्य
फेंग शुई में मान्यता है कि घर में पक्षी घोंसला बनाए, तो बहुत शुभ होता है।
श्रीलंका, मलय, फिलीपींस और अपने यहां अंडमान-निकोबार की पहाड़ियों पर स्विफ्टलेट चिड़िया लार से घोंसला बनाती है और इस घोंसले से बर्ड नेस्ट सूप बनाया जाता है, जो चीन का पसंदीदा पेय है। चीन लगभग 3.5 मिलियन स्विफ्टलेट घोंसले हर साल आयात करता है।
घोंसलों की स्टडी को कैलियोलॉजी कहा जाता है।
पक्षी घोंसले बनाने में ग्लू के तौर पर मकड़ी के जाले, रेशम के धागे, मिट्टी और अपनी लार का इस्तेमाल करते हैं।
पक्षी अपने घोंसले के अंदर कुछ हर्ब्स रखते हैं, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये हर्ब्स बैक्टीरिया से लड़ने में उनकी मदद करते हैं।