Wednesday 10 March 2021 11:47 AM IST : By Rooma

जान का जोखिम ना बन जाएं सेंटेड सैनिटरी नैपकिन

perfumed-sanitary-napkin

हारमोन्स की वजह से पीरियड्स में शरीर और वेजाइना की गंध का बदलना सामान्य बात है। लेकिन सैनिटरी पैड्स के माध्यम से इसे दूर करने की कोशिश महिलाओं की बड़ी गलती है। सैनिटरी नैपकिन के विज्ञापन पर गौर करें, तो युवती सफेद कपड़ों या चुस्त कपड़ों में कूदती-फांदती और मुस्कराती नजर आती है। ऐसा वह इसीलिए कर रही है, क्योंकि उसने सेंटेड पैड्स का इस्तेमाल किया है। अगर कोई लड़की टीवी के विज्ञापन को देख कर पीरियड्स में सेंटेड पैड्स से दर्द और गंध की समस्या को दूर करने की कोशिश कर रही है, तो यह उसकी भूल है।

क्या है सेंटेड पैड

यह ऐसा सैनिटरी पैड है, जिसमें सिंथेटिक परफ्यूम और केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि शरीर की गंध का पता नहीं चल पाए। जबकि ऐसा नहीं है। बॉडी ओडर और पैड्स के केमिकल परफ्यूम की वजह से स्थिति और भी बिगड़ सकती है। उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के ऑब्स्टीट्रिक्स एंड गाइनीकॉलोजी विभाग की हेड डॉ. एकता बजाज कहती हैं, ‘‘आजकल तरह-तरह के अल्ट्रा थिन, जैल बेस्ड और परफ्यूम्ड सैनिटरी पैड्स बाजार में आ रहे हैं। पर सेहत की नजर से ये अच्छे नहीं हैं। इन पैड्स में जितना ज्यादा सिंथेटिक परफ्यूम का इस्तेमाल होगा, उतनी ही प्राइवेट पार्ट की स्किन पर एलर्जिक रिएक्शन की परेशानी होगी। इस विषय पर कई शोध हुए हैं, जिसके नतीजे से मालूम चलता है कि इससे कैंसर और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के खतरे जैसी समस्या भी हो सकती है। स्त्रियों को हमेशा रेगुलर कॉटन पैड्स इस्तेमाल करने चाहिए। कई परफ्यूम्ड सैनिटरी नैपकिन के विज्ञापन सुपर एब्जॉर्बेंट यानी ज्यादा सोखने और ड्राई फीलिंग का दावा करते हैं, जबकि यह सही नहीं है। इस तरह पैड्स नेचुरल मॉइश्चर को ब्लॉक करते हैं और गरमी पैदा करते हैं। इसीलिए लंबे समय तक सेंटेड सैनिटरी पैड के इस्तेमाल से हानिकारक बैक्टीरिया पैदा होने के खतरे बढ़ जाते हैं।’’ यूएस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस नेशनल टॉक्सिकोलॉजी प्रोग्राम के मुताबिक सेंटेड पैड्स खासतौर पर केमिकल युक्त होते हैं। अगर सैनिटरी पैड्स में विशेष तौर पर फ्रेगरेंस का जिक्र किया गया हो, तो इसमें केमिकल है। इस्तेमाल से पहले इसके बारे में जान लें।

सेंटेड पैड के खतरे

खुशबूदार पैड की टॉप लेअर पर जिस खुशबू का इस्तेमाल होता है, वह वेजाइना के संपर्क में आ कर यीस्ट इन्फेक्शन के खतरे का बढ़ा देता है। बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली की सीनियर गाइनीकोलॉजिस्ट डॉ. तृप्ति सारन के मुताबिक, ‘‘परफ्यूम्ड पैड्स में केमिकल की हेवी डोज इस्तेमाल होती है, जो स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालती है। सैनिटरी पैड्स में इस्तेमाल होने वाला नॉन बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक पर्यावरण के लिए भी खतरनाक हैं। इसमें मौजूद टॉक्सिंस जब भी जलते हैं, एअर पॉल्यूशन बढ़ाते हैं, साथ ही श्वास संबंधी परेशानी भी पैदा करते हैं। इसीलिए इस तरह के पैड्स का इस्तेमाल करने से बचें।’’

रखें ख्याल

उन पांच दिनों में फ्रेश फील करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें-

- रोज नहाएं। अगर दो बार नहाती हैं, तो ताजगी के नजरिए से इससे बढि़या बात नहीं होगी।

- इंटीमेट वॉश से दिन में एक बार प्राइवेट पार्ट धोएं। वेजाइनल वॉश वेजाइना के पीएच बैलेंस को ध्यान में रखते हुए बनाए जाते हैं। इसमें परफ्यूम का इस्तेमाल नहीं होता।

- पीरियड्स चाहें हेवी हों या लाइट, इसकी गंध से बचना ही चाहती हैं, तो हर 6 घंटे के बाद पैड बदलें। फ्रेश महसूस करेंगी और किसी तरह के संक्रमण की परेशानी भी नहीं होगी।

- पीरियड्स के दिनाें में टाइट लेगिंग, थॉन्ग, सिंथेटिक अंडरगारमेंट की जगह कॉटन अंडरगारमेंट का इस्तेमाल करें।

- अगर वेजाइना से कुछ अलग तरह की गंध आ रही हो, तो यह किसी तरह के संक्रमण का संकेत है। इसके लिए किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।