Thursday 28 April 2022 04:32 PM IST : By Nishtha Gandhi

कोविड से रिकवरी में मदद करेंगे योग व प्राणायाम

कोविड के लक्षण चाहे हल्के हों या गंभीर, ठीक होने के बाद भी इससे उबरने में बहुत समय लगता है। कई लोगों ने कोरोना से पूरी तरह ठीक होने के बाद भी काफी लंबे समय तक थकान, कमजोरी, एंग्जाइटी, घबराहट, हार्ट बीट में तेजी की शिकायतें की हैं। यह वायरस शरीर के अंदरूनी अंगों पर भी बुरा असर डाल कर उन्हें कमजोर बनाता है। कोरोना से रिकवरी में दवाओं, विटामिन सप्लीमेंट्स के अलावा योग व प्राणायाम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। योग एक्सपर्ट दिव्यांश के मुताबिक, ‘‘कोरोना से ठीक होने के बाद और इन्फेक्शन के दौरान भी नियमित तौर पर प्राणायाम और योग करने से बहुत पॉजिटिव रिजल्ट्स देखे गए हैं। जिन लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, उन्हें अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन, कपालभाति, उज्जयी, भ्रामरी आदि प्राणायाम तो नियमित तौर पर करने ही चाहिए। हालांकि उन्हें योग व प्राणायाम करते समय कुछ बातों का ध्यान भी रखना चाहिए जैसे वे ऐसे आसन चुनें, जो रिब केज यानी पसलियों को ज्यादा से ज्यादा बाहर की तरफ निकालें यानी उन्हें ज्यादा स्पेस दें। कोविड एक इंफ्लुएंजा वायरस है, जो सांस लेने के द्वारा शरीर के अंदर जा सकता है। इसके सिवाय हम कुछ सरल आसनों का अभ्यास भी कर सकते हैं जैसे उष्ट्रासन, मत्स्यासन। पर ध्यान रहे कि सांस लेने की गति बहुत तेज ना हो, मध्यम गति से ही सांस अंदर लें व बाहर छोड़ें। अगर किसी भी स्थिति में आपको ऐसा महसूस हो रहा हो कि सांस लेने में तकलीफ हो रही है या सांस तेज चल रही हों, तो ऐसे आसन का अभ्यास ना करें।’’

यौगिक ब्रीदिंग

यह प्राणायाम शरीर को बहुत ज्यादा तनाव मुक्त करता है। इसे नियमित करने से स्ट्रेस, एंग्जाइटी दूर होती है। इसमें सबसे पहले पेट, फिर चेस्ट को बाहर की तरफ फुलाना है और फिर गरदन के आसपास के हिस्से को फुलाते हुए सांस बाहर छोड़नी है। सांस बाहर छोड़ते हुए ध्यान रखना है कि पहले आप गरदन, फिर चेस्ट और फिर पेट से सांस बाहर छोड़ें। इसके बाद मेडिटेशन करें। मेडिटेशन करने के लिए किसी शांत जगह पर बैठ जाएं, चाहें, तो लेट भी सकते हैं। फिर शरीर को स्थिर करें। अब सारा ध्यान चेस्ट और लंग्स की तरफ ले जाएं, मन में पॉजिटिव विचार लाएं कि मैं अंदर से स्वस्थ हो रहा हूं। नाक से सांस अंदर भरते हुए सोचें कि आप पॉजिटिव और स्वस्थ विचारों को अंदर खींच रहे हैं और सांस बाहर छोड़ते हुए आपके शरीर से सारे कीटाणु, बीमारी और नेगेटिविटी बाहर निकल रही है। 

राहत की सांस

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जब हम बहुत थक जाते हैं, तो एक गहरी सांस बाहर छोड़ते हैं, इससे हमें महसूस होता है कि जैसे हमने अपनी कठिनाइयों को बाहर निकाल दिया है। इसे करने के लिए नाक से अपने शरीर में ज्यादा से ज्यादा हवा भरनी है। फिर मुंह से फूंक मारते हुए धीरे से सांस बाहर छोड़ें, इस दौरान महसूस करें कि आपके शरीर से नेगेटिविटी दूर होगी और शरीर रिलैक्स होगा। 

उष्ट्रासन

फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं। सांस अंदर खींचते हुए पीछे झुकें और दोनों हाथों से अपने पंजे पकड़ें। कुछ देर इसी स्थिति में रहते हुए सांस बाहर छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं।

मत्स्यासन

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फर्श पर दोनों पैर आगे करके बैठ जाएं। अब दोनों हाथों से साइड में प्रेशर देते हुए सांस अंदर खींचें, जिससे चेस्ट में हवा भरें। इस दौरान पैरों को मोड़ते हुए पद्मासन में बैठ जाएं। अब धीरे-धीरे पीछे लेटें और सिर को फर्श पर टिकाने की कोशिश करें। फिर दोनों हाथों से पंजे भी पकड़ें। अपनी आंखों को नाक या नाभि पर स्थिर करें। कुछ देर इस स्थिति में रहें और पूर्व स्थिति में आ जाएं। शुरुआत में आपको पैर मोड़ने में दिक्कत हो सकती है, इसलिए पैरों को सीधा रख कर भी यह आसन कर सकते हैं।