Friday 22 October 2021 04:17 PM IST : By Team Vanita

कैंसर के इलाज में मददगार है रेडिएशन थेरैपी

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कैंसर मरीजों के जीवन में रेडिएशन थेरैपी जैसा शब्द आम हो चुका है। इस प्रक्रिया को करने का प्रमुख उद्देश्य ट्यूमर को बढ़ने से रोकना या इसके विकास को धीमा करना होता है। कभी-कभी ऑन्कोलॉजिस्ट सर्जरी का विकल्प चुनने से पहले ट्यूमर के आकार को कम करने के लिए रेडिएशन थेरैपी कराने के लिए कहते हैं। रेडिएशन थेरैपी शरीर के अन्य भागों में फैलने वाली कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकती है। आमतौर पर कैंसर होने पर हमारे शरीर में कोशिकाएं विभाजित होने लगती हैं और ये बहुत तेजी से विभाजित होती हैं। यहीं से रेडिएशन थेरैपी चलन में आती है।

कैंसर इलाज के इस तरीके में कैंसर कोशिकाओं को ट्यूमर बनने से पहले मारने के लिए तीव्र ऊर्जा के बीम का उपयोग किया जाता है। कैंसर से पीड़ित सभी लोगों में से आधे से ज्यादा लोग इलाज के दौरान किसी ना किसी समय अपने कैंसर उपचार के हिस्से के रूप में रेडिएशन थेरैपी की प्रक्रिया से गुजरते हैं।

रेडिएशन थेरैपी निम्न चीजों पर निर्भर करती है-

आपको किस तरह का कैंसर है।

कितना बड़ा ट्यूमर है।

यह ट्यूमर कहां पर है।

आपका ट्यूमर अन्य कोशिकाओं के कितना करीब है।

आपका सामान्य स्वास्थ्य कैसा है।

क्या आप कोई अन्य इलाज भी करवा रहे हैं।

रेडिएशन थेरैपी कितने प्रकार की

रेडिएशन थेरैपी दो तरह की होती है। पहली एक्सटर्नल (बाहरी) रेडिएशन थेरैपी और दूसरी इंटरनल (आंतरिक) रेडिएशन थेरैपी। आपको किस तरह की रेडिएशन थेरैपी की जरूरत है, यह जांचने के लिए आपको नियमित फाॅलोअप कराना होगा। इससे पता चलेगा कि थेरैपी कारगर साबित हो रही है कि नहीं। आपका डॉक्टर आपकी जांच करेगा और साइड इफेक्ट्स और लक्षणों पर आपको राय देगा।

एक्सटर्नल रेडिएशन थेरैपी : इसमें रेडिएशन मशीन से ट्यूमर को निशाना बना कर शरीर के बाहर रखा जाता है। मशीन से निकलने वाले रेडिएशन बीम को कई कोणों से ट्यूमर तक पहुंचाया जाता है, ताकि ट्यूमर का आकार कम हो जाए। मशीन आपके शरीर को नहीं छूती है, रेडिएशन किरणें एक निश्चित दूरी से चलती हैं। यह आपके ट्यूमर के आकार के लिए इमेजिंग स्कैन और टारगेटेड उपचारों का विश्लेषण करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से संचालित होता है। यह उपचार आमतौर पर आपकी रेडिएशन योजना के आधार पर 5 से 15 मिनट तक चलता है और कभी-कभी मरीज को सही स्थिति में होने पर किया जाता है। ज्यादातर मरीजों को एक हफ्ते या 5 दिन का डोज मिलता है। इस उपचार की सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको रेडियोएक्टिव नहीं बनाता है और आप अन्य लोगों के साथ भी सुरक्षित रूप से रह सकते हैं।

आंतरिक विकिरण चिकित्सा : इसे ब्रैकीथेरैपी के रूप में भी जाना जाता है। इस तरह की रेडिएशन थेरैपी में मरीज को उनके शरीर के अंदर ठोस या तरल रूप में रेडिएशन दिया जाता है। मरीज को लिक्विड रेडियोएक्टिव आयोडीन का एक अाईवी इन्जेक्शन निगलना या लगवाना पड़ सकता है, इससे यह कैंसर कोशिकाओं को खोजने और मारने के लिए पूरे शरीर में जाता है। यह थेरैपी आमतौर पर सिर,गरदन, स्तन, सर्वाइकल कैंसर, एंडोमेट्रियल, प्रोस्टेट और आंखों के कैंसर के इलाज में करते हैं।

रेडिएशन के साइड इफेक्ट्स

यह आपके शरीर के उस हिस्से पर निर्भर करता है, जिस हिस्से पर रेडिएशन दिया जा रहा होता है। साइड इफेक्ट्स में थकान, अस्थायी रूप से बालों का झड़ना, यौन और प्रजनन संबंधी समस्याएं, धुंधला दिखना और त्वचा में बदलाव होना शामिल हो सकता है।

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जी मिचलाना और उल्टी होना, सिर दर्द, सूजन, स्वाद में बदलाव, निगलने में परेशानी, मूत्र संबंधी समस्याएं, दस्त होने जैसी कुछ अन्य समस्याएं आपको हो सकती हैं। कुछ साइड इफेक्ट्स बाद में दिख सकते हैं। जैसे कभीकभार एक नया कैंसर (दूसरा प्राइमरी कैंसर) हो सकता है, जो पहले रेडिएशन से ठीक हुए कैंसर से अलग होता है। यह इलाज के सालों बाद विकसित हो सकता है। इलाज के बाद आप में जो साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, उसके बारे में अपने डॉक्टर से पूछें। चाहे ये साइड इफेक्ट्स शॉर्ट टर्म के हों या लॉन्ग टर्म के, इनके बारे में जानकारी हासिल करना महत्वपूर्ण है।