Monday 26 July 2021 04:49 PM IST : By Ruby Mohanty

बारिश से नाखूनों में हो ना जाए फंगल इन्फेक्शन

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नाखूनों पर नेल पेंट तो हम सभी लगाते हैं, पर नाखूनों की सेहत की तरफ हमारा ध्यान कम जाता है। बारिश में नाखूनों की स्थिति कभी-कभी दर्दनाक हो जाती है। जानिए, स्किन एंड हेअर क्लीनिक, दिल्ली की डर्मेटोलॉजिस्ट एंड लेजर सर्जन दीपाली भारद्वाज से नाखूनों के स्वास्थ्य पर विशेष जानकारी, सलाह और सावधानियां-

नाखूनों में ओन्कोमाइकोसिस और टिनिया अनगियम (onychomycosis, tinea unguium) सबसे आम बीमारी हैं। इस तरह की बीमारियां अंगूठे के नाखूनों में ही ज्यादातर देखी जाती हैं। नाखून उमस और बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। आमतौर पर इन्फेक्शन से नाखून फूल कर मोटे हो जाते हैं। नाखूनों के किनारों में दर्द, सूजन और खुजली महसूस होती है। इनमें धारियां सी दिखती हैं और वे कमजोर हो कर टूटने लगते हैं। ऐसे नाखून एकदम सफेद या पीलापन लिए रहते हैं, नाखूनों के नीचे की त्वचा अलग दिखती है। ऐसा लगता है त्वचा और नाखूनों के बीच जगह बन गयी है। इन्हें आप ट्रिम कर सकती हैं। लेकिन त्वचा और नाखूनों के नीचे साफ करने की कोशिश ना करें, वरना त्वचा का इन्फेक्शन बिगड़ सकता है। हरे रंग के नाखून भी बैक्टीरियल इन्फेक्शन का संकेत देते हैं। इसे ठीक होने में 3 महीने लगते हैं। जैसे-जैसे आप नाखूनों को ट्रिम करते जाते हैं, नए नाखून आते जाएंगे। पैरों को एंटीसेप्टिक सोल्यूशन से धोएं।

क्यों होता है फंगल इन्फेक्शन 

पानी में बहुत देर तक काम करने, सार्वजनिक स्थानों पर जैसे जिम, स्वीमिंग पूल में नंगे पैर रहने, पार्लर में मेनीक्योर और पेडिक्योर करवाते समय नेल्स से जुड़े गंदे टूल्स, तौलिया साफ ना होने पर, दूसरों के मोजे पहनने पर और नाखून को सुंदर बनाने के लिए फॉल्स नेल्स का बार-बार प्रयोग करने से फंगल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होता है। संक्रमित नाखूनों को छूने के बाद हाथ ना धोने, टाइट जूते पहनने और पैरों में पसीने की समस्या से फंगल इन्फेक्शन का खतरा और भी बढ़ता है। नाखून जब पानी से लगातार गीले रहते हैं और उन पर सूरज की रोशनी नहीं पड़ती, तब संक्रमण हो सकता है। पैरों की उंगलियों में दर्द और उनसे दुर्गंध आना, नाखून में फंगल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन से जुड़े अन्य लक्षण हैं। 

पैरों में कुछ इन्फेक्शन चकत्ते, खुजली या घाव की तरह दिखते हैं, जिन्हें डर्मेटोफाइटोसिस कहा जाता है। जब नाखून में फंगल संक्रमण हो जाए, तो सेहत से जुड़ी अन्य स्थितियों को भी ध्यान रखने की जरूरत है जैसे डाइबिटीज आदि। नेल इन्फेक्शन होने पर डर्मेटोलॉजिस्ट और पोडियाट्रिस्ट से सलाह ली जा सकती है। नाखूनों को ट्रिम करके रखें। डॉक्टरी सलाह के मुताबिक क्रीम और खाने की दवाएं भी नाखूनों के संक्रमण को ठीक करने में मदद करती हैं।

और भी रखें सावधानियां 

नाखूनों में फंगल इन्फेक्शन की रोकथाम के लिए सरल तरीकों पर ध्यान दें। नाखूनों को ट्रिम, सूखा और साफ रखें। सिंथेटिक की जगह कॉटन मोजे पहनें। एंटी फंगल स्प्रे या पाउडर का प्रयोग करें। क्रीम लंबे समय तक असरदार साबित नहीं होती। फंगल इन्फेक्शन की गंभीर स्थिति को देखते हुए त्वचा रोग विशेषज्ञ को तुरंत दिखाएं। संक्रमित नाखून को पूरी तरह से ठीक होने में आमतौर पर 4 महीने तक लग जाते हैं। संक्रमण के कुछ मामलों में नाखूनों को हटाने का विकल्प चुना जाता है। वैसे घरेलू इलाज में अजवाइन का तेल इस्तेमाल होता है। इसमें थाइमोल होने की वजह से यह तेल नाखूनों पर एंटी फंगल का काम करता है। अजवाइन के तेल को टी ट्री ऑइल के साथ भी मिक्स करके इस्तेमाल किया जाता है। जैतून का तेल और सूर्यमुखी के तेल पर भी कुछ अध्ययन हुए हैं, जो यह बताते हैं कि इनमें एंटी फंगल गुण होने की वजह से इन्हें कई दवाअों में भी इस्तेमाल किया जाता है। नाखूनों के संक्रमण के इलाज के लिए प्रयोग में आनेवाली अन्य वैकल्पिक दवाअों में सिरका और अंगूर के बीजों का इस्तेमाल होता है।

वीकली रुटीन 

नाखूनों को स्वस्थ रखने के लिए सप्ताह में कम से कम 2 दिन स्पेशल फुट बाथ लेना चाहिए । हाथ-पैरों को नमक पानी में डुबो कर डेड स्किन निकालें। स्क्रब करें और नाखूनों को कोने से साफ करें। पैर धो कर मॉइश्चराइजिंग क्रीम लगाएं। इसे नाखूनों पर भी अच्छी तरह से मलें। अगर नाखून टूटे या उखड़े हुए हैं, तो उन पर ऑलिव ऑइल या क्यूटिकल क्रीम लगा कर ठीक करें। उंगलियों को गुनगुने ऑलिव ऑइल में 10 मिनट के लिए डुबो कर रखें। बचे हुए तेल से हाथ-पैरों की मसाज करें। नाखूनों को मजबूत करने के लिए उन्हें सप्ताह में 2 बार थोड़ी देर के लिए नीबू के रसवाले गुनगुने पानी में डुबो कर रखें। साफ और स्वस्थ रहने से इन्फेक्शन होने के खतरे कम होंगे।