जिंदगी फिर से पटरी पर आनी जरूरी है, पर अभी भी एक डर है, जो मन में बैठ गया है, क्योंकि कोविड का खतरा अभी टला नहीं। सब कुछ पहले जैसा हो सकता है, सिर्फ हम सभी को अपनी कुछ आदतें बदलनी होंगी, रुटीन में कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। घर से बाहर जब निकलें, तो मन को कैसे मजबूत करें, सैनिटाइजेशन का
कैसे खयाल रखें? ऐसी कई बातें हैं, जिनके बारे में बता रहे हैं हमारे एक्सपर्ट्स....।
मन के डर को छोड़ दें
केएमसी अस्पताल मंगलुरू की मनोचिकित्सक डॉ. कीर्ति श्री कहती हैं, ‘‘कोरोना की पहली लहर के बाद जब लॉकडाउन खुला, तो लोग धीमी गति से ही सही, पर अपनी पहले वाली रुटीन लाइफ में लौटने लगे। किसी ने भी नहीं सोचा था कि कोविड की दूसरी लहर आएगी और हजारों की संख्या में लोगों की मृत्यु होगी। इसीलिए गौर करें कि पिछली लहर के लॉकडाउन खुलने पर और अब के लॉकडाउन के खुलने में मन के डर में जमीन-आसमान का फर्क है। सभी शहरों में जैसे-जैसे स्टेप बाई स्टेप लॉकडाउन खुल रहा है, लोग फिर से काम पर जाने लगे हैं, पर अभी डर तो बना हुआ है। सभी कंफ्यूज्ड हैं। अगर हम इसकी चपेट में आ गए, तो क्या होगा? हम कहां जाएंगे? एक बार अस्पताल पहुंच गए, तो क्या ठीक हो कर वापस आएंगे या नहीं? तीसरी लहर भी आएगी? बच्चे चपेट में आ जाएंगे, तो क्या होगा? इस तरह की कई बातें हैं, जो लोगों के मन में दहशत पैदा कर रही हैं।’’
कई लोग तो 1 साल से ज्यादा समय से अपने घर से बाहर नहीं निकले हैं। उनमें खास तरह की एंग्जाइटी हो गयी है। अपनी हेल्थ को ले कर उन्हें टेंशन और एंग्जाइटी है। ऐसे लोग बार-बार न्यूज देखते हैं, कोविड से हुई मृत्युदर को देख कर खुद भी डरते हैं और दूसरों को भी डराते हैं। पर सच कहें, तो उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, न्यूज को बार-बार सुनने की जगह धीरे-धीरे अपनी रुटीन लाइफ पूरी एहतियात के साथ शुरू करें।
घर से निकलने और काम पर जाने का सुख महसूस करें। यह मानें कि कम से कम हम उन लोगों में से हैं, जिनकी नौकरी बची हुई है। नौकरी तो जरूरत है, पर रिश्तेदारों के घर आने-जाने, पार्टी करने और बेवजह इधर-उधर घूमने से बचें।
जिन लोगों को कोविड हो चुका है, उन लोगों के मन में डर ज्यादा है कि अगर वे घर से बाहर निकले, तो उन्हें दूसरी बार संक्रमण तो नहीं हो जाएगा। जबकि यही वह समय है, जब परिवार के हर सदस्य को अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा करना होगा।
तीसरी लहर के खौफ से भी लोग परेशान हैं जबकि उन्हें यह देखना चाहिए कि सामान्य जीवन जीने में तन-मन को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं। मेडिटेशन और प्राणायाम जैसे उपाय जारी रखें और मन को हल्का रखनेवाले चैनल्स देखें। मन का उत्साह लौटेगा।
सबक याद रहे
फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली के फिजिशियन डॉ. मनोज शर्मा कहते हैं-
सबसे जरूरी बात है कि घर से कदम बाहर रखें, तो तीन बातों को मन में बिठा लें। मास्क पहनना, हैंड हाइजीन और सोशल डिस्टेंसिंग। रुटीन लाइफ में अगर इन तीन चीजों का पालन सही तरीके से होगा, तो कोरोना से सेफ्टी भी रहेगी और पूरे आत्मविश्वास के साथ घर से बाहर निकल भी पाएंगे।
दूसरी अहम बात है, वैक्सीनेशन। फिर से रोजमर्रा की जिंदगी में उतरने से पहले 18 से अधिक उम्र के लोग समय पर वैक्सीनेशन करवा लें। वैक्सीनेशन कराने के बाद भी मास्क पहनने और साफ-सफाई में किसी तरह की ढिलाई नहीं हो, तो अच्छा है। अगर हम पश्चिमी देशों की बात करें, तो वहां वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद खुली जगहों पर बिना मास्क के रहने की छूट है, पर कहीं भीड़भाड़ वाली जगह पर जा रहे हैं, तो मास्क महनना जरूरी है। यह बात सभी देशों पर लागू होती है।
ऑफिस में इस बात का खास खयाल रखें कि जहां वेंटिलेशन नहीं है और कमरा बंद है, वहां मास्क पहनना बेहद जरूरी है।
सिंगल मास्क पहनना भी पर्याप्त है, पर यह नाक और मुंह पर पूरी तरह से फिट हो, इस बात का खयाल रखें। कपड़े के और डिजाइनर मास्क की जगह सर्जिकल मास्क सही और सुरक्षित है। डबल मास्क से घुटन महसूस होती है, जिससे व्यक्ति बार-बार मास्क ठीक करने लगता है। सिंगल सर्जिकल मास्क नाक पर टिका रहता है। हवादार होने की वजह से दम घुटने जैसा महसूस नहीं होता।
कभीकभार बच्चे भी बाहर जाने की जिद करें, तो उन्हें भी उनके साइज का एन-95 मास्क पहनाएं।
आपके पर्स या जेब में सैनिटाइजर की छोटी बोतल होनी जरूरी है। ध्यान रहे कि सैनिटाइजर में कम से कम 70 प्रतिशत अल्कोहल की मात्रा हो। अपने पास एक्स्ट्रा मास्क रखना भी जरूरी है।
अपने ऑफिस पहुंच कर और ऑफिस से घर आने पर कम से कम 20 सेकेंड तक साबुन से हाथों को अच्छी तरह धोएं।
कच्चे फल-सब्जियां खरीदने के बाद भी हाथों को सैनिटाइज करें या हाथों को धोएं। फल व सब्जियों को भी अच्छी तरह से धो कर सुखा कर फ्रिज में रखें।
सरदी, खांसी या बुखार जैसे लक्षण हैं, तो घर से बाहर ना ही निकलें। कमजोर इम्युनिटी के साथ एक्सपोजर खतरनाक साबित हो सकता है।
घर की सफाई पर विशेष ध्यान दें। फ्रिज साफ रखें। बासी खाना, बहुत दिनाें तक कटे फलों का इस्तेमाल, बासी आटे जैसी चीजें को खाने से बचना ही बेहतर है।