Monday 26 June 2023 05:38 PM IST : By Gopal Sinha

खतरे में दिल - रखें खास खयाल

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पिछले कुछ समय में एक्टिव लाइफस्टाइल जीनेवाले 40-45 साल के कई सेलेब्रिटीज के गुजर जाने की खबरों ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्यों युवाओं में हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास आनेवाले हार्ट डिजीज से ग्रस्त मरीजों में युवाओं की संख्या पहले के मुकाबले काफी बढ़ी है। क्या बदलती जीवनशैली व खानपान की अनियमितता ने नाजुक से दिल को बड़े खतरे में डाल दिया है? आखिर दिल के युवावस्था में बीमार हो जाने की वजह क्या है? हृदय रोग से संबंधित ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं डॉ. प्रवीण चंद्रा, चेअरमैन, इंटरवेंशनल एवं स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलॉजी, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, हार्ट इंस्टिट्यूट, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम, डॉ संजीव गेरा, डाइरेक्‍टर एवं यूनिट हेड, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा, डॉ. संजय मित्तल, डाइरेक्टर, क्लीनिकल एंड प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी, हार्ट इंस्टिट्यूट, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम, डॉ. ऋषि गुप्ता, चेअरमैन कार्डियक साइंसेज, एकॉर्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद और डॉ. आनंद कुमार पांडेय, सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल, दिल्ली।

सेहतमंद जीवनशैलीवाले लोग भी दिल के रोगी बन रहे हैं। ऐसा क्यों होता है?

भले ही व्यक्ति नियमित रूप से चुस्त रहता हो और व्यायाम करता हो, लेकिन फिर भी आशंका रहती है कि उसकी रक्तनलिकाएं अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही हों। रक्तनलिकाओं को कमजोर करने के अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन शराब व सिगरेट पीने, तनाव और सोने के गलत रुटीन के कारण व्यक्ति के शारीरिक रूप से चुस्त होने के बावजूद दिल की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।

युवाओं में दिल की बढ़ती बीमारी का कारण क्या है?

इन दिनों अस्पतालों में दिल के दौरे से पीड़ित 30 से 40 साल के कई युवा मरीज आते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इस आयु समूह में कई युवा एवं एग्जिक्यूटिव्स बहुत तनाव झेलते हैं, वे बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं, कंपीटिशन में आगे बने रहना चाहते हैं। तनावपूर्ण जीवन से दिल की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचानेवाले हारमोन का स्राव बढ़ जाता है और इसके कारण दिल की बीमारी हो जाने की आशंका बढ़ जाती है।

क्या तनाव से दिल के दौरे के मामले बढ़ते हैं?

निरंतर तनाव में रहनेवाले युवाओं में दिल की बीमारियां कई गुना बढ़ी हैं। तनाव से नब्ज की चाल, दिल की धड़कन बढ़ जाते हैं और शरीर में अनेक हारमोनल बदलाव होते हैं, जो दिल की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ मामलों में, जब दिल की रक्तवाहिनियों में ब्लॉकेज होता है, तब तनाव से ये ब्लॉकेज बढ़ जाते हैं और दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

दिल की बीमारी की रोकथाम के क्या उपाय हैं? दिल की बीमारी से जुड़े जोखिम क्या हैं?

रोकथाम का पहला उपाय है 40 साल की उम्र के बाद स्क्रीनिंग, प्रतिवर्ष दिल की पूरी जांच और विस्तृत स्क्रीनिंग टेस्ट, जिसमें खून में शुगर, कोलेस्ट्रॉल, लिपिड प्रोफाइल, खून की जांच और तनाव की जांच आदि शामिल है। दिल की बीमारी से जुड़े जोखिमों में डाइबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल आदि हैं। सही समय पर जांच कर उनका इलाज कराना चाहिए। सबसे जरूरी हैं सेहतमंद आहार और सेहतमंद जीवनशैली।

इमरजेंसी के वक्त क्या किया जाना चाहिए?

इमरजेंसी के मामले में यदि किसी को छाती में परेशानी महसूस हो रही है, और दिल के दौरे की आशंका हो, तो उसे जल्दबाजी में कुछ नहीं करना चाहिए, उसे दौड़ना नहीं चाहिए। मरीज को ऐसी जगह ले जाया जाना चाहिए, जहां वह लेट कर आराम कर सके, ताकि दिल की धड़कन प्राकृतिक रूप से सामान्य हो सके। घबराहट से स्थिति बिगड़ सकती है। सबसे पहले मरीज को शांति व सुकून दिया जाए, उसे एस्पिरिन दे दी जाए, उसका ब्लड प्रेशर देखा जाए और सुकून के साथ मरीज को अस्पताल ले जाया जाए। इसके बाद ईसीजी करके देखा जाए कि मरीज को दिल का दौरा पड़ा है या नहीं। यदि मरीज को दिल का दौरा पड़ा हो, तो उसका इलाज विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट्स से कराया जाए।

दिल को स्वस्थ रखने के उपाय क्या हैं?

1. धूम्रपान या तंबाकू का सेवन ना करें। देखा गया है कि धूम्रपान का त्याग करने के बाद एक दिन में ही दिल की बीमारी का जोखिम कम हो जाता है।

2. शरीर को चुस्त बना कर रखें। शारीरिक व्यायाम से वजन नियंत्रण में रहता है। इससे अन्य समस्याओं, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, और टाइप 2 डाइबिटीज को कम करने में भी मदद मिलती है, जो दिल पर दबाव डाल सकती हैं। प्रतिदिन 30 से 60 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी से दिल स्वस्थ बना रहता है।

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3. सेहतमंद आहार लें, जिसमें सब्जियां और फल, फलियां, कम फैट युक्त और फैट फ्री डेयरी फूड, साबुत अनाज, और सेहतमंद फैट, जैसे ऑलिव ऑइल शामिल हैं।

4. वजन नियंत्रित रखें। अत्यधिक वजन से दिल की बीमारियां बढ़ानेवाली समस्याएं बढ़ सकती हैं।

5. पूरी नींद लें। रात में 7 से 8 घंटे सोना चाहिए। नींद की दिनचर्या बनाएं और हर रोज एक ही समय पर सो कर एवं उठ कर इस दिनचर्या का पालन करें।

6. तनाव को मैनेज करें, विकल्प तलाशें। शारीरिक गतिविधि, आराम देनेवाले व्यायाम या ध्यान केंद्रित करने से तनाव एवं संपूर्ण स्वास्थ्य के सुधार में मदद मिल सकती है।

7. डॉ. आनंद कुमार पांडेय कहते हैं कि यदि बाईपास सर्जरी हो चुकी है, तो एक्सरसाइज ज्यादा ना करें। कोशिश करें योग और हल्की एक्सरसाइज के माध्यम से शरीर को स्वस्थ्य रखें। सुबह उठ कर नजदीकी पार्कों में जा कर सैर लगाएं, उचित व्यायाम के लिए प्रशिक्षण लें, तनाव कम करने का प्रयास करें।

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8. स्वास्थ्य एवं दिल की जांच नियमित रूप से कराएं। नियमित जांच से समस्या पहचानने और समय पर उसका इलाज कराने में मदद मिलती है।

कोविड-19 से रिकवर हुए हैं तो स्‍वस्‍थ हृदय के लिए ध्‍यान देने के महत्‍व के बारे में डॉ. संजीव गेरा कहते हैं, ‘‘स्‍वस्‍थ हृदय के लिए आपको अपनी जीवनशैली का सावधानीपूर्वक चुनाव करना होगा और उन आदतों से छुटकारा पाना होगा, जो सेहतमंद नहीं हैं। शरीर में असामान्‍य या अधिक ब्‍लड लिपिड्स (फैट) की मात्रा कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों की वजह है, इसलिए सैचुरेटेड फैट का सेवन कम से कम करना चाहिए। इसी तरह, हाई ब्‍लड प्रेशर को साइलेंट किलर कहा जाता है, क्‍योंकि कई लोगों में काफी लंबे समय तक इसके लक्षण दिखायी नहीं देते, लेकिन यह हार्ट अटैक या अचानक कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है। डाइबिटीज और मोटापे पर नियंत्रण रखना जरूरी है।’’

स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक खानपान और नियमित रूप से व्‍यायाम के साथ योग भी आपके हृदय के स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से काफी लाभप्रद होता है और यह अन्‍य शारीरिक श्रमसाध्‍य गतिविधियों की तुलना में आपके हार्ट पर कम दबाव डालता है।

डॉ. गेरा कहते हैं कि कोविड पॉजिटिव हो चुके लोगों को नियमित रूप से स्‍वास्‍थ्‍य जांच करवानी चाहिए, ताकि उनके हृदय पर कोविड के किसी भी प्रकार के प्रभाव का पता लगाया जा सके। देखा गया कि कोविड महामारी के दौरान हृदय रोगी ज्‍यादा प्रभावित हुए। उनकी नियमित स्‍वास्‍थ्‍य जांच करवाना जरूरी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनकी हार्ट वेसल्‍स को अधिक नुकसान तो नहीं पहुंचा है।

मेनोपॉज के दौरान दिल पर खतरा

डॉ. संजय मित्तल बताते हैं कि मेनोपॉज एक जैविक प्रक्रिया है, जो तब शुरू होती है, जब महिलाओं के अंडाशय प्रजनन हारमोन (इस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन) का उत्पादन बंद करते हैं और माहवारी का चक्र समाप्त हो जाता है। मेनोपॉज तब होता है, जब महिला को लगातार 12 बार माहवारी का चक्र नहीं होता। प्राकृतिक मेनोपॉज 45 साल से 50 साल के बीच होता है।

मेनोपॉज के बाद महिलाओं में अनेक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन होते हैं। मेनोपॉज के बाद शरीर में इस्ट्रोजन ना होने से शरीर पर अनेक प्रभाव पड़ते हैं। इस्ट्रोजन युवतियों की दिल के दौरे या हृदयाघात से रक्षा करता है। शरीर में इस्ट्रोजन ना होने से डाइबिटीज, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल, शिथिल जीवनशैली होने पर महिलाओं को दिल की गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने का जोखिम बढ़ जाता है। मेनोपॉज के दौरान हारमोन का असंतुलन महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। हारमोन में बदलाव के कारण महिलाओं को तनाव, चिंता, अवसाद और चिड़चिड़ेपन का अनुभव होता है।

उम्र बढ़ने पर दिल की बीमारी का जोखिम भी बढ़ता है। जब मेनोपॉज होता है, तब महिलाओं में दिल की बीमारी के लक्षण और ज्यादा स्पष्ट हो जाते हैं। हालांकि, केवल मेनोपॉज के कारण ही दिल की बीमारी नहीं होती, कई अन्य कारण भी हैं, जो महिलाओं में कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं बढ़ाते हैं।

मेनोपॉज के बाद रक्तनलिकाओं की दीवारों में प्लाक जम जाता है। इसके अलावा, खून में लिपिड के स्तर में तेजी से बदलाव आता है, जिसके कारण खून में कोलेस्ट्रॉल और फैट की मात्रा बढ़ जाती है, और रक्तनलिकाओं में ब्लॉकेज होने का जोखिम बढ़ जाता है।

मेनोपॉज के बाद हारमोनल बदलाव के कारण घबराहट हो सकती है, सांस फूल सकती है या थकान हो सकती है। उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के खून में फाइब्रिनोजन नामक प्रोटीन बढ़ जाता है, जो खून के थक्के बनाता है। खून के ये थक्के दिल का दौरा या हृदयाघात का कारण बन सकते हैं।

मेनोपॉज में हार्ट डिजीज का जोखिम कैसे कम करें

जांच - मेनोपॉज के बाद महिलाओं के लिए दिल की नियमित तौर से जांच कराया जाना बहुत जरूरी है। इससे उनके शरीर में होनेवाला कोई भी परिवर्तन सामने आ जाता है और खून में थक्के जमने, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने और कोई भी परिवर्तन आने पर शुरुआत में ही इलाज शुरू किया जा सकता है। डॉक्टर्स परामर्श देते हैं कि कोलेस्ट्रॉल की जांच हर साल करानी चाहिए, ब्लड प्रेशर की जांच साल में एक बार और खून में ग्लूकोज लेवल की जांच हर 3 साल में करानी चाहिए।

अस्वास्थ्यकर आदतें त्याग दें - जो महिलाएं स्मोकिंग करती हैं, उन्हें दिल के दौरे का खतरा ज्यादा होता है, क्योंकि इससे खासकर मेनोपॉज के दौरान खून में थक्के जमने और उनकी रक्तवाहिनियों के कठोर होने की आशंका बढ़ जाती है।

शारीरिक चुस्ती बना कर रखें - महिलाओं को हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट व्यायाम करना चाहिए, जिससे शरीर में सर्कुलेटरी सिस्टम में सुधार होता है। साथ ही व्यायाम से हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, तनाव के स्तर में कमी आती है और सेहतमंद वजन बनाए रखने में मदद मिलती है तथा मेनोपॉज के बाद महिलाओं के खून में शुगर के स्तर में सुधार आता है।

सेहतमंद आहार लें - सेहतमंद आहार से हृदय के कार्य और सेहत में सुधार होता है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं को ऐसी डाइट लेनी चाहिए, जिसमें सैचुरेटेड फैट कम हों, फाइबर, साबुत अनाज, फलियां, ताजा फल और सब्जियां ज्यादा हों। उन्हें रेड मीट, बेवरेज और शक्करयुक्त आहार का सेवन कम कर कम फैटवाले डेयरी उत्पाद और नट्स खाने चाहिए।

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर

डॉ. ऋषि गुप्ता कहते हैं कि अधिकतर लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को एक जैसा ही मानते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग कंडीशन हैं। हार्ट अटैक में ब्लड का बहाव दिल में रुक जाता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट में दिल के फंक्शन में गड़बड़ी आ जाती है और वह अचानक धड़कना बंद कर देता है। लगभग 99 प्रतिशत मामलों में हार्ट अटैक ही कार्डियक अरेस्ट की वजह बनता है, इसीलिए हार्ट अटैक ना हो, इसके उपाय किए जाने चाहिए।
डॉ. ऋषि गुप्ता का मानना है कि युवाओं में स्ट्रेस काफी बढ़ गया है, जिससे उनका ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है, जो दिल को नुकसान पहुंचाता है। तनाव को कम करने के लिए अन्य उपायों के साथ-साथ दोस्तों, रिश्तेदारों से रेगुलर मिलजुल कर हंसी-खुशी के पल बिताना भी बहुत जरूरी है। आखिर आपका दिल बेहद नाजुक है, जिसे संभालना आपके हाथ में ही है।