Thursday 25 May 2023 02:43 PM IST : By Gopal Sinha

थायरॉइड की गड़बड़ी दूर करें खास योग से

सेहत संबंधी समस्याओं से निजात पाने में योगासनों का महत्वपूर्ण रोल है, बशर्ते सही योग को सही तरीके से किया जाए। हील-इन-सूत्राज योग स्टूडियो की योग गुरु शिल्पा कोहली कहती हैं कि अपने देश में ज्यादातर केसेज हायपोथायरॉडिज्म या हायपरथायरॉइडिज्म के होते हैं। हाइपरथायरॉइडिज्म में थायरॉइड ग्लैंड ओवरएक्टिव होता है और जरूरत से ज्यादा हारमोन बनाता है। हायपोथायरॉइडिज्म में ग्लैंड अंडरएक्टिव होता है और जरूरतभर का हारमोन नहीं बना पाता।

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योग थायरॉइड ग्लैंड की एक्टिविटी को किस तरह रेगुलेट करता है, इसे जानना जरूरी है। योग हमारी बॉडी में ब्लड फ्लो को स्टिमुलेट करता है। थायरॉइड ग्लैंड के फंक्शन को सही करने के लिए हमें उस तरह के योगासन करने चाहिए, जिनसे ब्लड फ्लो बॉडी के ऊपरी हिस्से में ज्यादा हो। लेकिन हम इसके लिए पेशेंट को शीर्षासन करने की सलाह नहीं देते। कुछ आसन इसके लिए ऐसे हैं, जो सब कर सकते हैं, जैसे सपोर्ट शोल्डर स्टैंड, मत्स्यासन, हलासन आदि। सबसे आसान योग है मर्जरी आसन जिसे कैट पोज कहते हैं। कुछ ना कर पाएं, तो जमीन पर लेट कर पैर को दीवार के सहारे ऊपर की ओर सीधा कर लें।

पहले लोग इस तरह के आसन रुटीन में कर लिया करते थे, इसीलिए उन्हें थायरॉइड की समस्या नहीं होती थी। उन दिनों खाना जमीन पर बैठ कर बनाया जाता था और जमीन पर बैठ कर ही खाते थे। चौकड़ी मार कर बैठते थे। अब ऐसा कुछ रहा नहीं, जिससे ब्लड अपर बॉडी में पूरी तरह जा पाए। योग के जरिए हम इसी तरह की पोस्चर संबंधी दिक्कत को दूर करते हैं। इससे थायरॉइड ग्लैंड रेगुलेट हो जाता है।

मर्जरी आसन, मत्स्यासन, हलासन और सपोर्टिव शोल्डर स्टैंड आसनों के साथ-साथ उज्जयी प्राणायाम भी थायरॉइड हारमोन को रेगुलेट करता है।

यह लाइफस्टाइल से उपजी समस्या है, इसे अपने लाइफस्टाइल में पॉजिटिव बदलाव ला कर ठीक कर सकते हैं, इसे बीमारी नहीं माना जाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता, तो अपने थायरॉइड फंक्शनिंग के लिए कम से कम 45 से 60 मिनट तक ब्रिस्क वॉक ही कर लें। इससे ब्लड का फ्लो पूरी बॉडी में बेहतर होता है।

डाइट में बदलाव भी है जरूरी

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थायरॉइड के पेशेंट को योग के साथ-साथ डाइट का भी ध्यान भी रखना चाहिए। देखना चाहिए कि आयोडीन का इनटेक कितना है। आयोडीन ना तो ज्यादा होना चाहिए, ना ही कम। डाइट में प्रोटीन जरूर होना चाहिए। प्रोटीन थायरॉइड हारमोन्स को पूरी बॉडी में ले जाने का काम करता है। दही, छाछ जैसे प्रोबायोटिक्स भी थायरॉइड हारमोन्स को रेगुलेट करते हैं। इन हारमोन्स को कंट्रोल में रहने के लिए फ्लेक्स सीड ऑइल जैसे हेल्दी फैट नियमित रूप से लेने चाहिए। थायरॉइड डिसऑर्डर होने पर कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए, जैसे फास्ट फूड, सोया प्रोडक्ट्स, कैफीन, अल्कोहल, कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक्स, रिफाइंड शुगर।थायरॉइड पेशेंट को जंक फूड से परहेज करना चाहिए, इनमें मौजूद फ्री रेडिकल्स थायरॉइड को प्रभावित करते हैं। कोई भी चीज संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए। कुछ खाना मना नहीं है, लेकिन फूलगोभी, पत्तागोभी, सोयाबीन जैसी चीजें पका कर ही खाएं और बहुत अधिक ना खाएं।