Thursday 24 September 2020 08:52 PM IST : By Nishtha Gandhi

स्लिमिंग कैपसूल्स के बजाय खाएं नेचुरल फैट कटर्स

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केस स्टडी 1 - 15 वर्षीया सारिका अपने बढ़े वजन से बहुत परेशान थी। जल्दी पतले होने की चाह में उसने दूसरी सहेली की सलाह मान कर पतले होने की दवाएं खानी शुरू कर दीं। कुछ ही समय में उन दवाअों ने असर दिखाना शुरू कर दिया। सारिका की भूख-प्यास कम हो गयी, उसका पेट अकसर खराब रहने लगा। उसका वजन तो कम होना शुरू हो गया, लेकिन वह हर समय थकान अौर चिड़चिड़ापन महसूस करने लगी। गाल अंदर धंस गए अौर स्किन भी बेजान अौर ढीली हो गयी। एक-डेढ़ महीना अौर बीतने पर सारिका को अपनी ठुड्डी पर हेअर ग्रोथ नजर अाने लगी अौर उससे अगले महीने उसे पीरियड्स ही नहीं अाए। बुरी तरह घबरा कर मम्मी उसे डॉक्टर के पास ले गयीं, तो पता चला कि सारिका को पीसीअोडी की समस्या हो गयी है।
केस स्टडी 2 - रीता एक हाउसवाइफ है, जिसकी उम्र 35 साल है। जब उसका वजन 86 किलो पहुंच गया, तो वह परेशान हो गयी। उसने स्लिमिंग अायुर्वेदिक कैप्सूल खाने शुरू कर दिए। एक महीने में उसे नतीजे तो दिखायी देने शुरू हो गए, लेकिन अब वह हर समय थकी-थकी रहने लगी थी। खतरे की घंटी तब बजी, जब हाई बीपी अौर घबराहट होने पर डॉक्टर ने ईसीजी अौर ईको किया, तो वह थोड़ा खराब निकला। डॉक्टर ने उसे हृदय रोग की शुरुअात बतायी। जब सारी केस हिस्ट्री स्टडी की, तो पता चला कि यह वजन कम करने की गोलियां खाने का साइड इफेक्ट है।
डाइटीशियन नमामि अग्रवाल का कहना है, ‘‘वजन कम करने के शॉर्टकट के रूप में स्लीमिंग पिल्स अौर कैप्सूल बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं। खासकर से युवतियां अौर महिलाएं, जो अपनी बॉडी इमेज से खुश नहीं हैं, वे वजन कम करने के लिए ऐसे तरीके अपनाती हैं। वेट लॉस पिल्स में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिनसे बॉडी कार्ब्स से मिलनेवाला ग्लूकोज स्टोर नहीं कर पाती। इस कारण शरीर को एनर्जी नहीं मिलती अौर फिर बॉडी स्टोर किए हुए फैट अौर मसल प्रोटीन को एनर्जी के लिए इस्तेमाल करने लगती है। नतीजतन शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। शरीर ऊर्जा के लिए जब गुड फैट को भी इस्तेमाल में लाना शुरू कर देता है, तो फिर हृदय रोग होने की अाशंका भी बढ़ जाती है। ये दवाएं शरीर में हारमोनल असंतुलन भी पैदा कर देती हैं, जिस कारण महिलाअों में थायरॉइड, पीसीअोडी, इनफर्टिलिटी, नींद ना अाना जैसी समस्याएं होने लगती हैं।’’
फैट बर्नर दवाएं सेंट्रल नर्वस सिस्टम को बहुत ज्यादा उत्तेजित कर देती हैं। यानी वे हमारे शरीर में कुछ खास केमिकल्स का स्राव करती हैं, जिनसे हार्ट रेट, मेटाबॉलिज्म, ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं। इससे शरीर की एनर्जी भी बहुत ज्यादा खर्च होने लगती है, जिस वजह से थोड़े समय में वजन कम होना शुरू हो जाता है। हालांकि एक बार जब अाप ये दवाएं लेना बंद कर देते हैं, तो मेटाबॉलिज्म बहुत तेजी से कम हो जाता है, जिस कारण वजन दोगुनी स्पीड से बढ़ने लगता है।
नेचुरल फैट कटर्स
-दिन की शुरुअात गरम पानी में नीबू या अांवले के रस अौर शहद से करें। दिनभर ग्रीन टी या अदरक का पानी पीना भी फैट को काटता है। खाना खाने के बाद गरम पानी मेें थोड़ा नीबू निचोड़ कर अवश्य पिएं।
-सुबह खाली पेट चकोतरा खाने से ना सिर्फ बॉडी डिटॉक्स होती है, बल्कि फैट बर्न करने में मदद मिलती है। इसमें ज्यादा तेज नमक डाल कर ना खाएं, वरना वॉटर रिटेंशन हो सकता है।
-खाने में हाई फाइबर फलों की मात्रा बढ़ाएं। इनसे पेट भी देर तक भरा रहता है अौर फैट नहीं जमा हो पाता। फलों में पपीता, सेब, संतरा अौर अनार खाएं। अंगूर, अाम, शरीफा, केला जैसे फल कम खाएं।
-नाशपाती फाइबर से भरपूर होती है। यह अापकी दिनभर की 15 प्रतिशत फाइबर की जरूरत पूरी करती है। इससे अापका पेट देर तक भरा रहता है। नाशपाती का ज्यादा फायदा लेने के लिए इसे छिलके के साथ खाएं।
-तले हुए स्नैक्स खा लिए हों, तो एक कप कसी हुई मूली खाएं, इससे शरीर में फैट जमा नहीं होगा। मूली वैसे भी लिवर अौर पाचन तंत्र के लिए अच्छी होती है।
-ठंडे पानी के बजाय दिनभर हल्का गुनगुना पानी पिएं। इससे अाप महीने में 2-3 किलो तक वजन कम कर सकते हैं। रात को खाना खाने के बाद तेज गरम पानी पीना भी फायदेमंद है।
 -त्रिफला चूर्ण अौर गुग्गल चूर्ण भी फैट कम करने में मदद करता है। त्रिफला चूर्ण बनाने के लिए एक भाग हरड़, 2 भाग बहड़ अौर 3 भाग अांवला पाउडर मिला कर रख लें। इसे गरम पानी के साथ लें।
-एक चम्मच मेथीदाना एक कप पानी में रातभर के लिए भिगो दें। सुबह इसका पानी पिएं। इससे वाटर रिटेंशन कम होता है। वजन घटाने के साथ यह पानी डाइबिटीज में भी फायदा करता है।
-अोट्स, ज्वार, बाजरा, जौ अादि का दलिया ना सिर्फ अापको पर्याप्त पोषण देगा, बल्कि वजन घटाने में भी मदद करेगा। इसे नियमित अपनी डाइट में शामिल करें।
-एक कप गरम पानी में एक चम्मच दालचीनी का पाउडर अौर एक चम्मच शहद मिला कर सुबह खाली पेट पिएं। यह जल्दी वजन घटाने में मदद करेगा।
-हर 2 घंटे में कुछ हेल्दी अौर लो कैलोरी फूड खाना अपने अापमें फैट बर्निंग प्रक्रिया है। यह मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है। लेकिन यह ध्यान रखें कि अाप तले-भुने स्नैक्स, नमकीन अौर बििस्कट ज्यादा ना खाएं।
-अलसी के बीज का पाउडर बना कर उसे पानी में घोल लें। यह ना सिर्फ फाइबर से भरपूर है, बल्कि फूड क्रेविंग अौर भूख कम करने में भी मददगार है। यह शरीर से सूजन भी कम करता है।
दिल्ली के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल अाकाश हेल्थकेअर में चीफ डाइटीशियन तनु अरोड़ा का कहना है, ‘‘फैट बर्नर दवाअों में इस्तेमाल किए जानेवाले तत्व हैं, कैफीन, एफीड्राइन, विटामिन बी, क्रोमियम, एल-कार्निटीन अौर गुग्गुलेस्टीरोन। ये दवाएं मेटाबॉलिज्म बढ़ाती हैं, भूख कम करती हैं अौर फैट को शरीर में अवशोषित होेने से रोकती हैं। कुछ स्लीमिंग पिल्स में एेसे तत्व होते हैं, जो शरीर में टॉक्सिंस की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ा देते हैं। ये टॉक्सिंस लिवर पर बहुत बुरा असर डाल कर लिवर डैमेज भी कर देते हैं।’’ इन दवाअों के अाम साइड इफेक्ट में शामिल हैं- नींद ना अाना, सिर दर्द, नर्वसनेस, डायरिया, हाई ब्लड प्रेशर, डीहाइड्रेशन, मूड स्विंग्स, दिल की धड़कन बढ़ना अौर स्ट्रोक, लिवर फेल होना (जिसकी वजह से मृत्यु भी हो सकती है), साइकोसिस अौर दौरे  पड़ना अादि।
फैट बर्निंग गैजेट्स

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दवाअों के अलावा फैट बर्न करने के लिए कुछ अौर भी गैजेट्स मार्केट में उपलब्ध हैं, जिनका क्रेज युवाअों में बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इन गैजेट्स में वाइब्रेटर्स, मसल स्टिमुलेटर्स, बॉडी हीटिंग बेल्ट्स, जैल अौर क्रीम प्रमुख हैं। अकसर टीवी पर होम शॉपिंग साइट्स पर एेसे विज्ञापन बहुत लुभावने अंदाज में दिखाए जाते हैं, जिन्हें देख कर खासतौर से युवा अौर महिलाएं अाकर्षित होती हैं।  डाइटीशियन डॉक्टर तनु अरोड़ा का कहना है, ‘‘फैट रिडक्शन के लिए जो भी गैजेट्स इस्तेमाल में लाए जाते हैं, वे शरीर में हीट जनरेट करके उस जगह की चरबी पिघलाने में मदद करते हैं। लेकिन इसका असर सिर्फ शरीर के एक खास भाग पर अौर थोड़े समय के लिए होता है। जो लोग एक्सरसाइज में अालस करते हैं, वे ऐसे शॉर्टकट तरीकों की तलाश में रहते हैं। ऐसी चीजें टेंपरेरी होती हैं अौर ये शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस खराब कर देती हैं। शरीर के जिस हिस्से पर अाप उन चीजों का इस्तेमाल करते हैं, वहां पर अॉक्सीजन सप्लाई नहीं हो पाती अौर बॉडी डीहाइड्रेट हो जाती है। इनके अलावा रैशज, दाने अौर हीट स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। कुछ लोग जल्दी रिजल्ट पाने के चक्कर में इन चीजों का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने लगते हैं अौर मसल इंजरी के शिकार हो जाते हैं।’’